
ड्राफ्ट कर्नाटक प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) बिल, 2024 |
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मुख्य विशेषताएं
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प्रमुख मुद्दे और विश्लेषण
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कर्नाटक सरकार के श्रम विभाग द्वारा 29 जून, 2024 को ड्राफ्ट बिल सर्कुलेट किया गया था। यह प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्क के रेगुलेशन के लिए प्रावधान करने का प्रयास करता है, और ऐसे गिग वर्कर्स का संरक्षण सुनिश्चित करता है। |
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भाग क: ड्राफ्ट बिल की मुख्य विशेषताएं
संदर्भ
हाल के वर्षों में तकनीक और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में तेजी से वृद्धि होने के चलते गिग वर्क भी बढ़ा है। गिग वर्कर मुख्य रूप से ऐसे लोग होते हैं जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के आधार पर काम नहीं करते।[1] नीति आयोग ने अनुमान लगाया था कि 2020-21 में भारत में गिग इकॉनमी में 77 लाख वर्कर्स काम कर रहे थे जो भारत की कुल श्रमशक्ति का 1.5% हैं।1 2029-30 तक इसके बढ़कर 2.35 करोड़ होने की उम्मीद है और कुल श्रमशक्ति का 4.1% हिस्सा होने वाला है।1
2020 में संसद ने सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 पारित की थी जो गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के रेगुलेशन का प्रावधान करती है।[2] संहिता के अनुसार, गिग वर्कर पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध से बाहर के वर्कर होते हैं। प्लेटफॉर्म वर्क ऐसे काम को कहा जाता है जोकि पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर आता है, जबकि उपभोक्ता समस्याओं के समाधान के लिए संगठनों या व्यक्तियों को एक्सेस करने, या सेवाओं को एक्सेस करने के लिए भुगतान के बदले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। संहिता ऐसे सभी वर्कर्स के रजिस्ट्रेशन के लिए प्रावधान करती है। यह केंद्र को एक सामाजिक सुरक्षा कोष के गठन और ऐसे वर्कर्स के लिए योजनाएं बनाने का अधिकार देती है। इसके तहत राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की स्थापना का प्रावधान किया गया है जोकि ऐसे वर्कर्स के लिए योजनाओं का सुझाव देगी और उनका निरीक्षण करेगी। ऐसी योजनाओं को केंद्र, राज्य सरकारों और एग्रीगेटर्स के संयुक्त योगदान द्वारा वित्त पोषित किया जा सकता है।
2023 में राजस्थान ने राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (रजिस्ट्रेशन और कल्याण) एक्ट, 2023 पारित किया था।[3] यह गिग वर्कर्स और एग्रीगेटर्स के रजिस्ट्रेशन के लिए प्रावधान करता है, और योजनाओं के निरीक्षण के लिए कल्याण बोर्ड की स्थापना करता है। इसके तहत एक सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण बोर्ड का भी प्रावधान किया गया है जिसे कल्याण शुल्क, राज्यों के अनुदान और अन्य स्रोतों (जिन्हें निर्दिष्ट किया जाएगा) के जरिए वित्त पोषित किया जाएगा। जुलाई 2024 में झारखंड ने प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स के कल्याण के लिए एक ड्राफ्ट बिल जारी किया था।[4]
कर्नाटक श्रम विभाग ने 29 जून, 2024 को ड्राफ्ट कर्नाटक प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (सामाजिक सुरक्षा एवं कल्यण) बिल, 2024 को सर्कुलेट किया।[5] यह बिल प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए कल्याण बोर्ड और कल्याण कोष की स्थापना करता है। वर्तमान में कर्नाटक में राज्य असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा बोर्ड है जोकि कर्नाटक राज्य गिग वर्कर्स बीमा योजना को लागू करता है।[6] 2024-25 में बोर्ड को 700 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।[7] |
तालिका 1: कर्नाटक राज्य गिग वर्कर्स बीमा योजना
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स्रोत: कर्नाटक राज्य गिग वर्कर्स बीमा योजना; पीआरएस।
