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संसद

लोकसभा का 17वां सत्र: हम क्या अपेक्षा कर सकते हैं

, साकेत सूर्य - मई 29, 2019

2019 के आम चुनावों के परिणाम पिछले हफ्ते घोषित किए गए हैं और 17वीं लोकसभा के निर्वाचन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है। नतीजे के तुरंत बाद पिछली लोकसभा भंग कर दी गई। आने वाले कुछ दिनों में अनेक मुख्य घटनाक्रम देखने को मिलेंगे। प्रधानमंत्री और कैबिनेट के शपथ ग्रहण के बाद, लोकसभा का 17वां सत्र प्रारंभ होगा। पहले सत्र में नवनिर्वाचित सांसद शपथ लेंगे, 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष को चुना जाएगा और राष्ट्रपति संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे। इस ब्लॉग में हम इन घटनाक्रमों की प्रक्रिया और उनके महत्व को स्पष्ट करेंगे।

17वीं लोकसभा के पहले सत्र के मुख्य घटनाक्रम

भारतीय जनता पार्टी बहुमत हासिल करने वाली अकेली पार्टी है और उसके नेता प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। संविधान के अनुच्छेद 75 (1) के अनुसार, अन्य मंत्रियों को प्रधानमंत्री की सलाह से राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। संविधान का 91वां संशोधन मंत्रिपरिषद की सदस्य संख्या को, सदन की कुल सदस्य संख्या के 15% पर सीमित करता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंत्रिपरिषद का शपथ ग्रहण 30 मई, 2019 को होना तय किया गया है।    

पहले सत्र का शेड्यूल कैसे तय होता है?

17वीं लोकसभा का पहला सत्र जून के पहले हफ्ते में शुरू होगा। पहले सत्र की शुरुआत की निश्चित तिथि और सत्र के मुख्य घटनाक्रमों का शेड्यूल, जिसमें राष्ट्रपति के संबोधन की तिथि भी शामिल है, को संसदीय मामलों की कैबिनेट कमिटी तय करती है। मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण के बाद कमिटी का गठन किया जाएगा। पिछली लोकसभा 4 जून, 2014 को शुरू हुई थी और उसके पहले सत्र की छह दिन बैठक हुई थी (4 जून, 2014 से 11 जून, 2014)।

पहले सत्र की अध्यक्षता कौन करता है?

सदन की प्रत्येक कार्यवाही की अध्यक्षता स्पीकर (अध्यक्ष) द्वारा की जाती है। नई लोकसभा के पहली बैठक से तत्काल पहले अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है। इसलिए एक अस्थायी अध्यक्ष, जिसे प्रो-टेम स्पीकर कहा जाता है, को नव निर्वाचित सांसदों में से चुना जाता है। प्रो-टेम स्पीकर नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ/प्रतिज्ञान दिलाता है, और उस बैठक की अध्यक्षता करता है जिसमें नए अध्यक्ष को चुना जाता है। नए अध्यक्ष के निर्वाचित होने के बाद प्रो-टेम स्पीकर का पद समाप्त हो जाता है।

प्रो-टेम स्पीकर को कैसे चुना जाता है?

नई सरकार के चुने जाने के बाद सदन के वरिष्ठतम सदस्यों के नामों की सूची तैयार की जाती है। वरिष्ठता का निर्धारण संसद के किसी भी सदन में कुल कार्यकाल के आधार पर किया जाता है। इसके बाद प्रधानमंत्री सूची में से उस सदस्य को चिन्हित करते हैं जो प्रो-टेम स्पीकर के रूप में कार्य करेगा। तीन अन्य सदस्यों को भी चिन्हित किया जाता है जिनके समक्ष अन्य सदस्य शपथ/प्रतिज्ञान ले सकते हैं।

नए अध्यक्ष को कैसे चुना जाता है?

कोई भी सदस्य इस प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है कि किसी दूसरे सदस्य को सदन का अध्यक्ष चुना जाए। फिर इस प्रस्ताव को रखा जाता है और उस पर वोटिंग होती है। परिणाम घोषित होने के बाद प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता सहित सभी राजनैतिक दलों के नेताओं द्वारा निर्वाचित अध्यक्ष को बधाई दी जाती है। इसके बाद नए अध्यक्ष द्वारा सदन की कार्यवाही संचालित की जाती है। 

संविधान की जानकारी और संसद की कार्य प्रक्रिया के नियमों और परंपराओं की जानकारी अध्यक्ष की मुख्य थाती मानी जाती है। हालांकि इससे इस बात का संकेत मिलता है कि अध्यक्ष सदन का वरिष्ठतम सदस्य होता है, यह सदैव का नियम नहीं है। अतीत में ऐसे कई मौके आए हैं जब सदन का अध्यक्ष पहली बार सांसद बना हो। उदाहरण के लिए छठी लोकसभा के अध्यक्ष के.एस.हेगड़े और सातवीं लोकसभा के अध्यक्ष बलराम जाखड़ पहली बार अध्यक्ष बने थे।

सदन में अध्यक्ष की क्या भूमिका होती है?

