स्टेट लेजिसलेटिव ब्रीफ

 राजस्थान

 राजस्थान कोचिंग सेंटर्स (नियंत्रण और रेगुलेशन) बिल, 2025  

मुख्य विशेषताएं

  • प्रत्येक कोचिंग सेंटर को पंजीकरण कराना होगा। कोचिंग सेंटर की प्रत्येक शाखा अलग से पंजीकृत होगी।
  • कोचिंग सेंटर्स को निर्दिष्ट बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करना होगा, परामर्श प्रणाली उपलब्ध करानी होगी और शिक्षण संबंधी मानदंडों का पालन करना होगा।
  • बिल टू-टियर रेगुलेटरी ढांचा स्थापित करता है जिसमें जिला स्तर पर एक समिति और राज्य स्तर पर एक प्राधिकरण शामिल होगा।

प्रमुख मुद्दे और विश्लेषण

  • बिल का उद्देश्य कोचिंग सेंटर्स से संबंधित मुद्दों का समाधान करना है जो व्यापक शिक्षा प्रणाली में अंतर्निहित समस्याओं के लक्षण हो सकते हैं।
  • बिल कोचिंग सेंटर्स पर कई तरह की जिम्मेदारियां डालता है। सवाल यह है कि क्या रेगुलेशन की जरूरत है। इससे लागत बढ़ सकती है जिसका बोझ अंततः विद्यार्थियों पर ही पड़ेगा।
  • बिल ऑनलाइन कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट नहीं करता जोकि ऐसी ही सेवाएं प्रदान करते हैं।

 राजस्थान कोचिंग सेंटर्स (नियंत्रण और रेगुलेशन) बिल, 2025 को 19 मार्च, 2025 को राजस्थान विधानसभा में पेश किया गया। इसे 24 मार्च, 2025 को सिलेक्ट कमिटी को भेजा गया। यह ब्रीफ बिल के संशोधित संस्करण पर आधारित है, जैसा कि कमिटी ने सुझाव दिया है।       

भाग क: बिल की मुख्य विशेषताएं

संदर्भ

शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची के अंतर्गत आने वाला एक विषय है जिसका अर्थ है कि संसद और राज्य विधानसभाएं, दोनों कोचिंग सेंटर्स पर कानून बना सकती हैं। बिहार, हरियाणा, गोवा, मणिपुर और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाए हैं।[1],[2],[3],[4],[5]  2024 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग सेंटर्स के रेगुलेशन के लिए दिशानिर्देश जारी किए।[6]  ये दिशानिर्देश कोचिंग सेंटर्स के पंजीकरण, पर्याप्त बुनियादी ढांचे और विद्यार्थियों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने का सुझाव देते हैं। राजस्थान कोचिंग सेंटर्स (नियंत्रण और रेगुलेशन) बिल, 2025 को राजस्थान विधानसभा में मार्च 2025 में पेश किया गया था।[7]  यह बिल कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करने और बुनियादी ढांचे और शिक्षण के लिए न्यूनतम मानकों को लागू करने का प्रयास करता है। बिल को समीक्षा के लिए सिलेक्ट कमिटी (चेयर: डॉ. प्रेम चंद बैरवा) को भेजा गया था।

व्यापक मॉड्यूलर सर्वेक्षण- शिक्षा (2025) के अनुसार, भारत में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर लगभग 75% विद्यार्थियों ने प्राइवेट कोचिंग में दाखिला लिया था।[8]  माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर प्राइवेट कोचिंग शहरी (85%) और ग्रामीण (70%), दोनों क्षेत्रों में आम थी।शिक्षा से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (2025) ने ऐसे सेंटर्स में धोखाधड़ी, आत्महत्या, नशीली दवाओं के दुरुपयोग और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की व्यापकता का उल्लेख किया है।[9]