गिग वर्कर्स बीमा योजना के तहत, ई-कॉमर्स प्रतिष्ठानों के साथ डिलीवरी कार्य में लगे राज्य के सभी गिग वर्कर्स को बीमा लाभ प्रदान किया जाता है।[8] यह बीमा कवर ड्यूटी पर और ड्यूटी से बाहर होने वाली दुर्घटनाओं के लिए प्रदान किया जाता है। लाभ प्राप्त करने के लिए, वर्कर्स को सेवा सिंधु पोर्टल और ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। जनवरी 2024 तक इस योजना के तहत 1,778 लाभार्थियों ने पंजीकरण कराया था।[9] 2023-24 में इस योजना के लिए 67 लाख रुपए आवंटित किए गए थे जिनमें से एक लाख रुपए (जनवरी 2024 तक) खर्च किए जा चुके हैं।[10]
गिग वर्कर: ड्राफ्ट बिल के तहत गिग वर्कर वह व्यक्ति होता है जो प्लेटफॉर्म के जरिए कॉन्ट्रैक्चुअल, पीस रेट कार्य व्यवस्था में संलग्न होता है। इस कार्य के परिणामस्वरूप नियमों और शर्तों के आधार पर एक निश्चित दर पर भुगतान किया जाता है। गिग वर्कर को एक यूनीक आईडी के तहत राज्य सरकार के साथ पंजीकृत होने का अधिकार है। यह आईडी सभी प्लेटफॉर्म पर लागू होगी। गिग वर्कर को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और शिकायत निवारण तंत्र तक पहुंच प्राप्त होगी।
एग्रीगेटर: ड्राफ्ट बिल के तहत एग्रीगेटर वस्तुओं और सेवाओं के खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ने वाला एक डिजिटल इंटरमीडियरी होता है। इसमें ऐसी कोई भी इकाई शामिल है जो सेवाएं प्रदान करने के लिए एक या एक से अधिक एग्रीगेटर्स के साथ समन्वय करती है।
एग्रीगेटर्स की जिम्मेदारियां: एग्रीगेटर्स को इस कानून के लागू होने की तारीख से 60 दिनों के भीतर वर्कर्स का रजिस्ट्रेशन करना होगा और रजिस्टर्ड गिग वर्कर्स का डेटा कल्याण बोर्ड को उपलब्ध कराना होगा। उन्हें इसी अवधि के दौरान बोर्ड में अपना रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा।
गिग वर्क में पारदर्शिता: ड्राफ्ट बिल में यह अनिवार्य किया गया है कि एग्रीगेटर्स को गिग वर्कर्स को उनके काम को प्रभावित करने वाले प्रमुख मानकों की जानकारी लिखित रूप में देनी होगी, जैसे: (i) रेटिंग सिस्टम, (ii) वर्कर्स का वर्गीकरण, (iii) पर्सनल डेटा का उपयोग, और (iv) कोई अन्य संबंधित जानकारी। इसके अतिरिक्त, एग्रीगेटर्स को वर्कर्स को ऑटोमेटेड निगरानी और निर्णय लेने वाली प्रणालियों में विभिन्न मानकों के बारे में सूचित करना होगा जो कार्य स्थितियों को प्रभावित करते हैं।
काम से निकालना: ड्राफ्ट बिल में यह अपेक्षित है कि एग्रीगेटर और गिग वर्कर के बीच कॉन्ट्रैक्ट में काम से निकालने (टर्मिनेशन) या डीएक्टिवेशन के कारणों की विस्तृत सूची होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त एग्रीगेटर को गिग वर्कर को काम से निकालने से पहले उसे लिखित में वैध कारण बताने होंगे, और 14 दिनों का नोटिस देना होगा।
शिकायत निवारण: राज्य सरकार शिकायत निवारण के लिए एक अधिकारी नियुक्त करेगी। गिग वर्कर्स अपने अधिकारों या भुगतानों से संबंधित किसी भी शिकायत के संबंध में इस अधिकारी के समक्ष याचिका दायर कर सकते हैं। ऐसी याचिकाओं के निपटान की प्रक्रिया निर्धारित की जाएगी। आदेश के 90 दिनों के भीतर अपीलीय अथॉरिटी (कल्याण बोर्ड के सदस्य-संयोजक) के समक्ष अपील दायर की जा सकती है।
गिग वर्कर्स कल्याण शुल्क: एग्रीगेटर से एक कल्याण शुल्क जमा किया जाएगा। यह प्रति लेनदेन गिग वर्कर के भुगतान की दर पर या एग्रीगेटर के वार्षिक राज्य विशिष्ट टर्नओवर पर आधारित होगा।
कर्नाटक गिग वर्कर सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण कोष: यह कोष रजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स की सहायता के लिए स्थापित किया जाएगा। इसका वित्तपोषण निम्नलिखित स्रोतों से किया जाएगा: (i) इस कानून के तहत एकत्रित कल्याण शुल्क, (ii) प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर के खुद के योगदान, (iii) केंद्र और राज्य सरकारों से प्राप्त अनुदान, (iv) अनुदान, उपहार, दान या हस्तांतरण, और (v) अन्य स्रोत।
विवाद निवारण तंत्र: 50 से अधिक प्लेटफॉर्म वर्कर्स वाले हरेक एग्रीगेटर को खास विवादों के समाधान के लिए एक आंतरिक विवाद निवारण समिति स्थापित करनी होगी। इस समिति को मध्यस्थता के विकल्पों के साथ 30 दिनों के भीतर शिकायतों का समाधान करना होगा। इसके अतिरिक्त प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स औद्योगिक विवाद एक्ट, 1947 के तहत विवाद निवारण की मांग कर सकते हैं।
