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राज्यों और राज्य विधानसभाओं

कोविड-19 महामारी पर पश्चिम बंगाल सरकार की प्रतिक्रिया (18 अप्रैल 2020 तक)

रोशनी सिन्हा - अप्रैल 19, 2020

कोविड-19 के प्रकोप के साथ, केंद्र और राज्य सरकारों ने इस वायरस की रोकथाम के लिए अनेक नीतिगत फैसलों की घोषणा की है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम पश्चिम बंगाल सरकार के 18 अप्रैल तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं।

18 अप्रैल, 2020 तक पश्चिम बंगाल में कोविड-19 के 287 पुष्ट मामले हैं। इनमें से 55 मरीजो को डिस्चार्ज किया जा चुका है और 10 की मौत हो चुकी है। राज्य में 66 कोविड अस्पताल, आठ टेस्टिंग लैब और 582 संस्थागत क्वारंटाइन केंद्र हैं। 

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 शुरुआती पहल और लॉकडाउन 

जनवरी और फरवरी में सरकार ने कोविड-19 के संबंध में जागरूकता फैलाने के प्रयास किए। इनमें रोकथाम संबंधी उपाय पर एडवाइजरी, नागरिकों को यात्रा प्रतिबंध, घर में एकांतवास (आइसोलेशन) के संबंध में जानकारी देना और विदेश से वापस आने वालों के लिए स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल शामिल हैं।

2 मार्च को राज्य सरकार ने संदिग्ध मामलों के बढ़ने के साथ सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों की तैयारी के लिए दिशानिर्देश जारी किए। इनमें कोविड-19 के संदिग्ध मामलों को भर्ती करने, आइसोलेशन और प्रबंधन शामिल था। 7 मार्च को यह निर्देश निजी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों को भी जारी किया गया। एक हफ्ते बाद सरकार ने राज्य पुलिस और पैरामेडिकल स्टाफ की संयुक्त टीमों द्वारा विभिन्न चेकपोस्ट्स पर यात्रियों की निगरानी, तथा जिले में लक्षण वाले मरीजों को आइसोलेशन केंद्रों में रेफर करने के लिए प्रोटोकॉल जारी किए। सभी मामलों के बारे में जिला निगरानी टीम्स को रोजाना बताना होता है। सरकार ने 31 मार्च तक राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों (सरकारी और निजी) को बंद करने की भी घोषणा की। 

16 मार्च को सरकार ने पश्चिम बंगाल महामारी रोग कोविड-19 रेगुलेशंस, 2020 को अधिसूचित किया। इन रेगुलेशनों में कोविड-19 के मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज के लिए अस्पतालों को प्रॉटोकॉल बताए गए। साथ ही जिला प्रशासन को कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए रोकथामकारी उपाय करने को कहा गया।

अगले दिन राज्य में कोविड-19 का पहला पुष्ट मामला दर्ज किया गया। सरकार ने निम्नलिखित आदेश जारी किए: (i) कोविड-19 के संदिग्ध और पुष्ट मामलों के लिए आइसोलेशन वॉर्ड्स को अलग करना, (ii) पुष्ट मामलों के उपचार के लिए इलाज निर्दिष्ट करना, (iii) सभी कोविड-19 अस्पतालों में मेडिकल बोर्ड्स बनाना, जिनमें विभिन्न मेडिकल क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, और (iv) संदिग्ध मरीजों के लिए फीवर क्लिनिक बनाना। आंगवाड़ी केंद्र और क्रेश भी बंद किए गए। प्रत्येक लाभार्थी को दो किलो चावल और आलुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया। 

21 मार्च को सरकार ने कई इस्टैबलिशमेंट्स को 31 मार्च, 2020 तक गैर अनिवार्य सामाजिक जमावड़ों को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया। इनमें रेस्त्रां, क्लब्स, एम्यूजमेंट पार्क और म्यूजियम बंद करना शामिल है। इसके अतिरिक्त राज्यों में प्रवेश करने वाली सभी ट्रेनों और अंतरराज्यीय बसों को 31 मार्च, 2020 तक बंद किया गया। 