विधायिका के कामकाज में अध्यक्ष की केंद्रीय भूमिका होती है। सदन की कार्यवाही कार्य प्रक्रिया के नियमों से निर्देशित होते हैं और इन नियमों की व्याख्या और कार्यान्वयन की अंतिम अथॉरिटी अध्यक्ष के पास होती है। अध्यक्ष सदन में चर्चा कराने और व्यवस्था कायम करने के लिए जिम्मेदार होता है। उदाहरण के लिए यह अध्यक्ष के विवेक पर है कि वह किसी सदस्य को सदन में लोकहित के मुद्दे को उठाने की अनुमति देता है अथवा नहीं। अध्यक्ष सदन के कामकाज को बाधित करने पर किसी सदस्य को निलंबित कर सकता है या अधिक अव्यवस्था होने पर सदन को स्थगित कर सकता है।

अध्यक्ष कार्य मंत्रणा समिति का भी अध्यक्ष होता है। यह समिति सदन के कामकाज के निर्धारण के लिए जिम्मेदार होती है और उसके लिए समय आबंटित करती है। अध्यक्ष लोकसभा की सामान्य प्रयोजन समिति और नियम समिति की भी अध्यक्षता करता है और सदस्यों के बीच से समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है। इससे पूर्व समिति प्रणाली को मजबूत करने में अध्यक्षों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 10वीं लोकसभा के अध्यक्ष शिवराज पाटील ने 17 विभाग संबंधी स्टैंडिंग कमिटियों की शुरुआत करने में अहम भूमिका निभाई थी जिससे संसद अधिक प्रभावी तरीके से कार्यकारिणी की निगरानी कर सके।

चूंकि अध्यक्ष पूरे सदन का प्रतिनिधित्व करता है, उसके पद में निष्पक्षता और स्वतंत्रता निहित है। संविधान और कार्य प्रक्रिया के नियमों में ऐसे दिशानिर्देश दिए गए हैं जिनसे अध्यक्ष के पद की निष्पक्षता और स्वतंत्रता सुनिश्चित हो। चौथी लोकसभा के अध्यक्ष डॉ. एन. संजीवा रेड्डी ने अपने राजनैतिक दल से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उनका यह मानना था कि अध्यक्ष पूरे सदन के लिए होता है इसलिए उसे निष्पक्ष बने रहना चाहिए। संविधान के 100वें अनुच्छेद के अनुसार, अध्यक्ष पहले तो किसी मामले में वोट नहीं देगा। हालांकि वोट बराबर होने की स्थिति में वह अपना वोट देगा।

राष्ट्रपति के अभिभाषण में क्या होता है?

अध्यक्ष के चुनाव के बाद राष्ट्रपति का अभिभाषण होता है। भारतीय संविधान के 87वें अनुच्छेद में राष्ट्रपति से यह अपेक्षा की गई है कि वह प्रत्येक आम चुनाव के बाद पहले सत्र की शुरुआत में दोनों सदनों को संबोधित करेगा। राष्ट्रपति प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र की शुरुआत में भी दोनों सदनों को संबोधित करता है। राष्ट्रपति के अभिभाषण में पिछले वर्ष के सरकार के कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला जाता है और आगामी वर्ष के लिए नीतिगत प्राथमिकताओं का उल्लेख किया जाता है।

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 17वीं लोकसभा के पहले सत्र को संबोधित करेंगे। 16वीं लोकसभा के दौरान 9 जून, 2014 को राष्ट्रपति का पहला अभिभाषण हुआ था। राष्ट्रपति का अंतिम अभिभाषण 31 जनवरी, 2019 को हुआ था (इस अभिभाषण की झलकियों को यहां पढ़ा जा सकता है।

अभिभाषण के बाद सत्तारूढ़ दल संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश करते हैं। धन्यवाद प्रस्ताव में सांसद इस प्रस्ताव में संशोधन पेश कर सकते हैं जिसके बाद उन पर वोट होता है। अभिभाषण में संशोधन को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के रूप में देखा जाता है।  

 

Sources: The Constitution of India; Rules and Procedure and Conduct of Business in Lok Sabha; Handbook on the Working of Ministry of Parliamentary Affairs; The website of Parliament of India, Lok Sabha; The website of Office of the Speaker, Lok Sabha.