कल्याण बोर्ड: ड्राफ्ट बिल में गिग वर्कर्स कल्याण बोर्ड की स्थापना का प्रावधान है, जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। यह बोर्ड एग्रीगेटर्स और गिग वर्कर्स के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया की निगरानी करेगा, योजनाओं का सुझाव देगा और उनका निरीक्षण करेगा। यह गिग वर्कर यूनियनों के साथ भी संवाद करेगा और उनके साथ नियमित परामर्श करेगा। बोर्ड में निम्नलिखित सदस्य होंगे: (i) राज्य के श्रम मंत्री, (ii) विभिन्न सरकारी विभागों के सचिव, (iii) एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी, (iv) गिग वर्कर्स के दो प्रतिनिधि, (v) एग्रीगेटर्स के दो प्रतिनिधि, और (iv) नागरिक समाज का एक प्रतिनिधि।
भाग ख: प्रमुख मुद्दे और विश्लेषण
गग वर्क की परिभाषा
ड्राफ्ट बिल में गिग वर्कर को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो कॉन्ट्रैक्चुअल, पीस रेट दर वाली कार्य व्यवस्था में संलग्न है। यह काम एक प्लेटफॉर्म के जरिए मिलता है और नियमों एवं शर्तों के आधार पर एक निश्चित दर पर भुगतान किया जाता है। इस परिभाषा के साथ विचार करने योग्य कुछ मुद्दे हैं, जिनकी चर्चा हम नीचे करेंगे।
गिग वर्क को परिभाषित करने की चुनौतियां
हाल के वर्षों में डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए उत्पाद और सेवाएं तेज़ी से प्राप्त की जा रही हैं। ऐसे प्लेटफॉर्म के जरिए काम ढूंढ़ना और उसे पूरा करना गिग वर्क कहलाता है।[11] ड्राफ्ट बिल गिग वर्क को परिभाषित करने के लिए इसी तरह की संरचना का उपयोग करता है। हालांकि गिग वर्क को परिभाषित और रेगुलेट करने की चुनौती यह है कि इसमें परंपरागत नियोक्ता-कर्मचारी की भूमिका, कॉन्ट्रैक्ट वर्क और फ्रीलांस वर्क के पहलू शामिल हैं और इनमें से सभी को अलग-अलग तरह से रेगुलेट किया जाता है (तालिका 2 देखें)। अंतररराष्ट्रीय श्रम संगठन (2021) ने कहा था कि तकनीक के कारण रोजगार और स्वरोजगार के बीच की रेखा धुंधली हो गई है।[12] यानी, कुछ मामलों में रोजगार और स्वरोजगार के बीच अंतर करना आसान नहीं है।
गिग वर्क के साथ, यह माना जा सकता है कि: (i) गिग वर्कर्स कर्मचारी नहीं होते, (ii) काम पर कंपनी का पूरा नियंत्रण नहीं हो सकता है, (iii) गिग वर्कर के काम में फ्लेक्सिबिलिटी हो सकती है, और (iv) इसमें शामिल पक्षों के बीच परस्पर दायित्व नहीं हो सकता है।[13] सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 गिग वर्कर को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करती है जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध से बाहर किसी व्यवस्था में काम करता है। ड्राफ्ट बिल में गिग वर्क की परिभाषा में इन वैचारिक विशेषताओं पर विचार नहीं किया गया है, और यह मुख्य रूप से काम प्राप्त करने के तरीके पर आधारित है। इस प्रकार इसके तहत कर्मचारी भी गिग वर्कर के रूप में वर्गीकृत किए जा सकते हैं।
तालिका 2: विभिन्न प्रकार के कार्यों के बीच तुलना[14],[15],[16],[17]
मानदंड |
नियोक्ता-कर्मचारी |
कॉन्ट्रैक्ट लेबर |
फ्रीलांस वर्क |
गिग वर्क |
रोजगार के लिए संलग्नता |
लिखित कॉन्ट्रैक्ट के तहत रोजगार, स्थायी आधार पर |
एक कॉन्ट्रैक्टर/एजेंसी के जरिए बातचीत की शर्तों पर नियुक्त |
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया, रेफरल के जरिए या प्रत्यक्ष तरीके से संलग्न |
एग्रीगेटर के साथ बातचीत की शर्तों पर, प्लेटफार्म के जरिए संलग्न |
वर्कर की फ्लेक्सिबिलिटी |
काम की लोकेशन, प्रॉजेक्ट और काम के घंटों को चुनने की फ्लेक्सिबिलिटी नहीं |
समय सीमा के संदर्भ में सीमित फ्लेक्सिबिलिटी, अपने काम के घंटों को चुन सकते हैं (अगर निर्धारित घंटों वाली भूमिका में नहीं हैं |
खुद का क्लाइंट बेस बनाने की फ्लेक्सिबिलिटी। अपने काम के घंटे, भुगतान और प्रॉजेक्ट्स को चुन सकते हैं |
अपने काम के घंटे, लोकेशन, प्रॉजेक्ट चुन सकते हैं। प्लेटफॉर्म कई तरह की सीमाएं निर्धारित कर सकता है जैसे प्रदर्शन की रेटिंग, कमीशन, दंड |
