india-map

अपने सांसद को खोजें

Switch to English
  • सांसद और विधायक
    संसद राज्य 2024 चुनाव
  • विधान मंडल
    संसद
    प्राइमर वाइटल स्टैट्स
    राज्यों
    विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
    चर्चा पत्र
  • बिल
    संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
  • बजट
    संसद राज्य चर्चा पत्र
  • नीति
    चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • करियर

अपने सांसद को खोजें

संसद राज्य 2024 चुनाव
प्राइमर वाइटल स्टैट्स
विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
चर्चा पत्र
संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
संसद राज्य चर्चा पत्र
चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी कीरिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • The PRS Blog
  • राज्यों के कृषि मार्केंटिंग कानूनों में परिवर्तन
राज्यों और राज्य विधानसभाओं

राज्यों के कृषि मार्केंटिंग कानूनों में परिवर्तन

प्राची कौर - मई 19, 2020

मार्च 2020 से भारत में कोविड-19 के मामलों में निरंतर वृद्धि हुई है। 18 मई, 2020 को इस संक्रामक रोग के 96,169 पुष्ट मामले थे जिनमें से 3,029 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। भारत में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन किया जोकि पहले 14 अप्रैल तक लागू था, फिर इसे बढ़ाकर 31 मई कर दिया गया है।  लॉकडाउन के दौरान बीमारी की रोकथाम हो और कृषि उत्पादों की सप्लाई पर असर न हो, इसके लिए कई राज्यों ने अपने कृषि उत्पाद मार्केटिंग कमिटी (एपीएमसी) कानूनों में संशोधन किए। इस ब्लॉग में हम बता रहे हैं कि भारत में कृषि मार्केटिंग का रेगुलेशन कैसे होता है, केंद्र सरकार ने कोविड-19 संकट के दौरान कृषि क्षेत्र के लिए क्या कदम उठाए और विभिन्न राज्यों ने एपीएमसी कानूनों में क्या हालिया संशोधन किए हैं।  

भारत में कृषि मार्केटिंग का रेगुलेशन कैसे होता है?

कृषि संविधान की राज्य सूची में आने वाला विषय है। अधिकतर राज्यों में कृषि मार्केटिंग का रेगुलेशन एपीएमसी द्वारा किया जाता है जिसकी स्थापना राज्य सरकारें अपने एपीएमसी एक्ट्स के अंतर्गत करती हैं।  एपीएमसी कृषि उत्पादों की मार्केटिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करती हैं, उत्पादों की बिक्री को रेगुलेट करती हैं और राज्य से मार्केट फीस जमा करती हैं, साथ ही कृषि मार्केटिंग में प्रतिस्पर्धा को रेगुलेट करती हैं। 2017 में केंद्र सरकार ने नए कानून को लागू करने और कृषि क्षेत्र में बाजार संबंधी व्यापक सुधार करने के लिए मॉडल कृषि उत्पाद और पशु मार्केटिंग (संवर्धन और सरलीकरण) एक्ट, 2017 जारी किया। 2017 के मॉडल एक्ट का उद्देश्य मुक्त प्रतिस्पर्धा की अनुमति देना, पारदर्शिता को बढ़ावा देना, बिखरे हुए बाजारों को एकीकृत करना, उत्पादों के प्रवाह को सरल बनना और मल्टीपल मार्केटिंग चैनल्स के कामकाज को प्रोत्साहित करना है। नवंबर 2019 में 15वें वित्त आयोग (चेयर: एन. के. सिंह) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस मॉडल एक्ट के सभी प्रावधानों को लागू करने वाले राज्य कुछ वित्तीय प्रोत्साहनों के पात्र होंगे।

कोविड-19 के मद्देनजर केंद्र सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?