 
Policy

कोविड-19 महामारी पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया (20-27 अप्रैल, 2020)

Anya Bharat Ram - अप्रैल 27, 2020

27 अप्रैल, 2020 तक भारत में कोविड-19 के 27,892 पुष्ट मामले हैं। 20 अप्रैल तक 10,627 नए मामले दर्ज किए गए हैं। पुष्ट मामलों में 6,185 मरीजों का इलाज हो चुका है/उन्हें डिस्चार्ज किया जा चुका है और 872 की मृत्यु हुई है। जैसे इस महामारी का प्रकोप बढ़ा है, केंद्र सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए अनेक नीतिगत फैसलों और महामारी से प्रभावित नागरिकों और व्यवसायों को मदद देने के उपायों की घोषणाएं की हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम केंद्र सरकार के 20 अप्रैल से 27 अप्रैल तक के कुछ मुख्य कदमों का सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं।

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Source: Ministry of Health and Family Welfare; PRS.

लॉकडाउन

विशिष्ट क्षेत्रों में स्थित दुकानों के लिए लॉकडाउन से राहत

गृह मामलों के मंत्रालय ने निम्नलिखित को खोलने के लिए आदेश दिया है: (i) ग्रामीण क्षेत्रों में सभी दुकानें, शॉपिंग मॉल्स की दुकानों को छोड़कर, और (ii) सभी स्टैंडएलोन दुकानें, आस-पड़ोस की दुकानें, और शहरी क्षेत्रों में आवासीय कॉम्प्लैक्सों की दुकानें। बाजारों में स्थित दुकानों, मार्केट कॉम्प्लैक्स या शहरी क्षेत्रों में शॉपिंग मॉल्स में कामकाज की अनुमति नहीं है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शॉप्स और इस्टैबलिशमेंट्स एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत दुकानों को ही खोले जाने की अनुमति है। इसके अतिरिक्त जिन ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन्स घोषित किया गया है, वहां की दुकानें नहीं खोली जाएंगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि शराब की बिक्री पर प्रतिबंध जारी रहेगा।

केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल्स का कामकाज बंद रहेगा 

केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल का कामकाज 3 मई, 2020 तक बंद रहेगा। जब कामकाज शुरू होगा तो अवकाश के दिनों को भी वर्किंग डे माना जा सकता है। अधिकतर केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल कोविड-19 हॉटस्पॉट्स में स्थित हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है।

वित्तीय उपाय

आरबीआई ने म्युचुअल फंड्स के लिए 50,000 करोड़ रुपए की विशेष लिक्विडिटी सुविधा की घोषणा की

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 50,000 करोड़ रुपए मूल्य के म्युचुअल फंड्स के लिए विशेष लिक्विडिटी सुविधा (एसएलएफ-एमएफ) खोलने का फैसला किया है। इससे म्युचुअल फंड्स पर लिक्विडिटी का दबाव खत्म होगा। एसएलएफ-एमएफ के अंतर्गत आरबीआई निर्धारित रेपो रेट पर 90 दिनों की अवधि में रेपो ऑपरेशन करेगी। एसएलएफ-एमएफ तत्काल इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगा और बैंक इन फंड्स को हासिल करने के लिए अपनी बोलियां सौंप सकते हैं। यह योजना 27 अप्रैल से 11 मई, 2020 के लिए उपलब्ध है या तब तक के लिए जब तक आबंटित राशि का इस्तेमाल नहीं हो जाता (इनमें से जो पहले हो)। आरबीआई योजना की समयावधि और राशि की समीक्षा करेगी, जोकि बाजार की स्थितियों पर निर्भर करता है। बैंक विशेष रूप से म्युचुअल फंड्स की लिक्विडिटी संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस राशि का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह निम्नलिखित के जरिए किया जा सकता है: (i) लोन देना, और (ii) इनवेस्टमेंट ग्रेड कॉरपोरेट बॉन्ड्स, कमर्शियल पेपर्स, डिबेंचर्स और म्युचुअल फंड्स के सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट्स के आउटराइट परचेस और/या उनके लिए कोलेट्रेल लेना। 

आरबीआई ने अल्पावधि के फसल ऋण के लिए इन्टरेस्ट सबवेंशन और प्रॉम्प्ट रीपमेंट इनसेंटिव योजनाओं के लाभ का दायरा बढ़ाया

भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को तीन लाख रुपए तक के अल्पावधि फसल ऋण के लिए इन्टरेस्ट सबवेंशन और प्रॉम्प्ट रीपमेंट इनसेंटिव योजनाओं के लाभों को क्रमशः 2% और 3% बढ़ाने की सलाह दी। जिन किसानों के एकाउंट्स ड्यू हैं या 1 मार्च, 2020 से 1 मई, 2020 के बीच ड्यू होने वाले हैं, इस योजना के लिए पात्र होंगे। 

