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  • सूचना के अधिकार नियम, 2019 के अंतर्गत सीआईसी और आईसीज़ का कार्यकाल और वेतन
नीति

सूचना के अधिकार नियम, 2019 के अंतर्गत सीआईसी और आईसीज़ का कार्यकाल और वेतन

आन्या भरत राम - अक्टूबर 31, 2019

सूचना का अधिकार (संशोधन) एक्ट, 2019 द्वारा सूचना का अधिकार एक्ट, 2005 में संशोधन किया गया है। आरटीआई एक्ट, 2005 में केंद्र और राज्य स्तरों पर क्रमश: चीफ इनफॉरमेशन कमीश्नर (सीआईसी) और इनफॉरमेशन कमीश्नरों (आईसीज़) के कार्यकाल, सेवा की शर्तें और वेतन को विनिर्दिष्ट किया गया था। आरटीआई (संशोधन) एक्ट, 2019 में इन प्रावधानों को हटाया गया है और कहा गया है कि केंद्र सरकार नियमों के जरिए सेवा शर्तों और वेतन को अधिसूचित करेगी।[1],[2]  

सूचना का अधिकार नियम, 2019 को 24 अक्टूबर, 2019 को अधिसूचित किया गया था।[3] इन नियमों में केंद्र और राज्य स्तरों पर क्रमशः सीआईसी और आईसीज़ के कार्यकाल, सेवा शर्तों और वेतन को निर्धारित किया गया है। तालिका 1 में सूचना के अधिकार एक्ट, 2005 और सूचना के अधिकार नियम, 2019 के अंतर्गत सीआईसी और आईसीज़ के कार्यकाल और वेतन से संबंधित प्रावधानों की तुलना की गई है।

तालिका 1: सूचना के अधिकार एक्ट, 2005 और सूचना के अधिकार नियम, 2019 के प्रावधानों की तुलना

प्रावधान

आरटीआई एक्ट, 2005

आरटीआई नियम, 2019

कार्यकाल

सीआईसी और आईसीज़ (केंद्र और राज्य स्तर पर) का कार्यकाल पांच वर्ष होगा। 

सीआईसी और आईसीज़ (केंद्र और राज्य स्तर पर) का कार्यकाल तीन वर्ष होगा। 

वेतन

सीआईसी और आईसीज़ का वेतन (केंद्रीय स्तर पर) चीफ इलेक्शन कमीश्नर और इलेक्शन कमीश्नर को चुकाए जाने वाले वेतन के बराबर (2,50,000 रुपए प्रति माह) होगा।

इसी प्रकार, सीआईसी और आईसीज़ (राज्य स्तर पर) का वेतन क्रमशः इलेक्शन कमीश्नरों (2,50,000 रुपए प्रति माह) और राज्य सरकार के मुख्य सचिव (2,25,000 रुपए प्रति माह) को चुकाए जाने वाले वेतन के बराबर होगा। 

सीआईसी और आईसीज़ (केंद्रीय स्तर पर) का वेतन प्रति माह क्रमशः 2,50,000 रुपए और 2,25,00 रुपए होगा।

 

 

 

 

सीआईसीज़ और आईसीज़ (राज्य स्तर पर) का वेतन प्रति माह 2,25,000 रुपए होगा।

Source: The Right to Information (Term of Office, Salaries, Allowances and Other Terms and Conditions of Service of Chief Information Commissioner, Information Commissioners in the Central Information Commission, State Chief Information Commissioner and State Information Commissioners in the State Information Commission) Rules, 2019; The High Court and the Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Amendment Act, 2017; Indian Administrative Services (Pay) Rules, 2016; PRS.

 

[1] Right to Information Act, 2005, https://rti.gov.in/rti-act.pdf.

[2] Right to Information (Amendment Act), 2019, file:///C:/Users/Dell/Downloads/The%20Right%20to%20Information%20(Amendment)%20Bill,%202019%20Text.pdf.

