27 अप्रैल, 2020 तक भारत में कोविड-19 के 27,892 पुष्ट मामले हैं। 20 अप्रैल तक 10,627 नए मामले दर्ज किए गए हैं। पुष्ट मामलों में 6,185 मरीजों का इलाज हो चुका है/उन्हें डिस्चार्ज किया जा चुका है और 872 की मृत्यु हुई है। जैसे इस महामारी का प्रकोप बढ़ा है, केंद्र सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए अनेक नीतिगत फैसलों और महामारी से प्रभावित नागरिकों और व्यवसायों को मदद देने के उपायों की घोषणाएं की हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम केंद्र सरकार के 20 अप्रैल से 27 अप्रैल तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं।
Source: Ministry of Health and Family Welfare; PRS.
लॉकडाउन
विशिष्ट क्षेत्रों में स्थित दुकानों के लिए लॉकडाउन से राहत
गृह मामलों के मंत्रालय ने निम्नलिखित को खोलने के लिए आदेश दिया है: (i) ग्रामीण क्षेत्रों में सभी दुकानें, शॉपिंग मॉल्स की दुकानों को छोड़कर, और (ii) सभी स्टैंडएलोन दुकानें, आस-पड़ोस की दुकानें, और शहरी क्षेत्रों में आवासीय कॉम्प्लैक्सों की दुकानें। बाजारों में स्थित दुकानों, मार्केट कॉम्प्लैक्स या शहरी क्षेत्रों में शॉपिंग मॉल्स में कामकाज की अनुमति नहीं है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शॉप्स और इस्टैबलिशमेंट्स एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत दुकानों को ही खोले जाने की अनुमति है। इसके अतिरिक्त जिन ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन्स घोषित किया गया है, वहां की दुकानें नहीं खोली जाएंगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि शराब की बिक्री पर प्रतिबंध जारी रहेगा।
केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल्स का कामकाज बंद रहेगा
केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल का कामकाज 3 मई, 2020 तक बंद रहेगा। जब कामकाज शुरू होगा तो अवकाश के दिनों को भी वर्किंग डे माना जा सकता है। अधिकतर केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल कोविड-19 हॉटस्पॉट्स में स्थित हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है।
वित्तीय उपाय
आरबीआई ने म्युचुअल फंड्स के लिए 50,000 करोड़ रुपए की विशेष लिक्विडिटी सुविधा की घोषणा की
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 50,000 करोड़ रुपए मूल्य के म्युचुअल फंड्स के लिए विशेष लिक्विडिटी सुविधा (एसएलएफ-एमएफ) खोलने का फैसला किया है। इससे म्युचुअल फंड्स पर लिक्विडिटी का दबाव खत्म होगा। एसएलएफ-एमएफ के अंतर्गत आरबीआई निर्धारित रेपो रेट पर 90 दिनों की अवधि में रेपो ऑपरेशन करेगी। एसएलएफ-एमएफ तत्काल इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगा और बैंक इन फंड्स को हासिल करने के लिए अपनी बोलियां सौंप सकते हैं। यह योजना 27 अप्रैल से 11 मई, 2020 के लिए उपलब्ध है या तब तक के लिए जब तक आबंटित राशि का इस्तेमाल नहीं हो जाता (इनमें से जो पहले हो)। आरबीआई योजना की समयावधि और राशि की समीक्षा करेगी, जोकि बाजार की स्थितियों पर निर्भर करता है। बैंक विशेष रूप से म्युचुअल फंड्स की लिक्विडिटी संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस राशि का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह निम्नलिखित के जरिए किया जा सकता है: (i) लोन देना, और (ii) इनवेस्टमेंट ग्रेड कॉरपोरेट बॉन्ड्स, कमर्शियल पेपर्स, डिबेंचर्स और म्युचुअल फंड्स के सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट्स के आउटराइट परचेस और/या उनके लिए कोलेट्रेल लेना।
आरबीआई ने अल्पावधि के फसल ऋण के लिए इन्टरेस्ट सबवेंशन और प्रॉम्प्ट रीपमेंट इनसेंटिव योजनाओं के लाभ का दायरा बढ़ाया
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को तीन लाख रुपए तक के अल्पावधि फसल ऋण के लिए इन्टरेस्ट सबवेंशन और प्रॉम्प्ट रीपमेंट इनसेंटिव योजनाओं के लाभों को क्रमशः 2% और 3% बढ़ाने की सलाह दी। जिन किसानों के एकाउंट्स ड्यू हैं या 1 मार्च, 2020 से 1 मई, 2020 के बीच ड्यू होने वाले हैं, इस योजना के लिए पात्र होंगे।
स्वास्थ्य सेवा कर्मियों का संरक्षण
महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 जारी
महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 22 अप्रैल, 2020 को जारी किया गया। अध्यादेश महामारी रोग एक्ट, 1897 में संशोधन करता है। एक्ट में खतरनाक महामारियों की रोकथाम से संबंधित प्रावधान हैं। अध्यादेश इस एक्ट में संशोधन करता है जिससे महामारियों से जूझने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को संरक्षण प्रदान किया जा सके, तथा ऐसी बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार की शक्तियों में विस्तार करता है। अध्यादेश की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
अध्यादेश पर अधिक विवरण के लिए कृपया यहां देखें।
