
The recent 2G-controversy and the related debate over the role of the PAC as opposed to the JPC also raises a broader Issue regarding the general scrutiny of government finances by Parliament. Oversight of the government’s finances involves the scrutiny of the government’s financial proposals and policies. The Indian Constitution vests this power with the Parliament by providing that (a) taxes cannot be imposed or collected without the authority of law, and (b) expenditure cannot be incurred without the authorisation of the legislature. The Indian Parliament exercises financial oversight over the government budget in two stages: (1) at the time of presentation of the annual budget, and (2) reviewing the government’s budget implementation efforts through the year. The Parliament scrutinises the annual budget (a) on the floor of the House, and (b) by the departmentally related standing committees. Scrutiny on the floor of the House The main scrutiny of the budget in the Lok Sabha takes place through: (a) General discussion and voting: The general discussion on the Budget is held on a day subsequent to the presentation of the Budget by the Finance Minister. Discussion at this stage is confined to the general examination of the Budget and policies of taxation expressed during the budget speech. (b) Discussion on Demand for Grants: The general discussion is followed by a discussion on the Demand for Grants of different ministries. A certain number of days or hours are allocated for the discussion of all the demands. However, not all the demands are discussed within the allotted number of days. The remaining undiscussed demands are disposed of by the Speaker after the agreement of the House. This process is known as the ‘Guillotine’. Figure 1 shows the number of Demands discussed and guillotined over the last five years. It shows that nearly 90% of the Demands are not discussed every year. Some Important Budget Documents Annual Financial Statement – Statement of the estimated receipts and expenditure of the government. Demand for Grants –Expenditure required to be voted by the Lok Sabha. A separate Demand is required to be presented for each department of the government. Supplementary Demand for Grants – Presented when (a) authorized amounts are insufficient, or (b) need for additional expenditure has arisen. Finance Bill – Details the imposition of taxes, the rates of taxation, and its regulation. Detailed Demand for Grants – Prepared on the basis of the Demand for Grants. These show further break-up of objects by expenditure, and also actual expenditure in the previous year. For more details see detailed note on Financial Oversight by Parliament here.
भारत में कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 25 मार्च, 2020 को देश व्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। लॉकडाउन ने सभी आर्थिक गतिविधियों को रद्द करना जरूरी बनाया। इसमें सिर्फ ऐसी गतिविधियां शामिल नहीं थीं, जिन्हें समय-समय पर ‘अनिवार्य’ के रूप में वर्गीकृत किया गया और जिन्हें घर से संचालित किया जा सकता है। परिणाम के तौर पर सभी आर्थिक गतिविधियां जिनमें व्यक्तियों का यात्रा करना या घर के बाहर जाकर काम करना, जैसे गैर अनिवार्य वस्तुओं की मैन्यूफैक्चरिंग और निर्माण तब से बंद हैं। हालांकि इससे बहुत से लोगों और व्यापारों को आय का नुकसान हुआ है, 40 दिन के लॉकडाउन से केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व पर गंभीर असर होने वाला है। मुख्य रूप से कर राजस्व पर जोकि सभी ऐसी आर्थिक गतिविधियों से प्राप्त किया जाता है।
इस नोट में 2020-21 में केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व पर लॉकडाउन के संभावित प्रभावों पर चर्चा की जा रही है। इस चरण में महामारी और लॉकडाउन के असर का अनुमान लगाना कठिन है। हमें यह जानकारी नहीं है कि मौजूदा लॉकडाउन के 3 मई को समाप्त होने के बाद क्या आंशिक प्रतिबंध जारी रहेंगे या वर्ष के दौरान आगे भी ऐसी कार्रवाइयों की संभावना है। इसलिए इस नोट को विभिन्न परिदृश्यों के अंतर्गत प्रभाव की गणना करने के लिए पहले अनुमान के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक पाठक जो मानता है कि जीडीपी की वृद्धि पर आईएमएफ के अनुमान से अलग असर होगा, जिसे नीचे इस्तेमाल किया गया है, वह अनुमान लगाने के लिए संख्याओं को एक्स्ट्रापोलेट कर सकता है।
