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विविध

रेलवे की वित्तीय स्थिति पर कोविड-19 का प्रभाव

प्राची मिश्रा - अप्रैल 11, 2020

कोविड-19 की महामारी के कारण सभी यात्री गाड़ियां 14 अप्रैल, 2020 तक रद्द हैं। हालांकि मालवाहक सेवाएं बहाल हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में अनिवार्य वस्तुएं पहुंचाने वाली गाड़ियां चल रही हैं। रेलवे ने ई-कॉमर्स कंपनियों और राज्य सरकारों सहित दूसरे ग्राहकों के लिए क्विक मास ट्रांसपोटेशन हेतु रेलवे पार्सल वैन्स भी उपलब्ध कराई है ताकि कुछ वस्तुओं का परिवहन किया जा सके। इनमें छोटे पार्सल साइज में मेडिकल सप्लाई, मेडिकल उपकरण, खाद्य पदार्थ इत्यादि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त रेलवे ने कोविड-19 के दौरान मदद हेतु कई दूसरे कदम भी उठाए हैं।

चूंकि यात्रा पर 23 मार्च से 14 अप्रैल, 2020 तक प्रतिबंध है (जोकि आगे भी बढ़ सकता है), इसने 2019-20 और 2020-21 में रेलवे की वित्तीय स्थिति को प्रभावित किया है। इस पोस्ट में हम रेलवे की वित्तीय स्थिति पर चर्चा करेंगे और इस बात पर भी विचार विमर्श किया जाएगा कि यात्रा पर प्रतिबंध से रेलवे के राजस्व पर क्या संभावित असर हो सकता है।  

रेलवे के आंतरिक राजस्व पर प्रतिबंध का प्रभाव

रेलवे को मुख्य रूप से यात्री यातायात और माल की ढुलाई से आंतरिक राजस्व प्राप्त होता है। 2018-19 में (हालिया वास्तविक) माल ढुलाई और यात्री यातायात से क्रमशः 67% और 27% आंतरिक राजस्व प्राप्त हुआ था। शेष आंतरिक राजस्व विविध स्रोतों से प्राप्त हुआ था, जैसे पार्सल सेवा, कोचिंग रसीद और प्लेटफॉर्म टिकटों की बिक्री। 2020-21 में रेलवे को माल ढुलाई से 65% और यात्री यातायात से 27% आंतरिक राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।

यात्री यातायात: 2020-21 में रेलवे को यात्री यातायात से 61,000 करोड़ रुपए की आय होने की उम्मीद है, जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 9% अधिक हैं (56,000 करोड़ रुपए)।

रेल मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2020 तक यात्री यातायात से लगभग 48,801 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। यह 2019-20 में यात्री राजस्व के संशोधित अनुमानों की तुलना में 7,199 करोड़ रुपए कम था जिसका अर्थ यह था कि यह राशि मार्च 2020 में अर्जित करनी जरूरी होगी ताकि संशोधित अनुमान के लक्ष्यों को हासिल किया जा सके (वर्ष के लक्ष्य का 13%)। हालांकि 2019-20 (11 महीनों के लिए) में औसत यात्री राजस्व लगभग 4,432 करोड़ रुपए रहा है। उल्लेखनीय है कि मार्च 2019 में यात्री राजस्व 4,440 करोड़ रुपए था। 23 मार्च से यात्रा पर पूरी तरह से प्रतिबंध के कारण 2019-20 में रेलवे का यात्री राजस्व अपने लक्ष्य से कम हो जाएगा।  

अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि देश भर में रेल यात्राएं हमेशा की तरह कब से शुरू होंगी। कुछ राज्यों ने लॉकडाउन को बढ़ाना शुरू कर दिया है। ऐसी स्थिति में यात्री राजस्व में गिरावट लॉकडाउन के इन तीन हफ्तों के बाद भी रह सकती है। 

माल ढुलाई: 2020-21 में रेलवे को गुड्स ट्रैफिक से 1,47,000 करोड़ रुपए की कमाई की उम्मीद है जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 9% अधिक है (1,34,733 करोड़ रुपए)।