नियोक्ता द्वारा नियंत्रण |
रोजगार समझौते के अनुसार नियोक्ता द्वारा प्रत्यक्ष नियंत्रण |
नियोक्ता का सुपरवाइजरी नियंत्रण। कॉन्ट्रैक्टर का अंतिम नियंत्रण होता है |
क्लाइंट का न्यूनतम नियंत्रण
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नियंत्रण के तरीकों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रदर्शन की रेटिंग, (ii) मूल्य निर्धारण की प्रणाली, और (iii) काम के घंटों के दौरान लोकशन को ऑन रखना |
कर्मचारी/वर्कर की आय का मुख्य स्रोत
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नियोक्ता द्वारा पारिश्रमिक। कर्मचारी प्रतिद्वंद्वियों के साथ काम नहीं कर सकते |
पार्ट टाइम कॉन्ट्रैक्ट होने पर आय के विभिन्न स्रोत हो सकते हैं
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विभिन्न प्रॉजेक्ट्स से आय के विभिन्न स्रोत
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कई प्लेटफॉर्म के साथ काम करने पर आय के विभिन्न स्रोत हो सकते हैं
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स्रोत: कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, 1970; औद्योगिक विवाद एक्ट, 1947; आईएएआई बनाम इंटरनेशनल एयर कार्गो वर्कर्स यूनियन (2009); ए फ्रेमवर्क फॉर मॉडर्न इंप्लॉयमेंट, हाउस ऑफ कॉमन्स; गिग इकोनॉमी, हाउस ऑफ लॉर्ड्स; गिग इकोनॉमी, कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस; रेसियर ऑपरेशंन बीवी बनाम ई टीयू इंक (2024); फ्रीलांस प्लेटफॉर्म वर्क इन द रशियन फेडरेशन, आईएलओ; पीआरएस।
अक्सर कंपनियां गिग वर्कर्स पर कॉन्ट्रैक्चुअल दायित्व सौंपती हैं जोकि गिग वर्कर्स की इन विशिष्टताओं के विपरीत प्रतीत होते हैं। जैसे राइड-शेयरिंग ड्राइवरों को गिग वर्कर माना जाता है जिनके काम के घंटे और कार्यक्षेत्र में फ्लेक्सिबिलिटी होती है। हालांकि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि ओला (एक राइड-शेयरिंग प्लेटफर्म) का उपयोग करने वाले ड्राइवरों को कंपनी का कर्मचारी माना जाएगा।[18] न्यायालय ने कहा था कि कंपनी किराया, रूट और गिग वर्कर के उपयोग में आने वाले उपकरणों सहित सेवाओं के सभी पहलुओं को नियंत्रित करती है।18 कुछ अन्य देशों में अदालतों ने विशिष्ट मामले के विवरण और व्यवसाय के वास्तविक संचालन के तरीके पर विचार करके गिग वर्कर्स की स्थिति तय की है।
गिग वर्क को परिभाषित करने वाले अन्य क्षेत्राधिकारों के उदाहरण
यूके: यूके सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऊबर ड्राइवर्स को वर्कर्स के तौर पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए, न कि स्व नियोजित कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर। उसने इस बात का हवाला दिया था कि ऊबर अपनी सेवा पर कड़ा नियंत्रण रखता है।[19] इसके विपरीत सब्सीट्यूशन के असीमित अधिकार के कारण डिलिवरू (Deliveroo) के साथ काम करने वाले व्यक्तियों को वर्कर्स के तौर पर मान्यता नहीं दी गई है।[20] सब्सीट्यूशन का अधिकार रोजगार की स्थिति का मूल्यांकन करने का एक महत्वपूर्ण कारक है जो किसी भी व्यक्ति यह अधिकार देता है कि वह अपने काम को किसी दूसरे व्यक्ति को सौंप सकता है।[21]
कैलीफोर्निया, यूएस: 2020 में कैलीफोर्निया ने एबीसी टेस्ट की शुरुआत करने वाला एक कानून पेश किया था। यह टेस्ट इस बात का आकलन करता है कि क्या कोई वर्कर स्वतंत्र कॉन्ट्रैक्टर है।[22],[23] कानून के तहत, पारिश्रमिक के लिए श्रम प्रदान करने वाले सभी व्यक्तियों को कर्मचारी माना जाएगा, जब तक कि उन्हें काम पर रखने वाली एंटिटी यह प्रदर्शित न कर दे कि: (i) वर्कर कंपनी के नियंत्रण से स्वतंत्र रूप से काम करता है, (ii) उसके द्वारा किया जाने वाला काम, एंटिटी के सामान्य कारोबार से अलग है, और (iii) कर्मचारी उसी प्रकृति के स्वतंत्र व्यवसाय में संलग्न है।22
यूरोपीय संघ: दिसंबर 2023 में यूरोपीय संघ के देशों ने गिग वर्क को रेगुलेट करने के लिए एक बिल पर सहमति व्यक्त की। बिल के तहत, अगर नियोक्ता द्वारा निर्देश और नियंत्रण की शर्तें पूरी होती हें, तो किसी वर्कर और प्लेटफॉर्म कंपनी के बीच नियोक्ता-कर्मचारी का संबंध है। इसमें यह साबित करने का भार नियोक्ता पर डाला गया है कि विचाराधीन कॉन्ट्रैक्चुअल संबंध, रोजगार संबंध नहीं है।[24],[25]
ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलिया में श्रमिकों को कर्मचारी और स्वतंत्र कॉन्ट्रैक्टर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। हालांकि गिग वर्कर्स को शुरू में स्वतंत्र कॉन्ट्रैक्टर्स के रूप में वर्गीकृत किया गया था। लेकिन हाई कोर्ट के फैसलों ने गिग वर्कर्स को स्वतंत्र कॉन्ट्रैक्टर्स के तौर पर गलत तरीके से वर्गीकृत करने के जोखिम को उजागर किया। उसने कहा कि गिग वर्कर्स के वर्गीकरण में कॉन्ट्रैक्ट को प्राथमिकता दी जाएगी।[26]
बिल लाभों का प्रावधान तभी करता है, जब गिग वर्क प्लेटफॉर्म के जरिए हासिल किया जाता है
ड्राफ्ट बिल में यह स्पष्ट किया गया है कि गिग वर्कर को काम किसी प्लेटफॉर्म के जरिए ही प्राप्त होना चाहिए, और कुछ सेवाओं के लिए ही, जैसे कि राइड शेयरिंग, कंटेंट और मीडिया सेवाएं, या फूड डिलिवरी। इसलिए ड्राफ्ट बिल समान कार्य करने वाले व्यक्तियों के बीच अंतर करता है, और केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए काम प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को लाभ प्रदान करता है। प्रश्न यह है कि अगर काम और कार्य परिस्थितियां समान हैं, तो सामाजिक सुरक्षा लाभ केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए प्राप्त कार्य पर ही क्यों लागू होने चाहिए (तालिका 3 देखें)।
तालिका 3: समान कार्य करने वाले श्रमिकों के साथ अलग-अलग व्यवहार की संभावना
मामला |
एग्रीगेटर का नियंत्रण (प्लेटफॉर्म) |
फ्लेक्सिबिलिटी |
ऊबर ड्राइवर |
रूट्स और किराये पर नियंत्रण; कार्य समय के दौरान लोकेशन ऑन रखना आवश्यक है |
राइड के निर्दिष्ट संख्या से अधिक अनुरोधों को नामंजूर नहीं किया जा सकता |
टैक्सी ड्राइवर |
राज्य सरकार द्वारा किराया तय किया जाता है, सबसे छोटा रूट लेने की उम्मीद की जाती है |
ड्यूटी पर रहते हुए राइड से इनकार नहीं कर सकते |
स्रोत: “हाउ मच डू ड्राइवर्स मेक?”, ऊबर, आखिरी बार 24 दिसंबर, 2024 को एक्सेस किया गया; मोटर वाहन एक्ट, 1988; पीआरएस।
सामाजिक सुरक्षा लाभों का वित्त पोषण
ड्राफ्ट बिल के तहत एग्रीगेटर्स से कल्याण शुल्क जमा किया जाएगा जोकि गिग वर्कर्स के सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण कोष को वित्त पोषित करेगा। इस कोष में वर्कर्स और सरकर के योगदान भी प्राप्त होंगे। प्रश्न यह है कि श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा को वित्त पोषित करने की लागत किसे वहन करनी चाहिए।
अन्य देशों में सामाजिक सुरक्षा को विभिन्न मॉडल्स के जरिए वित्त पोषित किया जाता है, जिसमें राज्य, नियोक्ता और कर्मचारियों द्वारा अंशदान शामिल है (कुछ उदाहरणों के लिए तालिका 4 देखें)। भारत में कर्मचारी प्रॉविडेंट फंड एक ऐसा ही उदाहरण है, जिसमें नियोक्ता और कर्मचारी संयुक्त रूप से वेतन के एक निश्चित प्रतिशत पर प्रीमियम का योगदान करते हैं।[27] कुछ देशों ने गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ की व्यवस्था की है, चूंकि उन्हें कर्मचारी के तौर पर वर्गीकृत नहीं किया जाता और परंपरागत सामाजिक सुरक्षा मॉडल उन पर लागू नहीं होते।[28]
तालिका 4: सामाजिक सुरक्षा से संबंधित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मॉडल के बीच तुलना
देश |
सामाजिक सुरक्षा का वित्त पोषण |
गिग/प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए लाभ |
गिग वर्कर्स के लाभों का वित्त पोषण |
भारत |
नियोक्ता, वर्कर और सरकार के अंशदान27,[29] |
मातृत्व लाभ, दुर्घटना बीमा, वृद्धावस्था सुरक्षा, मिलनी चाहिए; लाभ योजनाएं सरकार द्वारा अधिसूचित की जाएंगी2 |
गिग वर्कर, एग्रीगेटर और सरकार के अंशदान |
युनाइटेड किंगडम |
नियोक्ता, वर्कर द्वारा राष्ट्रीय बीमा योगदान और कर राजस्व [30] |
रोजगार की स्थिति पर आधारित लाभ, स्व नियोजित वर्कर्स को मातृत्व लाभ, राज्य पेंशन जैसे कुछ लाभ मिल सकते हैं |
स्व नियोजित गिग वर्कर कुछ प्रकार के राष्ट्रीय बीमा अंशदान चुकाता है
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यूएसए |
