11 मई, 2020 तक भारत में कोविड-19 के 67,152 पुष्ट मामले हैं। 4 मई से 24,619 नए मामले दर्ज किए गए हैं। पुष्ट मामलों में 20,917 मरीजों का इलाज हो चुका है/उन्हें डिस्चार्ज किया जा चुका है और 2,206 की मृत्यु हई है। जैसे इस महामारी का प्रकोप बढ़ा है, केंद्र सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए अनेक नीतिगत फैसलों और महामारी से प्रभावित नागरिकों और व्यवसायों को मदद देने के उपायों की घोषणाएं की हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम केंद्र सरकार के 4 मई, से 11 मई, 2020 तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं।

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Source: Ministry of Health and Family Welfare; PRS.

उद्योग

कुछ राज्यों में श्रम कानूनों में छूट

गुजरातहिमाचल प्रदेशराजस्थानहरियाणा, और उतराखंड की सरकारों ने इस प्रावधान की मदद से कुछ कारखानों के लिए काम के अधिकतम साप्ताहिक घंटों को 48 से बढ़ाकर 72 तथा रोजाना काम के अधिकतम घंटों को 9 से बढ़ाकर 12 कर दिया। काम के घंटों को बढ़ाने से लॉकडाउन के कारण श्रमिकों की कम संख्या की समस्या को हल करने के लिए ऐसा किया गया है। कुछ राज्य सरकारों ने यह भी कहा है कि लंबी शिफ्ट्स से कारखानों में कम श्रमिक काम करेंगे ताकि सोशल डिस्टेसिंग बनी रहे।

मध्य प्रदेश ने मध्य प्रदेश श्रम कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को जारी किया। यह अध्यादेश 100 श्रमिकों से कम वाले इस्टैबलिशमेंट्स को मध्य प्रदेश औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) एक्ट, 1961 के अनुपालन से छूट देता है। यह एक्ट श्रमिकों के रोजगार की शर्तों को रेगुलेट करता है। इसके अतिरिक्त यह सरकारों को अनुमति देता है कि वे अधिसूचना के मदद से किसी इस्टैबलिशमेंट या इस्टैबलिशमेंट्स की एक श्रेणी को मध्य प्रदेश श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1982 के प्रावधानों से छूट दे सकती हैं। एक्ट श्रमिकों के लिए एक वेल्फेयर फंड की स्थापना का प्रावधान करता है। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ड्राफ्ट अध्यादेश प्रकाशित किया है जोकि मैन्यूफैक्चरिंग में लगे सभी कारखानों और इस्टैबिशमेंट्स को तीन वर्ष के लिए श्रम कानूनों से छूट देता है। वेतन भुगतान, सुरक्षा, मुआवजे और काम के घंटों से संबंधित कुछ शर्तें लागू रहेंगी। हालांकि सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक विवाद निवारण, ट्रेड यूनियन्स, हड़ताल इत्यादि का प्रावधान करने वाले श्रम कानून अध्यादेश के अंतर्गत लागू नहीं होंगे। 

वित्तीय सहायता

केंद्र सरकार ने कोविड-19 सपोर्ट के लिए एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए 

केंद्र सरकार और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) ने कोविड-19 इमरजेंसी रिस्पांस और हेल्थ सिस्टम्स प्रिपेयर्डनेस प्रॉजेक्ट के लिए 500 मिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस प्रॉजेक्ट का उद्देश्य कोविड-19 महामारी की रोकथाम में भारत की मदद करना है और भविष्य में किसी महामारी के प्रकोप के प्रबंधन हेतु भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करना है। इस प्रॉजेक्ट की 1.5 बिलियन डॉलर की राशि को विश्व बैंक और एआईआईबी द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा जिसमें से एक बिलियन डॉलर विश्व बैंक देगा और 500 मिलियन डॉलर की राशि एआईआईबी द्वारा दी जाएगी। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी और इसे संकट के प्रति संवेदनशील आबादी, मेडिकल पर्सनल्स की जरूरतों को पूरा करने तथा मेडिकल एवं टेस्टिंग सुविधाओं के निर्माण के लिए खर्च किया जाएगा। इस प्रॉजेक्ट को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा लागू किया जाएगा।  