2 अप्रैल को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक- राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) प्लेटफॉर्म के नए फीचर्स को लॉन्च किया। इसका उद्देश्य कृषि मार्केटिंग को मजबूती देना है, और यह भी कि किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए थोक मंडियों में शारीरिक रूप से न आना पड़े। ई-नाम प्लेटफॉर्म संपर्करहित सुदूर नीलामी और मोबाइल आधारित एनी टाइम भुगतान की सुविधा प्रदान करता है जिसके लिए व्यापारियों को मंडी या बैंक जाने की जरूरत नहीं पड़ती। इससे कोविड-19 की रोकथाम के लिए एपीएमसी मार्केट्स में सोशल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।   

4 अप्रैल, 2020 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने राज्यों को एपीएमसी एक्ट्स के अंतर्गत रेगुलेशंस में राहत देने के संबंध में एडवाइजरी जारी की। एडवाइजरी में कहा गया कि कृषि उत्पादों की प्रत्यक्ष मार्केटिंग को सरल बनाया जाए। थोक व्यापारी, बड़े रीटेल्स और प्रोसेसर्स किसानों, किसान उत्पादक संघों और सहकारी संघों से उत्पादों की सीधी खरीद कर सकते हैं। 

15 मई, 2020 को केंद्रीय वित्त मंत्री ने कोविड-19 और लॉकडाउन के असर को कम करने के लिए देश में कृषि क्षेत्र के लिए कई सुधारों की घोषणा की। कुछ मुख्य सुधारों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एक ऐसा केंद्रीय कानून बनाना जोकि किसानों को आकर्षक कीमतों पर अपने कृषि उत्पाद बेचने, बिना किसी बाधा के अंतरराज्यीय व्यापार करने और कृषि उत्पादों के ई-व्यापार के लिए फ्रेमवर्क बनाने के पर्याप्त विकल्प दे,

(ii) अनिवार्य वस्तु एक्ट, 1955 में संशोधन ताकि अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों को बेहतर कीमतें मिल सकें, और (iii) कॉन्ट्रैक्ट पर खेती के लिए सरल कानूनी संरचना बनाना, ताकि किसान प्रोसेसर्स, बड़े रीटेलर्स और निर्यातकों के साथ सीधे संपर्क कर सकें। 

किन राज्यों ने कृषि मार्केटिंग के कानूनों में बदलाव किए हैं?

उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने एक अध्यादेश को मंजूरी दी है और मध्य प्रदेश, गुजरात, और कर्नाटक ने अपने एपीएमसी कानूनों के रेगुलेटरी पहलुओं में छूट देने के लिए अध्यादेश जारी किए हैं। इन अध्यादेशों का सारांश प्रस्तुत किया जा रहा है:

मध्य प्रदेश

1 मई, 2020 को मध्य प्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश कृषि उपज मंडी (संशोधन) अध्यादेश, 2020 जारी किया। यह अध्यादेश मध्य प्रदेश कृषि उपज मंडी एक्ट, 1972 में संशोधन करता है। 1972 का एक्ट कृषि मार्केट की स्थापना और अधिसूचित कृषि उत्पादों की मार्केटिंग को रेगुलेट करता है। अध्यादेश के अंतर्गत निम्नलिखित संशोधन किए गए हैं:

  • मार्केट यार्ड्स: 1972 का एक्ट प्रावधान करता है कि हर मार्केट क्षेत्र में एक मार्केट यार्ड होना चाहिए जिसमें एक या उससे अधिक सब मार्केट यार्ड हों ताकि उत्पाद की एसेंबलिंग, ग्रेडिंग, स्टोरेज, बिक्री और खरीद जैसी सभी गतिविधियों को संचालित किया जा सके। अध्यादेश इस प्रावधान को हटाता है और यह निर्दिष्ट करता है कि हर मार्केट क्षेत्र के लिए निम्नलिखित हो सकता है: (i) एपीएमसी का प्रिंसिपल मार्केट यार्ड और सब-मार्केट यार्ड, (ii) निजी मार्केट यार्ड को प्रबंधित करने वाला लाइसेंस धारी व्यक्ति (यह लाइसेंस उसे कृषि मार्केटिंग निदेशक से मिलता है), और (iii) इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स (जहां अधिसूचित उत्पादों की ट्रेडिंग इंटरनेट के जरिए इलेक्ट्रॉनिकली की जाती हैं)। 
     