स्वास्थ्य सेवा कर्मियों का संरक्षण

महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 जारी 

महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 22 अप्रैल, 2020 को जारी किया गया। अध्यादेश महामारी रोग एक्ट, 1897 में संशोधन करता है। एक्ट में खतरनाक महामारियों की रोकथाम से संबंधित प्रावधान हैं। अध्यादेश इस एक्ट में संशोधन करता है जिससे महामारियों से जूझने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को संरक्षण प्रदान किया जा सके, तथा ऐसी बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार की शक्तियों में विस्तार करता है। अध्यादेश की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • परिभाषाएं: अध्यादेश स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित करता है जिन पर अपने कर्तव्यों का पालन करने के दौरान महामारियों के संपर्क में आने का जोखिम है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पब्लिक और क्लिनिकल स्वास्थ्यसेवा प्रदाता जैसे डॉक्टर और नर्स, (ii) ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसे एक्ट के अंतर्गत बीमारी के प्रकोप की रोकथाम के लिए सशक्त किया गया है, और (iii) अन्य कोई व्यक्ति जिसे राज्य सरकार ने ऐसा करने के लिए नामित किया है।
     
  • ‘हिंसक कार्य’ में ऐसे कोई भी कार्य शामिल हैं जो स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के खिलाफ किए गए हैं: (i) जीवन या काम की स्थितियों को प्रभावित करने वाला उत्पीड़न, (ii) जीवन को नुकसान, चोट, क्षति या खतरा पहुंचाना, (iii) कर्तव्यों का पालन करने में बाधा उत्पन्न करना, और (iv) स्वास्थ्य सेवा कर्मी की संपत्ति या दस्तावेजों को नुकसान या क्षति पहुंचाना। संपत्ति में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) क्लिनिकल इस्टैबलिशमेंट, (ii) क्वारंटाइन केंद्र, (iii) मोबाइल मेडिकल यूनिट, और (iv) ऐसी अन्य संपत्ति जिससे स्वास्थ्य सेवा कर्मी का महामारी से संबंधित कोई प्रत्यक्ष हित जुड़ा हो।
     
  • स्वास्थ्य सेवा कर्मी की सुरक्षा और संपत्ति को क्षति: अध्यादेश निर्दिष्ट करता है कि कोई भी व्यक्ति निम्नलिखित नहीं कर सकता: (i) स्वास्थ्य सेवा कर्मी के खिलाफ हिंसक कार्रवाई करना या ऐसा करने के लिए किसी को उकसाना, या (ii) महामारी के दौरान किसी संपत्ति को नुकसान या क्षति पहुंचाना, या ऐसा करने के लिए किसी को उकसाना। इस प्रावधान का उल्लंघन करने पर तीन महीने से लेकर पांच वर्ष तक की कैद या 50,000 रुपए से लेकर दो लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। अदालत की अनुमति से पीड़ित अपराधी को क्षमा कर सकता है। अगर स्वास्थ्य सेवा कर्मी के खिलाफ हिंसक कार्रवाई गंभीर क्षति पहुंचाती है, तो अपराध करने वाले व्यक्ति को छह महीने से लेकर सात वर्ष तक की कैद हो सकती है और एक लाख रुपए से लेकर पांच लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। ये अपराध संज्ञेय और गैर जमानती हैं।

अध्यादेश पर अधिक विवरण के लिए कृपया यहां देखें।

वित्तीय सहायता

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के अंतर्गत उपाय 

वित्त मंत्रालय के अनुसार, 26 मार्च से 22 अप्रैल, 2020 के बीच लगभग 33 करोड़ गरीब लोगों को लॉकडाउन के दौरान प्रत्यक्ष रूप से 31,235 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी गई है। बैंक अंतरणों के लाभार्थियों में विधवाएं, प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत महिला खाताधारक, वरिष्ठ नागरिक और किसान शामिल हैं। प्रत्यक्ष बैंक अंतरणों के अतिरिक्त अन्य प्रकार से भी सहायता मुहैय्या कराई गई है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 40 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न दिए गए हैं। 
     
  • लाभार्थियों को 2.7 करोड़ मुफ्त गैस सिलिंडर दिए गए है। 
     
  • राज्य सरकारों द्वारा प्रबंधित भवन निर्माण एवं निर्माण कोषों से 2.2 करोड़ भवन निर्माण एवं निर्माण श्रमिकों को 3,497 करोड़ रुपए संवितरित किए गए हैं। 

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।

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