
ड्राफ्ट तेलंगाना गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स (रजिस्ट्रेशन, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) बिल, 2025 |
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मुख्य विशेषताएं
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प्रमुख मुद्दे और विश्लेषण
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15 अप्रैल, 2025 को तेलंगाना सरकार के श्रम विभाग ने ड्राफ्ट बिल को सर्कुलेट किया था। इसका उद्देश्य गिग और प्लेटफॉर्म वर्क को रेगुलेट करना और ऐसे गिग वर्कर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। |
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भाग क: ड्राफ्ट बिल की मुख्य विशेषताएं
संदर्भ
हाल के वर्षों में प्लेटफॉर्म और गिग इकॉनमी में तेज़ी से वृद्धि देखी गई है, क्योंकि डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपनाया जा रहा है। ये प्लेटफॉर्म ऑन-डिमांड सेवा वितरण की सुविधा प्रदान करते हैं। गिग वर्कर मुख्य रूप से ऐसे लोग होते हैं जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के आधार पर काम नहीं करते।[1] नीति आयोग ने अनुमान लगाया था कि 2020-21 में भारत में गिग इकॉनमी में 77 लाख वर्कर्स काम कर रहे थे।1 2029-30 तक इसके बढ़कर 2.35 करोड़ होने की उम्मीद है।1 जनवरी 2022 तक तेलंगाना में ई-श्रम (E-shram) पोर्टल पर 10,536 गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर पंजीकृत थे।[2] 2021 में ई-श्रम पोर्टल लॉन्च किया गया था ताकि सामाजिक सुरक्षा संबंधी लाभ प्रदान करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के असंगठित श्रमिकों (गिग वर्कर्स सहित) का डेटाबेस बनाया जा सके।
2020 में संसद ने सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 पारित की थी जो गिग और प्लेटफॉर्म वर्क को रेगुलेट करती है।[3] संहिता के अनुसार, गिग वर्कर पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध से बाहर के वर्कर होते हैं। प्लेटफॉर्म वर्कर भी पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर के वर्कर होते हैं जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए काम को एक्सेस करते हैं। संहिता में गिग, प्लेटफॉर्म वर्कर्स और असंगठित श्रमिकों हेतु सामाजिक कल्याण योजनाओं का सुझाव देने और निगरानी करने के लिए एक राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के गठन का प्रावधान है। केंद्र सरकार ने 2025-26 के बजट में पीएम जन आरोग्य योजना के तहत गिग वर्कर्स के लिए स्वास्थ्य सेवा कवरेज और ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण की घोषणा की।[4] 2019 में केंद्र सरकार ने पीएम श्रम योगी मान-धन योजना शुरू की जो गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स सहित असंगठित श्रमिकों के लिए एक वृद्धावस्था पेंशन योजना है।[5]
कुछ राज्यों ने गिग और प्लेटफॉर्म वर्क को रेगुलेट करने के लिए कानून पेश किए हैं या पेश करने की योजना बना रहे हैं। 2023 में राजस्थान ने राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (रजिस्ट्रेशन एवं कल्याण) एक्ट, 2023 पारित किया।[6] कर्नाटक और झारखंड ने गिग वर्क को रेगुलेट करने के लिए ड्राफ्ट बिल सर्कुलेट किए हैं।[7],[8] ये बिल गिग वर्कर्स और एग्रीगेटर्स के रजिस्ट्रेशन और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए कल्याण बोर्ड और कोष की स्थापना का प्रावधान करते हैं। तेलंगाना के श्रम विभाग ने भी 15 अप्रैल, 2025 को सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए एक ड्राफ्ट बिल सर्कुलेट किया।
ड्राफ्ट बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