नियोक्ता, वर्कर और स्व नियोजित द्वारा अंशदान, सामाजिक सुरक्षा ट्रस्ट फंड निवेश से मिलने वाली ब्याज आय[31] |
सामाजिक सुरक्षा (वृद्धावस्था और विकलांगता बीमा) और स्व नियोजित के लिए मेडिकेयर (अस्पताल बीमा) |
सेल्फ-इंप्लॉयमेंट कॉन्ट्रिब्यूशन एक्ट के तहत स्व नियोजित द्वारा अंशदान
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ऑस्ट्रेलिया |
आयु, बेरोजगारी के कारण स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ व्यक्तियों के कल्याण के लिए पब्लिक फंड; सेवानिवृत्ति के लिए नियोक्ता, वर्कर द्वारा अनिवार्य अंशदान |
अगर कर्मचारी सुपरएनुएशन कानून के तहत वर्कर्स की परिभाषा को पूरा करता है तो उसे सेवानिवृत्ति लाभ का हकदार माना जाएगा; स्व-नियोजित पेंशन और कुछ आय सहायता भुगतान के हकदार हैं |
अगर कर्मचारी अपेक्षित परिभाषा को पूरा करता है तो प्लेटफॉर्म को सेवानिवृत्ति भुगतान करना आवश्यक होगा
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स्वीडन |
नियोक्ता, वर्कर और सरकार के अंशदान
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स्व-नियोजित के रूप में लाभ प्राप्त कर सकते हैं (व्यावसायिक चोट बीमा और कुछ प्रकार की पेंशन शामिल हैं) |
स्व-नियोजित द्वारा सामाजिक सुरक्षा अंशदान |
सिंगापुर |
नियोक्ता और वर्कर द्वारा अंशदान, कुछ मामलों (जैसे निम्न पारिश्रमिक वाले वर्कर्स) में राज्य भी अंशदान देता है |
काम के दौरान चोट लगने पर मुआवजा, केंद्रीय प्रॉविडेंट फंड अंशदान |
सेंट्रल प्रॉविडेंट फंड में प्लेटफॉर्म और वर्कर का योगदान
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स्रोत: कर्मचारी प्रॉविडेंट फंड और विविध प्रावधान एक्ट, 1952 (भारत); सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (भारत); यूके में सामाजिक सुरक्षा अधिकार, यूरोपीय आयोग, 2011; इंप्लॉयमेंट स्टेटस, रिसर्च ब्रीफिंग, हाउस ऑफ कॉमन्स की लाइब्रेरी, 2024; ट्रस्ट्स फंड्स, लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस, 2024 (यूएसए); सेल्फ-इंप्लॉयमेंट टैक्स (सामाजिक सुरक्षा और मेडिकेयर टैक्स), यूएसए; ऑस्ट्रेलिया का सोशल सिक्योरिटी सिस्टम, सीनेट स्टैंडिंग कमिटी ऑन कम्युनिटी अफेयर्स, ऑस्ट्रेलियाई संसद, 2024; गिग वर्कर्स के लिए शर्ते और भुगतान संबंधी सूचना, विक्टोरिया सरकार (ऑस्ट्रेलिया); सोशल इंश्योरेंस कोड (2010:110), स्वीडन, 2010; थीमेटिक रिपोर्ट ऑन फाइनांसिंग सोशल प्रोटेक्शन: स्वीडन, यूरोपीय आयोग, 2019; प्लेटफॉर्म वर्कर्स एक्ट, 2024 (सिंगापुर); सेंट्रल प्रॉविडेंट फंड एक्ट, 1953 (सिंगापुर); पीआरएस।
कल्याण शुल्क और प्रदान की जाने वाली पात्रताओं के संबंध में स्पष्टता का अभाव
ड्राफ्ट बिल के तहत, एग्रीगेटर्स से कल्याण शुल्क जमा किया जाएगा। गिग वर्कर्स के सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण कोष को इस धनराशि से वित्त पोषित किया जाएगा। इस कोष में वर्कर्स और सरकार के योगदान भी शामिल होंगे।
नियमों में कल्याण संबंधी पात्रताओं को निर्दिष्ट करना अत्यधिक प्रत्यायोजन हो सकता है
ड्राफ्ट बिल के तहत नियमों द्वारा कई विवरणों को अधिसूचित किया जाएगा। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) कोष का उपयोग, (ii) गिग वर्कर्स औऱ एग्रीगेटर्स के योगदान का प्रतिशत, (iii) गिग वर्कर्स के लिए लाभ या कल्याणकारी अधिकार, और (iv) वे कारक जिन पर सामाजिक सुरक्षा भुगतान निर्भर करेगा। ड्राफ्ट बिल यह निर्दिष्ट नहीं करता कि इस शुल्क को किन मदों पर खर्च किया जाएगा। यह विधायिका द्वारा अत्यधिक प्रत्यायोजन हो सकता है।
सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 कई तरह के लाभों का प्रावधान करती है, जैसे गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को मातृत्व, बीमारी और विकलांगता लाभ, और वृद्धावस्था सुरक्षा।[32] यह एग्रीगेटर्स द्वारा किए गए न्यूनतम योगदान को भी निर्दिष्ट करती है।
टर्नओवर पर स्पष्टता का अभाव