यात्रा

रेलवे द्वारा यात्रा की बहाली

भारतीय रेलवे ने 12 मई से यात्री सेवाओं को शुरू करने की योजना बनाई है इसे ट्रेनों के 15 पेयर्स के साथ शुरू किया जाएगा जोकि नई दिल्ली स्टेशन से डिब्रूगढ़, अगरतला, हावड़ा, पटना, बिलासपुर, रांची, भुवनेश्वर, सिकंदराबाद, बेंगलुरू, चेन्नई, तिरुअनंतपुरम, मडगांव, मुंबई सेंट्रल, अहमदाबाद और जम्मू तवी के बीच चलेंगी। इन ट्रेनों की बुकिंग 11 मई को शाम 4 बजे से शुरू होगी। इसके बाद भारतीय रेलवे की नए रूट्स पर अधिक सेवाएं शुरू करने की योजना है।

विदेशों में फंसे भारतीयों की वापसी 

केंद्र सरकार 7 मई के बाद से चरणबद्ध तरीके से विदेशों में फंसे भारतीयों की वापसी को आसान बनाएगी। हवाई जहाज और नौवहन जहाजों से उनकी यात्रा का प्रबंध किया जाएगा। इन सेवाओं का उपयोग करने के लिए लोगों को भुगतान करना होगा। उड़ान से पहले यात्रियों की मेडिकल स्क्रीनिंग की जाएगी। भारत पहुंचने पर यात्रियों को आरोग्य सेतु ऐप को डाउनलोड करना होगा। इसके अतिरिक्त संबंधित राज्य सरकार उन्हें अस्पताल या क्वारंटाइन सेंटर में 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन करेगी जिसका भी भुगतान करना होगा। क्वारंटाइन के बाद यात्रियों की कोविड-19 के लिए जांच होगी और नतीजे के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।    

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें

14 मार्च, 2022 को राज्यसभा ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डीओएनईआर) के कामकाज पर चर्चा की। चर्चा के दौरान बजटीय आबंटन, योजनाओं के कार्यान्वयन तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र की कनेक्टिविटी से संबंधित कई मुद्दों पर विचार किया गया। यह मंत्रालय पूर्वोत्तर क्षेत्र से संबंधित विकास योजनाओं और प्रॉजेक्ट्स की योजना बनाने, उनके कार्यान्वयन और निगरानी के लिए जिम्मेदार है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम मंत्रालय के लिए 2022-23 के बजटीय आबंटनों का विश्लेषण करेंगे और उससे संबंधित विषयों पर विचार करेंगे।

इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए पीएम-डिवाइन नामक नई योजना की घोषणा

2022-23 में मंत्रालय के आबंटन में 2021-22 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 5की वृद्धि हुई है। मंत्रालय को 2,800 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं जिसे पूर्वोत्तर विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर विकास योजना और पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना जैसी विभिन्न योजनाओं के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। तालिका 1 में मंत्रालय के बजटीय आबंटन का क्षेत्रवार ब्रेकअप दिया गया है।   

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर विकास पहल (पीएम-डिवाइन) नाम की एक नई योजना की घोषणा की थी। इसे पूर्वोत्तर परिषद (पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास हेतु नोडल एजेंसी) द्वारा लागू किया जाएगा। पीएम-डिवाइन सड़क कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास परियोजनाओं को वित्त पोषित करेगी। यह योजना मौजूदा केंद्रीय क्षेत्र या केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं का स्थान नहीं लेगी, या उन्हें समाहित नहीं करेगी। योजना के लिए 1,500 करोड़ रुपए का शुरुआती आबंटन किया जाएगा। 

तालिका 1पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के आबंटन का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में) 

 