केंद्र सरकार और अधिकतर राज्य सरकारों ने लॉकडाउन से पहले फरवरी-मार्च 2020 के दौरान वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट पारित किया था। केंद्र सरकार ने 2020-21 में देश की नॉमिनल जीडीपी में 10% की वृद्धि का अनुमान लगाया था और आधे से अधिक राज्यों ने नॉमिनल जीएसडीपी में 8%-13% के बीच वृद्धि का अनुमान लगाया था। अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन के अप्रत्याशित प्रभाव के कारण, 2020-21 में जीडीपी की वृद्धि दर इन अनुमानों से कम हो सकती है। परिणामस्वरूप लॉकडाउन की अवधि के दौरान केंद्र और राज्य सरकारें द्वारा अर्जित किया जाने वाला कर राजस्व बजट अनुमानों से कम रहने वाला है।
केंद्र का राजस्व
तालिका 1 में 2020-21 के दौरान विभिन्न स्रोतों से केंद्र सरकार द्वारा अपेक्षित राजस्व के आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। 73% राजस्व (16.36 लाख करोड़ रुपए) करों से प्राप्त होने का अनुमान है। लॉकडाउन के कारण वर्ष के अंत में वसूला गया वास्तविक कर राजस्व बहुत कम हो सकता है, जोकि इस बात पर निर्भर करता है कि 2020-21 में नॉमिनल जीडीपी वृद्धि कितनी प्रभावित होती है। राजस्व के असर का अनुमान लगाने के लिए हम यह मानकर चलते हैं कि 2020-21 में कर-जीडीपी अनुपात (यानी आर्थिक गतिविधि की प्रत्येक इकाई से प्राप्त होने वाले कर का अनुमान) बजट अनुमान के समान बरकरार रहता है। यह लॉकडाउन के कारण राजस्व के नुकसान का एक कंज़रवेटिव अनुमान हो सकता है क्योंकि कृषि, सरकारी सेवाओं और अनिवार्य सेवाओं जैसी कई अनुमत गतिविधियों में शून्य या निम्न-से-औसत कर प्राप्त होते हैं।
इस अवधारणा के आधार पर नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर में 1% प्वाइंट की गिरावट से 2020-21 में केंद्र के शुद्ध कर राजस्व में लगभग 15,000 करोड़ रुपए की गिरावट होगी जोकि उसके कुल राजस्व का 0.7% है। आईएमएफ ने 2020-21 के लिए 1.9% की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, मुद्रास्फीति के 4% के लक्ष्य को देखते हुए नॉमिनल जीडीपी वृद्धि लगभग 6% हो सकती है। इस स्थिति में जब नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 2020-21 में 10% से 4% प्वाइंट गिरकर 6% हो, तो शुद्ध कर राजस्व घाटा 60,000 करोड़ रुपए हो सकता है (कुल राजस्व का 2.7%)। उपरिलिखित के अनुसार, लॉकडाउन में अनुमत गतिविधियों के कारण कर-जीडीपी अनुपात बजट अनुमान से कम रहने का अनुमान है। इससे कर राजस्व पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव होगा।
इसके अतिरिक्त कर-जीडीपी के संबंध में भी अनुमान लगाया गया है। चूंकि जीडीपी के हिसाब से जीएसटी भी बढ़ता है, प्रत्यक्ष कर व्यक्तियों की आय वृद्धि और कंपनियों के लाभ में वृद्धि पर निर्भर करेगा। अगर जीडीपी की वृद्धि निम्न स्तरीय होगी तो नॉमिनल जीडीपी की सुस्ती की तुलना में इन दोनों मदों पर अधिक प्रभाव पड़ सकता है जिससे कर-जीडीपी अनुपात में गिरावट होगी। इसके अतिरिक्त आयात के मूल्य पर कस्टम ड्यूटी निर्भर करती है, जिसमें वृद्धि निम्न स्तरीय हो सकती है। इसमें कुछ हद तक पेट्रोलियम उत्पादों पर स्टेट एक्साइज की दर में वृद्धि के कारण कमी आएगी।
2019-20 के संशोधित अनुमानों को आधार बनाकर और 2020-21 के बजट अनुमानों को वास्तविक मानकर, (जब यह अनुमान किया गया था) गणनाएं की गई हैं। लेकिन ये आंकड़े कम भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर हम अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 तक की शुद्ध कर राजस्व वृद्धि दर (कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट्स द्वारा जारी) को एक्स्ट्रापोलेट करते हैं तो यह कमी 1,62,000 करोड़ रुपए या संशोधित अनुमान का 11% होती है। इस प्रकार 2020-21 में कर संग्रह में काफी अधिक कमी हो सकती है।
तालिका 1: 2020-21 में केंद्र सरकार का राजस्व (करोड़ रुपए में)
स्रोत |
राजस्व |
कुल राजस्व में हिस्सा |
शुद्ध कर राजस्व |
16,35,909 |
73% |
गैर कर राजस्व |
3,85,017 |
17% |
लाभांश और लाभ |
1,55,395 |
6.9% |
पूंजीगत प्राप्तियां |
2,24,967 |
10% |
विनिवेश |
2,10,000 |
9.4% |
कुल राजस्व |
22,45,893 |
- |
Note: Capital receipts and total revenue do not include borrowings.