  • कृषि मार्केटिंग निदेशक: अध्यादेश कृषि मार्केटिंग निदेशक का प्रावधान करता है जिसे राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। निदेशक निम्नलिखित को रेगुलेट करने के लिए जिम्मेदार होगा: (i) अधिसूचित कृषि उत्पादों के लिए ट्रेडिंग और उससे संबंधित गतिविधियां, (ii) निजी मार्केट यार्ड्स, और (iii) इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स। वह इन गतिविधियों के लिए लाइसेंस भी दे सकता है।   
     
  • मार्केट फी: अध्यादेश में यह प्रावधान भी है कि कृषि मार्केटिंग निदेशक द्वारा दिए गए लाइसेंस के अंतर्गत ट्रेडिंग के लिए मार्केट फी राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट तरीके से वसूली जाएगी।

गुजरात

6 मई, 2020 को गुजरात सरकार ने गुजरात कृषि उत्पाद बाजार (संशोधन) अध्यादेश, 2020 किया। यह अध्यादेश गुजरात कृषि उत्पाद बाजार एक्ट, 1963 में संशोधन करता है। संशोधित एक्ट गुजरात कृषि उत्पाद एवं पशु मार्केटिंग (संवर्धन और सरलीकरण) एक्ट, 1963 कहा गया। अध्यादेश क अंतर्गत मुख्य संशोधन निम्नलिखित हैं:  

  • पशु बाजार का रेगुलेशन: अध्यादेश एक्ट के अंतर्गत आने वाले पशुओं, जैसे गाय, भैंस, बैल, भैंसे और मछलियों की मार्केटिंग का रेगुलेशन करता है।
     
  • एकीकृत बाजार क्षेत्र: अध्यादेश में प्रावधान है कि राज्य सरकार अधिसूचना के जरिए पूरे राज्य को एकीकृत बाजार घोषित कर सकती है। ऐसा अधिसूचित कृषि उत्पाद की मार्केटिंग के रेगुलेशन के उद्देश्य से किया जा सकता है।
     
  • एकीकृत सिंगल लाइसेंस: अध्यादेश में सिंगल एकीकृत ट्रेडिंग लाइसेंस देने का प्रावधान है। लाइसेंस राज्य के किसी भी बाजार क्षेत्र में वैध होगा। अध्यादेश के जारी होने की तारीख से छह महीने में मौजूदा ट्रेड लाइसेंस को सिंगल एकीकृत लाइसेंस से बदला जा सकता है।
     
  • ट्रेडिंग करने के लिए मार्केट्स: अध्यादेश में राज्य सरकारों को इस बात की अनुमति दी गई है कि वे बाजार क्षेत्र में किसी भी स्थान को प्रिंसिपल मार्केट यार्ड, सब मार्केट यार्ड, मार्केट सब यार्ड या अधिसूचित कृषि उत्पादों की मार्केटिंग के रेगुलेशन के लिए किसान उपभोक्ता मार्केट यार्ड अधिसूचित कर सकती हैं। बाजार क्षेत्र में कुछ स्थानों को निजी मार्केट यार्ड, निजी मार्केट सब यार्ड या निजी किसान-उपभोक्ता मार्केट यार्ड घोषित किया जा सकता है। अध्यादेश कहता है कि अधिसूचित कृषि उत्पाद को लाइसेंस धारक को किसी अन्य स्थान पर भी बेचा जा सकता है, अगर मार्केट कमिटी ने विशेष रूप से इसकी अनुमति दी हो।
     