रेल मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2020 तक माल ढुलाई से लगभग 1,08,658 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। यह 2019-20 में माल ढुलाई के संशोधित अनुमानों की तुलना में 26,075 करोड़ रुपए कम था जिसका अर्थ यह था कि यह राशि मार्च 2020 में अर्जित करनी जरूरी होगी ताकि संशोधित अनुमान के लक्ष्यों को हासिल किया जा सके (वर्ष के लक्ष्य का 19%)। हालांकि 2019-20 (11 महीनों के लिए) में औसत माल ढुलाई लगभग 10,029 करोड़ रुपए रही है। उल्लेखनीय है कि मार्च 2019 में माल ढुलाई 16,721 करोड़ रुपए था। 

हालांकि यात्री यातायात पूरी तरह से प्रतिबंधित है, माल ढुलाई जारी है। लॉकडाउन के दौरान अनिवार्य वस्तुओं का परिवहन, कार्गो मूवमेंट के लिए रेलवे का परिचालन, राहत और निकासी तथा उससे संबंधित ऑपरेशनल संगठनों को अनुमति दी गई है। रेलवे की ढुलाई वाली अनेक वस्तुओं (कोयला, लौह अयस्क, स्टील, पेट्रोलियम उत्पाद, खाद्यान्न, उर्वरक) को अनिवार्य वस्तुएं घोषित किया गया है। लॉकडाउन में रेलवे ने स्पेशल पार्सल रेलों को चलाना भी शुरू किया है (अनिवार्य वस्तुओं, ई-कॉमर्स गुड्स इत्यादि)। इन गतिविधियों से माल राजस्व प्राप्त होने में मदद मिलती रहेगी।  

हालांकि कुछ ऐसी वस्तुएं जिनका परिवहन रेलवे करता है, जैसे सीमेंट, को अनिवार्य वस्तुओं में वर्गीकृत नहीं किया गया है। रेलवे के माल राजस्व में इन वस्तुओं के परिवहन का योगदान लगभग 8% है। रेलवे ने माल ढुलाई पर वसूले जाने वाले कई शुल्कों में राहत भी दी है। यह देखना अभी बाकी है कि क्या रेलवे माल राजस्व के अपने लक्ष्यों को पूरा कर पाता है। 

रेखाचित्र 1: 2018-19 में माल ढुलाई का हिस्सा और राजस्व (% में)

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Sources: Expenditure Profile, Union Budget 2020-21; PRS.  

माल ढुलाई यात्री यातायात को क्रॉस सब्सिडाइज़ करता है, इसकी स्थिति इस वर्ष और बुरी हो सकती है

रेलवे अपनी माल ढुलाई से प्राप्त लाभ का इस्तेमाल यात्री सेगमेंट के नुकसान की भरपाई करने और अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए करता है। इस क्रॉस सब्सिडी से माल भाड़े में बढ़ोतरी हुई है। यात्रा पर प्रतिबंध और अगर लॉकडाउन (कुछ रूप में) जारी रहता है तो यात्री परिचालन को काफी नुकसान होगा। इससे माल ढुलाई पर क्रॉस सब्सिडी का दबाव और बढ़ सकता है। चूंकि रेलवे अपने माल भाड़े को और अधिक नहीं बढ़ा सकता, यह अस्पष्ट है कि यह क्रॉस सब्सिडी कैसे काम करेगी।

उदाहरण के लिए 2017-18 में यात्री और अन्य कोचिंग सेवाओं को 37,937 करोड़ रुपए का घाटा हुआ, जबकि माल ढुलाई को 39,956 करोड़ रुपए का लाभ हुआ। माल ढुलाई से प्राप्त लगभग 95% लाभ से यात्री और अन्य कोचिंग सेवाओं से होने नुकसान की भरपाई की गई। इस अवधि में कुल यात्री राजस्व 46,280 करोड़ रुपए था। इसका अर्थ यह था कि यात्री कारोबार में हुआ घाटा, रेलवे के राजस्व का 82% है। इसलिए 2017-18 में अपने यात्री कारोबार से रेलवे को अगर एक रुपए की आमदनी हुई तो उसने उस पर 1.82 रुपए खर्च किए।

रेलवे का व्यय

यात्रा पर प्रतिबंध से रेलवे अपनी सभी सेवाएं नहीं संचालित कर सकता, पर उसे अपने परिचालन व्यय का वहन करना होगा। कर्मचारियों का वेतन और पेंशन चुकानी होगी, जोकि कुल मिलाकर रेलवे का 66% राजस्व व्यय होता है। 2015 और 2020 के बीच (बजट अनुमान), वेतन पर रेलवे के व्यय में औसत 13% की दर से हर साल वृद्धि हुई है।