Sources: Union Budget Documents; PRS.
करों के अतिरिक्त केंद्र की प्राप्तियों में गैर-कर राजस्व और पूंजी प्राप्तियां शामिल होती हैं। गैर-कर राजस्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसई) और आरबीआई के लाभांश और मुनाफे से प्राप्त होता है (1.55 करोड़ करोड़ रुपए)। अगर लाभप्रदता प्रभावित होती है, तो इन आंकड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। पूंजी प्राप्तियों का प्रमुख हिस्सा पीएसई के विनिवेश (2.1 लाख करोड़ रुपए) से प्राप्त होता है। पिछले महीने के मुकाबले इक्विटी बाजारों में तेजी से गिरावट आई है। यदि इक्विटी बाजार अस्थिर रहते हैं, तो विनिवेश की प्रक्रिया और इसके परिणामस्वरूप विनिवेश प्राप्तियां प्रभावित हो सकती हैं। उल्लेखनीय है कि विनिवेश प्राप्तियों का लक्ष्य 2,10,000 करोड़ रुपए था, जो 2019-20 में प्राप्त 50,299 करोड़ रुपए से काफी अधिक था।
राज्यों को हस्तांतरण
केंद्र की तरह, राज्य भी अपने अधिकांश राजस्व के लिए करों पर निर्भर होते हैं। उनके 2020-21 के बजट के अनुसार, उनके राजस्व का लगभग 70% हिस्सा करों से प्राप्त होने का अनुमान है (अपने स्वयं के करों से 45% और केंद्रीय करों के उनके हिस्से से 25%)। लॉकडाउन के कारण केंद्र के करों में कमी का असर भी राज्यों के हिस्से को प्रभावित करेगा (जिसे हस्तांतरण कहा जाता है)। तालिका 2 में केंद्र के कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी को दिखाया गया है और लॉकडाउन के कारण वे निम्न स्तरीय आर्थिक वृद्धि से कैसे प्रभावित हो सकते हैं।
तालिका 2: लॉकडाउन के कारण 2020-21 में हस्तांतरण पर निम्न स्तरीय आर्थिक वृद्धि का प्रभाव (करोड़ रुपए में)
राज्य/यूटी |
हस्तांतरण में हिस्सेदारी (%) |
हस्तांतरण |
राष्ट्रीय नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर में 1% प्वाइंट गिरावट का हस्तांतरण पर असर |
राज्य की राजस्व प्राप्तियों के प्रतिशत के रूप में राजस्व प्रभाव |
आंध्र प्रदेश |
4.11 |
32,238* |
293 |
NA |
अरुणाचल प्रदेश |
1.76 |
13,802 |
125 |
0.61% |
असम |
3.13 |
26,776 |
243 |
0.26% |
बिहार |
10.06 |
91,181 |
829 |
0.45% |
छत्तीसगढ़ |
3.42 |
26,803 |
244 |
0.29% |
दिल्ली |
- |
- |
- |
- |
गोवा |
0.39 |
3,027 |
28 |
0.21% |
गुजरात |
3.4 |
26,646 |
242 |
0.15% |
हरियाणा |
1.08 |
8,485 |
77 |
0.09% |
हिमाचल प्रदेश |
0.8 |
6,266 |
57 |
0.15% |
जम्मू एवं कश्मीर |
- |
15,200 |
138 |
0.16% |
झारखंड |
3.31 |
25,980 |
236 |
0.31% |
कर्नाटक |
3.65 |
28,591 |
260 |
0.14% |
केरल |
1.94 |
20,935 |
190 |
0.17% |
मध्य प्रदेश |
7.89 |
61,841* |
562 |
NA |
महाराष्ट्र |
6.14 |
48,109 |
437 |
0.13% |
मणिपुर |
0.72 |
5,630 |
51 |
0.28% |
मेघालय |
0.77 |
5,999* |
55 |
NA |
मिजोरम |
0.51 |
3,968 |
36 |
0.37% |
नागालैंड |
0.57 |
4,493 |
41 |
0.28% |
ओड़िशा |
4.63 |
36,300 |
330 |
0.27% |
पंजाब |
1.79 |
14,021 |
127 |
0.14% |
राजस्थान |
5.98 |
46,886 |
426 |
0.25% |
सिक्किम |
0.39 |
3,043 |
28 |
0.35% |
तमिलनाडु |
4.19 |
32,849 |
299 |
0.14% |
तेलंगाना |
2.13 |
16,727 |
152 |
0.11% |
त्रिपुरा |
0.71 |
5,560 |
51 |
0.30% |
उत्तर प्रदेश |
17.93 |
1,52,863 |
1,389 |
0.33% |
उत्तराखंड |
1.1 |
8,657 |
79 |
0.19% |
पश्चिम बंगाल |
7.52 |
65,835 |
598 |
0.33% |
कुल |
100 |
8,38,710 |
7,624 |
0.22% |
Note: *Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya passed a vote on account, so their devolution data has been computed as the total devolution to states provided in the union budget multiplied by their share. The devolution data for all other states has been taken from the state budget documents, which may not match with the union budget data in case of a few states. Revenue receipts data not available for Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya. The total for revenue receipt share has been computed excluding these three states.