परिणामस्वरूप, सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की। शारीरिक रूप से लोगों को नियंत्रित करने के अतिरिक्त सरकार ने विभिन्न स्वास्थ्य एवं कल्याणकारी कदम भी उठाए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं।

लॉकडाउन के बाद सरकार के कदम

22 मार्च को राज्य के 23 क्षेत्रों मे 27 मार्च तक लॉकडाउन की घोषणा की गई। लॉकडाउन के दौरान निम्नलिखित प्रतिबंध लगाए गए: (i) सात से अधिक लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध, (ii) सार्वजनिक परिवहन पर प्रतिबंध, और (iii) दुकानों, कमर्शियल इस्टैबलिशमेंट्स, कार्यालयों और कारखानों को बंद करना। अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं, जैसे स्वास्थ्य सेवाएं, प्रिंट मीडिया, बैंक, राशन की दुकानें और खाद्य एवं राशन की ई-कॉमर्स डिलिवरी करने वाले इस्टैबलिशमेंट्स को प्रतिबंधों से छूट दी गई। पिछले कुछ हफ्तों के दौरान इन छूटों को बढ़ाने और वस्तुओं एवं सेवाओं के मूवमेंट को रेगुलेट करने के लिए कदम उठाए गए हैं।

  • अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं: 24 मार्च को घोषणा की गई कि लॉकडाउन को 31 मार्च तक पूरे राज्य में बढ़ाया गया है और छूट के दायरे में कोयला, बिजली, स्टील या उर्वरकों को उत्पादित करने वाले उद्योगों को शामिल किया गया। केंद्र ने 21 दिन के लॉकडाउन को अधिसूचित किया, तो राज्य की छूट की सूची में कृषि संबंधी कामकाज, मछली उत्पादन, चाय के बागान का कामकाज और कृषि उत्पाद की मार्केटिंग करने वाले कृषक बाजार के कामकाज भी शामिल हो गए। इसी प्रकार मास्क और हैंड सैनिटाइजर्स की जमाखोरी पर प्रतिबंध लगाया गया।
     
  • पिछले हफ्ते केद्र सरकार ने 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाया और आदेश दिया कि 20 अप्रैल के बाद सरकारी कार्यालयों में 25% कर्मचारियों की मौजूदगी बहाल की जाएगी। जूट मिलों और आईटी/आईटी एनेबल्ड सेवाओं में भी इसी प्रकार काम करने की अनुमति दी गई।  
     
  • वस्तुओं और सेवाओं का रेगुलेटेड मूवमेंट: अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करने वाले लोगों के मूवमेंट को रेगुलेट करने के लिए 25 मार्च को पास सिस्टम शुरू किया गया। 31 मार्च, 2020 को गैर अनिवार्य कार्गो के परिवहन पर प्रतिबंध लगाया गया। हालांकि वन टाइम उपाय के तौर पर 26 मार्च को अनुमति दी गई कि ऐसे सभी वाहन अपने गंतव्य पर पहुंच सकते हैं। दो दिन बाद सरकार ने आदेश दिए  कि सभी जिला सीमाओं और अंतरराज्यीय क्षेत्रों में वस्तुओं की आवाजाही रुकावट के बिना की जाएगी। 

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

आइसोलेशन, क्वारंटाइन, टेस्टिंग, स्वास्थ्य संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर और बीमारी की रोकथाम की रणनीतियों पर सलाह देने के लिए 26 मार्च को एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया। कमिटी ने कोविड-19 मामलों के क्लिनिकल प्रबंधन पर प्रोटोकॉल जारी किए। सरकार ने आइसोलेशन अस्पताल, क्रिटिकल केयर के प्रबंधन और कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु के मामलों के ऑडिट के लिए विभिन्न मॉनिटरिंग कमिटियों का भी गठन किया।   

मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर सरकार ने अप्रैल में निजी स्वास्थ्य केंद्रों का अधिग्रहण किया। इसके अतिरिक्त अपनी टेस्टिंग क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार ने कल कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए सैंपल पूलिंग का सुझाव दिया है। 