राजस्व व्यय का लगभग 18% ईंधन पर खर्च किया जाता है लेकिन तेल की कीमतों में गिरावट के कारण इसमें कुछ कमी देखी जा सकती है। रेलवे को रखरखाव, सुरक्षा और मूल्यह्रास पर खर्च करना ही होगा क्योंकि यह दीर्घावधि की लागत हैं जिन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता। इसके अतिरिक्त माल ढुलाई के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का नियमित रखरखाव भी जरूरी होगा। 

राजस्व अधिशेष और परिचालन अनुपात और प्रभावित हो सकते हैं

रेलवे के अधिशेष को उसके कुल आंतरिक राजस्व और कुल राजस्व व्यय (कार्यचालन व्यय और पेंशन एवं मूल्य ह्रास कोष संबंधी विनियोग) के अंतर के आधार पर आंका जाता है। परिचालन अनुपात यातायात से अर्जित होने वाले राजस्व में कार्यचालन व्यय (रेलवे के रोजमर्रा के कामकाज में होने वाला व्यय) का अनुपात होता है। इसलिए उच्च अनुपात यह संकेत देता है कि रेलवे में अधिशेष अर्जित करने की क्षमता कम है जिनका उपयोग पूंजीगत निवेश के लिए किया जा सकता है, जैसे नई लाइनें बिछाना, नए कोच लगाना, इत्यादि। राजस्व अधिशेष में गिरावट से रेलवे की अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की क्षमता प्रभावित होती है। 

पिछले एक दशक से रेलवे उच्च अधिशेष अर्जित करने के लिए संघर्ष कर रहा है। परिणामस्वरूप परिचालन अनुपात एक दशक से भी अधिक समय से लगातार 90% से अधिक रहा है (रेखाचित्र 2)। 2018-19 में यह 92.8% के अनुमानित अनुपात की तुलना में 97.3% हो गया। कैग (2019) ने कहा कि 2018-19 के अग्रिम को प्राप्तियों में शामिल न किया जाता तो 2017-18 का परिचालन अनुपात 102.66% होता। 

2020-21 में रेलवे द्वारा 6,500 करोड़ रुपए का अधिशेष अर्जित करने और परिचालन अनुपात के 96.2% पर बहाल रहने की उम्मीद है। लॉकडाउन के कारण राजस्व पर असर होगा तो इस अधिशेष में और गिरावट आ सकती है, और परिचालन अनुपात पर और बुरा असर हो सकता है। 

रेखाचित्र 2: परिचालन अनुपात 

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Note: RE – Revised Estimates, BE – Budget Estimates.

Sources:  Expenditure Profile, Union Budget 2020-21; PRS.  

राजस्व के अन्य स्रोत

आंतरिक स्रोतों के अतिरिक्त रेलवे के वित्त पोषण के दो अन्य स्रोत होते हैं: (i) केंद्र सरकार से बजटीय समर्थन, और (ii) अतिरिक्त बजटीय संसाधन (जैसे प्राथमिक उधारियां, जिसमें संस्थागत वित्त पोषण, सार्वजनिक निजी सहभागिता और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश शामिल हैं)।

केंद्र सरकार से बजटीय सहयोग: केंद्र सरकार रेलवे को अपना नेटवर्क बढ़ाने और पूंजीगत व्यय में निवेश के लिए सहयोग देती है। 2020-21 में केंद्र सरकार से सकल बजटीय सहयोग 70,250 करोड़ रुपए प्रस्तावित है। यह 2019-20 के संशोधित अनुमानों से 3% अधिक है (68,105 करोड़ रुपए)। उल्लेखनीय है कि कोविड महामारी के कारण सरकारी राजस्व भी प्रभावित हो रहा है, यह राशि भी वर्ष के दौरान कम हो सकती है। 

उधारियां: रेलवे अधिकतर भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) के जरिए धनराशि उधार लेता है। आईआरएफसी बाजार से धनराशि लेता है (टैक्स योग्य तथा टैक्स मुक्त बॉन्ड इश्यूएंस, बैंकों और वित्तीय संस्थानों से टर्म लोन्स), और फिर भारतीय रेलवे के रोलिंग स्टॉक एसेट्स और प्रॉजेक्ट एसेट्स को वित्त पोषित करने के लिए एक लीजिंग मॉडल का इस्तेमाल करता है।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान उपलब्ध संसाधनों और व्यय के बीच के अंतर को कम करने के लिए उधारियां बढ़ाई गईं। जैसा कि पहले कहा गया है, रेलवे के अधिकतर पूंजीगत व्यय को केंद्र सरकार के बजटीय सहयोग के जरिए पूरा किया जाता है। 2015-16 में इस प्रवृत्ति में बदलाव हुआ और रेलवे के अधिकतर पूंजीगत व्यय को ईबीआर के जरिए पूरा किया गया। 2020-21 में ईबीआर के जरिए 83,292 करोड़ रुपए जुटाने का अनुमान है जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमानों से कुछ अधिक हैं (83,247 करोड़ रुपए)।