Sources: Union and State Budget Documents; 15th Finance Commission Report for 2020-21; PRS.
राज्य जीएसटी
राज्य के स्वयं करों से प्राप्त होने वाले 45% राजस्व में से, 35% राजस्व तीन करों- राज्य जीएसटी (19%), सेल्स टैक्स/वैट (10%), और स्टेट एक्साइज (6%) से प्राप्त होने का अनुमान है। राज्य जीएसटी राज्य के भीतर अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की खपत पर लगाया जाता है। हालांकि राज्य जीएसटी राज्यों के अपने कर राजस्व का सबसे बड़ा घटक है, राज्यों को अपने आप कर दरों को बदलने की स्वायत्तता नहीं है क्योंकि दरें जीएसटी परिषद द्वारा तय की जाती हैं। इस प्रकार लॉकडाउन के दौरान जीएसटी राजस्व कम होने के कारण, यदि कोई राज्य शेष वर्ष के लिए जीएसटी दरों में वृद्धि करना चाहता है, तो वह अपने आप ऐसा नहीं कर सकता है।
तालिका 3 में नॉमिनल जीएसडीपी (राज्य की जीडीपी) की वृद्धि दरों में 1% प्वाइंट के संभावित असर और 2020-21 मे राज्य जीएसटी राजस्व पर इसके प्रभाव दिखाया गया है। ये अनुमान इस धारणा पर आधारित हैं कि लॉकडाउन के दौरान कर-जीएसडीपी अनुपात 2020-21 के बजट अनुमानों के समान रहेगा। हालांकि, जैसा कि पहले चर्चा की गई है, जीएसटी जैसे करों के लिए कर-जीडीपी अनुपात में गिरावट की आशंका है। इस विश्लेषण में राज्यों के जीएसटी राजस्व पर न्यूनतम प्रभाव का अनुमान लगाया गया है और पूरे प्रभाव को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
तालिका 3: 2020-21 में राज्य जीएसटी राजस्व पर निम्न जीएसडीपी वृद्धि का असर (करोड़ रुपए में)
राज्य/यूटी |
राज्य जीएसटी राजस्व |
नॉमिनल जीएसडीपी वृद्धि दर में 1% प्वाइंट गिरावट का राज्य जीएसटी राजस्व पर असर |
राज्य की राजस्व प्राप्तियों के प्रतिशत के रूप में राजस्व प्रभाव |
आंध्र प्रदेश |
NA |
NA |
NA |
अरुणाचल प्रदेश |
324 |
3 |
0.01% |
असम |
13,935 |
128 |
0.14% |
बिहार |
20,800 |
187 |
0.10% |
छत्तीसगढ़ |
10,701 |
97 |
0.12% |
दिल्ली |
23,800 |
215 |
0.39% |
गोवा |
2,772 |
26 |
0.19% |
गुजरात |
33,050 |
292 |
0.18% |
हरियाणा |
22,350 |
198 |
0.22% |
हिमाचल प्रदेश |
3,855 |
35 |
0.09% |
जम्मू एवं कश्मीर |
6,065 |
55 |
0.06% |
झारखंड |
9,450 |
85 |
0.11% |
कर्नाटक |
47,319 |
445 |
0.25% |
केरल |
32,388 |
289 |
0.25% |
मध्य प्रदेश |
NA |
NA |
NA |
महाराष्ट्र |
1,07,146 |
957 |
0.28% |
मणिपुर |
914 |
8 |
0.05% |
मेघालय |
NA |
NA |
NA |
मिजोरम |
504 |
4 |
0.04% |
नागालैंड |
541 |
5 |
0.04% |
ओड़िशा |
15,469 |
139 |
0.11% |
पंजाब |
15,859 |
141 |
0.16% |
राजस्थान |
28,250 |
255 |
0.15% |
सिक्किम |
650 |
5 |
0.07% |
तमिलनाडु |
46,196 |
410 |
0.19% |
तेलंगाना |
27,600 |
242 |
0.17% |
त्रिपुरा |
1,311 |
12 |
0.07% |
उत्तर प्रदेश |
55,673 |
525 |
0.12% |
उत्तराखंड |
5,386 |
49 |
0.12% |
पश्चिम बंगाल |
33,153 |
298 |
0.17% |
कुल |
5,65,461 |
5,104 |
0.17% |
Note: Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya passed a vote on account, so data not available. 2020-21 GSDP data for Delhi was not available, so the GSDP growth rate in 2020-21 has been assumed to be the same as the growth rate in 2019-20 (10.5%).