वित्तीय सहायता
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के अंतर्गत उपाय
वित्त मंत्रालय के अनुसार, 26 मार्च से 22 अप्रैल, 2020 के बीच लगभग 33 करोड़ गरीब लोगों को लॉकडाउन के दौरान प्रत्यक्ष रूप से 31,235 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी गई है। बैंक अंतरणों के लाभार्थियों में विधवाएं, प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत महिला खाताधारक, वरिष्ठ नागरिक और किसान शामिल हैं। प्रत्यक्ष बैंक अंतरणों के अतिरिक्त अन्य प्रकार से भी सहायता मुहैय्या कराई गई है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।
22 मार्च को बिहार में नए कोरोनावायरस रोग (कोविड-19) के पहले दो मामले दर्ज किए गए जिनमें से एक मरीज की मौत हो गई। इसके बाद से मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 19 अप्रैल तक बिहार में कोविड-19 के 86 पुष्ट मामले हैं जिनमें से 47 सक्रिय मामले हैं और 37 लोग ठीक हो गए हैं। पिछले हफ्ते 33 नए मामले दर्ज किए गए हैं। 22 मार्च से एक मौत और दर्ज की गई है।
बीमारी के अत्यधिक संक्रामक होने के कारण 22 मार्च को बिहार सरकार ने 31 मार्च तक राज्यव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। इसके बाद केंद्र सरकार ने 25 मार्च और 14 अप्रैल के बीच राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू किया जो अब 3 मई तक बढ़ गया है। लॉकडाउन के दौरान लोगों के मूवमेंट पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं के अतिरिक्त सभी इस्टैबलिशमेंट्स बंद किए गए हैं। अब 20 अप्रैल के बाद कम प्रभावित जिलों में प्रतिबंधों में ढिलाई की उम्मीद है।
इस ब्लॉग में हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कोविड-19 से निपटने के लिए राज्य सरकार ने अब तक क्या मुख्य कदम उठाए हैं।
प्रारंभिक चरण: यात्रियों की स्क्रीनिंग, निवारक उपायों के संबंध में जागरूकता
राज्य सरकार ने शुरुआत में निम्नलिखित कदम उठाए: (i) बीमारी के निवारक उपायों के संबंध में जागरूकता फैलाना, और (ii) अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग। इस संबंध में 25 फरवरी को बिहार स्वास्थ्य सोसायटी ने निम्नलिखित से संबंधित एडवाइजरीज़ जारी कीं: (i) स्कूलों और कॉलेजों में क्या उपाय किए जाएंगे, और (ii) लक्षण वाले एयरलाइन यात्रियों और पर्यटकों की जानकारी जिला स्वास्थ्य प्रशासन को दी जाएगी। 11 मार्च को 104 कॉल सेंटर को कोविड-19 के कंट्रोल रूम के तौर पर नामित किया गया ताकि बीमारी के संबंध में लोगों के सवालों के जवाब दिए जा सकें।
लॉकडाउन से पूर्व: सामूहिक जमावड़े की सीमा तय, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की लामबंदी
सामूहिक जमावड़े की सीमा तय
13 से 18 मार्च के बीच राज्य सरकार ने आदेश जारी किया कि 31 मार्च तक विभिन्न परिसरों को बंद किया जाए। इनमें आंगनवाड़ी केंद्र, शिक्षण संस्थान, और सिनेमा हॉल, पार्क तथा शॉपिंग मॉल जैसे कमर्शियल इस्टैबलिशमेंट्स शामिल थे। सरकारी कर्मचारियों को वैकल्पिक दिनों पर कार्यालय आने का निर्देश दिया गया। किसी एक स्थान पर 50 से ज्यादा लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध लगाया गया जिसमें कोई पारिवारिक जमावड़ा भी शामिल था (शादियों को छोड़कर)। परिवहन विभाग को कहा गया कि सार्वजनिक और निजी परिवहन को प्रतिबंधित किया जाए।
स्वास्थ्य संबंधी उपाय
कल्याणकारी उपाय
अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं
लॉकडाउन के दौरान कल्याणकारी उपाय, मेडिकल संरचना को मजबूत करना
22 मार्च को लॉकडाउन की घोषणै के बाद राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय समन्वय समितियों का गठन किया गया। लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए: (i) राज्य में मेडिकल संरचना को मजबूत करना, (ii) इस दौरान प्रभावित होने वाले विभिन्न वर्गों को राहत पहुंचाना, और (iii) अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई से जुड़ी समस्याओं को दूर करना।
स्वास्थ्य संबंधी उपाय
कल्याणकारी उपाय
व्यापारिक और कृषि गतिविधियों के लिए उपाय
अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं
अन्य उपाय
शिक्षा: 8 अप्रैल को कैबिनेट ने कक्षा 1 से 11 (कक्षा 10 को छोड़कर) के सभी विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षाओं के बिना अगली कक्षाओं में भेजने को मंजूरी दे दी।
विधायी उपाय: एमएलए और एमएलसी के वेतन में एक वर्ष के लिए 15% की कटौती गई गई। यह राशि राज्य के कोरोना राहत कोष में दान दी जाएगी।
श्रम और रोजगार: 16 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने सात निश्चय कार्यक्रम, जल जीवन हरियाली योजना और मनरेगा के अंतर्गत लोक निर्माण के कार्य बहाल करने के निर्देश जारी किए।
कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।