2019 के आम चुनावों के परिणाम पिछले हफ्ते घोषित किए गए हैं और 17वीं लोकसभा के निर्वाचन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है। नतीजे के तुरंत बाद पिछली लोकसभा भंग कर दी गई। आने वाले कुछ दिनों में अनेक मुख्य घटनाक्रम देखने को मिलेंगे। प्रधानमंत्री और कैबिनेट के शपथ ग्रहण के बाद, लोकसभा का 17वां सत्र प्रारंभ होगा। पहले सत्र में नवनिर्वाचित सांसद शपथ लेंगे, 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष को चुना जाएगा और राष्ट्रपति संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे। इस ब्लॉग में हम इन घटनाक्रमों की प्रक्रिया और उनके महत्व को स्पष्ट करेंगे।
17वीं लोकसभा के पहले सत्र के मुख्य घटनाक्रम
भारतीय जनता पार्टी बहुमत हासिल करने वाली अकेली पार्टी है और उसके नेता प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। संविधान के अनुच्छेद 75 (1) के अनुसार, अन्य मंत्रियों को प्रधानमंत्री की सलाह से राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। संविधान का 91वां संशोधन मंत्रिपरिषद की सदस्य संख्या को, सदन की कुल सदस्य संख्या के 15% पर सीमित करता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंत्रिपरिषद का शपथ ग्रहण 30 मई, 2019 को होना तय किया गया है।
पहले सत्र का शेड्यूल कैसे तय होता है?
17वीं लोकसभा का पहला सत्र जून के पहले हफ्ते में शुरू होगा। पहले सत्र की शुरुआत की निश्चित तिथि और सत्र के मुख्य घटनाक्रमों का शेड्यूल, जिसमें राष्ट्रपति के संबोधन की तिथि भी शामिल है, को संसदीय मामलों की कैबिनेट कमिटी तय करती है। मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण के बाद कमिटी का गठन किया जाएगा। पिछली लोकसभा 4 जून, 2014 को शुरू हुई थी और उसके पहले सत्र की छह दिन बैठक हुई थी (4 जून, 2014 से 11 जून, 2014)।
पहले सत्र की अध्यक्षता कौन करता है?
सदन की प्रत्येक कार्यवाही की अध्यक्षता स्पीकर (अध्यक्ष) द्वारा की जाती है। नई लोकसभा के पहली बैठक से तत्काल पहले अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है। इसलिए एक अस्थायी अध्यक्ष, जिसे प्रो-टेम स्पीकर कहा जाता है, को नव निर्वाचित सांसदों में से चुना जाता है। प्रो-टेम स्पीकर नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ/प्रतिज्ञान दिलाता है, और उस बैठक की अध्यक्षता करता है जिसमें नए अध्यक्ष को चुना जाता है। नए अध्यक्ष के निर्वाचित होने के बाद प्रो-टेम स्पीकर का पद समाप्त हो जाता है।
प्रो-टेम स्पीकर को कैसे चुना जाता है?
नई सरकार के चुने जाने के बाद सदन के वरिष्ठतम सदस्यों के नामों की सूची तैयार की जाती है। वरिष्ठता का निर्धारण संसद के किसी भी सदन में कुल कार्यकाल के आधार पर किया जाता है। इसके बाद प्रधानमंत्री सूची में से उस सदस्य को चिन्हित करते हैं जो प्रो-टेम स्पीकर के रूप में कार्य करेगा। तीन अन्य सदस्यों को भी चिन्हित किया जाता है जिनके समक्ष अन्य सदस्य शपथ/प्रतिज्ञान ले सकते हैं।
नए अध्यक्ष को कैसे चुना जाता है?