प्रमुख मद

2020-21

वास्तविक

2021-22

बअ

2021-22

संअ

2022-23

बअ

2021-22 संअ से 2022-23 बअ से परिवर्तन का %

पूर्वोत्तर विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर विकास योजना

446

675

674

1,419

111%

पूर्वोत्तर परिषद की योजनाएं

567

585

585

702

20%

पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना

416

696

674

496

-26%

पूर्वोत्तर एवं सिक्किम के लिए संसाधनों का केंद्रीय पूल

342

581

581

-

-

अन्य

270

322

344

241

-30%

कुल

1,854

2,658

2,658

2,800

5%

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

नोट: बअ– बजट अनुमान; संअ – संशोधित अनुमान; पूर्वोत्तर परिषद की योजनाओं में विशेष विकास परियोजनाएं शामिल हैं।
स्रोत: 2022-23 के केंद्रीय बजट दस्तावेजों की मांग संख्या 23पीआरएस। 

पूंजीगत परिव्यय के लिए मांग से कम आबंटन

गृह मामलों संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा है कि मंत्रालय ने जितनी मांग (794 करोड़ रुपए) की थी, उसके मुकाबले 2022-23 के बजट चरण में आबंटित राशि (660 करोड़ रुपए) 17% कम है। पूंजीगत व्यय में पूंजीगत परिव्यय शामिल होता है जिसके जरिए स्कूल, अस्पतालों, सड़क एवं पुलों जैसी परिसंपत्तियों का सृजन होता है। कमिटी ने गौर किया कि इससे उन परियोजनाओं और योजनाओं के कार्यान्वयन पर गंभीर असर हो सकता है जिनके लिए पूंजीगत परिव्यय की जरूरत होती है। उसने सुझाव दिया कि मंत्रालय को इस विषय में वित्त मंत्रालय से बात करनी चाहिए और वित्तीय वर्ष 2022-23 के संशोधित चरण में अतिरिक्त सहायता की मांग करनी चाहिए।  

पिछले कुछ वर्षों में धनराशि की पूरा उपयोग नहीं किया गया

2011-12 (2016-17 को छोड़कर) के बाद से मंत्रालय बजटीय चरण में आबंटित धनराशि का उपयोग नहीं कर पाया है (रेखाचित्र 1)। उदाहरण के लिए 2020-21 में पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना के मामले में धनराशि का 52% उपयोग किया गया, जबकि पूर्वोत्तर विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर विकास योजना (जलापूर्ति, बिजली, कनेक्टिविटी, सोशल इंफ्रास्ट्रक्टर से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स) के अंतर्गत केवल 34धनराशि का उपयोग किया गया। मंत्रालय ने धनराशि के उपयोग न हो पाने के कई कारण बताए इनमें परियोजनाओं के प्रस्ताव देर से प्राप्त होना और राज्य सरकारों की तरफ से यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट्स प्राप्त न होना शामिल है।

रेखाचित्र 12011-12 के बाद मंत्रालय द्वारा धनराशि का पूरा उपयोग न करना

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 नोटसंशोधित अनुमान का उपयोग 2021-22 के वास्तविक व्यय के तौर पर किया गया है।
 स्रोतकेंद्रीय बजट दस्तावेज (2011-12 से 2022-23); पीआरएस।

परियोजनाओं की धीमी रफ्तार 

मंत्रालय सड़क एवं पुलों जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के लिए कई योजनाओं को लागू करता है। कुछ योजनाओं की प्रगति अपर्याप्त रही है। स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा कि पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत कई सड़क परियोजनाओं की भौतिक प्रगति या तो शून्य है, या सिंगल डिजिट परसेंट में है, इसके बावजूद कि परियोजना के लिए धनराशि जारी की जा चुकी है। इसी तरह करबी अंगलोंग स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद (असम में स्वायत्त जिला परिषद) तथा सामाजिक एवं इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कोष (पूर्वोत्तर क्षेत्र में सड़क, पुलों का निर्माण, और स्कूलों एवं जलापूर्ति परियोजनाओं का निर्माण) के अंतर्गत परियोजनाओं की अपर्याप्त प्रगति देखी गई है।