Sources: State Budget Documents; PRS.
सेल्स टैक्स/वैट और स्टेट एक्साइज
ये दोनों टैक्स राज्यों के लिए राजस्व का मुख्य स्रोत होते हैं जिनका 2020-21 में राज्यों के लिए 16% योगदान अनुमानित है। जीएसटी के लागू होने के बाद राज्य सिर्फ पेट्रोलियम उत्पादों (पेट्रोल, डीजल, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल) तथा मानव उपभोग के लिए शराब पर सेल्स टैक्स वसूल सकते हैं। हालांकि लॉकडाउन ने उपभोग को बुरी तरह प्रभावित किया है, इसलिए इन वस्तुओं की बिक्री भी प्रभावित हुई है क्योंकि अधिकतर परिवहन पर प्रतिबंध है और शराब बेचने वाले कारोबार बंद हैं। परिणामस्वरूप अन्य करों की तुलना में इन करों से प्राप्त होने वाले राजस्व पर अधिक असर होने की आशंका है।
इसके अतिरिक्त शराब राज्य एक्साइज का विषय है। तालिका 4 में राज्य एक्साइज से प्राप्त राजस्व पर लॉकडाउन के औसत मासिक असर को प्रदर्शित किया गया है। यानी इसमें लॉकडाउन के प्रत्येक महीने में राजस्व के नुकसान का आकलन किया गया है, इस अनुमान के साथ कि इन अवधियों में मानव उपभोग के लिए शराब का उत्पादन नहीं हुआ।
तालिका 4: 2020-21 में राज्य एक्साइज से प्राप्त राजस्व पर लॉकडाउन का औसत मासिक प्रभाव (करोड़ रुपए में)
राज्य/यूटी |
राज्य एक्साइज राजस्व |
राज्य एक्साइज राजस्व पर औसत मासिक प्रभाव |
राज्य की राजस्व प्राप्तियों के प्रतिशत के रूप में मासिक राजस्व प्रभाव |
आंध्र प्रदेश |
NA |
NA |
NA |
अरुणाचल प्रदेश |
157 |
13 |
0.06% |
असम |
1,750 |
146 |
0.16% |
बिहार |
0 |
0 |
0.00% |
छत्तीसगढ़ |
5,200 |
433 |
0.52% |
दिल्ली |
6,300 |
525 |
0.95% |
गोवा |
548 |
46 |
0.34% |
गुजरात |
144 |
12 |
0.01% |
हरियाणा |
7,500 |
625 |
0.69% |
हिमाचल प्रदेश |
1,788 |
149 |
0.39% |
जम्मू एवं कश्मीर |
1,450 |
121 |
0.14% |
झारखंड |
2,301 |
192 |
0.25% |
कर्नाटक |
22,700 |
1,892 |
1.05% |
केरल |
2,801 |
233 |
0.20% |
मध्य प्रदेश |
NA |
NA |
NA |
महाराष्ट्र |
19,225 |
1,602 |
0.46% |
मणिपुर |
15 |
1 |
0.01% |
मेघालय |
NA |
NA |
NA |
मिजोरम |
1 |
0 |
0.00% |
नागालैंड |
6 |
0 |
0.00% |
ओड़िशा |
5,250 |
438 |
0.35% |
पंजाब |
6,250 |
521 |
0.59% |
राजस्थान |
12,500 |
1,042 |
0.60% |
सिक्किम |
248 |
21 |
0.26% |
तमिलनाडु |
8,134 |
678 |
0.31% |
तेलंगाना |
16,000 |
1,333 |
0.93% |
त्रिपुरा |
266 |
22 |
0.13% |
उत्तर प्रदेश |
37,500 |
3,125 |
0.74% |
उत्तराखंड |
3,400 |
283 |
0.67% |
पश्चिम बंगाल |
12,732 |
1,061 |
0.59% |
कुल |
1,74,164 |
14,514 |
0.48% |
Note: Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya passed a vote on account, so data not available.
Sources: State Budget Documents; PRS.