गिग वर्कर: गिग वर्कर वह व्यक्ति होता है जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध से इतर किसी कार्य व्यवस्था में काम करता है। इसमें पीस-रेट वर्क शामिल है। कॉन्ट्रैक्ट में नियमों और शर्तों के आधार पर काम के परिणामस्वरूप भुगतान किया जाता है। प्लेटफॉर्म वर्कर एक ऐसा व्यक्ति होता है जो ऑनलाइन सिस्टम के जरिए काम करता है।
एग्रीगेटर: एग्रीगेटर एक डिजिटल इंटरमीडियरी या मार्केटप्लेस है जो किसी सेवा को खरीदने वाले या यूज़र को सेवा बेचने वाले या प्रोवाइडर से जोड़ता है। इसमें कई एग्रीगेटर्स के बीच समन्वय करने वाली संस्थाएं भी शामिल हैं। ड्राफ्ट बिल के तहत आने वाली सेवाओं में राइड शेयरिंग, फूड डिलिवरी, लॉजिस्टिक्स, प्रोफेशनल सर्विस प्रोवाइडर्स, स्वास्थ्य सेवा, यात्रा और हॉस्पिटैलिटी शामिल हैं। सरकार इस सूची में बदलावों को अधिसूचित कर सकती है।
गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स कल्याण बोर्ड: राज्य सरकार गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स कल्याण बोर्ड का गठन करेगी। बोर्ड के अध्यक्ष श्रम मंत्री होंगे और सचिव सीईओ होंगे। बोर्ड के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) श्रमिकों और एग्रीगेटर्स का रजिस्ट्रेशन, (ii) कल्याण कोष के शुल्क संग्रह की निगरानी, (iii) सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लागू करना और उनकी देखरेख करना, (iv) सामाजिक सुरक्षा लाभों को एक्सेस करने में श्रमिकों की सहायता करना, और (v) एग्रीगेटर्स से श्रमिकों का डेटा प्राप्त करना।
सामाजिक सुरक्षा और कल्याण कोष: राज्य सरकार गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए एक सामाजिक सुरक्षा और कल्याण कोष स्थापित करेगी। सरकार एग्रीगेटर्स और प्लेटफॉर्म्स से गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स कल्याण कोष शुल्क वसूलेगी। इसकी गणना प्रत्येक लेनदेन में गिग वर्कर्स को किए जाने वाले भुगतान के 1% से 2% के रूप में की जाएगी। इस कोष को निम्नलिखित स्रोतों से वित्तपोषित किया जाएगा: (i) कल्याण कोष शुल्क, (ii) विशिष्ट योजनाओं के लिए श्रमिक द्वारा दिया गया योगदान, और (iii) केंद्र और राज्य सरकार से अनुदान। राज्य सरकार प्लेटफॉर्म द्वारा गिग वर्कर्स को किए गए सभी भुगतानों को ट्रैक करने के लिए कल्याण कोष शुल्क वैरिफिकेशन सिस्टम भी स्थापित और संचालित करेगी। सरकार द्वारा एकत्र और खर्च किए गए कल्याण कोष शुल्क का विवरण प्रकट किया जाएगा और सिस्टम पर उपलब्ध कराया जाएगा। कल्याण बोर्ड इस सिस्टम की निगरानी करेगा।
प्लेटफॉर्म और गिग वर्कर्स के अधिकार: गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को किसी भी प्लेटफॉर्म से जुड़ने पर राज्य सरकार के साथ रजिस्टर कराने का अधिकार होगा, भले ही उनके काम की अवधि कितनी भी हो। रजिस्ट्रेशन के बाद उन्हें सभी प्लेटफॉर्म पर मान्य एक यूनीक आईडी दी जाएगी। गिग वर्कर्स को शिकायत निवारण तंत्र और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुंच का अधिकार होगा।
एग्रीगेटर्स की जिम्मेदारियां: एग्रीगेटर्स को बोर्ड में रजिस्टर करना होगा और बोर्ड को अपने सभी रजिस्टर्ड गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स का डेटाबेस उपलब्ध कराना होगा। एग्रीगेटर्स को बोर्ड पर तिमाही आधार पर वर्कर्स डेटा भी अपडेट करना होगा। ड्राफ्ट बिल में यह भी कहा गया है कि एग्रीगेटर्स को अपने प्लेटफॉर्म पर वर्कर्स की पूछताछ के लिए एक निर्दिष्ट प्वाइंट ऑफ कॉन्टैक्ट भी स्थापित करना होगा।
आय सुरक्षा और कार्य की स्थितियां: एग्रीगेटर्स को कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार बिना देरी किए अनिवार्य रूप से भुगतान करने होंगे और भुगतान में किसी भी तरह की कटौती के बारे में वर्कर्स को सूचना देनी होगी। एग्रीगेटर्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि कार्य वातावरण सुरक्षित हो और व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य मानकों का पालन किया जाए।