घटते वन आवरण पर ध्यान देने की जरूरत

स्टैंडिंग कमिटी (2021) ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय को वन आवरण के संरक्षण के लिए काम करने का भी सुझाव दिया। कमिटी ने पूर्वोत्तर भारत में वन आवरण के घटने पर भी ध्यान दिया। भारतीय वनों की स्थिति पर केंद्रित रिपोर्ट (2021) के अनुसार, 2019 से 2021 के बीच जिन राज्यों के वन आवरण को सबसे अधिक नुकसान हुआ, वे हैं(i) अरुणाचल प्रदेश (257 वर्ग किलोमीटर वन आवरण का नुकसान), (ii) मणिपुर (249 वर्ग किलोमीटर), (iii) नागालैंड (235 वर्ग किलोमीटर), (iv) मिजोरम (186 वर्ग किलोमीटर), और (v) मेघालय (73 वर्ग किलोमीटर)। वन आवरण में गिरावट के कई कारण हो सकते हैं, जैसे झूम खेती, पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक आपदाएं, मानवजनित (पर्यावरणीय प्रदूषण) दबाव और विकासपरक गतिविधियां। कमिटी ने सुझाव दिया कि वन एवं पर्यावरण के संरक्षण के विभिन्न उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और निर्धारित समय अवधि में उन्हें लागू किया जाना चाहिए। उसने यह सुझाव भी दिया कि मंत्रालय को निम्नलिखित कार्य करने चाहिए: (i) वन आवरण/घनत्व को बढ़ाने के लिए नियमित पौधरोपण करना चाहिए, और (ii) केंद्रीय प्रायोजित कार्यक्रमों के अंतर्गत वनों के संरक्षण के अंतिम लक्ष्य को प्राथमिकता देनी चाहिए।

राज्यसभा में चर्चा के दौरान कई सदस्यों ने महत्वपूर्ण विषय उठाए

राज्यसभा में 14 मार्च, 2022 को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा की गई। सदस्यों ने जिन विषयों को उठाया, उनमें से एक यह था कि मंत्रालय के पास अपना लाइन विभाग नहीं है। इस वजह से मंत्रालय को परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए राज्यों के प्रशासनिक बल पर निर्भर रहना पड़ता है। कई दूसरे सदस्यों ने यह भी कहा कि क्षेत्र रेलवे और सड़क नेटवर्क से जुड़ा हुआ नहीं है जिससे इसका आर्थिक विकास प्रभावित होता है। सदन में इसके जवाब में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार सड़क, रेलवे, जलमार्ग और दूरसंचार के जरिए पूर्वोत्तर क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार करने के निरंतर प्रयास कर रही है।

पूर्वोत्तर के लिए केंद्रीय मंत्रालयों के आबंटन

केंद्रीय मंत्रालयों ने पूर्वोत्तर के लिए अपना 10% बजट आबंटित किया (धनराशि के आबंटन और उपयोग के लिए रेखाचित्र 2 को देखें)। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय वह नोडल मंत्रालय है जोकि विभिन्न मंत्रालयों के आबंटनों की निगरानी करता है। 2022-23 में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए सभी मंत्रालयों ने 76,040 करोड़ रुपए का आबंटन किया है। 2021-22 के संशोधित अनुमानों (68,440 करोड़ रुपए) के मुकाबले इसमें 11की वृद्धि है। 2019-20 और 2021-22 में पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लिए वास्तविक व्यय बजट अनुमान से क्रमशः 18% और 19% कम था। 

रेखाचित्र 2पूर्वोत्तर के लिए केंद्रीय मंत्रालयों का बजटीय आबंटन (करोड़ रुपए में)

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स्रोत: रिपोर्ट संख्या 239पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की अनुदान मांग (2022-23)गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी; पीआरएस।