बिल का सारांश

झारखंड चिकित्सा सेवा कर्मी, चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा और संपत्ति नुकसान का निवारण) बिल, 2023

  • झारखंड चिकित्सा सेवा कर्मी, चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा और संपत्ति नुकसान का निवारण) बिल, 2023 को झारखंड विधानसभा में 22 मार्च, 2023 को पेश किया गया। बिल चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने वाले कर्मचारियों और संस्थानों पर हिंसा और हमलों पर प्रतिबंध लगाता है। बिल की प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • चिकित्सा कर्मियों और संस्थानों पर हिंसा के उपयोग पर प्रतिबंधबिल चिकित्सा सेवाओं से जुड़े किसी भी व्यक्ति द्वारा या उसके खिलाफ हिंसा या चिकित्सा सेवा संस्थानों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर प्रतिबंध लगाता है। यह किसी भी व्यक्ति को चिकित्सा सेवाओं में रुकावट पैदा करने से भी रोकता है। चिकित्सा सेवा की परिभाषा में चिकित्सा देखभाल के प्रावधानों के अलावा प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल, किसी भी बीमारीचोट और विकलांगता की देखभाल शामिल है। हिंसक कृत्यों में चिकित्सा सेवाओं से जुड़े लोगों को नुकसान पहुंचानाचोट पहुंचाना या उनके जीवन को जोखिम में डालना शामिल है। चिकित्सा सेवा कर्मियों में पंजीकृत चिकित्सकपैरामेडिकल कर्मीतथा चिकित्सा और नर्सिंग स्टूडेंट्स शामिल हैं।

  • सजा और क्षतिपूर्ति: बिल द्वारा परिभाषित हिंसा करने वाले किसी भी व्यक्ति को दो वर्ष तक का कारावास और 50,000 रुपए तक का जुर्माना भुगतना होगा। इसके अलावा वह व्यक्ति चिकित्सा सेवा संस्थान की संपत्ति के नुकसान की क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हो सकता है। सरकारी चिकित्सा सेवा संस्थानों के लिएजिले के उपायुक्त द्वारा गठित एक तकनीकी समिति क्षतिपूर्ति का निर्धारण करने के लिए संपत्ति की क्षति की सीमा और मूल्य का आकलन करने के लिए जिम्मेदार होगी।

  • सुरक्षा उपाय: चिकित्सा सेवा संस्थानों को संस्था और उसके कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ उपाय लागू करने होंगे। इनमें सीसीटीवी कैमरे लगाना, केंद्रीकृत नियंत्रण कक्ष और परिसर में रेगुलेटेड एंट्री शामिल हैं। इन संस्थानों में चिकित्सा सेवा कर्मियों और संस्थानों के साथ हिंसा को प्रतिबंधित करने वाले कानूनों को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए।

  • चिकित्सा कर्मियों के लिए नैतिक दिशानिर्देश: चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने वाले व्यक्तियों और संस्थानों को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा निर्धारित चिकित्सा संबंधी नैतिकता का पालन करना होगा। उन्हें दुर्घटना के शिकार लोगों को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करनी होगी। चिकित्सा सेवा कर्मियों और संस्थानों को रोगी या उनके रिश्तेदारों को इलाज के बारे में सभी जानकारी प्रदान करनी होगी। बिल निर्दिष्ट करता है कि मृत रोगी के शरीर को उसके रिश्तेदारों को सौंप दिया जाना चाहिएभले ही उनके चिकित्सा बिलों के भुगतान की स्थिति कुछ भी हो। बिल में यह भी कहा गया है कि प्रत्येक चिकित्सा सेवा संस्थान को चिकित्सा सेवाओं और उनके व्यय के अनुमानों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना होगा। इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर संस्थान का पंजीकरण निरस्त किया जा सकता है। चिकित्सा पेशेवरों या चिकित्सा सेवा संस्थानों द्वारा दुर्व्यवहार या गलत उपचार की शिकायतों के लिएजिले के उपायुक्त सभी हितधारकों को शामिल करते हुए जांच का गठन करेंगे, जिसमें कम से कम दो स्वतंत्र गवाह शामिल होंगे। इसके 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट पेश की जाएगी।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।