मुख्य विशेषताएं

  • अनिवार्य पंजीकरण: बिल में राज्य के प्रत्येक कोचिंग सेंटर के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। मौजूदा कोचिंग सेंटर्स को एक्ट के लागू होने के तीन महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा। अगर किसी कोचिंग सेंटर की कई शाखाएं हैं तो प्रत्येक शाखा को एक अलग कोचिंग सेंटर माना जाएगा और उसे अलग से पंजीकृत करना होगा। बिल में कोचिंग सेंटर को ऐसे सेंटर के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी भी स्टडी प्रोग्राम, प्रतियोगी परीक्षा या शैक्षणिक सहायता के लिए 100 से अधिक विद्यार्थियों को कोचिंग प्रदान करता है। कोचिंग को शिक्षण की किसी भी शाखा में ट्यूशन, निर्देश या मार्गदर्शन के रूप में परिभाषित किया गया है, लेकिन इसमें परामर्श, खेल, नृत्य, रंगमंच और अन्य रचनात्मक गतिविधियां शामिल नहीं होंगी। पंजीकरण तीन वर्षों के लिए वैध होगा।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता: प्रत्येक कोचिंग सेंटर को निर्दिष्ट बुनियादी ढांचा प्रदान करना होगा जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रत्येक बैच में प्रत्येक विद्यार्थी के लिए न्यूनतम एक वर्ग मीटर क्षेत्र, (ii) पूरी तरह से बिजलीकृत और हवादार भवन, (iii) सुरक्षित और पीने योग्य पेयजल, (iv) पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालय, (v) सीसीटीवी कैमरे, और (vi) प्राथमिक चिकित्सा किट और चिकित्सा सहायता/उपचार सुविधा। कोचिंग सेंटर्स के भवनों को अग्नि सुरक्षा और भवन सुरक्षा संहिताओं का पालन करना होगा, और अग्नि एवं भवन सुरक्षा प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा।
  • काउंसिलिंग और मनोवैज्ञानिक सहायता: कोचिंग सेंटरों को संकट और तनाव ग्रस्त विद्यार्थियों के लिए तत्काल हस्तक्षेप और सहायता हेतु एक तंत्र स्थापित करना होगा। उन्हें करियर परामर्शदाताओं और अनुभवी मनोवैज्ञानिकों की सहायता से एक काउंसिलिंग प्रणाली प्रदान करनी होगी। उन्हें अभिभावकों, विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य और तनाव निवारण पर नियमित कार्यशालाएं और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने होंगे। बिल में कहा गया है कि किसी भी कोचिंग सेंटर का पंजीकरण तब तक नहीं किया जाएगा, जब तक कि उसके पास बिल के प्रावधानों के अनुसार काउंसिलिंग की प्रणाली न हो।
  • फीस का रेगुलेशन: कोचिंग सेंटर द्वारा ली जाने वाली फीस उचित और युक्तियुक्त होनी चाहिए। उसे फीस और रिफंड की जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करानी होगी। उसे कम से कम चार किश्तों में फीस भुगतान का विकल्प देना होगा। चालू कोर्स के लिए फीस नहीं बढ़ाई जा सकती। कोर्स, हॉस्टल और मेस के लिए फीस रिफंड आनुपातिक आधार पर होना चाहिए।
  • शिक्षण मानदंड: कोचिंग सेंटर्स में ट्यूटर्स कम से कम स्नातक होने चाहिए। एक कोचिंग सेंटर को निम्नलिखित कार्य करने होंगे: (i) उन विद्यार्थियों को सपोर्ट क्लास देना, जिन्हें शैक्षणिक रूप से अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता है, (ii) विद्यार्थियों और ट्यूटर्स के लिए साप्ताहिक अवकाश सुनिश्चित करना, (iii) प्रतिदिन पांच घंटे से अधिक कोचिंग कक्षाएं संचालित नहीं करना, (iv) साप्ताहिक अवकाश के अगले दिन परीक्षा आयोजित नहीं करना, और (v) नियमित रूप से को-करिकुलर गतिविधियों का आयोजन करना। बिल कोचिंग सेंटर्स के लिए एक आचार संहिता निर्दिष्ट करता है। संहिता की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) बैच में नामांकित विद्यार्थियों की संख्या निश्चित होनी चाहिए और वेबसाइट पर प्रकाशित की जानी चाहिए, (ii) प्रत्येक बैच में पर्याप्त विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात होना चाहिए, (iii) विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम, शैक्षिक वातावरण और वैकल्पिक करियर विकल्पों के बारे में अवगत कराया जाना चाहिए, (iv) विद्यार्थियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर अलग नहीं किया जाना चाहिए, और (v) कोचिंग सेंटर्स को मूल्यांकन परिणामों को गोपनीय रखना चाहिए।
  • सरकारी स्कूल के शिक्षकों पर प्रतिबंध: बिल किसी भी सरकारी संस्थान में नियमित कैडर के शिक्षकों को कोचिंग सेंटर्स में पढ़ाने से रोकता है।
  • जिला समितियां: राज्य सरकार कोचिंग सेंटर्स की निगरानी के लिए प्रत्येक जिले में एक जिला समिति का गठन करेगी। जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) द्वारा इस समिति की अध्यक्ष की जाएगी। अन्य सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पुलिस अधीक्षक, (ii) मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, (iii) जिला शिक्षा अधिकारी, और (iv) कोचिंग सेंटर्स और अभिभावकों के दो-दो प्रतिनिधि। समिति के कार्यों में कोचिंग सेंटर्स का पंजीकरण और विद्यार्थियों या अभिभावकों द्वारा की गई शिकायतों की जांच करना शामिल है।
  • राज्य प्राधिकरण: राज्य सरकार जिला समितियों के कार्य प्रदर्शन की निगरानी के लिए राजस्थान कोचिंग सेंटर्स (नियंत्रण एवं रेगुलेशन) प्राधिकरण का गठन करेगी। यह प्राधिकरण जिला समितियों के आदेशों के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई भी करेगा। उच्च शिक्षा विभाग के सचिव इस प्राधिकरण के अध्यक्ष होंगे। अन्य सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) स्कूली शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और चिकित्सा शिक्षा विभागों के सचिव, (ii) पुलिस महानिदेशक, और (iii) कोचिंग सेंटर्स और अभिभावकों के दो-दो प्रतिनिधि।
  • भ्रामक विज्ञापनों पर प्रतिबंध: कोचिंग सेटर भ्रामक विज्ञापनों का प्रकाशन नहीं करेंगे।
  • सजा: बिल के तहत किसी भी शर्त का पहली बार उल्लंघन करने पर, कोचिंग सेंटर को 50,000 रुपए का जुर्माना देना होगा। दूसरी बार उल्लंघन करने पर दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बाद किसी भी उल्लंघन पर पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।