ड्राफ्ट बिल के तहत एग्रीगेटर्स से अपेक्षित है कि वे हरेक लेनदेन पर गिग वर्कर के भुगतान के प्रतिशत के रूप में या राज्य में अपने वार्षिक टर्नओवर के प्रतिशत के रूप में कल्याण शुल्क का योगदान करेंगे। हालांकि ड्राफ्ट बिल में टर्नओवर को स्पष्ट नहीं किया गया है। ऐसे मामले भी हो सकते हैं, जब गिग वर्कर एग्रीगेटर के बिजनेस के सिर्फ एक हिस्से में संलग्न हो। यह स्पष्ट नही है कि कंपनी को उन्हें अपनी पूरी कंपनी के टर्नओवर के आधार पर भुगतान करना होगा या उस विशिष्ट हिस्से से संबंधित टर्नओवर के आधार पर भुगतान करना होगा, जिसमें गिग वर्कर शामिल है।
पहले भी, ऐसे शब्दों को स्पष्ट न करने के कारण कई मुद्दे उठे हैं। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 1999 के तहत दूरसंचार कंपनियों को दूरसंचार विभाग (डॉट) को राजस्व हिस्सेदारी के रूप में एक वार्षिक लाइसेंस शुल्क देना होता है। यह लाइसेंस शुल्क कंपनी के सकल राजस्व का 8% निर्धारित किया गया था। विभिन्न दूरसंचार कंपनियों और डॉट ने सर्वोच्च न्यायालय में एक मामला दायर कर लाइसेंस समझौतों में "सकल राजस्व" की परिभाषा की व्याख्या करने का अनुरोध किया। दूरसंचार कंपनियों ने तर्क दिया कि डॉट ने गैर कानूनी रूप से सकल राजस्व में उन आय स्रोतों को शामिल किया है जो लाइसेंस के तहत परिचालन से उत्पन्न नहीं होते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने डॉट की व्याख्या को बरकरार रखा और कंपनियों को बकाया राशि और जुर्माना चुकाने का निर्देश दिया।[33]
कई दूसरे कानूनों में ‘टर्नओवर’ शब्द की स्पष्ट परिभाषा दी गई है। उदाहरण के लिए कंपीटीशन एक्ट, 2002 में प्रावधान है कि टर्नओवर का मूल्य अंतर-समूह बिक्री, अप्रत्यक्ष कर, व्यापार छूट और भारत के बाहर के ग्राहकों से संपत्ति या व्यवसाय के माध्यम से उत्पन्न सभी राशियों को छोड़कर निर्धारित किया जाएगा।[34]
अपराध और दंड
आंतरिक विवाद अपराध की श्रेणी में आ सकते हैं
ड्राफ्ट बिल में प्रावधान है कि 50 से अधिक गिग वर्कर्स वाले प्रत्येक एग्रीगेटर को बिल की अनुसूची II में निर्दिष्ट विवादों को सुलझाने के लिए एक आंतरिक विवाद निवारण समिति का गठन करना होगा। इन विवादों का निवारण मध्यस्थता के माध्यम से किया जाएगा। विवादों में गिग वर्कर को एल्गोरिदम में बदलावों के बारे में सूचित न करना, अनुबंध में निर्दिष्ट न किए गए आधारों पर काम से निकालना और सरकार द्वारा निर्धारित व्यावसायिक और सुरक्षा मानकों का पालन न करना शामिल है। ये विवाद भी बिल के तहत अपराध माने जाएंगे। सर्वोच्च न्यायालय (2011) ने माना है कि अधिकारों और दायित्वों से संबंधित विवादों, जोकि क्रिमिनल अपराधों से उत्पन्न होते हैं, को मध्यस्थता के जरिए नहीं निपटाया जा सकता है।[35]
दंड का व्यापक दायरा
ड्राफ्ट बिल (या नियमों) के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करने पर जुर्माना 5,000 रुपए से एक लाख रुपए तक होगा। ड्राफ्ट बिल में इस बारे में कोई दिशानिर्देश नहीं दिया गया है कि किस प्रकार के उल्लंघन के लिए किस स्तर का जुर्माना लगाया जा सकता है। किसी मार्गदर्शक सिद्धांत या अपराधों के वर्गीकरण के अभाव में, जुर्माने की सीमा को व्यापक माना जा सकता है।
राज्य कानूनों की तुलना
इस तालिका में ड्राफ्ट कर्नाटक बिल, ड्राफ्ट झारखंड बिल और राजस्थान के कानून के बीच तुलना की गई है।
तालिका 5: गिग वर्कर्स से संबंधित राज्यवार कानूनों के बीच तुलना
विशेषता |
कर्नाटक (ड्राफ्ट बिल) |
झारखंड (ड्राफ्ट बिल) |
राजस्थान (कानून) |
गिग वर्कर की परिभाषा |
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए काम, नियम एवं शर्तों द्वारा पारिश्रमिक निर्धारित
|
काम की व्यवस्था परंपरागत नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए काम हासिल, कॉन्ट्रैक्चुअल, पीस-रेट |
झारखंड की तरह |
गिग वर्कर के अधिकार |
रजिस्ट्रेशन, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं और शिकायत निवारण तंत्र |
कर्नाटक की तरह |
रजिस्ट्रेशन, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, और शिकायत निवारण तंत्र, बोर्ड चर्चाओं में भागीदारी |
गिग वर्कर का रजिस्ट्रेशन |
कानून के लागू होने के 60 दिनों के भीतर वर्कर्स को एग्रीगेटर्स की तरफ से रजिस्टर किया जाना चाहिए |
कर्नाटक की तरह |
कर्नाटक की तरह |
