13 अप्रैल, 2020 को भारत में कोविड-19 के 9,152 पुष्ट मामले हैं। इनमें से 857 मरीजों का इलाज हो चुका है/उन्हें डिस्चार्ज किया जा चुका है और 308 की मृत्यु हुई है।
जैसे इस महामारी का प्रकोप बढ़ा और वायरस से संबंधित जानकारियों में इजाफा हुआ, केंद्र सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए अनेक नीतिगत फैसलों की घोषणा की। इसके अतिरिक्त इन फैसलों से प्रभावित नागरिकों और व्यवसायों को मदद देने के उपायों की भी घोषणा की गई। इस ब्लॉग पोस्ट में हम केंद्र सरकार के 7 अप्रैल से 13 अप्रैल तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं।
Source: Ministry of Health and Family Welfare, PRS.
स्वास्थ्य
सर्वोच्च न्यायालय ने कोविड-19 की मुफ्त टेस्टिंग और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव उपकरणों के प्रावधान का आदेश दिया
कोविड-19 के लिए मुफ्त टेस्टिंग: सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि सरकार द्वारा अधिसूचित आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तथा आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत आने वाले लोगों की कोविड-19 की टेस्टिंग मुफ्त की जानी चाहिए, भले ही वह टेस्टिंग निजी लैब में हो या सरकारी लैब में। इसके अतिरिक्त यह कहा गया कि कोविड-19 की टेस्टिंग उन लैब्स में भी की जा सकती है जो नेशनल एक्रेडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिबरेशन लेबोरेट्रीज़ द्वारा सत्यापित हैं, या उन एजेंसियों में जो विश्व स्वास्थ्य संगठन या भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा मंजूर हैं। इस आदेश से पूर्व सरकारी लेबोरेट्रीज़ में टेस्ट मुफ्त किए जा रहे थे। हालांकि निजी लेबोरेट्रीज़ को प्रति टेस्ट 4,500 रुपए तक लेने की अनुमति थी।
स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव उपकरण: सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि सरकार को फ्रंट लाइन पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के लिए उपयुक्त पर्सनल प्रोटेक्टिव उपकरण (पीपीई) की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। पीपीई में ग्लव्स, मास्क्स, गॉगल्स, फेस शील्ड्स और शू कवर्स शामिल हैं। पीपीई का इस्तेमाल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों पर आधारित होना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसने सरकार को निर्देश दिए कि पीपीई के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए जैसे कच्चे माल के मूवमेंट की अनुमति देकर। पीपीई के निर्यात पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है।
स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षा: न्यायालय ने यह भी कहा कि कोविड-19 के मरीजों का इलाज करने वाले स्वास्थ्यकर्मी इस महामारी के संभावित जोखिम से जुड़े लांछन के कारण जनता द्वारा हिंसा का शिकार हो रहे हैं। न्यायालय ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पुलिस प्रशासन को निर्देश देना चाहिए कि अस्पतालों, उन स्थानों पर- जहां लोगों को क्वारंटाइन में रखा गया है, और स्क्रीनिंग के दौरान डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को सुरक्षा प्रदान करें। उन लोगों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई की जानी चाहिए जो कोविड-19 की रोकथाम में लगे डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ और दूसरे सरकारी अधिकारियों के कामकाज को बाधित कर रहे हैं और किसी प्रकार का अपराध कर रहे हैं।
कुछ वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी और हेल्थ सेस से छूट
केंद्र सरकार ने कुछ वस्तुओं पर बेसिक कस्टम्स ड्यूटी और हेल्थ सेस की वसूली से छूट दी है। इनमें वेंटिलेटर्स, फेस मास्क्स, पीपीई, कोविड-19 टेस्टिंग किट्स और इन वस्तुओं की मैन्यूफैक्चरिंग के लिए जरूरी वस्तुएं शामिल हैं। यह छूट 30 सितंबर, 2020 तक लागू रहेगी।
वित्तीय सहायता
कोविड-19 पर आपात प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज
केंद्र सरकार ने कोविड-19 आपात प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज को मंजूरी दी है। इसे जनवरी 2020 और मार्च 2024 के दौरान तीन चरणों में लागू किया जाएगा। पैकेज के उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) राष्ट्रीय एवं राज्य स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूती देना, (ii) कोविड-19 के लिए तैयारी को मदद देना, (iii) जरूरी मेडिकल उपकरणों और दवाओं की खरीद करना, (iv) निगरानी करने के लिए लेबोरेट्रीज़ स्थापित करना, और (v) जैविक सुरक्षा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कार्यक्रम के चरण 1 के लिए धनराशि जारी करनी शुरू कर दी है। यह कार्यक्रम जून 2020 तक चलेगा। इस धनराशि को निम्नलिखित गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा: (i) कोविड-19 के मरीजों के लिए अस्पताल और आइसोलेशन वार्ड बनाना, (ii) वेंटिलेटर्स देना, (iii) डायग्नॉस्टिक क्षमताओं में विस्तार करना, और (iv) बीमारी की सामुदायिक निगरानी।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से आंशिक निकासी की अनुमति