 

भाग ख: प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

कोचिंग सेंटर्स का प्रसार

विद्यार्थी अपनी नियमित पढ़ाई के पूरक के रूप में विभिन्न तरीकों से कोचिंग या अतिरिक्त ट्यूशन ले सकते हैं। कोचिंग व्यक्तिगत रूप से, छोटे समूहों में, कोचिंग सेंटर्स में क्लासरूम सेटअप में या इनमें से किसी भी फॉरमैट में ऑनलाइन ली जा सकती है।[10]  बिल के उद्देश्यों और कारणों के कथन में कहा गया है कि कोचिंग सेंटर्स की संख्या बढ़ रही है और वे बड़े पैमाने पर अनरेगुलेटेड हैं। ऐसे सेंटर अत्यधिक प्रतिस्पर्धी माहौल को बढ़ावा देते हैं और झूठे दावे करते हैं जिससे विद्यार्थियों में तनाव का स्तर बढ़ जाता है। बिल इन मुद्दों के समाधान के लिए कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करने का प्रस्ताव करता है। हालांकि कोचिंग सेंटर्स की संख्या में वृद्धि और प्रतियोगी परीक्षाओं का तनाव शिक्षा क्षेत्र की अंतर्निहित समस्याओं और रोजगार बाज़ार की अनिश्चितताओं का संकेत हो सकता है। हम नीचे इनमें से कुछ मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

स्कूलों में शिक्षा की खराब क्वालिटी

एशियाई विकास बैंक (2012) के एक अध्ययन में भारत में, विशेष रूप से प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय स्तर पर, प्राइवेट कोचिंग में बढ़ोतरी देखी गई थी।[11]  इस प्रवृत्ति के पीछे एक कारण नियमित स्कूली शिक्षा में कमियों की अवधारणा है, जैसे: (i) पाठ्यक्रम का अधूरा कवरेज, (ii) विद्यार्थियों पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान न देना, और (iii) स्कूल की शिक्षण पद्धति को समझने में कठिनाई।11 ऐसे मामलों में ट्यूशन स्कूली शिक्षा का पूरक होती है।11  आर्थिक सर्वेक्षण (2016-17) में कहा गया कि खराब शिक्षण परिणामों के लिए शिक्षकों की अनुपस्थिति और पेशेवर रूप से योग्य शिक्षकों की कमी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।[12] परिणामस्वरूप, विद्यार्थी अक्सर विषय ज्ञान में सुधार करने और व्यक्तिगत ध्यान प्राप्त करने के लिए कोचिंग की मदद लेते हैं, जो उन्हें नियमित कक्षाओं में प्राप्त नहीं होता।

 

 