कोई भी सदस्य इस प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है कि किसी दूसरे सदस्य को सदन का अध्यक्ष चुना जाए। फिर इस प्रस्ताव को रखा जाता है और उस पर वोटिंग होती है। परिणाम घोषित होने के बाद प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता सहित सभी राजनैतिक दलों के नेताओं द्वारा निर्वाचित अध्यक्ष को बधाई दी जाती है। इसके बाद नए अध्यक्ष द्वारा सदन की कार्यवाही संचालित की जाती है।
संविधान की जानकारी और संसद की कार्य प्रक्रिया के नियमों और परंपराओं की जानकारी अध्यक्ष की मुख्य थाती मानी जाती है। हालांकि इससे इस बात का संकेत मिलता है कि अध्यक्ष सदन का वरिष्ठतम सदस्य होता है, यह सदैव का नियम नहीं है। अतीत में ऐसे कई मौके आए हैं जब सदन का अध्यक्ष पहली बार सांसद बना हो। उदाहरण के लिए छठी लोकसभा के अध्यक्ष के.एस.हेगड़े और सातवीं लोकसभा के अध्यक्ष बलराम जाखड़ पहली बार अध्यक्ष बने थे।
सदन में अध्यक्ष की क्या भूमिका होती है?
विधायिका के कामकाज में अध्यक्ष की केंद्रीय भूमिका होती है। सदन की कार्यवाही कार्य प्रक्रिया के नियमों से निर्देशित होते हैं और इन नियमों की व्याख्या और कार्यान्वयन की अंतिम अथॉरिटी अध्यक्ष के पास होती है। अध्यक्ष सदन में चर्चा कराने और व्यवस्था कायम करने के लिए जिम्मेदार होता है। उदाहरण के लिए यह अध्यक्ष के विवेक पर है कि वह किसी सदस्य को सदन में लोकहित के मुद्दे को उठाने की अनुमति देता है अथवा नहीं। अध्यक्ष सदन के कामकाज को बाधित करने पर किसी सदस्य को निलंबित कर सकता है या अधिक अव्यवस्था होने पर सदन को स्थगित कर सकता है।
अध्यक्ष कार्य मंत्रणा समिति का भी अध्यक्ष होता है। यह समिति सदन के कामकाज के निर्धारण के लिए जिम्मेदार होती है और उसके लिए समय आबंटित करती है। अध्यक्ष लोकसभा की सामान्य प्रयोजन समिति और नियम समिति की भी अध्यक्षता करता है और सदस्यों के बीच से समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है। इससे पूर्व समिति प्रणाली को मजबूत करने में अध्यक्षों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 10वीं लोकसभा के अध्यक्ष शिवराज पाटील ने 17 विभाग संबंधी स्टैंडिंग कमिटियों की शुरुआत करने में अहम भूमिका निभाई थी जिससे संसद अधिक प्रभावी तरीके से कार्यकारिणी की निगरानी कर सके।
चूंकि अध्यक्ष पूरे सदन का प्रतिनिधित्व करता है, उसके पद में निष्पक्षता और स्वतंत्रता निहित है। संविधान और कार्य प्रक्रिया के नियमों में ऐसे दिशानिर्देश दिए गए हैं जिनसे अध्यक्ष के पद की निष्पक्षता और स्वतंत्रता सुनिश्चित हो। चौथी लोकसभा के अध्यक्ष डॉ. एन. संजीवा रेड्डी ने अपने राजनैतिक दल से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उनका यह मानना था कि अध्यक्ष पूरे सदन के लिए होता है इसलिए उसे निष्पक्ष बने रहना चाहिए। संविधान के 100वें अनुच्छेद के अनुसार, अध्यक्ष पहले तो किसी मामले में वोट नहीं देगा। हालांकि वोट बराबर होने की स्थिति में वह अपना वोट देगा।
राष्ट्रपति के अभिभाषण में क्या होता है?