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के सबस्क्राइबर्स अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए आंशिक निकासी कर सकते हैं। सबस्क्राइबर के औपचारिक अनुरोध पर निकासी की अनुमति है। इस राशि को सबस्क्राइबर, उसके पति या पत्नी, बच्चों (गोद लिए बच्चे सहित) या निर्भर माता-पिता के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
पांच लाख रुपए तक के सभी लंबित इनकम टैक्स रिफंड जारी किए जाएंगे
व्यवसायों और लोगों को तत्काल राहत देने के लिए पांच लाख रुपए तक के सभी लंबित इनकम टैक्स रिफंड तत्काल जारी किए जाएंगे। इससे 14 लाख टैक्सपेयर्स को लाभ मिलने का अनुमान है। इसके अतिरिक्त सभी लंबित जीएसटी और कस्टम्स रिफंड जारी किए जाएंगे। इससे लगभग एक लाख बिजनेस एंटिटीज़ को लाभ मिलेगा। लगभग 18,000 करोड़ रुपए का कुल रिफंड दिया जाएगा।
कोविड-19 के कारण मृत्यु की स्थिति में भारतीय खाद्य निगम कर्मचारियों को मुआवजा
केंद्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के 1.08 लाख कर्मचारियों को मौद्रिक मुआवजा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसमें वे 80,000 श्रमिक भी शामिल हैं जो देश की सप्लाई फूड चेन में काम करते हैं। वर्तमान में आतंकवादी हमलों, बम विस्फोट, भीड़ की हिंसा या प्राकृतिक आपदाओं की स्थितियों में एफसीआई कर्मचारियों के परिवारों की मृत्यु होने पर उन्हें मुआवजा मिलता है। हालांकि इसमें एफसीआई के नियमित और ठेके पर काम करने वाले श्रमिक शामिल नहीं हैं। इस प्रस्ताव के अंतर्गत 24 मार्च, 2020 और 23 सितंबर, 2020 के बीच कोविड-19 के कारण मृत्यु होने पर ड्यूटी पर सभी श्रमिकों का बीमा किया जाएगा। नियमित श्रमिक 15 लाख रुपए के हकदार होंगे, ठेके पर काम करने वाले श्रमिक 10 लाख रुपए के हकदार होंगे, श्रेणी 1 के अधिकारी 35 लाख रुपए, श्रेणी 2 के 30 लाख रुपए तथा श्रेणी 3 एवं श्रेणी 4 के कर्मचारी 25 लाख रुपए के हकदार होंगे।
गैर सरकारी संगठनों को राहत कार्यों के लिए एफसीआई से सीधे खाद्यान्न खरीदने की अनुमति
सरकार ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान हजारों गरीब लोगों को खाना पहुंचाने में गैर सरकारी संगठन और चैरिटेबल संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन संगठनों को बिना किसी परेशानी के खाद्यान्न मिलता रहे, इसके लिए केंद्र सरकार ने एफसीआई को निर्देश दिया है कि वह ओपन मार्केट सेल स्कीम रेट पर गैर सरकारी संगठनों को गेहूं और चावल दे। ये दरें आम तौर पर राज्य सरकारों और पंजीकृत बल्क यूजर्स के लिए आरक्षित होती हैं। इसका अर्थ यह है कि ये संगठन पूर्व निर्धारित आरक्षित मूल्य पर एफसीआई से एक बार में एक से दस मीट्रिक टन गेहूं और चावल खरीद सकते हैं।
वित्तीय संसाधन बढ़ाना
संसद के सदस्यों के वेतन और लाभों में कटौती
इस हफ्ते केंद्र ने दो अध्यादेश जारी किए: (i) सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिए 30% की कटौती हेतु संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन एक्ट, 1954, में संशोधन और (ii) मंत्रियों के सत्कार भत्ते में एक वर्ष के लिए 30% की कटौती हेतु मंत्रियों का वेतन और भत्ते एक्ट, 1952 में संशोधन। सरकार ने 1954 के एक्ट में अधिसूचित नियमों में भी संशोधन किया है ताकि सांसदों के कुछ भत्तों में एक वर्ष के लिए कटौतियां की जा सकें, और दो वर्षों के लिए एमपीलैड योजना को रोका गया है। एमपीलैड योजना से संसद सदस्यों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास संबंधी कार्य के सुझाव देने का मौका मिलता है। कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए केंद्र के वित्तीय संसाधनों को पूरा करने हेतु ये परिवर्तन किए गए हैं। सांसदों और मंत्रियों के वेतन और भत्तों में प्रस्तावित कटौती से लगभग 55 करोड़ रुपए की बचत होगी और एमपीलैड योजना को रोकने से 7800 करोड़ रुपए की बचत की उम्मीद है। कोविड-19 के कारण तत्काल आर्थिक संकट से लड़ने के लिए जितनी अनुमानित राशि की जरूरत होगी, यह बचत राशि उसका क्रमशः 0.03% और 4.5% है।
सांसदों के वेतन और लाभों में कटौती के प्रभावों पर अधिक जानकारी के लिए कृपया यहां देखें।
कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखे।
सरकार ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट को प्रतिबंधित करने के लिए बुधवार को एक अध्यादेश जारी किया। इस संबंध में हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट क्या होती है, उससे संबंधित मौजूदा रेगुलेशंस क्या है और इस अध्यादेश के प्रावधान क्या हैं।
इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट क्या होती है?