  • मार्केट सब यार्ड: अध्यादेश में यह प्रावधान है कि बाजार क्षेत्र में मार्केट सब यार्ड (वेयरहाउस, स्टोरेज टावर, कोल्ड स्टोरेज एन्क्लोजर बिल्डिंग्स या ऐसी दूसरी संरचना या स्थान या लोकेलिटी) होना चाहिए। इसके अतिरिक्त इसमें प्रावधान है कि वेयरहाउस, सिलो, कोल्ड स्टोरेज या मार्केट सब यार्ड के रूप में अधिसूचित दूसरी ऐसी संरचना या स्थान का मालिक अधिसूचित कृषि उत्पाद पर मार्केट फी जमा कर सकता है। मार्केट सब यार्ड में जिन गैर अधिसूचित कृषि उत्पादों का लेनदेन हो, उनके लिए यूजर चार्ज भी जमा किया जा सकता है। यह दर राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित दर से अधिक नहीं होनी चाहिए। हालांकि किसानों से मार्केट फी नहीं ली जानी चाहिए।
     
  • ई-ट्रेडिंग: अध्यादेश में इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग (ई-ट्रेडिंग) प्लेटफॉर्म्स की स्थापना और उन्हें बढ़ावा देने का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म स्थापित करने के लिए कृषि मार्केटिंग निदेशक से प्राप्त लाइसेंस जरूरी है। इसके अतिरिक्त निदेशक द्वारा निर्धारित मानदंडों और विनिर्देशों के अनुसार ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर आवेदन दूसरे ई-प्लेटफॉर्म्स के साथ इंटर-ऑपरेबल होंगे। ऐसा एकीकृत राष्ट्रीय क़ृषि बाजार की स्थापना और विभिन्न ई-प्लेटफॉर्म्स के एकीकरण के लिए किया जाएगा।

कर्नाटक

16 मई को कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक उत्पाद मार्केटिंग (रेगुलेशन और विकास) (संशोधन) अध्यादेश, 2020 जारी किया। अध्यादेश कर्नाटक कृषि उत्पाद मार्केटिंग (रेगुलेशन और विकास) एक्ट, 1966 में संशोधन करता है। 1966 का एक्ट राज्य में कृषि उत्पादों की खरीद और बिक्री तथा बाजारों की स्थापना को रेगुलेट करता है। अध्यादेश के अंतर्गत मुख्य संशोधन निम्नलिखित हैं: 

  • कृषि उत्पाद के लिए मार्केट्स: 1966 के एक्ट में प्रावधान है कि मार्केट यार्ड, मार्केट सब यार्ड, सब मार्केट यार्ड, या किसान-उपभोक्ता मार्केट यार्ड के अतिरिक्त किसी अन्य स्थान को अधिसूचित कृषि उत्पाद की ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। अध्यादेश इसके स्थान पर कहता है कि मार्केट कमिटी, मार्केट यार्ड्स, मार्केट सब यार्ड्स और सब मार्केट यार्ड्स में अधिसूचित कृषि उत्पाद की मार्केटिंग को रेगुलेट करेगी। यानी अब एक्ट किसी स्थान को अधिसूचित कृषि उत्पाद की ट्रेंडिंग से प्रतिबंधित नहीं करता।
     
  • सजा: 1966 के एक्ट में प्रावधान है कि जो कोई भी किसी स्थान को अधिसूचित कृषि उत्पाद की खरीद या बिक्री के लिए इस्तेमाल करेगा, उसे छह महीने तक का कारावास या 5,000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों भुगतना पड़ सकता है। अध्यादेश एक्ट के प्रावधान से इस सजा को हटाता है। 

उत्तर प्रदेश

6 मई को उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी। राज्य की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने 46 फलों और सब्जियों को उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी एक्ट, 1964 के दायरे से बाहर कर दिया। 1964 के एक्ट में अधिसूचित कृषि उत्पाद की बिक्री और खरीद के रेगुलेशन तथा उत्तर प्रदेश में कृषि बाजारों की स्थापना एवं नियंत्रण का प्रावधान है।   