अध्यक्ष के चुनाव के बाद राष्ट्रपति का अभिभाषण होता है। भारतीय संविधान के 87वें अनुच्छेद में राष्ट्रपति से यह अपेक्षा की गई है कि वह प्रत्येक आम चुनाव के बाद पहले सत्र की शुरुआत में दोनों सदनों को संबोधित करेगा। राष्ट्रपति प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र की शुरुआत में भी दोनों सदनों को संबोधित करता है। राष्ट्रपति के अभिभाषण में पिछले वर्ष के सरकार के कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला जाता है और आगामी वर्ष के लिए नीतिगत प्राथमिकताओं का उल्लेख किया जाता है।
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 17वीं लोकसभा के पहले सत्र को संबोधित करेंगे। 16वीं लोकसभा के दौरान 9 जून, 2014 को राष्ट्रपति का पहला अभिभाषण हुआ था। राष्ट्रपति का अंतिम अभिभाषण 31 जनवरी, 2019 को हुआ था (इस अभिभाषण की झलकियों को यहां पढ़ा जा सकता है।
अभिभाषण के बाद सत्तारूढ़ दल संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश करते हैं। धन्यवाद प्रस्ताव में सांसद इस प्रस्ताव में संशोधन पेश कर सकते हैं जिसके बाद उन पर वोट होता है। अभिभाषण में संशोधन को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के रूप में देखा जाता है।
Sources: The Constitution of India; Rules and Procedure and Conduct of Business in Lok Sabha; Handbook on the Working of Ministry of Parliamentary Affairs; The website of Parliament of India, Lok Sabha; The website of Office of the Speaker, Lok Sabha.
4 मई, 2020 तक भारत में कोविड-19 के 42,533 पुष्ट मामले हैं। 27 अप्रैल से 14,641 नए मामले दर्ज किए गए हैं। पुष्ट मामलों में 11,707 मरीजों का इलाज हो चुका है/उन्हें डिस्चार्ज किया जा चुका है और 1,373 की मृत्यु हई है। जैसे इस महामारी का प्रकोप बढ़ा है, केंद्र सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए अनेक नीतिगत फैसलों और महामारी से प्रभावित नागरिकों और व्यवसायों को मदद देने के उपायों की घोषणाएं की हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम केंद्र सरकार के 27 अप्रैल से 4 मई, 2020 तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं।
Source: Ministry of Health and Family Welfare; PRS.
लॉकडाउन
18 मई, 2020 तक लॉकडाउन बढ़ाया गया
गृह मंत्रालय ने 4 मई, 2020 से लॉकडाउन को दो हफ्तों के लिए बढ़ाने का आदेश दिया (18 मई, 2020 तक)। इस लॉकडाउन में जिन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा रहेगा, वे इस प्रकार हैं:
यात्रा और आवाजाही: निम्नलिखित द्वारा आवाजाही: (i) हवाई (मेडिकल और सुरक्षा कारणों के अतिरिक्त), (ii) रेल (सुरक्षा उद्देश्यों के अतिरिक्त), (iii) अंतरराज्यीय बस (केवल केंद्र सरकार द्वारा अनुमत), और (iv) मेट्रो प्रतिबंधित रहेगी। मेडिकल कारणों के अतिरिक्त या केंद्र सरकार द्वारा अनुमत होने पर लोग अंतरराज्यीय आवाजाही कर सकते हैं। गैर अनिवार्य गतिविधियों के लिए राज्य के भीतर लोगों की आवाजाही पर शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक प्रतिबंध है।
शिक्षा: सभी शिक्षण संस्थान जैसे स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे, सिवाय ऑनलाइन लर्निंग को छोड़कर।
हॉस्पिटैलिटी सेवाएं और मनोरंजक गतिविधियां: होटल जैसी सभी हॉस्पिटेलिटी सेवाएं बंद रहेंगी, सिवाय क्वारंटाइन सुविधाएं या स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिस और बेसहारा लोगों को आवास की सुविधा प्रदान करने वाले होटल खुले रहेंगे। इसके अतिरिक्त सिनेमा, मॉल, जिम और बार जैसे मनोरंजक केंद्र बंद रहेंगे।
