• कारखाना (कर्नाटक संशोधन) बिल, 2023 को 22 फरवरी, 2023 को कर्नाटक विधानसभा में पेश किया गया। बिल कर्नाटक में लागू होने वाले कारखाना एक्ट, 1948 (केंद्रीय एक्ट) में संशोधन का प्रयास करता है। एक्ट कारखाना श्रमिकों की कार्य स्थितियों को रेगुलेट करता है, जिसमें दैनिक काम के घंटों की सीमा, साप्ताहिक काम के घंटों की सीमा, ओवरटाइम का प्रावधान और रात की पाली शामिल हैं। बिल काम के घंटों के संबंध में कुछ नियमों में संशोधन का प्रयास करता है। इसकी मुख्य विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:
  • दैनिक काम के घंटों में बढ़ोतरी: एक्ट एक वयस्क कर्मचारी (18 वर्ष से अधिक आयु) के दैनिक कार्य घंटों को नौ घंटे और साप्ताहिक कार्य घंटों को 48 घंटे तक सीमित करता है। यह बिल राज्य सरकार को अधिकार देता है कि वह साप्ताहिक 48 घंटे की सीमा को बरकरार रखते हुए दैनिक काम के घंटे की सीमा को 12 घंटे (आराम के लिए अंतराल सहित) तक बढ़ा सकती है। कारखानों के किसी भी समूह या श्रेणी के लिए एक अधिसूचना जारी करके ऐसा किया जा सकता है।
  • आराम के लिए अंतराल: एक्ट के तहत श्रमिक हर पांच घंटे काम करने के बाद कम से कम आधे घंटे के ब्रेक के हकदार हैं। बिल कहता है कि राज्य सरकार कारखानों की किसी भी श्रेणी या समूह को काम के घंटों में लचीलापन प्रदान करने के लिए काम के अंतराल को छह घंटे तक बढ़ा सकती है।
  • ओवरटाइम के लिए वेतन: एक्ट किसी भी कारखाने में दिन में नौ घंटे या हफ्ते में 48 घंटे से अधिक काम करने वाले श्रमिक के लिए ओवरटाइम वेतन का प्रावधान करता है। ओवरटाइम वेतन का भुगतान सामान्य वेतन दर से दोगुनी दर पर किया जाता है। बिल ओवरटाइम वेतन की सीमा का पुनर्गठन करता है। ओवरटाइम वेतन तभी चुकाया जाएगा, अगर श्रमिक: (i) हफ्ते में छह दिन नौ घंटे से अधिक या हफ्ते में 48 घंटे से अधिक काम करता है, (ii) हफ्ते में पांच दिन 10 घंटे से अधिक या हफ्ते में 48 घंटे से अधिक काम करता है, (iii) हफ्ते में चार दिन 11.5 घंटे से अधिक काम करता है, या (iv) वैतनिक अवकाश के दिन काम करता है।
  • निश्चित कार्य घंटों से छूट: एक्ट राज्य सरकार को अधिकार देता है कि वह कुछ शर्तों के अधीन श्रमिकों को निश्चित (दैनिक और साप्ताहिक) काम के घंटों से छूट दे सकती है। इन शर्तों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) दैनिक काम के घंटे 12 घंटे से अधिक नहीं होने चाहिए, (ii) साप्ताहिक काम के घंटे 60 घंटे से अधिक नहीं होने चाहिए, और (ii) एक तिमाही में ओवरटाइम काम 75 घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए। बिल तिमाही ओवरटाइम की सीमा को बढ़ाकर 145 घंटे करता है। यह शर्त भी जोड़ता है कि लिखित सहमति से ही कर्मचारी ओवरटाइम काम कर सकते हैं।
  • महिलाओं के काम करने के घंटों पर प्रतिबंध: एक्ट महिलाओं के काम के घंटों पर कुछ प्रतिबंध लगाता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) दैनिक काम के घंटे नौ घंटे से अधिक नहीं होने चाहिए, (ii) काम केवल सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे के बीच किया जाना चाहिए, और (iii) केवल साप्ताहिक अवकाश या किसी अन्य अवकाश के बाद शिफ्ट में बदलाव किया जाना चाहिए। बिल कुछ शर्तों के अधीन महिलाओं को शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे के बीच काम करने की अनुमति देने के लिए इसमें बदलाव करता है। इन शर्तों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) नाइट शिफ्ट के हरेक बैच में कम से कम 10 महिलाएं होनी चाहिए, (ii) कारखाने के अंदर और बाहर उचित प्रकाश व्यवस्था और सीसीटीवी का प्रावधान किया जाए, (iii) यह सुनिश्चित करना कि रात की शिफ्ट के दौरान कम से कम एक तिहाई सुपरवाइजर्स महिलाएं हों, और (iv) महिला श्रमिकों को परिवहन सुविधा और सुरक्षा गार्ड प्रदान करना। महिला श्रमिकों के लिए नाइट शिफ्ट में काम करना अनिवार्य नहीं होगा। महिला कर्मचारियों को रात की पाली में काम करने के लिए लिखित सहमति देनी होगी।

 

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