कार्य की समाप्ति: एग्रीगेटर किसी कर्मचारी को उचित जांच के साथ प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करने के बाद ही नौकरी से निकाल सकता है। नौकरी से निकालने के लिए लिखित में वैध कारण और सात दिन का नोटिस भी देना होगा। कार्य की तत्काल समाप्ति की अनुमति केवल तभी दी जाती है, जब अंतिम उपभोक्ता को कोई शारीरिक या मानसिक खतरा होने का अंदेशा हो।
शिकायत निवारण: कम से कम 100 कर्मचारियों वाले एग्रीगेटर्स को एग्रीगेटर्स और प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ विवाद निवारण के लिए एक आंतरिक विवाद समाधान समिति स्थापित करनी होगी। सरकार एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करेगी, जिसे 30 दिनों के भीतर जांच करके आदेश जारी करना होगा। एक अपीलीय प्राधिकरण भी नियुक्त किया जाएगा जो शिकायत निवारण अधिकारी के खिलाफ़ अपील करने की अनुमति देगा।
अपराध और दंड: अगर एग्रीगेटर/प्राइमरी इंप्लॉयर कल्याण कोष शुल्क का भुगतान नहीं करता तो एक वर्ष तक का कारावास या दो लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त बिल के तहत आवश्यक कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत न करने पर 50,000 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
भाग ख: प्रमुख मुद्दे और विश्लेषण
गिग वर्कर की परिभाषा
गिग वर्कर की परिभाषा में कई तरह के वर्कर्स आ सकते हैं
ड्राफ्ट बिल के तहत गिग वर्कर ऐसा व्यक्ति होता है: (i) जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर काम करता है, (ii) जो कॉन्ट्रैक्ट में निर्दिष्ट नियम और शर्तों के आधार पर काम करता है, और (iii) जिसे आउटपुट के अनुसार भुगतान किया जाता है। प्लेटफॉर्म वर्कर ऐसा व्यक्ति होता है जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए काम करता है। ड्राफ्ट बिल बोर्ड में रजिस्टर हर गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर पर लागू होगा। जबकि प्लेटफॉर्म वर्कर की परिभाषा इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के जरिए काम हासिल करने तक सीमित है, गिग वर्कर की परिभाषा बहुत व्यापक है। गिग वर्कर में कई तरह के व्यक्ति शामिल हो सकते हैं जो गिग वर्क समझे जाने वाले काम न कर रहे हों (निम्नलिखित खंड देखें)। जैसे इसमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: किसी संगठन के जरिए कॉन्ट्रैक्ट पर काम पर रखा गया ग्राफिक डिजाइनर, जिसे किसी प्रॉजेक्ट के लिए भुगतान किया जाता है, किसी इवेंट के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया कोई कलाकार, मेडिकल एग्रीगेटर का इस्तेमाल करके सलाह प्रदान करने वाला कोई डॉक्टर। इस प्रकार ऐसे वर्कर्स को काम पर रखने वाले सभी व्यक्तियों को कल्याण शुल्क का भुगतान करना होगा और गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में सभी ऐसे लोग आएंगे।
गिग वर्कर्स को परिभाषित करने की चुनौतियां
हाल के वर्षों में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के बढ़ने से इस बात में बदलाव आया कि उत्पादों और सेवाओं को कैसे एक्सेस और डिलिवर किया जाता है। इस तरह गिग आधारित रोजगार का विस्तार हुआ है। ऐसे प्लेटफॉर्म्स के जरिए नौकरियों को तलाशने और काम करने को गिग वर्क कहा जाता है।[9] हालांकि गिग वर्क को परिभाषित और रेगुलेट करने की चुनौती यह है कि इसमें परंपरागत नियोक्ता-कर्मचारी की भूमिका, कॉन्ट्रैक्ट वर्क और फ्रीलांस वर्क के पहलू शामिल हैं और इनमें से सभी को अलग-अलग तरह से रेगुलेट किया जाता है (तालिका 1 देखें)। अंतररराष्ट्रीय श्रम संगठन (2021) ने कहा था कि तकनीक के कारण रोजगार और स्वरोजगार के बीच की रेखा धुंधली हो गई है।[10]