उल्लेखनीय है कि इन दोनों स्रोतों को मुख्य रूप से रेलवे के पूंजीगत व्यय को वित्त पोषित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। केंद्र सरकार के सहयोग के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल रणनीतिक लाइनों पर रेलवे को होने वाले परिचालनगत नुकसान और आईआरसीटीसी पर ई-टिकटिंग की परिचालन लागत की भरपाई के लिए किया जाता है (2020-21 के बजट अनुमानों के अनुसार 2,216 करोड़ रुपए)।

अगर इस वर्ष रेलवे की राजस्व प्राप्तियों में गिरावट होती है तो राजस्व व्यय को वित्त पोषित करने के लिए उसे केंद्र सरकार के अतिरिक्त सहयोग की जरूरत हो सकती है या वह उसे अपनी उधारियों के जरिए वित्त पोषित करेगा। हालांकि उधारियों पर अधिक निर्भरता से रेलवे की वित्तीय स्थिति और खराब हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान रेल आधारित माल ढुलाई और यात्री यातायात, दोनों की वृद्धि में गिरावट हुई है (देखें रेखाचित्र 3)। इससे माल ढुलाई और यात्री ट्रेनों के मुख्य कारोबार से रेलवे की आय प्रभावित हुई। राजस्व में गिरावट बढ़ने से भविष्य में रेलवे के अपने उधार चुकाने की क्षमता प्रभावित होगी।

रेखाचित्र 3: माल ढुलाई और यात्री यातायात की मात्रा में वृद्धि (वर्ष दर वर्ष)

Note: RE – Revised Estimates; BE – Budget Estimates. 

Sources:  Expenditure Profile, Union Budget 2020-21; PRS.  

रेलवे की सामाजिक सेवा

मालगाड़ियां चलाने के अतिरिक्त रेलवे ऐसे अनेक कार्य कर रहा है जोकि महामारी को नियंत्रित करने में मददगार हों। उदाहरण के लिए रेलवे की मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता का इस्तेमाल कोविड-19 से निपटने के लिए किया जा रहा है। रेलवे के उत्पादन केंद्रों में पीपीई गियर जैसी वस्तुएं बनाई जा रही हैं। रेलवे इस बात का पता भी कर रहा है कि साधारण बेड, मेडिकल ट्रॉली और वेंटिलेटर्स बनाने के लिए अपने मौजूदा मैन्यूफैक्चरिंग केंद्रों का इस्तेमाल कैसे किया जाए। जिन स्थानों पर आईआरसीटीसी बेस किचन मौजूद हैं, रेलवे ने वहां जरूरतमंद लोगों को थोक में पका हुआ खाना बांटना भी शुरू किया है। रेलवे ने कोविड मरीजों के लिए अपने अस्पताल भी खोल दिए हैं।   

6 अप्रैल तक 2,500 रेलवे कोचों को आईसोलेशन कोचों में तब्दील किया गया था। देश में 133 स्थानों पर औसतन एक दिन में 375 कोचों को तब्दील किया गया है। 

इस बात पर विचार करते हुए कि रेलवे सरकार के अंतर्गत एक कमर्शियल विभाग के रूप में कार्य करता है, सवाल यह उठता है कि क्या उसे ऐसी सामाजिक बाध्यताओं का पालन करना चाहिए। नीति आयोग (2016) ने कहा कि रेलवे के सामाजिक और कमर्शियल उद्देश्यों में स्पष्टता की कमी है। तर्क दिया जा सकता है कि महामारी के दौरान ऐसी सेवाओं को सार्वजनिक हित माना जाना चाहिए। फिर भी सवाल यह है कि ऐसी सेवाएं प्रदान करने का वित्तीय दबाव किसे वहन करना चाहिए? वह भारतीय रेलवे होना चाहिए या केंद्र अथवा राज्य सरकार को स्पष्ट सब्सिडी के रूप में यह राशि प्रदान करनी चाहिए?

