बीमारी के अत्यधिक संक्रामक होने के कारण 22 मार्च को बिहार सरकार ने 31 मार्च तक राज्यव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। इसके बाद केंद्र सरकार ने 25 मार्च और 14 अप्रैल के बीच राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू किया जो अब 3 मई तक बढ़ गया है। लॉकडाउन के दौरान लोगों के मूवमेंट पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं के अतिरिक्त सभी इस्टैबलिशमेंट्स बंद किए गए हैं। अब 20 अप्रैल के बाद कम प्रभावित जिलों में प्रतिबंधों में ढिलाई की उम्मीद है।
इस ब्लॉग में हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कोविड-19 से निपटने के लिए राज्य सरकार ने अब तक क्या मुख्य कदम उठाए हैं।

प्रारंभिक चरण: यात्रियों की स्क्रीनिंग, निवारक उपायों के संबंध में जागरूकता
राज्य सरकार ने शुरुआत में निम्नलिखित कदम उठाए: (i) बीमारी के निवारक उपायों के संबंध में जागरूकता फैलाना, और (ii) अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग। इस संबंध में 25 फरवरी को बिहार स्वास्थ्य सोसायटी ने निम्नलिखित से संबंधित एडवाइजरीज़ जारी कीं: (i) स्कूलों और कॉलेजों में क्या उपाय किए जाएंगे, और (ii) लक्षण वाले एयरलाइन यात्रियों और पर्यटकों की जानकारी जिला स्वास्थ्य प्रशासन को दी जाएगी। 11 मार्च को 104 कॉल सेंटर को कोविड-19 के कंट्रोल रूम के तौर पर नामित किया गया ताकि बीमारी के संबंध में लोगों के सवालों के जवाब दिए जा सकें।
लॉकडाउन से पूर्व: सामूहिक जमावड़े की सीमा तय, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की लामबंदी
सामूहिक जमावड़े की सीमा तय
13 से 18 मार्च के बीच राज्य सरकार ने आदेश जारी किया कि 31 मार्च तक विभिन्न परिसरों को बंद किया जाए। इनमें आंगनवाड़ी केंद्र, शिक्षण संस्थान, और सिनेमा हॉल, पार्क तथा शॉपिंग मॉल जैसे कमर्शियल इस्टैबलिशमेंट्स शामिल थे। सरकारी कर्मचारियों को वैकल्पिक दिनों पर कार्यालय आने का निर्देश दिया गया। किसी एक स्थान पर 50 से ज्यादा लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध लगाया गया जिसमें कोई पारिवारिक जमावड़ा भी शामिल था (शादियों को छोड़कर)। परिवहन विभाग को कहा गया कि सार्वजनिक और निजी परिवहन को प्रतिबंधित किया जाए।
स्वास्थ्य संबंधी उपाय
कल्याणकारी उपाय
- 16 मार्च को मुख्यमंत्री के घोषणा की कि मुख्यमंत्री मेडिकल सहायता कोष बिहार के लोगों के कोविड-19 के इलाज का खर्चा वहन करेगा। इसके अतिरिक्त बिहार सरकार कोविड-19 के कारण मरने वाले व्यक्ति के परिवार को पांच लाख रुपए की सहायता देगी।
- सरकार ने स्कूलों में मिड-डे मील योजना तथा आंगनवाड़ी केंद्रों में भोजन के स्थान पर प्रत्यक्ष नकद अंतरण प्रदान करने से संबंधित निर्देश जारी किए।
अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं
- 21 मार्च को खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने जिला प्रशासन को बिहार अनिवार्य वस्तु (मूल्य और स्टॉक का प्रदर्शन) आदेश, 1977 के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। आदेश में निर्दिष्ट वस्तुओं के विक्रेताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे लोगों की जानकारी के लिए उन वस्तुओं के स्टॉक और मूल्यों को प्रदर्शित करें। निर्दिष्ट वस्तुओं में खाद्य सामग्री, खाद्य तिलहन और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं। विभाग ने जिला प्रशासन को यह निर्देश भी दिया कि वह इन वस्तुओं की सूची में कोई अन्य वस्तु को शामिल करने का प्रस्ताव भेजें।
लॉकडाउन के दौरान कल्याणकारी उपाय, मेडिकल संरचना को मजबूत करना
22 मार्च को लॉकडाउन की घोषणै के बाद राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय समन्वय समितियों का गठन किया गया। लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए: (i) राज्य में मेडिकल संरचना को मजबूत करना, (ii) इस दौरान प्रभावित होने वाले विभिन्न वर्गों को राहत पहुंचाना, और (iii) अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई से जुड़ी समस्याओं को दूर करना।
स्वास्थ्य संबंधी उपाय
- 25 मार्च को स्वास्थ्य विभाग ने बिहार कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम का गठन किया जोकि स्वास्थ्य संबंधी सभी कदमों के बीच समन्वय स्थापित करने एवं उन्हें नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है।
- कंटेनमेंट और उपचार के लिए प्रोटोकॉल: कंटेनमेंट और उपचार संबंधी उपायों हेतु दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन के लिए निर्देश दिए गए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) आइसोलेशन और क्वारंटाइन केंद्रों का गठन और परिचालन, (ii) क्लस्टर कंटेनमेंट रणनीति के जरिए स्थानीय और सामुदायिक संक्रमण को दूर करने के लिए कंटेनमेंट योजना, (iii) इंफ्लूएंजा के समान रोग (आईएलआई) और गंभीर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (सारी) के लिए निरीक्षण कार्यक्रम, (iv) उपचार/निदान/क्वारंटाइन के दौरान उत्पन्न होने वाले कचरे का निपटान और (v) कोविड-19 पॉजिटिव व्यक्तियों के निवास और निकटवर्ती क्षेत्रों का सैनिटेशन।
- डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग का अभियान: 14 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने सिवान, बेगुसराय और नालंदा सहित सभी प्रभावित जिलों में डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग अभियान चलाने के निर्देश जारी किए। ऐसे स्क्रीनिंग अभियान सीमा क्षेत्रों के जिलों और कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के निवास के दायरे में आने वाले तीन किलोमीटर क्षेत्र में भी चलाए जाएंगे।
- मैनपावर बढ़ाना: सरकार ने डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स जैसे मेडिकल प्रोफेशनल्स को स्वयंसेवी बनने का निमंत्रण दिया। उसने जिला प्रशासन को निर्देश भी दिया कि वे सशस्त्र सेवाओं के सेवानिवृत्त डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स को स्वयंसेवी बनाएं। स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों की छुट्टियों को 30 अप्रैल तक के लिए रद्द किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने डेप्युटेड आयुष प्रैक्टीशनर्स को आइसोलेशन और क्वारंटाइन केंद्रों में मदद करने को कहा।
- कोविड-19 के लिए डेडिकेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर: 5 अप्रैल को कुछ सरकारी अस्पतालों को कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए एक्सक्लूसिव अस्पतालों के रूप में निर्दिष्ट किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने पटना के बड़े निजी अस्पतालों को ओपीडी सेवाएं बंद करने का भी निर्देश दिया।
- अन्य स्वास्थ्य संबंधी उपाय: 22 मार्च को राज्य सरकार ने सभी डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को इन्सेंटिव के तौर पर एक महीने की बेसिक सैलरी के भुगतान की घोषणा की। 13 अप्रैल को स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक स्थलों पर सिगरेट पीने और तंबाकू एवं पान खाने वाले लोगों को थूकने से प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने घोषणा की कि वह निजी क्षेत्र से टेस्ट किट्स खरीदेगी।
कल्याणकारी उपाय
- राहत पैकेज: 22 मार्च को सरकार ने लॉकडाउन से प्रभावित लोगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की। राहत पैकेज की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- सभी राशन कार्ड धारकों को एक महीने का मुफ्त राशन,
- प्रति राशन कार्ड धारक परिवार को 1,000 रुपए का वन टाइम नकद हस्तांतरण,
- वृद्ध लोगों, विधवाओं और विकलांग लोगों सहित सभी पेंशनयाफ्ता लोगों को एडवांस में तीन महीने की पेंशन का भुगतान, और
- सभी विद्यार्थियों को बकाया स्कॉलरशिप्स जारी करना।
- प्रवासियों की मदद: 26 मार्च को मुख्यमंत्री राहत कोष से 100 करोड़ रुपए आबंटित किए गए ताकि लॉकडाउन के दौरान देश के अन्य हिस्सों में फंसे हुए प्रवासियों को मदद दी जा सके। 2 अप्रैल को राज्य सरकार ने प्रवासियों को 1,000 रुपए के वन टाइन नकद हस्तांतरण की घोषणा की। 13 अप्रैल को इस उद्देश्य के लिए राहत कोष से अतिरिक्त 50 करोड़ रुपए आबंटित किए गए। प्रवासियों के लिए राहत प्रयासों में समन्वय हेतु राज्य स्तरीय नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया गया। राज्य सरकार बिहार के प्रवासियों की मदद के लिए HYPERLINK "http://www.prdbihar.gov.in/AdminPanel/Files/PressRelease/2020/237.pdf" दिल्ली में 10 फूड सेंटर्स चला रही है।
- राहत शिविर: 28 मार्च को राज्य सरकार ने सीमा पर राहत शिविर (नेपाल सीमा सहित) शुरू करने का फैसला किया जोकि राज्य में आने वाले लोगों को भोजन, शेल्टर और मेडिकल सहायता प्रदान करेगा। भोजन और शेल्टर देने के लिए सरकारी स्कूल परिसरों में सामुदायिक किचन और राहत शिविर चलाए जा रहे हैं।
- बिजली शुल्क: 8 अप्रैल को राज्य कैबिनेट ने निम्नलिखित प्रस्तावों को मंजूरी दी: (i) घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं के लिए बिजली के शुल्क को 10 पैसे प्रति यूनिट कम करना, और (ii) मासिक मीटर फीस की छूट।
व्यापारिक और कृषि गतिविधियों के लिए उपाय
- राज्य सरकार ने टैक्सेशन से संबंधित मामलों में व्यापार जगत के लिए कुछ राहत प्रदान की है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- जीएसटी के भुगतान की समय सीमा को 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून करना, कुछ मामलों में भुगतान में देरी पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं वसूला जाएगा,
- जीएसटी के पूर्व कर विवादों के लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम की समय सीमा को तीन महीने के लिए बढ़ाना, और
- कुछ टैक्स डीफॉल्टरों के लिए बैंक खातों को जब्त करने से संबंधित आदेश रद्द करना।
- 16 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने निर्देश जारी किए कि प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटी (पीएसीएस) के जरिए गेहूं की खरीद शुरू की जाए।
अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं
अन्य उपाय
शिक्षा: 8 अप्रैल को कैबिनेट ने कक्षा 1 से 11 (कक्षा 10 को छोड़कर) के सभी विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षाओं के बिना अगली कक्षाओं में भेजने को मंजूरी दे दी।
विधायी उपाय: एमएलए और एमएलसी के वेतन में एक वर्ष के लिए 15% की कटौती गई गई। यह राशि राज्य के कोरोना राहत कोष में दान दी जाएगी।
श्रम और रोजगार: 16 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने सात निश्चय कार्यक्रम, जल जीवन हरियाली योजना और मनरेगा के अंतर्गत लोक निर्माण के कार्य बहाल करने के निर्देश जारी किए।
कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।