गिग वर्क को परंपरागत रोजगार मॉडल से अलग करने वाली कुछ विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गिग वर्कर के काम में फ्लेक्सिबिलिटी हो सकती है, (ii) काम पर नियोक्ता का पूरा नियंत्रण नहीं हो सकता है, और (iii) इसमें शामिल पक्षों के बीच परस्पर दायित्व नहीं हो सकता है।[11] ड्राफ्ट बिल में गिग वर्क की परिभाषा में इन सभी वैचारिक विशेषताओं को स्पष्ट रूप से शामिल नहीं किया गया है। इससे यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि गिग वर्कर कौन है।
ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जब कंपनियों ने गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स पर कॉन्ट्रैक्ट के तहत वैसे ही दायित्व तय किए हैं, जैसे परंपरागत कर्मचारियों के लिए तय किए जाते हैं। उदाहरण के लिए यूके सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऊबर (एक राइड शेयरिंग कंपनी) ट्रैवल रूट्स और किराए पर काफी नियंत्रण रखती है।[12] अगर कोई ड्राइवर निर्दिष्ट संख्या में राइड स्वीकार नहीं करता है, तो यह उसके एकाउंट को डीएक्टिवेट कर देती है। नतीजतन, कोर्ट ने फैसला सुनाया कि ऊबर ड्राइवर वर्कर हैं, न कि स्व-नियोजित कॉन्ट्रैक्टर।12 इसी तरह सितंबर 2024 में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा था कि ओला (एक राइड शेयरिंग कंपनी) का उपयोग करने वाले ड्राइवरों को कंपनी का कर्मचारी माना जाएगा।[13] न्यायालय ने कहा था कि कंपनी किराया, रूट और गिग वर्कर के उपयोग में आने वाले उपकरणों सहित सेवाओं के सभी पहलुओं को नियंत्रित करती है।13
तालिका 1: विभिन्न प्रकार के कार्यों के बीच तुलना[14],[15],[16],[17]
मानदंड |
नियोक्ता-कर्मचारी |
कॉन्ट्रैक्ट लेबर |
फ्रीलांस वर्क |
गिग वर्क |
रोजगार के लिए संलग्नता |
लिखित कॉन्ट्रैक्ट के तहत रोजगार, स्थायी आधार पर |
एक कॉन्ट्रैक्टर/एजेंसी के जरिए बातचीत की शर्तों पर नियुक्त |
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया, रेफरल के जरिए या प्रत्यक्ष तरीके से संलग्न |
एग्रीगेटर के साथ बातचीत की शर्तों पर, प्लेटफार्म के जरिए संलग्न |
वर्कर की फ्लेक्सिबिलिटी |
काम की लोकेशन, प्रॉजेक्ट और काम के घंटों को चुनने की फ्लेक्सिबिलिटी नहीं |
समय सीमा के संदर्भ में सीमित फ्लेक्सिबिलिटी, अपने काम के घंटों को चुन सकते हैं (अगर निर्धारित घंटों वाली भूमिका में नहीं हैं) |
खुद का क्लाइंट बेस बनाने की फ्लेक्सिबिलिटी। अपने काम के घंटे, भुगतान और प्रॉजेक्ट्स को चुन सकते हैं |
अपने काम के घंटे, लोकेशन, प्रॉजेक्ट चुन सकते हैं। प्लेटफॉर्म कई तरह की सीमाएं निर्धारित कर सकता है जैसे प्रदर्शन की रेटिंग, कमीशन, दंड |
नियोक्ता द्वारा नियंत्रण |
रोजगार समझौते के अनुसार नियोक्ता द्वारा प्रत्यक्ष नियंत्रण |
नियोक्ता का सुपरवाइजरी नियंत्रण। कॉन्ट्रैक्टर का अंतिम नियंत्रण होता है |
क्लाइंट का न्यूनतम नियंत्रण
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नियंत्रण के तरीकों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रदर्शन की रेटिंग, (ii) मूल्य निर्धारण की प्रणाली, और (iii) काम के घंटों के दौरान लोकशन को ऑन रखना |
कर्मचारी/वर्कर की आय का मुख्य स्रोत
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नियोक्ता द्वारा पारिश्रमिक। कर्मचारी प्रतिद्वंद्वियों के साथ काम नहीं कर सकते |
पार्ट टाइम कॉन्ट्रैक्ट होने पर आय के विभिन्न स्रोत हो सकते हैं
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विभिन्न प्रॉजेक्ट्स से आय के विभिन्न स्रोत
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कई प्लेटफॉर्म के साथ काम करने पर आय के विभिन्न स्रोत हो सकते हैं