देश और विभिन्न राज्यों में कोविड के दैनिक मामलों के संख्या संबंधी विवरण के लिए कृपया यहां देखें। केंद्र और राज्य द्वारा जारी कोविड संबंधी मुख्य अधिसूचनाओं के लिए कृपया यहां देखें। रेलवे के कामकाज और वित्तीय स्थिति पर विस्तृत विवरण कृपया यहां देखें और इस वर्ष के रेल बजट को समझने के लिए कृपया यहां देखें। 

 
States and State Legislatures

कोविड-19 पर केरल सरकार की प्रतिक्रिया (30 जनवरी, 2020- 22 अप्रैल, 2020)

Anoop Ramakrishnan - अप्रैल 22, 2020

17 जनवरी, 2020 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड-19 के संकट को स्वीकार किया, जोकि चीन में फैल रहा था। 30 जनवरी, 2020 को केरल में सबसे पहले कोविड-19 पॉजिटिव मरीज की पुष्टि हुई। 11 मार्च, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को विश्वव्यापी महामारी घोषित किया। इस ब्लॉग में इस महामारी के प्रतिक्रियास्वरूप केरल सरकार द्वारा किए गए मुख्य नीतिगत उपायों का सारांश प्रस्तुत किया जा रहा है।

22 अप्रैल, 2020 तक केरल में कोविड-19 के 427 पुष्ट मामले थे जिनमें से 307 लोग रिकवर हो चुके थे (देश में रिकवरी की सबसे अधिक दर)। राज्य में अब तक सिर्फ तीन मौतें दर्ज की गई हैं।

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 लॉकडाउन से पहले की अवधि: रोकथाम के लिए शुरुआती उपाय 

चीन के वुहान से लौटने वाले व्यक्ति में कोविड-19 की पुष्टि के बाद राज्य का शुरुआती कदम यह था कि चीन से आने वाले सभी यात्रियों और उनके संपर्क में आने वालों की जांच की जाए, उन्हें चिन्हित किया जाए और संकट आधारित वर्गीकरण किया जाए। 2 और 3 फरवरी को दो और मामलों के बाद सरकार ने राज्य में हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी। 

इसके बाद एक हेल्थ एडवाइजरी जारी की गई जिसमें कहा गया कि 15 जनवरी, 2020 के बाद वुहान से लौटने वाले सभी यात्रियों को ट्रैक और चिन्हित किया जाएगा और उनकी जांच की जाएगी। ऐसे यात्रियों और उनके संपर्क में आने वाले लोगों को 28 दिनों तक आइसोलेशन में रखा जाएगा। इस एडवाइजरी में सभी लॉजिंग इस्टैबलिशमेंट्स को निर्देश दिया गया कि वे कोरोना प्रभावित देशों की ट्रैवल हिस्ट्री वाले यात्रियों का एक रजिस्टर बनाएं। ऐसी एडवाइजरी विदेशों से लौटने वाले विद्यार्थियों के लिए भी जारी की गई। इसके बाद तत्काल कोई पुष्ट मामला न मिलने के बाद 12 फरवरी को राज्य ने हेल्थ इमरेंजसी की एडवाइजरी वापस ले ली। हालांकि उच्च स्तर पर प्रतिक्रिया और निगरानी जारी रखी गई। 

संक्रमण का दूसरा दौर

मार्च की शुरुआत में संक्रमण के दूसरे दौर के बाद सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कई उपाय किए। ये इस प्रकार हैं:

  • स्वास्थ्य संबंधी उपाय: कोविड-19 के मरीजों के क्लिनिकल प्रबंधन से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए गए जिसमें जांच, क्वारंटाइन, अस्पताल में दाखिला और डिस्चार्ज शामिल हैं। 
     
  • एयरपोर्ट सेफ्टी प्रोटोकॉल तथा राज्य में आने और जाने वाले विदेशी नागरिकों की जांच से संबंधित निर्देश जारी किए गए। सभी विदेशी लोगों को आने पर, भले ही उनमें कोई लक्षण न हों, आइसोलेशन में रखा गया, जब तक उनकी जांच रिपोर्ट उपलब्ध न हो जाए।
     
  • इसके अतिरिक्त मॉल्स, शॉपिंग सेंटर्स और सैलून्स को सोशल डिस्टेंसिंग और साफ सफाई के नियम जैसे सैनिटाइजर के इस्तेमाल से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए गए।  
     