इसके अतिरिक्त सरकार ने वायरस की रोकथाम, मरीजों से व्यवहार और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए अनेक दिशानिर्देश, एडवाइजरी और आदेश जारी किए हैं। इनमें कुछ का विवरण निम्नलिखित है:

  • स्वास्थ्य केंद्रों के लिए: आइसोलेशन सुविधाओं को शुरू करने की एडवाइजरी, गंभीर लक्षण वाले मरीजों को अलग-थलग करने के लिए फीवर क्लिनिक्स की स्थापना का आदेश, स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए संदिग्ध मामलों के लिए सेपरेशन जोन्स, और लक्षणरहित स्वास्थ्यकर्मियों के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन का इस्तेमाल।
     
  • सरकार के लिए: हाई रिस्क स्पॉट्स में कोविड-19 की रोकथाम के लिए क्लस्टर कंटेनमेंट और उपचार रणनीतियों हेतु दिशानिर्देश, रोकथाम के लिए ग्रामीण लोगों में जागरूकता फैलाने के निर्देश और क्वारंटाइन में रहने वाले मरीजों के लिए काउंसिंलिंग की व्यवस्था। 

 कल्याणकारी/मितव्ययिता के उपाय 

  • राहत कोष की स्थापना: आपात स्थिति से निपटने हेतु अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए 23 मार्च को ‘पश्चिम बंगाल राज्य आपातकालीन राहत कोष’ बनाया गया। 2 अप्रैल को सरकार ने मित्व्ययिता के उपायों की घोषणा की। इसमें नई योजनाओं की घोषणा पर प्रतिबंध शामिल है, जब तक कि वह सार्वजनिक हित में जरूरी न हो।
     
  • खाद्य पदार्थों का वितरण: 26 मार्च को लाभार्थियों को इस साल सितंबर तक गेहूं और चावल मुफ्त देने की घोषणा जोकि कुछ खाद्य सब्सिडी योजनाओं (अंत्योदय अन्न योजना) के अंतर्गत दिया जाएगा।   
     
  • श्रमिकों के लिए उपाय: मार्च में श्रमिकों के लिए शेल्टर, भोजन, क्वारंटाइन, वेतन भुगतान और टेनेंसी जारी रखने के निर्देश अधिसूचित किए गए।  
     
  • 1 अप्रैल से स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिस सहित कई श्रेणियों के लोगों के उपचार के लिए मुफ्त बीमार कवर की घोषणा की गई।  

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें। 

States and State Legislatures

कोविड-19 महामारी पर मध्य प्रदेश सरकार की प्रतिक्रिया (जनवरी 2020-17 अप्रैल, 2020)

Madhunika Iyer - अप्रैल 18, 2020

17 अप्रैल को मध्य प्रदेश में कोविड-19 के 1,120 पुष्ट मामले हैं जोकि देश के सभी राज्यों में पांचवें स्थान पर है। मध्य प्रदेश सरकार ने 28 जनवरी, 2020 को कोविड-19 संबंधी एक आदेश जारी किया था जोकि शुरुआती आदेशों में एक था। इसमें सभी स्वास्थ्यकर्मियों को यह सलाह दी गई थी कि चीन के वुहान से लौटने वाले मरीजों की जांच करते समय उपयुक्त सुरक्षात्मक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाए। तब से सरकार ने कोविड-19 को संक्रमण और प्रभाव को रोकने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इस ब्लॉग में हम उन मुख्य उपायों की चर्चा कर रहे हैं। 

रेखाचित्र 1: मध्य प्रदेश में कोविड-19 के प्रति दिन मामले  

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Source: Ministry of Health and Family Welfare; PRS