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स्रोत: कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, 1970; औद्योगिक विवाद एक्ट, 1947; आईएएआई बनाम इंटरनेशनल एयर कार्गो वर्कर्स यूनियन (2009); ए फ्रेमवर्क फॉर मॉडर्न इंप्लॉयमेंट, हाउस ऑफ कॉमन्स; गिग इकोनॉमी, हाउस ऑफ लॉर्ड्स; गिग इकोनॉमी, कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस; रेसियर ऑपरेशंन बीवी बनाम ई टीयू इंक (2024); फ्रीलांस प्लेटफॉर्म वर्क इन द रशियन फेडरेशन, आईएलओ; पीआरएस।
कुछ देशों में अदालतों ने हर मामले के विशिष्ट तथ्यों और बिजनेस के वास्तविक कामकाज की बारीकी से जांच करके गिग वर्कर्स की स्थिति का आकलन किया। गिग वर्क को परिभाषित करने वाले अन्य क्षेत्राधिकारों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
यूके: यूके सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऊबर ड्राइवर्स को वर्कर्स के तौर पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए, न कि स्व नियोजित कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर। उसने इस बात का हवाला दिया था कि ऊबर अपनी सेवा पर कड़ा नियंत्रण रखता है।12 इसके विपरीत सब्सीट्यूशन के असीमित अधिकार के कारण डिलिवरू (Deliveroo) के साथ काम करने वाले व्यक्तियों को वर्कर्स के तौर पर मान्यता नहीं दी गई है।[18] सब्सीट्यूशन का अधिकार रोजगार की स्थिति का मूल्यांकन करने का एक महत्वपूर्ण कारक है जो किसी भी व्यक्ति यह अधिकार देता है कि वह अपने काम को किसी दूसरे व्यक्ति को सौंप सकता है।[19]
कैलीफोर्निया, यूएस: 2020 में कैलीफोर्निया ने एबीसी टेस्ट की शुरुआत करने वाला एक कानून पेश किया। यह टेस्ट इस बात का आकलन करता है कि क्या कोई वर्कर स्वतंत्र कॉन्ट्रैक्टर है।[20],[21] कानून के तहत, पारिश्रमिक के लिए श्रम प्रदान करने वाले सभी व्यक्तियों को कर्मचारी माना जाएगा, जब तक कि उन्हें काम पर रखने वाली एंटिटी यह प्रदर्शित न कर दे कि: (i) वर्कर कंपनी के नियंत्रण से स्वतंत्र रूप से काम करता है, (ii) उसके द्वारा किया जाने वाला काम, एंटिटी के सामान्य कारोबार से अलग है, और (iii) कर्मचारी उसी प्रकृति के स्वतंत्र व्यवसाय में संलग्न है।20
यूरोपीय संघ: दिसंबर 2023 में यूरोपीय संघ के देशों ने गिग वर्क को रेगुलेट करने के लिए एक बिल पर सहमति व्यक्त की। बिल के तहत, अगर नियोक्ता द्वारा निर्देश और नियंत्रण की शर्तें पूरी होती हें, तो किसी वर्कर और प्लेटफॉर्म कंपनी के बीच नियोक्ता-कर्मचारी का संबंध है। इसमें यह साबित करने का भार नियोक्ता पर डाला गया है कि विचाराधीन कॉन्ट्रैक्चुअल संबंध, रोजगार संबंध नहीं है।[22],[23]
ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलिया में श्रमिकों को कर्मचारी और स्वतंत्र कॉन्ट्रैक्टर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। हालांकि गिग वर्कर्स को शुरू में स्वतंत्र कॉन्ट्रैक्टर्स के रूप में वर्गीकृत किया गया था, लेकिन हाल ही में हाई कोर्ट के फैसलों ने संभावित गलत वर्गीकरण पर चिंता जताई है। उसने इस बात पर जोर दिया कि कॉन्ट्रैक्ट की शर्तें किसी कर्मचारी के वर्गीकरण को निर्धारित करने का प्राथमिक आधार होंगी।[24]
सामाजिक सुरक्षा लाभों का वित्त पोषण
ड्राफ्ट बिल में एग्रीगेटर्स और प्लेटफॉर्म द्वारा भुगतान किए जाने वाले कल्याण कोष शुल्क का प्रावधान है। यह कल्याण कोष में जाएगा। इस कोष में वर्कर्स और सरकार से भी अंशदान प्राप्त होगा। सवाल यह है कि गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा के वित्तपोषण की लागत को किसे वहन करना चाहिए।