  • आवाजाही पर प्रतिबंध: सभी नॉन मेडिकल शिक्षण संस्थानों, जिनमें आंगनवाड़ी और मदरसे शामिल हैं, को तत्काल 31 मार्च तक बंद कर दिया गया और 1-7 तक की कक्षाओं की परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया। 8 और उससे ऊपर की कक्षाओं की परीक्षाएं नियत समय पर होनी थीं। विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं को भी 31 मार्च तक स्थगित कर दिया गया। 
     
  • सरकारी विभागों को कहा गया कि वे अपने कर्मचारियों के काम के घंटों से संबंधित अस्थायी प्रबंध करें। अधिकारियों को प्रवासी श्रमिकों के कल्याण हेतु उपाय करने का निर्देश दिया गया।
     
  • प्राइवेट इस्टैबलिशमेंट्स को भी काम के घंटों, सुरक्षा उपायों और कर्मचारियों की छुट्टियों से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए गए। 
     
  • प्रशासनिक उपाय: 17 मार्च को कोविड-19 को अधिसूचित आपदा घोषित किया गया जिससे उसके लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से धनराशि प्राप्त हो सके। एसडीआरएफ अधिसूचित आपदाओं से निपटने हेतु राज्य सरकारों के पास उपलब्ध प्राथमिक कोष है। आपदा को अधिसूचित करने से राज्य उक्त आपदा से लड़ने के लिए एसडीआरएफ से अधिक खर्च कर सकते हैं।
     
  • कोविड-19 के लिए समन्वित प्रयास करने हेतु सरकार ने सभी विभागों में कोविड-19 सेल्स बनाने का निर्देश दिया। सरकारी अधिकारियों से बैठकें और निरीक्षण न करने को कहा गया। 
     
  • स्थानीय स्वशासन संस्थानों को विभिन्न भूमिकाएं और जिम्मेदारियां सौंपी गईं। इनमें निम्नलिखित शामिल था: (i) जागरूकता अभियान जैसे ब्रेक द चेन चलाना, (ii) सैनिटाइजेशन और स्वच्छता अभियान चलाना, (iii) घर में आइसोलेटेड/क्वारंटाइन में रहने वाले लोगों तक नियमित पहुंच बनाना, (iv) जिम्मेदारियों को संभालने के लिए कमिटी सिस्टम को एक्टिवेट करना, (v) अनिवार्य वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना, (vi) रिस्पांस मैकेनिजम को वर्गीकृत करना और उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करना, जैसे मैटीरियल रिसोर्स, स्वयंसेवी, मेडिकल संसाधन इत्यादि, और (vii) अति संवेदनशील लोगों पर विशेष ध्यान देना, जैसे वरिष्ठ नागरिक, और दूसरी बीमारियों वाले लोग या ऐसे लोग जिनका विशेष उपचार हो रहा है। 

लॉकडाउन की अवधि

23 मार्च को केरल ने 31 मार्च तक के लिए राज्य व्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। एक दिन बाद केंद्र सरकार ने देश व्यापी 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की।  

राज्य के आदेश के अनुसार निम्नलिखित प्रतिबंध लगाए गए: (i) सभी प्रकार की यात्री परिवहन सेवाओं को बंद करना, (ii) पांच से अधिक लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध और (iii) सभी कमर्शियल इस्टैबलिशमेंट्स, कार्यालयों और कारखानों को बंद करना, सिर्फ उन्हें छोड़कर जिन्हें छूट दी गई है। सिर्फ अनिवार्य वस्तुओं की खरीद या मेडिकल इमरजेंसी हेतु टैक्सी, ऑटो या निजी वाहनों के इस्तेमाल की अनुमति दी गई। अनिवार्य वस्तुओं या सेवाओं को प्रदान करने वाले इस्टैबलिशमेंट्स, जैसे बैंक, मीडिया, टेलीकॉम सेवा, पेट्रोल पंप और अस्पतालों को काम करने की अनुमति दी गई। 

15 अप्रैल को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया। लॉकडाउन की अवधि के दौरान सरकार के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं: 

प्रशासनिक उपाय

  • विभिन्न विभागों के सदस्यों वाला एक राउंट द क्लॉक वॉर रूम बनाया गया जिससे कोविड-19 से संबंधित सभी रोकथामकारी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। 
     