शराब और पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री पर सेल्स टैक्स/वैट एकत्र किया जाता है। इन वस्तुओं की बिक्री में कमी पर हमारे पास कोई डेटा नहीं है- न्यूज रिपोर्ट्स में कुछ राज्यों में शराब की बिक्री का संकेत मिलता है और अनिवार्य सेवाओं के प्रदाता पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे होंगे। सेल्स टैक्स/वैट राजस्व पर असर का अनुमान लगाने के लिए हम तीन परिदृश्यों का अनुमान लगा रहे हैं: (i) लॉकडाउन के किसी भी महीने में कर संग्रह में 40% की कमी, (ii) कर संग्रह में 60% की कमी, और (iii) कर संग्रह में 80% की कमी। तालिका 5 में इन तीन स्थितियों में सेल्स टैक्स/वैट राजस्व पर लॉकडाउन का औसत मासिक असर प्रदर्शित है।
तालिका 5: 2020-21 में सेल्स टैक्स/वैट पर लॉकडाउन का प्रभाव (करोड़ रुपए में)
राज्य/यूटी |
लॉकडाउन के महीने में सेल्स टैक्स/वैट के राजस्व पर प्रभाव |
राज्य की राजस्व प्राप्तियों के प्रतिशत के रूप में |
||||
40% की कमी |
60% की कमी |
80% की कमी |
40% की कमी |
60% की कमी |
80% की कमी |
|
आंध्र प्रदेश |
NA |
NA |
NA |
NA |
NA |
NA |
अरुणाचल प्रदेश |
9 |
14 |
18 |
0.04% |
0.07% |
0.09% |
असम |
178 |
267 |
356 |
0.19% |
0.29% |
0.39% |
बिहार |
194 |
292 |
389 |
0.11% |
0.16% |
0.21% |
छत्तीसगढ़ |
138 |
207 |
276 |
0.16% |
0.25% |
0.33% |
दिल्ली |
207 |
310 |
413 |
0.37% |
0.56% |
0.75% |
गोवा |
41 |
62 |
83 |
0.31% |
0.47% |
0.62% |
गुजरात |
774 |
1,162 |
1,549 |
0.48% |
0.72% |
0.95% |
हरियाणा |
357 |
535 |
713 |
0.40% |
0.59% |
0.79% |
हिमाचल प्रदेश |
56 |
84 |
112 |
0.15% |
0.22% |
0.29% |
जम्मू एवं कश्मीर |
50 |
75 |
100 |
0.06% |
0.09% |
0.11% |
झारखंड |
195 |
293 |
391 |
0.26% |
0.39% |
0.52% |
कर्नाटक |
593 |
889 |
1,186 |
0.33% |
0.49% |
0.66% |
केरल |
775 |
1,163 |
1,551 |
0.68% |
1.01% |
1.35% |
मध्य प्रदेश |
NA |
NA |
NA |
NA |
NA |
NA |
महाराष्ट्र |
1,333 |
2,000 |
2,667 |
0.38% |
0.58% |
0.77% |
मणिपुर |
9 |
14 |
18 |
0.05% |
0.08% |
0.10% |
मेघालय |
NA |
NA |
NA |
NA |
NA |
NA |
मिजोरम |
3 |
4 |
5 |
0.03% |
0.04% |
0.06% |
नागालैंड |
9 |
13 |
18 |
0.06% |
0.09% |
0.12% |
ओड़िशा |
292 |
438 |
583 |
0.23% |
0.35% |
0.47% |
पंजाब |
186 |
279 |
372 |
0.21% |
0.32% |
0.42% |
राजस्थान |
700 |
1,050 |
1,400 |
0.40% |
0.61% |
0.81% |
सिक्किम |
7 |
11 |
15 |
0.09% |
0.14% |
0.18% |
तमिलनाडु |
1,868 |
2,802 |
3,736 |
0.85% |
1.28% |
1.70% |
तेलंगाना |
880 |
1,320 |
1,760 |
0.61% |
0.92% |
1.23% |
त्रिपुरा |
15 |
22 |
30 |
0.09% |
0.13% |
0.17% |
उत्तर प्रदेश |
943 |
1,414 |
1,886 |
0.22% |
0.33% |
0.45% |
उत्तराखंड |
66 |
98 |
131 |
0.15% |
0.23% |
0.31% |
पश्चिम बंगाल |
251 |
377 |
503 |
0.14% |
0.21% |
0.28% |
कुल |
10,130 |
15,195 |
20,260 |
0.34% |
0.51% |
0.67% |
Note: Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya passed a vote on account, so data not available.
Sources: State Budget Documents; PRS.
जीएसटी मुआवजे से कितनी मदद मिल सकती है?
केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को जीएसटी मुआवजे से जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई हो सकती है। जीएसटी (राज्यों का मुआवजा) एक्ट, 2017 के अंतर्गत केंद्र सरकार 2022 तक राज्यों को जीएसटी के कारण होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई करेगी। इसके लिए एक्ट राज्य जीएसटी राजस्व में 14% वार्षिक वृद्धि दर की गारंटी देता है जो कि वर्ष 2020-21 में वृद्धि की संभावना से बहुत अधिक है। इसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार को 14% की बजाय राज्यों को अपने राज्य जीएसटी राजस्व में वृद्धि की गिरावट के बराबर मुआवजा देना होगा।
हालांकि इसकी संभावना कम है कि 2020-21 में राज्यों को मुआवजा प्रदान करने के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध हो। राज्यों को जीएसटी मुआवजा फंड से मुआवजा दिया जाता है जिसमें इस उद्देश्य के लिए जमा होने वाले सेस की राशि शामिल होती है। यह सेस कोयले, तंबाकू और उससे संबंधित उत्पादों, पान मसाला, ऑटोमोबाइल्स और एरेटेड ड्रिक्स पर वसूला जाता है। इस सेस में कमी देखी जा सकती है क्योंकि इनमें से अनेक वस्तुओं की बिक्री पर इस वर्ष असर हो सकता है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष की तुलना में 2019-20 में ऑटोमोबाइल की घरेलू बिक्री में 18% की गिरावट देखी गई थी जबकि कोयला उत्पादन स्थिर रहा था।
बजट 2020-21 में केंद्र सरकार ने राज्यों को 1,35,368 करोड़ रुपए के मुआवजे का अनुमान लगाया था जोकि राज्यों द्वारा अपने बजट में अनुमानित कुल मुआवजे के काफी निकट है। हालांकि लॉकडाउन के कारण इन अनुदानों को वित्त पोषित करने वाले सेस में गिरावट का अनुमान है, जबकि कम जीएसटी एकत्र होने के कारण राज्यों की मुआवजे की आवश्यकता बढ़ने का अनुमान है। जबकि इस बात का जोखिम है कि कोई वृद्धिशील जरूरत पूरी नहीं हो पाएगी, अगर बजट 2020-21 के अनुसार, राज्यों की मौजूदा राशि को पूरा करने के लिए पर्याप्त सेस जमा नहीं होता तो राज्य के राजस्व पर बहुत असर हो सकता है (तालिका 6)। राज्य, औसतन, 2020-21 में अपने 4.4% राजस्व के लिए जीएसटी मुआवजा अनुदान पर निर्भर हैं। हालांकि, गुजरात, पंजाब, और दिल्ली जैसे राज्यों को उम्मीद है कि 2020-21 में उनके राजस्व का लगभग 14-15% जीएसटी मुआवजा अनुदान के रूप में आएगा।
तालिका 6: 2020-21 में राज्यों द्वारा अनुमानित जीएसटी मुआवजा अनुदान
राज्य/यूटी |
जीएसटी मुआवजा |
राज्य की राजस्व प्राप्तियों के प्रतिशत के रूप में जीएसटी मुआवजा |
आंध्र प्रदेश |
NA |
NA |
अरुणाचल प्रदेश |
0 |
0.0% |
असम |
1,000 |
1.1% |
बिहार |
3,500 |
1.9% |
छत्तीसगढ़ |
2,938 |
3.5% |
दिल्ली |
7,800 |
14.1% |
गोवा |
1,358 |
10.2% |
गुजरात |
22,510 |
13.9% |
हरियाणा |
7,000 |
7.8% |
हिमाचल प्रदेश |
3,338 |
8.7% |
जम्मू एवं कश्मीर |
3,177 |
3.6% |
झारखंड |
1,568 |
2.1% |
कर्नाटक |
16,116 |
9.0% |
केरल |
0 |
0.0% |
मध्य प्रदेश |
NA |
NA |
महाराष्ट्र |
10,000 |
2.9% |
मणिपुर |
0 |
0.0% |
मेघालय |
NA |
NA |
मिजोरम |
0 |
0.0% |
नागालैंड |
0 |
0.0% |
ओड़िशा |
6,200 |
5.0% |
पंजाब |
12,975 |
14.7% |
राजस्थान |
4,800 |
2.8% |
सिक्किम |
0 |
0.0% |
तमिलनाडु |
10,300 |
4.7% |
तेलंगाना |
0 |
0.0% |
त्रिपुरा |
208 |
1.2% |
उत्तर प्रदेश |
7,608 |
1.8% |
उत्तराखंड |
3,571 |
8.4% |
पश्चिम बंगाल |
4,928 |
2.7% |
कुल |
1,30,894 |
4.4% |
Note: Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya passed a vote on account, so data not available.
Sources: State Budget Documents; PRS.