अन्य देशों में सामाजिक सुरक्षा को विभिन्न मॉडल के जरिए वित्त पोषित किया जाता है, जिसमें राज्य, नियोक्ता और कर्मचारियों द्वारा अंशदान शामिल है (देखें तालिका 2)। भारत में कर्मचारी प्रॉविडेंट फंड के तहत, नियोक्ता और कर्मचारी वेतन के एक निश्चित प्रतिशत का योगदान देते हैं, जबकि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्त पोषित है।[25] कुछ देशों ने गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ की व्यवस्था की है, चूंकि उन्हें कर्मचारी के तौर पर वर्गीकृत नहीं किया जाता और परंपरागत सामाजिक सुरक्षा मॉडल उन पर लागू नहीं होते।[26]
तालिका 2: सामाजिक सुरक्षा से संबंधित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मॉडल के बीच तुलना
देश |
सामाजिक सुरक्षा का वित्त पोषण |
गिग/प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए लाभ |
गिग वर्कर्स के लाभों का वित्त पोषण |
भारत |
नियोक्ता, वर्कर और सरकार के अंशदान25,[27] |
मातृत्व लाभ, दुर्घटना बीमा, वृद्धावस्था सुरक्षा, मिलनी चाहिए; लाभ योजनाएं सरकार द्वारा अधिसूचित की जाएंगी3 |
गिग वर्कर, एग्रीगेटर और सरकार के अंशदान |
युनाइटेड किंगडम |
नियोक्ता, वर्कर द्वारा राष्ट्रीय बीमा योगदान और कर राजस्व[28] |
रोजगार की स्थिति पर आधारित लाभ, स्व नियोजित वर्कर्स को मातृत्व लाभ, राज्य पेंशन जैसे कुछ लाभ मिल सकते हैं |
स्व नियोजित गिग वर्कर कुछ प्रकार के राष्ट्रीय बीमा अंशदान चुकाता है
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यूएसए |
नियोक्ता, वर्कर और स्व नियोजित द्वारा अंशदान, सामाजिक सुरक्षा ट्रस्ट फंड निवेश से मिलने वाली ब्याज आय[29] |
सामाजिक सुरक्षा (वृद्धावस्था और विकलांगता बीमा) और स्व नियोजित के लिए मेडिकेयर (अस्पताल बीमा) |
सेल्फ-इंप्लॉयमेंट कॉन्ट्रिब्यूशन एक्ट के तहत स्व नियोजित द्वारा अंशदान
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ऑस्ट्रेलिया |
आयु, बेरोजगारी के कारण स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ व्यक्तियों के कल्याण के लिए पब्लिक फंड; सेवानिवृत्ति के लिए नियोक्ता, वर्कर द्वारा अनिवार्य अंशदान |
अगर कर्मचारी सुपरएनुएशन कानून के तहत वर्कर्स की परिभाषा को पूरा करता है तो उसे सेवानिवृत्ति लाभ का हकदार माना जाएगा
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अगर कर्मचारी अपेक्षित परिभाषा को पूरा करता है तो प्लेटफॉर्म को सेवानिवृत्ति भुगतान करना आवश्यक होगा |
सिंगापुर |
नियोक्ता और वर्कर द्वारा अंशदान, कुछ मामलों (जैसे निम्न पारिश्रमिक वाले वर्कर्स) में राज्य भी अंशदान देता है |
काम के दौरान चोट लगने पर मुआवजा, केंद्रीय प्रॉविडेंट फंड अंशदान
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सेंट्रल प्रॉविडेंट फंड में प्लेटफॉर्म और वर्कर का योगदान
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स्रोत: कर्मचारी प्रॉविडेंट फंड और विविध प्रावधान एक्ट, 1952 (भारत); सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (भारत); यूके में सामाजिक सुरक्षा अधिकार, यूरोपीय आयोग, 2011; इंप्लॉयमेंट स्टेटस, रिसर्च ब्रीफिंग, हाउस ऑफ कॉमन्स की लाइब्रेरी, 2024; ट्रस्ट्स फंड्स, लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस, 2024 (यूएसए); सेल्फ-इंप्लॉयमेंट टैक्स (सामाजिक सुरक्षा और मेडिकेयर टैक्स), यूएसए; ऑस्ट्रेलिया का सोशल सिक्योरिटी सिस्टम, सीनेट स्टैंडिंग कमिटी ऑन कम्युनिटी अफेयर्स, ऑस्ट्रेलियाई संसद, 2024; गिग वर्कर्स के लिए शर्ते और भुगतान संबंधी सूचना, विक्टोरिया सरकार (ऑस्ट्रेलिया); सोशल इंश्योरेंस कोड (2010:110), स्वीडन, 2010; थीमेटिक रिपोर्ट ऑन फाइनांसिंग सोशल प्रोटेक्शन: स्वीडन, यूरोपीय आयोग, 2019; प्लेटफॉर्म वर्कर्स एक्ट, 2024 (सिंगापुर); सेंट्रल प्रॉविडेंट फंड एक्ट, 1953 (सिंगापुर); पीआरएस।