  • कोविड-19 से संबंधित फेक न्यूज के खतरे की निगरानी करने और उससे निपटने के लिए कोरोना मीडिया सेल बनाया गया। 
     
  • चूंकि विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा था, इसलिए 26 मार्च के केरल के राज्यपाल ने केरल महामारी रोग अध्यादेश, 2020 को जारी किया। यह अध्यादेश राज्य सरकार को यह अधिकार देता है कि वह महामारी के संकट से निपटने के लिए जरूरी उपाय करे और रेगुलेशंस को निर्दिष्ट करे। यह अध्यादेश के अंतर्गत दिए गए आदेशों का उल्लंघन करने पर लोगों को सजा देने का प्रावधान भी करता है। 

स्वास्थ्य उपाय

  • उपचार संबंधी दिशानिर्देश: 26 मार्च को सरकार ने पूरे राज्य को कोविड-19 प्रभावित घोषित किया। 24 मार्च को कोविड-19 के मामलों की जांच और उपचार के लिए क्लिनिकल दिशानिर्देश जारी किए गए। एक हफ्ते बाद आइसोलेशन/क्वारंटाइन और जांच के लिए सरल मैट्रिक्स जारी किया गया। 
     
  • निम्नलिखित के लिए एडवाइजरी जारी की गई: (i) गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व और प्रसव उपरांत देखभाल, (ii) बच्चों के लिए नियमित टीकाकरण को रोकना और फिर शुरू करना, (iii) टीबी के मरीजों के लिए स्वास्थ्य सेवा की निरंतरता सुनिश्चित करना, और (iv) एल्कोहल यूज डिसऑर्डर्स का प्रबंधन।
     
  • जांच: जांच से संबंधित नियमित दिशानिर्देश जारी किए गए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं (i) रैपिड डायग्नॉस्टिक किट्स के इस्तेमाल पर एडवाइजरी, (ii) ऐसी रैपिड किट्स को विकसित करने को सैद्धांतिक मंजूरी, और (iii) निजी क्षेत्र द्वारा एंटीबॉडी टेस्टिंग के लिए दिशानिर्देश। 
     
  • रिसोर्स मैनेजमेंट: पुष्ट मामलों के बढ़ने पर निजी अस्पतालों को कोविड-19 अस्पताल में बदलने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए। 31 मार्च को रिटायर होने वाले मेडिकल प्रोफेशनल्स की कार्यावधि को 30 जून तक बढ़ाया गया। हेल्थ इंस्पेक्टर्स के अस्थायी भर्ती संबंधी उपाय किए गए। 
     
  • फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी कोविड-19 अस्पतालों में मानव संसाधन प्रबंधन हेतु दिशानिर्देश जारी किए गए। 
     
  • इसके अतिरिक्त अगले चरण की प्रतिक्रिया की तैयारी के लिए सरकार ने निम्नलिखित जारी किए (i) सामुदायिक संक्रमण को चिन्हित करने के दिशानिर्देश और (ii) हॉटस्पॉट्स को चिन्हित करने के मानदंड। 

अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं

  • 25 मार्च को राज्य ने केरल अनिवार्य सेवा रखरखाव एक्ट, 1994 के अंतर्गत अनिवार्य सेवाओं की सूची घोषित की।
     
  • उन सेवाओं को लॉकडाउन से छूट दी गई, जिन्हें बाद में अनिवार्य माना गया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) डिपार्टमेंटल स्टोर्स सहित दुकानें और बेकरी, (ii) ऑनलाइन फूड डिलिवरी, (iii) अनिवार्य वस्तुओं की डिलिवरी करने वाली पार्सल सेवाएं, (iv) ऑटोमोबाइल सर्विस करने वाली वर्कशॉप्स, (v) रविवार को मोबाइल फोन, कंप्यूटर की दुकानें और सर्विस सेंटर्स, और (vi) घरों और फ्लैट्स में मरम्मत का काम करने वाले प्लंबर और इलेक्ट्रीशियन।
     
  • 3 अप्रैल को कुदुम्बश्री और स्थानीय स्वशासन (एलएसजी) के तत्वावधान में सामुदायिक किचन शुरू करने के आदेश दिए गए। कुदुम्बश्री नामक कार्यक्रम को केरल सरकार गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तीकरण हेतु संचालित करती है। 20 अप्रैल को राज्य के 14 जिलों की 249 पंचायतों में 339  सामुदायिक किचन चलाए जा रहे थे। 4 से 20 अप्रैल, 2020 तक इन किचन्स से कुल 5,91,687 भोजन (मील) दिए जा चुके हैं। सरकार ने एलएसजीज़ को निर्देश दिए कि किचन के लिए स्वयंसेवियों को काम पर रखें और उन्हें 400 रुपए (एक बार की सेवा के लिए) या 650 रुपए (पूरे दिन के लिए) का मानदेय चुकाएं।