[3] The Right to Information (Term of Office, Salaries, Allowances and Other Terms and Conditions of Service of Chief Information Commissioner, Information Commissioners in the Central Information Commission, State Chief Information Commissioner and State Information Commissioners in the State Information Commission) Rules, 2019, http://egazette.nic.in/WriteReadData/2019/213438.pdf.

 
States and State Legislatures

कोविड-19 पर महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया (20 अप्रैल, 2020 तक)

Akhil N.R. - अप्रैल 21, 2020

 कोविड-19 के 4,203 पुष्ट मामलों के साथ, महाराष्ट्र में पूरे देश की तुलना में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं (20 अप्रैल, 2020 तक)। इनमें से 507 का इलाज किया जा चुका है और 223 लोगों की मृत्यु हो गई है। इस ब्लॉग में हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कोविड-19 से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने अब तक क्या मुख्य कदम उठाए हैं। 

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लॉकडाउन से पहले के उपाय

12 मार्च को राज्य में कोविड-19 के 11 मामले दर्ज किए गए। परिणामस्वरूप राज्य सरकार ने कुछ कदम उठाए, जैसे: (i) मरीजों की स्क्रीनिंग और टेस्टिंग के लिए तैयारी, और (ii) रोग के अत्यधिक संक्रामक होने के कारण सामूहिक जमावड़ों की सीमा तय करना। लॉकडाउन से पूर्व के कदमों की जानकारी नीचे दी जा रही है।

स्वास्थ्य संबंधी उपाय

14 मार्च को सरकार ने राज्य में कोविड-19 के प्रसार के निवारण और रोकथाम के लिए महाराष्ट्र कोविड-19 रेगुलेशंस को अधिसूचित किया। इन रेगुलेशंस में निम्नलिखित से संबंधित नियम हैं (i) अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों की स्क्रीनिंग, (ii) प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले लोगों के लिए होम क्वारंटाइन, और (iii) कंटेनमेंट जोन्स में कार्य प्रक्रियाओं का पालन करना, इत्यादि। 

मूवमेंट पर प्रतिबंध

15 मार्च को राज्य में कोविड-19 के 31 मामले थे। सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने आदेश दिया कि सिनेमा हॉल, स्विमिंग पूल, जिम, थियेटर और म्यूजियम्स को 31 मार्च तक बंद रखा जाएगा। 

16 मार्च को सभी शिक्षण संस्थानों और हॉस्टल्स को भी 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया। शिक्षकों को घर से काम करने को कहा गया। परीक्षाएं भी 31 मार्च तक के लिए रोक दी गईं। 

प्रशासनिक उपाय

13 मार्च को महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने हेतु उच्च स्तरीय कमिटी का गठन किया। कमिटी की जिम्मेदारियों में निम्नलिखित शामिल हैं (i) राज्य में कोविड-19 की स्थिति की दैनिक समीक्षा, और (ii) विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों को लागू करना। 

17 मार्च को राज्य में कोविड-19 के कारण पहली मृत्यु हुई। 19 मार्च को सरकार ने सरकारी कार्यालयों में बैठकों पर प्रतिबंध लगाया और इन बैठकों के लिए सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देश जारी किए।  

20 मार्च को मुंबई, पुणे और नागपुर में कोविड-19 के प्रसार को देखते हुए सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति को 25% किया गया। इसके बाद 23 मार्च को सरकार ने राज्य में सरकारी कार्यालयों में उपस्थितियों को और कम करके 5% कर दिया। 

लॉकडाउन के बाद के उपाय

कोविड-19 के प्रकोप की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने 23 मार्च को राज्यव्यापी लॉकडाउन लागू कर दिया। 31 मार्च तक लागू इस ल़ॉकडाउन में निम्नलिखित शामिल था: (i) राज्य की सीमाओं को बंद करना, (ii) सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को रद्द करना, और (iii) किसी सार्वजनिक स्थल पर पांच से अधिक लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध।  

अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई में लगी कंपनियों को इस लॉकडाउन से छूट दी गई। इसके बाद केंद्र सरकार ने 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को लागू किया जोकि अब 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। केंद्र सरकार की इस घोषणा से पहले राज्य सरकार ने 30 अप्रैल तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया था।  