 शुरुआती चरण: अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग 

28 जनवरी को राज्य सरकार ने विशिष्ट देशों से आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की निगरानी, लक्षण वाले लोगों की जांच और उन पर निगरानी रखने के निर्देश जारी किए। इसके बाद दूसरे आदेश में जिला प्रशासन से यह अपेक्षा की गई कि वह 31 दिसंबर, 2019 और 29 जनवरी, 2020 के बीच चीन से आने सभी यात्रियों पर नजर रखें और उनकी जानकारी दें। जबकि अधिक ध्यान स्क्रीनिंग और टेस्टिंग पर था, 31 जनवरी को यह आदेश आया कि 15 जनवरी के बाद चीन से भारत आने वाले यात्रियों, जिनमें लक्षण दिखाई दे रहे थे, को क्वारंटाइन किया जाए। क्वारंटाइन न करने वाले लोगों को बाद में निगरानी में रखा गया और 14 दिनों के लिए उनकी स्वास्थ्य की स्थिति की जानकारी देने को कहा गया। 13 फरवरी से एयरपोर्ट पर मेडिकल टीम लगातार विभिन्न देशों से आने वाले विदेशी यात्रियों की जांच करने लगी और रोजाना इसकी रिपोर्ट देने लगी।  

फरवरी और मार्च का प्रारंभ: सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षमता में वृद्धि, सामाजिक जमावड़ों पर प्रतिबंध

सरकार का अगला कदम यह था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को मौजूदा परिस्थितियों के अनुरूप ढाला जाए। इस संबंध में निम्नलिखित कदम उठाए गए:

  • डेडिकेटेड कॉल सेंटर वाली एक हेल्पलाइन शुरू की गई जोकि नागरिकों को कोविड-19 और उसकी रोकथाम के बारे में सूचना देती है। 
     
  • मध्य प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के क्षेत्रीय निदेशकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने क्षेत्र में एन-95 मास्क और पीपीई किट्स की उपलब्धता सुनिश्चित करें। 
     
  • स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में चीफ मेडिकल और हेल्थ अधिकारियों को कोविड-19 टेस्ट सैंपलों के कलेक्शन और परिवहन के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए।
     
  • सरकारी अस्पतालों में मेडिकल प्रोफेशनलों को नेशनल ट्रेनिंग में भाग लेने के आदेश दिए गए।
     
  • क्वारंटाइन और आइसोलेशन वॉर्ड्स की व्यवस्था के संबंध में आदेश जारी किया गया।
     
  • स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों/अधिकारियों की छुट्टियां रद्द की गईं।
     
  • प्रकोप वाले क्षेत्रों में नियंत्रण स्थापित करने और तत्काल कार्रवाई करने का अधिकार हासिल करने के लिए मध्य प्रदेश सार्वजनिक स्वास्थ्य एक्ट, 1949 के सेक्शन 71 को लागू किया गया। एक्ट का यह सेक्शन सभी चीफ मेडिकल और हेल्थ अधिकारियों तथा सिविल सर्जन कम चीफ हॉस्पिटल सुपरिंटेंडेंट्स को अतिरिक्त अधिकार प्रदान करता है। 

मार्च में मामलों के बढ़ने के साथ मध्य प्रदेश सरकार ने नागरिकों को सीधे आदेश जारी किए। कोविड-19 के संबंध में जागरूकता फैलाने और सोशल डिस्टेंसिंग को लागू करने के लिए अनेक उपाय किए गए। 

  • कोविड संबंधी सूचना देने के लिए एक डेडिकेटेड पोर्टल तैयार किया गया। 
     
  • अनेक इस्टैबलिशमेंट्स जैसे स्कूल, कॉलेज, सिनेमा हॉल, जिम और स्विमिंग पूल को बंद करने का आदेश  जारी किया गया। सभी सरकारी कार्यस्थलों पर बायोमीट्रिक अटेंडेंस को बंद किया गया। 
  • 20 मार्च को सरकार ने मास्क और सैनिटाइजर्स के सप्लायर्स के लिए आदेश जारी किया गया (जोकि 15 जून तक प्रभावी है) जिसमें उनसे निम्नलिखित की अपेक्षा की गई: (i) वे निश्चित कीमत बरकरार रखेंगे, और (ii) अनिवार्य वस्तुओं की खरीद और बिक्री का रिकॉर्ड बनाएंगे और प्रस्तुत करेंगे। इस आदेश में उनसे कहा गया कि वे किसी ग्राहक को इन सामग्रियों को बेचने से इनकार नहीं करेंगे। 