कल्याणकारी उपाय

  • एसडीआरएफ नियमों के अंतर्गत कोविड-19 की राहत एवं प्रतिक्रिया संबंधी गतिविधियों के लिए स्वास्थ्य विभाग धनराशि जारी करता है। 
     
  • प्रत्येक डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को कोविड-19 के प्रकोप को नियंत्रित करने और उसकी रोकथाम हेतु 50 लाख रुपए आबंटित किए गए। 
     
  • निम्नलिखित को वित्तीय सहायता मंजूर की गई (i) मछुआरों, (ii) आर्टिस्ट्स, (iii) लॉटरी एजेंट और विक्रेता, और (iii) हाथियों और दूसरे पशुओं की देखभाल करने के लिए। 
     
  • लॉकडाउन संबंधी बेरोजगारी और कठिनाइयों का सामना करने वाले लोगों के लिए 2000 करोड़ की लागत वाली मुख्यमंत्री हेल्पिंग हैंड लोन योजना की घोषणा की गई। इस योजना को कुदुम्बश्री के तत्वावधान में निकटस्थ समूहों द्वारा लागू किया जाएगा। 

 लॉकडाउन बाद की रणनीतियां – लॉकडाउन के प्रतिबंधों से छूट देने वाली रणनीतियां 

  • एक्सपर्ट कमिटी: 4 अप्रैल को सरकार ने एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया और 6 अप्रैल को कमिटी ने लॉकडाउन के बाद के रेगुलेशंस के दिशानिर्देशों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी ने सशर्त तीन चरणीय रणनीति का सुझाव दिया जिसमें जिले कार्यान्वयन की इकाई हैं। निम्नलिखित मानदंडों के आधार पर प्रत्येक चरण में उत्तरोतर प्रतिबंधों में ढिलाई दी जाएगी जैसे (i) नए पुष्ट मामलों की संख्या, (ii) घरों में निगरानी में रखे गए लोगों की संख्य में वृद्धि/गिरावट का प्रतिशत, और (iii) हॉटस्पॉट्स का ना उभरना। 
     
  • रोकथाम संबंधी दिशानिर्देश: लॉकडाउन के 3 मई तक बढ़ने के बाद राज्य ने रोकथाम के दिशानिर्देशों में संशोधन किए जिसमें मामलों की संख्या और बीमारी के जोखिम के आधार पर जिलों को चार जोन्स में बांटने का सुझाव दिया गया। इन जोन्स, रेड, ऑरेंज ए, ऑरेंज बी और ग्रीन- में अलग-अलग, ग्रेडेड प्रतिबंध होंगे, रेड में 3 मई तक लॉकडाउन के रूप में कड़े प्रतिबंध होंगे। ऑरेंज ए और बी जोन्स में क्रमशः 24 और 20 अप्रैल तक लॉकडाउन रहेगा और फिर उसके बाद आंशिक प्रतिबंध रहेंगे। ग्रीन जोन्स में 20 अप्रैल तक लॉकडाउन रहेगा और इसके बाद प्रतिबंधों में ढिलाई दी जाएगी। 
     
  • इस आदेश के बाद राज्य ने औद्योगिक इकाइयों को कामकाज शुरू करने के संबंध में एडवाइजरी  जारी की। उन्हें कुछ मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करना होगा, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) परिसरों, मशीनरी और वाहनों का डिसइंफेक्शन करना, (ii) विशेष परिवहन सुविधाएं प्रदान करना, और वाहनों को 30-40% क्षमता के साथ चलाना, (iii) लोगों की अनिवार्य थर्मल स्कैनिंग करना, (iv) स्वच्छता एवं सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना, जिसमें एलिवेटर की क्षमताओं की सीमा तय करना और मीटिंग्स में लोगों की संख्या तय करना शामिल है, (v) अनिवार्य रूप से श्रमिकों का कोरोना संबंधी बीमा करना, (vi) सीसीटीवी का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करना, और (vii) निकटवर्ती कोविड-19 अस्पतालों की सूची तैयार करना। 

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।

 
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