कल्याण कोष शुल्क का उपयोग
ड्राफ्ट बिल के तहत, एग्रीगेटर और प्लेटफॉर्म से एक कल्याण कोष शुल्क जमा किया जाएगा। यह प्रत्येक लेनदेन में गिग वर्कर को दिए जाने वाले भुगतान का एक से दो प्रतिशत होगा। इस शुल्क का भुगतान न करने पर देय राशि पर ब्याज लगेगा। इसके लिए एक वर्ष तक की कैद या दो लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
ड्राफ्ट बिल में सुझाव दिया गया है कि राज्य सरकार गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को अधिसूचित करेगी। हालांकि यह गिग वर्कर्स के लिए उपलब्ध विभिन्न कल्याणकारी अधिकारों और उन कारकों को निर्दिष्ट नहीं करता है जिन पर सामाजिक सुरक्षा भुगतान निर्भर करेगा। सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को मातृत्व अवकाश, बीमारी और विकलांगता सहायता और वृद्धावस्था सुरक्षा जैसे लाभ प्राप्त करने के प्रावधान प्रदान करती है।[30]
कल्याण कोष शुल्क का भुगतान न करना, क्रिमिनल अपराध माना जाएगा
ड्राफ्ट बिल के अनुसार, अगर एग्रीगेटर/प्राथमिक नियोक्ता कल्याण कोष शुल्क का भुगतान नहीं करता तो उसे अतिरिक्त ब्याज राशि का भुगतान करना होगा। कल्याण कोष शुल्क का भुगतान न करने पर एक वर्ष तक की कैद या दो लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। सवाल यह है कि क्या भुगतान न करने को क्रिमिनल अपराध माना जाना चाहिए या सिविल अपराध।
अन्य विभिन्न कानूनों में ऐसी त्रुटियों को सिविल अपराध मानकर दंडित किया जाता है। कई राज्यों ने श्रमिक कल्याण कोष बनाए हैं, जोकि श्रमिकों के लाभों के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रबंधित सांविधिक कोष हैं।[31] इन्हें कर्मचारियों और नियोक्ताओं के अंशदान से वित्त पोषित किया जाता है। इन श्रम कल्याण कोष कानूनों के तहत अगर कोई नियोक्ता जरूरी अंशदान चुकाने में असफल होता है तो उन्हें अतिरिक्त ब्याज राशि का भुगतान करना होगा।31 इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत स्रोत पर कर कटौती न होने पर उस कर राशि के बराबर जुर्माना लगेगा, जिसे उस व्यक्ति ने नहीं चुकाया है।[32] केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार, अनुपालन न करने के मामूली मामलों को अपराध घोषित करने से कारोबार पर बोझ बढ़ता है।[33] संसद ने जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) एक्ट, 2023 भी पारित किया है ताकि 42 कानूनों में कुछ अपराधों को अपराध मुक्त करके व्यापार सुगमता को बढ़ाया जा सके।
राज्य कानूनों के बीच तुलना
इस तालिका में ड्राफ्ट तेलंगाना बिल की तुलना अन्य राज्यों के ऐसे ही बिल्स के साथ की गई है।
तालिका 3: अन्य राज्यों में गिग वर्कर्स से संबंधित कानूनों के बीच तुलना
विशेषता |
तेलंगाना (ड्राफ्ट बिल) |
कर्नाटक (ड्राफ्ट बिल) |
झारखंड (ड्राफ्ट बिल) |
राजस्थान (कानून) |
गिग वर्कर की परिभाषा |
काम की व्यवस्था परंपरागत नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर
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ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए काम, नियम एवं शर्तों द्वारा पारिश्रमिक निर्धारित |
काम की व्यवस्था परंपरागत नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए काम हासिल, कॉन्ट्रैक्चुअल, पीस-रेट |
झारखंड की तरह |
प्लेटफॉर्म वर्कर की परिभाषा |
व्यक्ति ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए काम हासिल करता है |
गिग वर्कर और प्लेटफॉर्म वर्कर के बीच भेद नहीं |
कर्नाटक की तरह |
कर्नाटक की तरह |
गिग वर्कर के अधिकार |
रजिस्ट्रेशन, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं और शिकायत निवारण तंत्र
|
रजिस्ट्रेशन, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं और शिकायत निवारण तंत्र |