अध्यादेश स्पष्ट करता है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (ई-सिगरेट) एक बैटरी चालित उपकरण होता है जोकि किसी पदार्थ को गर्म करता है ताकि कश लेने के लिए वाष्प पैदा हो। इस पदार्थ में निकोटिन हो सकती है, अथवा नहीं भी हो सकती। ई-सिगरेट में कई प्रकार के स्वाद हो सकते हैं, जैसे मेंथॉल, आम, तरबूज और खीरा। आम तौर पर ई-सिगरेट का आकार परंपरागत तंबाकू उत्पाद (जैसे सिगरेट, सिगार या हुक्का) जैसा होता है, लेकिन वह पेन या यूएसबी मेमोरी स्टिक जैसे रोजमर्रा के सामान के आकार वाली भी हो सकती है।
परंपरागत सिगरेट से अलग ई-सिगरेट में तंबाकू नहीं होता और इसलिए वह सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद एक्ट, 2003 के अंतर्गत रेगुलेटेड नहीं है। यह एक्ट भारत में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री, उत्पादन और वितरण को रेगुलेट तथा सिगरेट के विज्ञापर को प्रतिबंधित करता है।
ई-सिगरेट्स के अंतरराष्ट्रीय रेगुलेशन क्या हैं?
भारत ने डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस कन्वेंशन को तंबाकू की महामारी के भूमंडलीकरण की प्रतिक्रियास्वरूप विकसित किया गया था। 2014 में डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी ने हस्ताक्षरकर्ता देशों को ई-सिगरेट को प्रतिबंधित या रेगुलेट करने पर विचार करने हेतु आमंत्रित किया था। सेहत पर इन उत्पादों के बुरे असर के कारण यह सुझाव दिया गया था जिसके कारण फेफड़ों के कैंसर, हृदय संबंधी रोग और धूम्रपान से जुड़ी दूसरी बीमारियां हो सकती हैं।
इसके बाद ब्राजील, मैक्सिको, सिंगापुर और थाईलैंड जैसे अनेक देशों ने ई-सिगरेट्स के उत्पादन, निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। हाल ही में यूएसए में न्यूयॉर्क और मिशिगन ने फ्लेवर्ड ई-सिगरेट्स की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है। दूसरी तरफ यूके में कुछ शर्तों के साथ ई-सिगरेट्स के निर्माण और बिक्री की अनुमति है। इसके अतिरिक्त ई-सिगरेट्स के विज्ञापन और प्रमोशन तथा उनमें निकोटिन के स्तर को भी रेगुलेट किया जाता है।
अध्यादेश से पूर्व क्या भारत में ई-सिगरेट पर रेगुलेशन था?
अगस्त 2018 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक एडवाइजरी जारी कि जिसमें उनसे यह अपेक्षा की गई थी कि वे किसी नई ई-सिगरेट को मंजूरी नहीं देंगे और उनकी बिक्री और विज्ञापन पर रोक लगाएंगे। इस एडवाइजरी के आधार पर दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सहित 15 राज्यों ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि मार्च 2019 में दिल्ली उच्च न्यायालय में इस एडवाइजरी को चुनौती दी गई जिसके बाद इस प्रतिबंध पर स्टे लगा दिया गया।
अध्यादेश क्या करता है?
अध्यादेश भारत में ई-सिगेट्स के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण और विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाता है। इस प्रावधान का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को एक वर्ष तक का कारावास भुगतना पड़ेगा या एक लाख रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा या दोनों सजा भुगतनी होगी। एक बार से अधिक बार अपराध करने पर तीन वर्ष तक का कारावास भुगतना पड़ेगा और पांच लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ेगा।
इसके अतिरिक्त ई-सिगरेट के स्टोरेज पर छह महीने तक का कारावास या 50,000 रुपए का जुर्माना होगा, या दोनों सजा भुगतनी पड़ेगी। अध्यादेश के लागू होने के बाद (यानी 18 सितंबर, 2019) ई-सिगरेट का मौजूदा स्टॉक रखने वालों को इन स्टॉक्स की घोषणा करनी होगी और उन्हें अधिकृत अधिकारी के निकटवर्ती कार्यालय में जमा कराना होगा। यह अधिकृत अधिकारी पुलिस अधिकारी (कम से कम सब इंस्पेक्टर स्तर का) हो सकता है, या केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत कोई भी अन्य अधिकारी।
उल्लेखनीय है कि अध्यादेश में ई-सिगरेट रखने या इस्तेमाल करने से संबंधित कोई प्रावधान नहीं हैं। अध्यादेश अगले छह महीने तक लागू रहेगा और इसे संसद के अगले सत्र के शुरू होने के छह हफ्तों के अंदर संसद की मंजूरी की जरूरत होगी। अगर अध्यादेश इस समयावधि में पारित नहीं होता, तो यह लागू नहीं रहेगा।