15 अप्रैल को गृह मामलों के मंत्रालय ने राज्य सरकारों को दिशानिर्देश जारी किए थे कि उन्हें 3 मई तक क्या-क्या उपाय करने हैं। इन दिशानिर्देशों के अनुसार, 20 अप्रैल से कम प्रभावित क्षेत्रों में चुनींदा गतिविधियों की अनुमति होगी ताकि लोगों की परेशानियों को दूर किया जा सके। इन गतिविधियों में निम्नलिखित शामिल हैं (i) कृषि और संबंधित गतिविधियां, (ii) मनरेगा का काम, (iii) निर्माण कार्य, (iv) औद्योगिक इस्टैबलिशमेंट्स, (v) स्वास्थ्य सेवाएं, (vi) वित्तीय क्षेत्र की कुछ गतिविधियां, जोकि कुछ शर्तों के अधीन होगा। 

कल्याणकारी उपाय

लॉकडाउन के कारण लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य ने कुछ कल्याणकारी उपाय भी किए हैं। ये इस प्रकार हैं:

  • 30 मार्च को स्कूली शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को निर्देश जारी किए कि वे लॉकडाउन खत्म होने तक स्कूल की फीस जमा न करें।
     
  • आदिवासी विकास विभाग ने भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अमृत आहार योजना के अंतर्गत आने वाले महिला लाभार्थियों और बच्चों को घर पर भोजन/आहार देने के संबंध में निदेश जारी किए।
     
  • राज्य सरकार ने निजी इस्टैबलिशमेंट्स, उद्योगों और कंपनियों को अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देने का निर्देश दिया। 
     
  • 7 अप्रैल को राज्य कैबिनेट ने गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले सभी राशन कार्ड धारकों को सब्सिडाइज्ड कीमत पर गेहूं और चावल देने का फैसला किया और यह फैसला भी किया कि अगले तीन महीनों के लिए सभी शिव भोजन केंद्रों में पांच रुपए पर शिव भोजन दिया जाएगा।
     
  • 17 अप्रैल को हाउसिंग विभाग ने अधिसूचना जारी की कि भूमालिक/मकान मालिक तीन महीनों के लिए किराया नहीं लेंगे। इस अवधि के दौरान किराया न देने पर मकान से बेदखल नहीं किया जाएगा। 

प्रशासनिक उपाय

  • 29 मार्च को लोक निर्माण विभाग ने निर्देश जारी किए कि माल परिवहन के लिए पीडब्ल्यूडी और एमएसआरडीसी प्लाजा पर टोल जमा नहीं किया जाएगा। अगले आदेश जारी होने तक इस निर्देश का पालन किया जाएगा। 
     
  • विधायक स्थानीय विकास कार्यक्रम: एमएलएलैड कार्यक्रम के अंतर्गत विधायकों को एमएलएलैड फंड्स के इस्तेमाल के लिए वन टाइम स्पेशल एक्सेप्शन दिया गया है। इस राशि से विधायक 2020-21 के दौरान कोविड-19 के लिए मेडिकल उपकरण और सामग्रियां खरीद सकते हैं। 
     
  • राज्य की अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभाव का विश्लेषण: 13 अप्रैल को सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभावों के विश्लेषण के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी और कैबिनेट सब-कमिटी का गठन किया। ये कमिटियां राज्य की अर्थव्यवस्था को पुर्नजीवित करने के उपाय सुझाएंगी। 

मुंबई शहर से संबंधित आदेश

  • 8 अप्रैल को शहरी प्रशासन ने सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनना अनिवार्य किया। 
     
  • 10 अप्रैल को ग्रेटर मुंबई के पुलिस कमीश्नर ने आदेश जारी किया जिसमें सोशल मीडिया और मैसेजिंग एप्लीकेशंस पर किसी प्रकार की फेक या भ्रामक सूचनाओं पर प्रतिबंध लगाया गया। यह आदेश 24 अप्रैल तक वैध रहेगा।

कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।

 
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