कर्नाटक की तरह |
रजिस्ट्रेशन, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, और शिकायत निवारण तंत्र, बोर्ड चर्चाओं में भागीदारी |
गिग वर्कर का रजिस्ट्रेशन |
सेल्फ रजिस्ट्रेशन, जैसा निर्धारित हो। एग्रीगेटर्स को कानून के लागू होने के 60 दिनों के भीतर अपने साथ रजिस्टर्ड वर्कर्स का डेटाबेस उपलब्ध कराना होगा |
कानून के लागू होने के 60 दिनों के भीतर वर्कर्स को एग्रीगेटर्स की तरफ से रजिस्टर किया जाना चाहिए
|
कर्नाटक की तरह |
कर्नाटक की तरह |
एग्रीगेटर का रजिस्ट्रेशन |
एग्रीगेटर्स को कानून के लागू होने के 45 दिनों के भीतर बोर्ड के साथ रजिस्टर कराना होगा |
एग्रीगेटर्स को कानून के लागू होने के 60 दिनों के भीतर बोर्ड के साथ रजिस्टर कराना होगा |
कर्नाटक की तरह |
कर्नाटक की तरह |
एल्गोरिदम में पारदर्शिता |
एग्रीगेटर्स को प्लेटफॉर्म और गिग वर्कर्स को ऑटोमेटेड मॉनिटिंग और निर्णय लेने की प्रणाली के बारे में जानकारी प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में सूचित करना चाहिए जो उनके काम को प्रभावित करती है |
एग्रीगेटर्स को वर्कर्स को निम्नलिखित के बारे में जानकारी देनी चाहिए: (i) रेटिंग सिस्टम, (ii) वर्कर्स का वर्गीकरण, (iii) पर्सनल डेटा का इस्तेमाल और काम की स्थितियों को प्रभावित करने वाली एल्गोरिदम |
कर्नाटक की तरह |
ऑटोमेटेड मॉनिटिंग और निर्णय लेने की प्रणाली में पारदर्शिता का कोई प्रावधान नहीं
|
काम से हटाना |
सेवा समाप्ति का कारण लिखित रूप में, सात दिन पूर्व सूचना के साथ दिया जाना चाहिए |
कॉन्ट्रैक्ट में कारण शामिल होना चाहिए तथा 14 दिन का पूर्व नोटिस भी दिया जाना चाहिए |
कर्नाटक की तरह |
सेवा समाप्ति के लिए कोई प्रावधान नहीं |
शिकायत निवारण |
पोर्टल या अधिकारी के माध्यम से शिकायत दर्ज की जा सकती है। 30 दिन के भीतर आदेश |
पोर्टल या अधिकारी के माध्यम से शिकायत दर्ज की जा सकती है। अपील 90 दिनों के भीतर की जा सकती है |
कर्नाटक की तरह |
कर्नाटक की तरह. |
कल्याण शुल्क |
एग्रीगेटर द्वारा गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर को व्यक्तिगत भुगतान का एक से दो प्रतिशत तिमाही आधार पर भुगतान किया जाता है |
प्रति लेनदेन वर्कर के पारिश्रमिक या एग्रीगेटर टर्नओवर के आधार पर, तिमाही आधार पर भुगतान किया जाता है |
लेनदेन मूल्य का प्रतिशत, जैसा कि राज्य सरकार ने निर्दिष्ट किया हो
|
झारखंड की तरह |
वित्त पोषण के स्रोत |
कल्याण कोष शुल्क, प्लेटफॉर्म और गिग वर्कर का अंशदान, केंद्र और राज्य सरकार से अनुदान सहायता, सीएसआर फंड, अनुदान, उपहार या दान |
कल्याण शुल्क, प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स का अंशदान, केंद्र और राज्य सरकार दोनों से अनुदान, अनुदान, वसीयत या हस्तांतरण |
कर्नाटक की तरह |
कल्याण शुल्क, राज्य सरकार से अनुदान सहायता, कोई अन्य स्रोत |
कोष का उपयोग |
निर्दिष्ट नहीं |
राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट |
राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट |
राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट |
स्रोत: ड्राफ्ट तेलंगाना गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर (रजिस्ट्रेशन, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) बिल, 2025; ड्राफ्ट कर्नाटक प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर (सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) बिल, 2024; ड्राफ्ट झारखंड प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर (रजिस्ट्रेशन एवं कल्याण) बिल, 2024; राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर (रजिस्ट्रेशन एवं कल्याण) एक्ट, 2023; पीआरएस।
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