धार्मिक जमावड़े: सभी धार्मिक स्थल बंद रहेंगे और धार्मिक उद्देश्यों के लिए लोगों को जमावड़े पर प्रतिबंध लगा रहेगा।
लॉकडाउन के संशोधित दिशानिर्देशों में जिलों की रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन्स के रूप में रिस्क प्रोफाइलिंग करना शामिल है। जोन का वर्गीकरण स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जाएगा और इसे साप्ताहिक आधार पर राज्यों के साथ साझा किया जाएगा। राज्य अतिरिक्त जिलों को रेड या ऑरेंज जोन में शामिल कर सकते हैं। लेकिन वे किसी जिले के वर्गीकरण को नीचे नहीं कर सकते। किसी जिले को रेड से ऑरेंज जोन में या ऑरेंज से ग्रीन जोन में तब खिसकाया जाएगा, जब वहां 21 दिनों में कोई मामला सामने नहीं आता। जोन्स का वर्गीकरण और अनुमत गतिविधियों का विवरण इस प्रकार है:
रेड जोन्स या हॉटस्पॉट्स: इन जिलों को सक्रिय मामलों की कुल संख्या, पुष्ट मामलों के डबलिंग रेट और जांच एवं निगरानी संबंधी फीडबैक के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा। रेड जोन्स में जिन अतिरिक्त गतिविधियों पर प्रतिबंध रहेगा, वे इस प्रकार हैं: (i) साइकिल और ऑटोरिक्शा, (ii) टैक्सी, (iii) बस और (iv) नाई की दुकानें, स्पा और सैलून। जिन गतिविधियों की अनुमति होगी, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) व्यक्तियों की आवाजाही (चारपहिया वाहन पर अधिकतम दो लोग और दुपहिया वाहन पर एक व्यक्ति), (ii) ग्रामीण क्षेत्रों में सभी औद्योगिक इस्टैबलिशमेंट्स और शहरी क्षेत्रों में अनिवार्य वस्तुओं की मैन्यूफैक्चरिंग करने वाले कुछ औद्योगिक इस्टैबलिशमेंट्स, और (iii) सभी स्टैंडएलोन और आस-पड़ोस की दुकानें।
ग्रीन जोन्स: इन जोन्स में ऐसे जिले शामिल हैं जहां अब तक कोई पुष्ट मामले नहीं हुए या पिछले 21 दिनों में कोई पुष्ट मामले सामने नहीं आए। इन जोन्स में किसी अतिरिक्त गतिविधि पर प्रतिबंध नहीं है। रेड जोन्स में अनुमत गतिविधियों के अतिरिक्त इन जोन्स में बसें 50% सीटिंग क्षमता के साथ चल सकती हैं।
ऑरेंज जोन्स: इन जोन्स में वे सभी जिले शामिल हैं जो रेड या ऑरेंज जोन्स में नहीं आते। इन जोन्स में अंतरराज्यीय या राज्यों की भीतर बसें नहीं चलेंगी। जिन गतिविधियों की अनुमति होगी (रेड जोन्स में अनुमत गतिविधियों के अतिरिक्त), वे इस प्रकार हैं: (i) अधिकतम एक ड्राइवर और दो यात्रियों के साथ टैक्सियां, (ii) अनुमत गतिविधियों के लिए व्यक्तियों और वाहनों की अंतरराज्यीय आवाजाही, और (iii) अधिकतम एक ड्राइवर और दो यात्रियों के साथ चारपहिया वाहन।
जिला प्रशासन रेड और ऑरेंज जोन्स में आने वाले कुछ क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन्स के रूप में चिन्हित कर सकता है। कंटेनमेंट जोन्स में आवासीय कालोनियां, टाउन्स या म्यूनिसिपल वॉर्ड जैसे क्षेत्र शामिल हो सकते हैं। कंटेनमेंट जोन्स में स्थानीय प्रशासन आरोग्य सेतु ऐप का 100% कवरेज, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, जोखिम के आधार पर व्यक्तियों का क्वारंटाइन और घर-घर छानबीन सुनिश्चित कर सकता है। इसके अतिरिक्त केवल मेडिकल इमरजेंसी और अनिवार्य वस्तुओं के लिए व्यक्ति आना-जाना कर सकता है।
विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए लोगों की आवाजाही