पिछले वर्ष आर्थिक मंदी के कारण यही स्थिति उत्पन्न हुई थी। राज्यों के मुआवजे की जरूरत पूरी हो, इसके लिए पर्याप्त सेस जमा नहीं हुआ था। परिणामस्वरूप राज्यों को नवंबर 2019 में जीएसटी मुआवजा मिला था। उल्लेखनीय है कि जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) एक्ट, 2017 में यह प्रावधान है कि जीएसटी परिषद मुआवजा फंड के लिए दूसरी वित्त पोषण व्यवस्थाओं का सुझाव दे सकती है। उदाहरण के लिए ऐसा तब किया जा सकता है, जब कोष में राज्यों को मुआवजा देने के लिए धनराशि की कमी हो।
राज्य की वित्तीय स्थिति पर प्रभाव
राजस्व पर गंभीर तनाव होने पर राज्यों को या तो अपने बजटीय व्यय में कटौती करनी होगी या बजट लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपनी उधारियों में वृद्धि करनी होगी। उल्लेखनीय है कि कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण राज्यों को स्वास्थ्य क्षेत्र तथा राहत देने पर अप्रत्याशित व्यय करना पड़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप कई राज्यों ने अपने नियोजित व्यय में कटौती करने की योजना बनानी शुरू कर दी है या वे नियोजित व्यय को तत्काल जरूरतों पर खर्च करने की योजना पर काम कर रहे हैं। राजस्व व्यय पर अपेक्षाकृत कम लचीलेपन के साथ, कई राज्यों के पूंजीगत व्यय में बड़ी कटौती हो सकती है। उदाहरण के लिए राजस्व व्यय में ब्याज, वेतन और पेंशन भुगतान के प्रति प्रतिबद्ध व्यय शामिल होता है। औसतन प्रतिबद्ध व्यय का हिस्सा राज्य के व्यय में 50% तक होता है। हालांकि कुछ राज्यों ने वेतन भुगतान में कटौती करनी शुरू कर दी है। चूंकि निजी उपभोग और निवेश के मंद रहने की उम्मीद है, सरकारी व्यय में कटौती से जीडीपी में गिरावट आ सकती है।
दूसरा विकल्प यह है कि राज्य अपनी उधारियों में वृद्धि करें। हालांकि राज्यों की उधारियां एफआरबीएम कानूनों द्वारा उनकी 3% जीएसडीपी पर निर्धारित हैं (उनके द्वारा कुछ शर्तों को पूरा करने पर अतिरिक्त 0.5% के साथ)। राज्यों को उधार लेने के लिए केंद्र सरकार की सहमति की भी आवश्यकता है। हालांकि अधिकांश राज्यों ने 2020-21 में अपने राजकोषीय घाटे को पहले ही ऊपरी सीमा के आस-पास नियत कर लिया है (तालिका 7)। हालांकि लॉकडाउन के कारण जीएसडीपी पर असर होने की उम्मीद है, सभी राज्यों के लिए जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटा बजटीय लक्ष्यों से अधिक हो सकता है, भले ही वे अतिरिक्त उधार न लें।
तालिका 7: 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटा अनुमान जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में
राज्य/यूटी |
2019-20 (संशोधित) |
2020-21 (बजटीय) |
आंध्र प्रदेश |
NA |
NA |
अरुणाचल प्रदेश |
3.1% |
2.4% |
असम |
5.7% |
2.3% |
बिहार |
9.5% |
3.0% |
छत्तीसगढ़ |
6.4% |
3.2% |
दिल्ली |
-0.1% |
0.5% |
गोवा |
4.7% |
5.0% |
गुजरात |
1.6% |
1.8% |
हरियाणा |
2.8% |
2.7% |
हिमाचल प्रदेश |
6.4% |
4.0% |
जम्मू एवं कश्मीर |
NA |
5.0% |
झारखंड |
2.3% |
2.1% |
कर्नाटक |
2.3% |
2.6% |
केरल |
3.0% |
3.0% |
मध्य प्रदेश |
NA |
NA |
महाराष्ट्र |
2.7% |
1.7% |
मणिपुर |
8.9% |
4.1% |
मेघालय |
NA |
NA |
मिजोरम |
8.3% |
1.7% |
नागालैंड |
9.0% |
4.8% |
ओड़िशा |
3.4% |
3.0% |
पंजाब |
3.0% |
2.9% |
राजस्थान |
3.2% |
3.0% |
सिक्किम |
4.3% |
3.0% |
तमिलनाडु |
3.0% |
2.8% |
तेलंगाना |
2.3% |
3.0% |
त्रिपुरा |
6.2% |
3.5% |
उत्तर प्रदेश |
3.0% |
3.0% |
उत्तराखंड |
2.5% |
2.6% |
पश्चिम बंगाल |
2.6% |
2.2% |
केंद्र |
3.8% |
3.5% |
Note: Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Meghalaya passed a vote on account, so data not available.
Sources: Union and State Budget Documents; PRS.