
कोविड-19 के प्रकोप के साथ, केंद्र और राज्य सरकारों ने इस वायरस की रोकथाम के लिए अनेक नीतिगत फैसलों की घोषणा की है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम पश्चिम बंगाल सरकार के 18 अप्रैल तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं।
18 अप्रैल, 2020 तक पश्चिम बंगाल में कोविड-19 के 287 पुष्ट मामले हैं। इनमें से 55 मरीजो को डिस्चार्ज किया जा चुका है और 10 की मौत हो चुकी है। राज्य में 66 कोविड अस्पताल, आठ टेस्टिंग लैब और 582 संस्थागत क्वारंटाइन केंद्र हैं।
शुरुआती पहल और लॉकडाउन
जनवरी और फरवरी में सरकार ने कोविड-19 के संबंध में जागरूकता फैलाने के प्रयास किए। इनमें रोकथाम संबंधी उपाय पर एडवाइजरी, नागरिकों को यात्रा प्रतिबंध, घर में एकांतवास (आइसोलेशन) के संबंध में जानकारी देना और विदेश से वापस आने वालों के लिए स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल शामिल हैं।
2 मार्च को राज्य सरकार ने संदिग्ध मामलों के बढ़ने के साथ सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों की तैयारी के लिए दिशानिर्देश जारी किए। इनमें कोविड-19 के संदिग्ध मामलों को भर्ती करने, आइसोलेशन और प्रबंधन शामिल था। 7 मार्च को यह निर्देश निजी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों को भी जारी किया गया। एक हफ्ते बाद सरकार ने राज्य पुलिस और पैरामेडिकल स्टाफ की संयुक्त टीमों द्वारा विभिन्न चेकपोस्ट्स पर यात्रियों की निगरानी, तथा जिले में लक्षण वाले मरीजों को आइसोलेशन केंद्रों में रेफर करने के लिए प्रोटोकॉल जारी किए। सभी मामलों के बारे में जिला निगरानी टीम्स को रोजाना बताना होता है। सरकार ने 31 मार्च तक राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों (सरकारी और निजी) को बंद करने की भी घोषणा की।
16 मार्च को सरकार ने पश्चिम बंगाल महामारी रोग कोविड-19 रेगुलेशंस, 2020 को अधिसूचित किया। इन रेगुलेशनों में कोविड-19 के मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज के लिए अस्पतालों को प्रॉटोकॉल बताए गए। साथ ही जिला प्रशासन को कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए रोकथामकारी उपाय करने को कहा गया।
अगले दिन राज्य में कोविड-19 का पहला पुष्ट मामला दर्ज किया गया। सरकार ने निम्नलिखित आदेश जारी किए: (i) कोविड-19 के संदिग्ध और पुष्ट मामलों के लिए आइसोलेशन वॉर्ड्स को अलग करना, (ii) पुष्ट मामलों के उपचार के लिए इलाज निर्दिष्ट करना, (iii) सभी कोविड-19 अस्पतालों में मेडिकल बोर्ड्स बनाना, जिनमें विभिन्न मेडिकल क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, और (iv) संदिग्ध मरीजों के लिए फीवर क्लिनिक बनाना। आंगवाड़ी केंद्र और क्रेश भी बंद किए गए। प्रत्येक लाभार्थी को दो किलो चावल और आलुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया।
21 मार्च को सरकार ने कई इस्टैबलिशमेंट्स को 31 मार्च, 2020 तक गैर अनिवार्य सामाजिक जमावड़ों को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया। इनमें रेस्त्रां, क्लब्स, एम्यूजमेंट पार्क और म्यूजियम बंद करना शामिल है। इसके अतिरिक्त राज्यों में प्रवेश करने वाली सभी ट्रेनों और अंतरराज्यीय बसों को 31 मार्च, 2020 तक बंद किया गया।
परिणामस्वरूप, सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की। शारीरिक रूप से लोगों को नियंत्रित करने के अतिरिक्त सरकार ने विभिन्न स्वास्थ्य एवं कल्याणकारी कदम भी उठाए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं।
लॉकडाउन के बाद सरकार के कदम
22 मार्च को राज्य के 23 क्षेत्रों मे 27 मार्च तक लॉकडाउन की घोषणा की गई। लॉकडाउन के दौरान निम्नलिखित प्रतिबंध लगाए गए: (i) सात से अधिक लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध, (ii) सार्वजनिक परिवहन पर प्रतिबंध, और (iii) दुकानों, कमर्शियल इस्टैबलिशमेंट्स, कार्यालयों और कारखानों को बंद करना। अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं, जैसे स्वास्थ्य सेवाएं, प्रिंट मीडिया, बैंक, राशन की दुकानें और खाद्य एवं राशन की ई-कॉमर्स डिलिवरी करने वाले इस्टैबलिशमेंट्स को प्रतिबंधों से छूट दी गई। पिछले कुछ हफ्तों के दौरान इन छूटों को बढ़ाने और वस्तुओं एवं सेवाओं के मूवमेंट को रेगुलेट करने के लिए कदम उठाए गए हैं।
स्वास्थ्य संबंधी उपाय
आइसोलेशन, क्वारंटाइन, टेस्टिंग, स्वास्थ्य संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर और बीमारी की रोकथाम की रणनीतियों पर सलाह देने के लिए 26 मार्च को एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया। कमिटी ने कोविड-19 मामलों के क्लिनिकल प्रबंधन पर प्रोटोकॉल जारी किए। सरकार ने आइसोलेशन अस्पताल, क्रिटिकल केयर के प्रबंधन और कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु के मामलों के ऑडिट के लिए विभिन्न मॉनिटरिंग कमिटियों का भी गठन किया।
मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर सरकार ने अप्रैल में निजी स्वास्थ्य केंद्रों का अधिग्रहण किया। इसके अतिरिक्त अपनी टेस्टिंग क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार ने कल कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए सैंपल पूलिंग का सुझाव दिया है।
इसके अतिरिक्त सरकार ने वायरस की रोकथाम, मरीजों से व्यवहार और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए अनेक दिशानिर्देश, एडवाइजरी और आदेश जारी किए हैं। इनमें कुछ का विवरण निम्नलिखित है:
कल्याणकारी/मितव्ययिता के उपाय
कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।
कोविड-19 के 4,203 पुष्ट मामलों के साथ, महाराष्ट्र में पूरे देश की तुलना में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं (20 अप्रैल, 2020 तक)। इनमें से 507 का इलाज किया जा चुका है और 223 लोगों की मृत्यु हो गई है। इस ब्लॉग में हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कोविड-19 से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने अब तक क्या मुख्य कदम उठाए हैं।
लॉकडाउन से पहले के उपाय
12 मार्च को राज्य में कोविड-19 के 11 मामले दर्ज किए गए। परिणामस्वरूप राज्य सरकार ने कुछ कदम उठाए, जैसे: (i) मरीजों की स्क्रीनिंग और टेस्टिंग के लिए तैयारी, और (ii) रोग के अत्यधिक संक्रामक होने के कारण सामूहिक जमावड़ों की सीमा तय करना। लॉकडाउन से पूर्व के कदमों की जानकारी नीचे दी जा रही है।
स्वास्थ्य संबंधी उपाय
14 मार्च को सरकार ने राज्य में कोविड-19 के प्रसार के निवारण और रोकथाम के लिए महाराष्ट्र कोविड-19 रेगुलेशंस को अधिसूचित किया। इन रेगुलेशंस में निम्नलिखित से संबंधित नियम हैं (i) अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों की स्क्रीनिंग, (ii) प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले लोगों के लिए होम क्वारंटाइन, और (iii) कंटेनमेंट जोन्स में कार्य प्रक्रियाओं का पालन करना, इत्यादि।
मूवमेंट पर प्रतिबंध
15 मार्च को राज्य में कोविड-19 के 31 मामले थे। सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने आदेश दिया कि सिनेमा हॉल, स्विमिंग पूल, जिम, थियेटर और म्यूजियम्स को 31 मार्च तक बंद रखा जाएगा।
16 मार्च को सभी शिक्षण संस्थानों और हॉस्टल्स को भी 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया। शिक्षकों को घर से काम करने को कहा गया। परीक्षाएं भी 31 मार्च तक के लिए रोक दी गईं।
प्रशासनिक उपाय
13 मार्च को महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने हेतु उच्च स्तरीय कमिटी का गठन किया। कमिटी की जिम्मेदारियों में निम्नलिखित शामिल हैं (i) राज्य में कोविड-19 की स्थिति की दैनिक समीक्षा, और (ii) विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों को लागू करना।
17 मार्च को राज्य में कोविड-19 के कारण पहली मृत्यु हुई। 19 मार्च को सरकार ने सरकारी कार्यालयों में बैठकों पर प्रतिबंध लगाया और इन बैठकों के लिए सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देश जारी किए।
20 मार्च को मुंबई, पुणे और नागपुर में कोविड-19 के प्रसार को देखते हुए सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति को 25% किया गया। इसके बाद 23 मार्च को सरकार ने राज्य में सरकारी कार्यालयों में उपस्थितियों को और कम करके 5% कर दिया।
लॉकडाउन के बाद के उपाय
कोविड-19 के प्रकोप की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने 23 मार्च को राज्यव्यापी लॉकडाउन लागू कर दिया। 31 मार्च तक लागू इस ल़ॉकडाउन में निम्नलिखित शामिल था: (i) राज्य की सीमाओं को बंद करना, (ii) सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को रद्द करना, और (iii) किसी सार्वजनिक स्थल पर पांच से अधिक लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध।
अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई में लगी कंपनियों को इस लॉकडाउन से छूट दी गई। इसके बाद केंद्र सरकार ने 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को लागू किया जोकि अब 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। केंद्र सरकार की इस घोषणा से पहले राज्य सरकार ने 30 अप्रैल तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया था।
15 अप्रैल को गृह मामलों के मंत्रालय ने राज्य सरकारों को दिशानिर्देश जारी किए थे कि उन्हें 3 मई तक क्या-क्या उपाय करने हैं। इन दिशानिर्देशों के अनुसार, 20 अप्रैल से कम प्रभावित क्षेत्रों में चुनींदा गतिविधियों की अनुमति होगी ताकि लोगों की परेशानियों को दूर किया जा सके। इन गतिविधियों में निम्नलिखित शामिल हैं (i) कृषि और संबंधित गतिविधियां, (ii) मनरेगा का काम, (iii) निर्माण कार्य, (iv) औद्योगिक इस्टैबलिशमेंट्स, (v) स्वास्थ्य सेवाएं, (vi) वित्तीय क्षेत्र की कुछ गतिविधियां, जोकि कुछ शर्तों के अधीन होगा।
कल्याणकारी उपाय
लॉकडाउन के कारण लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य ने कुछ कल्याणकारी उपाय भी किए हैं। ये इस प्रकार हैं:
प्रशासनिक उपाय
मुंबई शहर से संबंधित आदेश
कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।