गृह मंत्रालय ने विशेष ट्रेनों द्वारा प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, विद्यार्थियों और विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए लोगों की आवाजाही को मंजूरी दी। इसके लिए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे लोगों को भेजने, उन्हें प्राप्त करने और उनके पंजीकरण के लिए नोडल अधिकारियों को नामित करेंगे। इस विनिमय के लिए लोगों को भेजने और उन्हें प्राप्त करने वाले दोनों राज्यों का सहमत होना जरूरी है। प्रत्येक ट्रेन 1,200 लोगों को ले जा सकती है और कोई ट्रेन 90% क्षमता से कम पर नहीं चलेगी। राज्य सरकार द्वारा यात्रा की अनुमति देने वाले लोगों को टिकट का कुछ मूल्य चुकाना पड़ सकता है।
शिक्षा
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं और शैक्षणिक कैलेंडर के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कोविड-10 महामारी के मद्देनजर विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं और शैक्षणिक कैलेंडर पर दिशानिर्देश जारी किए।
शैक्षणिक कैलेंडर: विश्वविद्यालयों में ईवन सेमिस्टर्स की क्लासेज़ 16 मार्च, 2020 से रद्द कर दी गईं। दिशानिर्देशों में यह कहा गया है कि शिक्षण को 31 मई तक जारी रखा जाना चाहिए, भले ही वह ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षण मोड, सोशल मीडिया (व्हॉट्सएप/यूट्यूब), ईमेल या वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हो। मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए परीक्षाएं जुलाई 2020 में की जानी चाहिए और परिणाम 31 जुलाई (टर्मिनल ईयर के विद्यार्थियों के लिए) और 14 अगस्त (इंटरमीडिएट ईयर के विद्यार्थियों के लिए) को घोषित किए जाने चाहिए।
शैक्षणिक सत्र 2020-21 पुराने विद्यार्थियों के लिए अगस्त 2020 और नए विद्यार्थियों के लिए सितंबर 2020 हो सकता है। नए विद्यार्थियों के लिए दाखिला प्रक्रिया अगस्त के महीने में की जा सकती है। परिणामस्वरूप 2020-21 का ईवन सेमिस्टर 27 जनवरी, 2021 से शुरू हो सकता है। शैक्षणिक सत्र 2021-22 की शुरुआत अगस्त 2021 हो सकती है। 2019-20 के शेष सत्र और 2020-21 के शैक्षणिक सत्र के लिए शिक्षण के नुकसान की भरपाई के लिए विश्वविद्यालय छह दिन के सप्ताह का पैटर्न अपना सकता है।
परीक्षाएं: विश्वविद्यालय ऑफलाइन या ऑनलाइन मोड में सेमिस्टर या वार्षिक परीक्षाएं ले सकती है। यह ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ के निर्देशों का पालन करते हुए और सभी विद्यार्थियों के लिए निष्पक्ष अवसरों को सुनिश्चित करते हुए किया जाना चाहिए। परीक्षाओं के वैकल्पिक, सरल तरीकों को अपनाकर ऐसा किया जा सकता है, जैसे एमसीक्यू (मल्टीपल च्वाइस क्वेश्चंस) आधारित परीक्षाएं या ओपन बुक परीक्षाएं। अगर मौजूदा स्थिति को देखते हुए परीक्षाएं नहीं की जा सकती हैं तो पिछले सेमिस्टर में आंतरिक मूल्यांकन और प्रदर्शन के आधार पर ग्रेडिंग की जा सकती है। विश्वविद्यालय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पीएचडी वाइवा परीक्षा संचालित कर सकते हैं।
दूसरे दिशानिर्देश: प्रत्येक विश्वविद्यालय को एक कोविड-19 सेल स्थापित करना होगा ताकि महामारी के दौरान विद्यार्थियों की परीक्षाओं और शिक्षण गतिविधियों से संबंधित शिकायतों को हल किया जा सके। उसे विद्यार्थियों को इसके बारे में प्रभावी तरीके से बताना होगा। इसके अतिरिक्त जल्द फैसला लेने के लिए यूजीसी में भी एक कोविड-19 सेल बनाया जाएगा।
कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।