एग्रीगेटर का रजिस्ट्रेशन |
एग्रीगेटर्स को कानून के लागू होने के 60 दिनों के भीतर बोर्ड के साथ रजिस्टर कराना होगा |
कर्नाटक की तरह |
कर्नाटक की तरह |
एल्गोरिदम में पारदर्शिता |
एग्रीगेटर्स को वर्कर्स को निम्नलिखित के बारे में जानकारी देनी चाहिए: (i) रेटिंग सिस्टम, (ii) वर्कर्स का वर्गीकरण, (iii) पर्सनल डेटा का इस्तेमाल और काम की स्थितियों को प्रभावित करने वाली एल्गोरिदम |
कर्नाटक की तरह |
ऑटोमेटेड मॉनिटिंग और निर्णय लेने की प्रणाली में पारदर्शिता का कोई प्रावधान नहीं |
काम से हटाना |
कॉन्ट्रैक्ट में कारण शामिल होना चाहिए तथा 14 दिन का पूर्व नोटिस भी दिया जाना चाहिए |
कर्नाटक की तरह |
सेवा समाप्ति के लिए कोई प्रावधान नहीं |
शिकायत निवारण |
पोर्टल या अधिकारी के माध्यम से शिकायत दर्ज की जा सकती है। अपील 90 दिनों के भीतर की जा सकती है |
कर्नाटक की तरह |
कर्नाटक की तरह |
कल्याण शुल्क |
प्रति लेनदेन वर्कर के पारिश्रमिक या एग्रीगेटर के टर्नओवर के आधार पर, तिमाही भुगतान |
लेनदेन मूल्य का प्रतिशत, जैसा कि राज्य सरकार ने निर्दिष्ट किया हो |
झारखंड की तरह |
वित्त पोषण के स्रोत |
(i) कल्याण शुल्क, (ii) प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स का अंशदान, (iii) केंद्र और राज्य सरकार दोनों से सहायतानुदान, (iv) अनुदान, वसीयत या हस्तांतरण |
कर्नाटक की तरह |
(i) कल्याण शुल्क, (ii) राज्य सरकार से अनुदान सहायता, (iii) कोई अन्य स्रोत
|
कोष का उपयोग |
राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट |
राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट |
राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट |
स्रोत: ड्राफ्ट कर्नाटक प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर (सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) बिल, 2024; ड्राफ्ट झारखंड प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर (रजिस्ट्रेशन और कल्याण) बिल, 2024; राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर (रजिस्ट्रेशन और कल्याण) एक्ट, 2023; पीआरएस।
[1]. India’s Booming Gig and Platform Economy, NITI Aayog, June 2022, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2022-06/25th_June_Final_Report_27062022.pdf.
[2]. The Code on Social Security, 2020, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2020/Code%20On%20Social%20Security,%202020.pdf.
[3]. Rajasthan Platform Based Gig Workers (Registration and Welfare) Act, 2023, https://prsindia.org/files/Bills_acts/acts_states/rajasthan/2023/Act29of2023Rajasthan.pdf.
[4]. Jharkhand Platform Based Gig Workers (Registration and Welfare) Act, 2024, https://egazette.jharkhand.gov.in/Notification.aspx.
[5] Draft Karnataka Platform Based Gig Workers (Social Security and Welfare) Bill, 2024, Labour Department, Government of Karnataka, June 29, 2024, https://ksuwssb.karnataka.gov.in/storage/pdf-files/draftnotification.pdf.
[6]. Karnataka State Unorganised Workers Social Security Board, Government of Karnataka, https://ksuwssb.karnataka.gov.in/english.
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[10]. Details of Budget released under schemes implemented by Karnataka State Unorganised Workers Social Security Board, Labour Department, Government of Karnataka, https://ksuwssb.karnataka.gov.in/storage/pdf-files/Progress%20and%20Budget/BdgEng23rdJan24AA.pdf.
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[21]. Employment Status Manual, UK Government, November 2, 2023, https://www.gov.uk/hmrc-internal-manuals/employment-status-manual/esm0535.
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[23]. ABC Test, Labor and Workforce Department Agency, State of California, https://www.labor.ca.gov/employmentstatus/abctest/
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