21 मार्च से

21 मार्च को मध्य प्रदेश में कोविड-19 के चार मामले दर्ज किए गए। 23 मार्च को सरकार ने राज्य में कोविड-19 की रोकथाम के लिए मध्य प्रदेश महामारी रोग, कोविड-19 रेगुलेशन, 2020 जारी किया। इन रेगुलेशनों में कोविड-19 के मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज के लिए अस्पतालों (सरकार और निजी) को प्रॉटोकॉल बताए गए। ये रेगुलेशंस एक साल के लिए वैध होंगे।

सोशल डिस्टेंसिंग और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने से संबंधित निर्देशों के अतिरिक्त सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए: (i) स्वास्थ्य देखभाल की क्षमता में बढ़ोतरी, (ii) आर्थिक रूप से संवेदनशील लोगों के लिए कल्याण संरक्षण कायम करना, (iii) प्रशासनिक संरचना और डेटा कलेक्शन को मजबूत करना, और (iv) अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना। इन उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं -

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

  • कोविड-19 के इलाज के लिए अस्पतालों को तैयार करना, जिसमें इलेक्टिव सर्जरी को पोस्टपोन करना, पीपीई किट्स की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना शामिल है। 
  • 28 मार्च को भोपाल मेमोरियल अस्पताल और अनुसंधान केंद्र को राज्य स्तरीय कोविड-19 अस्पताल के रूप में नामित किया गया। इस आदेश को 15 अप्रैल को बदल दिया गया। 
     
  • जिला कलेक्टरों को अपने जिले में फास्ट ट्रैक तरीके से जरूरी डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति के लिए अधिकृत किया गया। 
     
  • प्रत्येक 51 जिला अस्पतालों में एक टेलीमेडिसिन यूनिट शुरू की गई।
     
  • फाइनल ईयर अंडरग्रैजुएट नर्सिंग स्टूडेंट्स की नर्सों के रूप में नियुक्ति को आसान बनाया गया। 
     
  • 29 मार्च को सरकार ने क्वारंटाइन में रहने वाले तथा कोरोना पॉजिटिव मरीजों की रोजाना निगरानी और ट्रैकिंग करने के लिए सार्थक ऐप शुरू किया।
     
  • सरकार ने कोविड-19 की रोकथाम के लिए एक स्ट्रैटेजी डॉक्यूमेंट जारी किया। इस रणनीति के अंतर्गत संदिग्ध मामलों की पहचान, आइसोलेशन, हाई रिस्क कॉन्टैक्ट्स की टेस्टिंग और इलाज पर जोर दिया गया (इसे आई. आई. टी. टी. स्ट्रैटेजी कहा गया)।

कल्याणकारी उपाय

  • निर्माण श्रमिकों को 1,000 रुपए की वन टाइम वित्तीय सहायता दी जाएगी। 
     
  • सहारिया, बैगा और भारिया जनजातीय परिवारों को 2,000 रुपए की वन टाइम वित्तीय सहायता दी जाएगी। 
     
  • पेंशनयाफ्ता लोगों को दो महीने की सामाजिक सुरक्षा पेंशन एडवांस में चुकाई जाएगी। 
     
  • जिनके पास राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना की पात्रता (एलिजिबिलटी स्लिप) नहीं है, उन लोगों को भी राशन लेने की अनुमति होगी। 

प्रशासनिक उपाय

  • वरिष्ठ अधिकारियों को प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं को सुलझाने के लिए विभिन्न राज्यों के साथ समन्वय करने हेतु नामित किया गया। 
     
  • राज्य स्तरीय नीति और स्थानीय कार्यान्वयन तंत्र के बीच समन्वय स्थापित करने हेतु जिला संकट प्रबंधन समूहों का गठन किया गया। 

अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई

  • 8 अप्रैल को सरकार ने अनिवार्य सेवा प्रबंधन एक्ट, 1979 को लागू किया। एक्ट अन्य बातों के अतिरिक्त अनिवार्य सेवाओं में लगे लोगों को काम करने से इनकार करने से प्रतिबंधित करता है। 
     
  • ई-पास खरीद सुविधा शुरू की गई ताकि यह सुनिश्चित हो कि विभिन्न जिलों तथा राज्यों के बीच अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं का आवागमन आसान हो। 

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।

 
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