  • कुछ फलों और सब्जियों को एक्ट के प्रावधानों से छूट: इन फलों और सब्जियों में आम, सेब, गाजर, केला और भिंडी शामिल हैं। प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य यह है कि इन उत्पादों को सरलता से किसानों से सीधा खरीदा जा सके। किसानों को इन्हें एपीएमसी मंडियों में बेचने को भी अनुमति होगी, जहां उनसे मंडी का शुल्क नहीं वसूला जाएगा। उनसे सिर्फ यूजर चार्ज वसूला जाएगा जो राज्य सरकार ने निर्धारित किया है। राज्य सरकार के अनुसार, इससे एपीएमसीज़ को हर साल लगभग 125 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।   
     
  • लाइसेंस: एपीएमसी मार्केट्स के अतिरिक्त किसी अन्य स्थान पर व्यापार करने के लिए विशिष्ट लाइसेंस लिए जा सकते हैं। इससे वेयरहाउस, सिलो और कोल्ड स्टोरेज को मंडी के तौर पर इस्तेमाल करने को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे इस्टैबलिशमेंट्स के मालिक या प्रबंधक मंडी को प्रबंधित करने के लिए यूजर फी ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त एकीकृत लाइसेंस को ग्रामीण स्तर पर व्यापार करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। 
States and State Legislatures

कोविड-19 महामारी पर मध्य प्रदेश सरकार की प्रतिक्रिया (जनवरी 2020-17 अप्रैल, 2020)

Madhunika Iyer - अप्रैल 18, 2020

17 अप्रैल को मध्य प्रदेश में कोविड-19 के 1,120 पुष्ट मामले हैं जोकि देश के सभी राज्यों में पांचवें स्थान पर है। मध्य प्रदेश सरकार ने 28 जनवरी, 2020 को कोविड-19 संबंधी एक आदेश जारी किया था जोकि शुरुआती आदेशों में एक था। इसमें सभी स्वास्थ्यकर्मियों को यह सलाह दी गई थी कि चीन के वुहान से लौटने वाले मरीजों की जांच करते समय उपयुक्त सुरक्षात्मक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाए। तब से सरकार ने कोविड-19 को संक्रमण और प्रभाव को रोकने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इस ब्लॉग में हम उन मुख्य उपायों की चर्चा कर रहे हैं। 

रेखाचित्र 1: मध्य प्रदेश में कोविड-19 के प्रति दिन मामले  

image

Source: Ministry of Health and Family Welfare; PRS

 शुरुआती चरण: अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग 

28 जनवरी को राज्य सरकार ने विशिष्ट देशों से आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की निगरानी, लक्षण वाले लोगों की जांच और उन पर निगरानी रखने के निर्देश जारी किए। इसके बाद दूसरे आदेश में जिला प्रशासन से यह अपेक्षा की गई कि वह 31 दिसंबर, 2019 और 29 जनवरी, 2020 के बीच चीन से आने सभी यात्रियों पर नजर रखें और उनकी जानकारी दें। जबकि अधिक ध्यान स्क्रीनिंग और टेस्टिंग पर था, 31 जनवरी को यह आदेश आया कि 15 जनवरी के बाद चीन से भारत आने वाले यात्रियों, जिनमें लक्षण दिखाई दे रहे थे, को क्वारंटाइन किया जाए। क्वारंटाइन न करने वाले लोगों को बाद में निगरानी में रखा गया और 14 दिनों के लिए उनकी स्वास्थ्य की स्थिति की जानकारी देने को कहा गया। 13 फरवरी से एयरपोर्ट पर मेडिकल टीम लगातार विभिन्न देशों से आने वाले विदेशी यात्रियों की जांच करने लगी और रोजाना इसकी रिपोर्ट देने लगी।  

फरवरी और मार्च का प्रारंभ: सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षमता में वृद्धि, सामाजिक जमावड़ों पर प्रतिबंध

सरकार का अगला कदम यह था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को मौजूदा परिस्थितियों के अनुरूप ढाला जाए। इस संबंध में निम्नलिखित कदम उठाए गए:

  • डेडिकेटेड कॉल सेंटर वाली एक हेल्पलाइन शुरू की गई जोकि नागरिकों को कोविड-19 और उसकी रोकथाम के बारे में सूचना देती है। 
     
  • मध्य प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के क्षेत्रीय निदेशकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने क्षेत्र में एन-95 मास्क और पीपीई किट्स की उपलब्धता सुनिश्चित करें। 
     
  • स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में चीफ मेडिकल और हेल्थ अधिकारियों को कोविड-19 टेस्ट सैंपलों के कलेक्शन और परिवहन के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए।
     
  • सरकारी अस्पतालों में मेडिकल प्रोफेशनलों को नेशनल ट्रेनिंग में भाग लेने के आदेश दिए गए।
     
  • क्वारंटाइन और आइसोलेशन वॉर्ड्स की व्यवस्था के संबंध में आदेश जारी किया गया।
     
  • स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों/अधिकारियों की छुट्टियां रद्द की गईं।
     
  • प्रकोप वाले क्षेत्रों में नियंत्रण स्थापित करने और तत्काल कार्रवाई करने का अधिकार हासिल करने के लिए मध्य प्रदेश सार्वजनिक स्वास्थ्य एक्ट, 1949 के सेक्शन 71 को लागू किया गया। एक्ट का यह सेक्शन सभी चीफ मेडिकल और हेल्थ अधिकारियों तथा सिविल सर्जन कम चीफ हॉस्पिटल सुपरिंटेंडेंट्स को अतिरिक्त अधिकार प्रदान करता है। 

मार्च में मामलों के बढ़ने के साथ मध्य प्रदेश सरकार ने नागरिकों को सीधे आदेश जारी किए। कोविड-19 के संबंध में जागरूकता फैलाने और सोशल डिस्टेंसिंग को लागू करने के लिए अनेक उपाय किए गए। 

  • कोविड संबंधी सूचना देने के लिए एक डेडिकेटेड पोर्टल तैयार किया गया। 
     
  • अनेक इस्टैबलिशमेंट्स जैसे स्कूल, कॉलेज, सिनेमा हॉल, जिम और स्विमिंग पूल को बंद करने का आदेश  जारी किया गया। सभी सरकारी कार्यस्थलों पर बायोमीट्रिक अटेंडेंस को बंद किया गया। 
  • 20 मार्च को सरकार ने मास्क और सैनिटाइजर्स के सप्लायर्स के लिए आदेश जारी किया गया (जोकि 15 जून तक प्रभावी है) जिसमें उनसे निम्नलिखित की अपेक्षा की गई: (i) वे निश्चित कीमत बरकरार रखेंगे, और (ii) अनिवार्य वस्तुओं की खरीद और बिक्री का रिकॉर्ड बनाएंगे और प्रस्तुत करेंगे। इस आदेश में उनसे कहा गया कि वे किसी ग्राहक को इन सामग्रियों को बेचने से इनकार नहीं करेंगे। 

21 मार्च से

21 मार्च को मध्य प्रदेश में कोविड-19 के चार मामले दर्ज किए गए। 23 मार्च को सरकार ने राज्य में कोविड-19 की रोकथाम के लिए मध्य प्रदेश महामारी रोग, कोविड-19 रेगुलेशन, 2020 जारी किया। इन रेगुलेशनों में कोविड-19 के मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज के लिए अस्पतालों (सरकार और निजी) को प्रॉटोकॉल बताए गए। ये रेगुलेशंस एक साल के लिए वैध होंगे।

सोशल डिस्टेंसिंग और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने से संबंधित निर्देशों के अतिरिक्त सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए: (i) स्वास्थ्य देखभाल की क्षमता में बढ़ोतरी, (ii) आर्थिक रूप से संवेदनशील लोगों के लिए कल्याण संरक्षण कायम करना, (iii) प्रशासनिक संरचना और डेटा कलेक्शन को मजबूत करना, और (iv) अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना। इन उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं -

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

  • कोविड-19 के इलाज के लिए अस्पतालों को तैयार करना, जिसमें इलेक्टिव सर्जरी को पोस्टपोन करना, पीपीई किट्स की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना शामिल है। 
  • 28 मार्च को भोपाल मेमोरियल अस्पताल और अनुसंधान केंद्र को राज्य स्तरीय कोविड-19 अस्पताल के रूप में नामित किया गया। इस आदेश को 15 अप्रैल को बदल दिया गया। 
     
  • जिला कलेक्टरों को अपने जिले में फास्ट ट्रैक तरीके से जरूरी डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति के लिए अधिकृत किया गया। 
     
  • प्रत्येक 51 जिला अस्पतालों में एक टेलीमेडिसिन यूनिट शुरू की गई।
     
  • फाइनल ईयर अंडरग्रैजुएट नर्सिंग स्टूडेंट्स की नर्सों के रूप में नियुक्ति को आसान बनाया गया। 
     
  • 29 मार्च को सरकार ने क्वारंटाइन में रहने वाले तथा कोरोना पॉजिटिव मरीजों की रोजाना निगरानी और ट्रैकिंग करने के लिए सार्थक ऐप शुरू किया।
     
  • सरकार ने कोविड-19 की रोकथाम के लिए एक स्ट्रैटेजी डॉक्यूमेंट जारी किया। इस रणनीति के अंतर्गत संदिग्ध मामलों की पहचान, आइसोलेशन, हाई रिस्क कॉन्टैक्ट्स की टेस्टिंग और इलाज पर जोर दिया गया (इसे आई. आई. टी. टी. स्ट्रैटेजी कहा गया)।

कल्याणकारी उपाय

  • निर्माण श्रमिकों को 1,000 रुपए की वन टाइम वित्तीय सहायता दी जाएगी। 
     
  • सहारिया, बैगा और भारिया जनजातीय परिवारों को 2,000 रुपए की वन टाइम वित्तीय सहायता दी जाएगी। 
     
  • पेंशनयाफ्ता लोगों को दो महीने की सामाजिक सुरक्षा पेंशन एडवांस में चुकाई जाएगी। 
     
  • जिनके पास राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना की पात्रता (एलिजिबिलटी स्लिप) नहीं है, उन लोगों को भी राशन लेने की अनुमति होगी। 

प्रशासनिक उपाय

  • वरिष्ठ अधिकारियों को प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं को सुलझाने के लिए विभिन्न राज्यों के साथ समन्वय करने हेतु नामित किया गया। 
     
  • राज्य स्तरीय नीति और स्थानीय कार्यान्वयन तंत्र के बीच समन्वय स्थापित करने हेतु जिला संकट प्रबंधन समूहों का गठन किया गया। 

अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई

  • 8 अप्रैल को सरकार ने अनिवार्य सेवा प्रबंधन एक्ट, 1979 को लागू किया। एक्ट अन्य बातों के अतिरिक्त अनिवार्य सेवाओं में लगे लोगों को काम करने से इनकार करने से प्रतिबंधित करता है। 
     
  • ई-पास खरीद सुविधा शुरू की गई ताकि यह सुनिश्चित हो कि विभिन्न जिलों तथा राज्यों के बीच अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं का आवागमन आसान हो। 

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।

 
  • «
  • 28
  • 29
  • 30
  • 31
  • 32
  • 33
  • 34
  • 35
  • 36
  • 37
  • »

संबंधित पोस्ट

  1. 1. बिजली क्षेत्र का घाटा क्यों बढ़ रहा है?
  2. 2. 17वीं लोकसभा के पहले अविश्वास प्रस्ताव पर आज चर्चा
  3. 3. प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल विरोधी कानून
  4. 4. उत्तराखंड विधानसभा का दो दिवसीय सत्र समाप्त; 13 बिल पेश और पारित
  5. 5. केंद्र सरकार को नियम बनाने में कितना समय लगता है?

हमें फॉलो करें

Copyright © 2025    prsindia.org    All Rights Reserved.