नियमित कक्षा में शिक्षकों द्वारा ट्यूशन के लिए प्रोत्साहन

शिक्षकों द्वारा अपनी आय में वृद्धि के कारण निजी ट्यूशन भी आम हो गई है। यूनेस्को की भारत में शिक्षा की स्थिति से संबंधित रिपोर्ट (स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया) (2021) में बताया गया है कि लगभग 30% शिक्षक प्राइवेट ट्यूशन से अपनी आय बढ़ाते हैं।[13]  इसके परिणामस्वरूप शिक्षकों का ध्यान नियमित कक्षाओं की तुलना में प्राइवेट ट्यूशन पर अधिक हो सकता है।[14]  यूनेस्को की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि कई मामलों में शिक्षकों ने स्कूलों में कम मैटीरियल कवर किया ताकि प्राइवेट ट्यूशन की मांग बढ़ जाए।[15]  शिक्षक कक्षा में विद्यार्थियों को सूचित करके, अभिभावक-शिक्षक बैठकों के दौरान अभिभावकों को सूचित करके, या कभी-कभी इसके लिए स्कूल परिसर का उपयोग करके प्राइवेट कोचिंग को बढ़ावा दे सकते हैं।10

शिक्षा के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं

प्राइवेट कोचिंग की मांग को बढ़ाने वाला एक प्रमुख कारक यह है कि माता-पिता अक्सर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बेहतर रोजगार की संभावनाओं और उच्च जीवन स्तर से जोड़ते हैं।11  वे इस उद्देश्य के लिए अपने बच्चों को कोचिंग सेंटर्स में दाखिला दिला सकते हैं।11  केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (2024) का कहना है कि माध्यमिक विद्यालय की परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं की वर्तमान प्रकृति ने कोचिंग संस्कृति में वृद्धि की है।[16] प्रतिस्पर्धा दो स्तरों पर होती है। पहला, बोर्ड परीक्षाओं के दौरान, जो यह तय करती है कि कौन से विद्यार्थी पढ़ाई जारी रख सकते हैं और कौन छोड़ सकते हैं।11  अपने बच्चे को शिक्षा प्रणाली में कायम रखने के लिए इच्छुक परिवार प्राइवेट ट्यूशन शुरू करते हैं, ताकि प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल की जा सके। दूसरा, कॉलेज में प्रवेश परीक्षा के स्तर पर प्रतिस्पर्धा होती है, जब प्रवेश की बेहतर संभावना के लिए कोचिंग को जरूरी माना जाता है।11

सरकारी नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट (2024) में कहा गया है कि उच्च आय और नौकरी की स्थिरता के लिए युवाओं में व्हाइट कॉलर नौकरियों की इच्छा है।[17] 2014-15 और 2021-22 के बीच लगभग 22 करोड़ उम्मीदवारों ने 7.2 लाख पदों के लिए केंद्र सरकार की स्थायी नौकरियों के लिए आवेदन किया।[18]  आईएलओ ने ग्रुप सी और ग्रुप डी की सरकारी नौकरियों के आवेदनों में भी ऐसा ही रुझान देखा।17  उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में पुलिस विभाग में चपरासी के 62 पदों के लिए 93,000 उम्मीदवारों (स्नातकोत्तर और पीएचडी धारकों सहित) ने आवेदन किया। मध्य प्रदेश में चपरासी और ड्राइवर के 15 रिक्त पदों के लिए 11,000 आवेदन आए।17  परिवार चयन की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए कोचिंग में निवेश करते हैं।

कोचिंग सेंटर्स के रेगुलेशन की जरूरत

यह बिल कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करने का प्रयास करता है। कोचिंग निजी क्षेत्र द्वारा प्रदान की जाने वाली एक सेवा है।

14  माता-पिता और विद्यार्थी अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए स्वेच्छा से इसमें निवेश करते हैं।11  यह बिल सुरक्षा मानकों और उपभोक्ता संरक्षण से आगे बढ़कर दूसरे नियम भी निर्धारित करता है, जैसे कक्षाओं का समय क्या हो, साप्ताहिक अवकाश दिया जाए, इस बात पर प्रतिबंध कि मूल्यांकन कब कराया जाए और बुनियादी ढांचे से संबंधित नियम। सवाल यह है कि क्या रेगुलेशन की आवश्यकता है।

उदाहरण के लिए, बिल में प्रत्येक कोचिंग सेंटर के लिए यह जरूरी है कि वह संकट और तनावग्रस्त विद्यार्थियों को लक्षित और निरंतर सहायता प्रदान करने हेतु एक तंत्र स्थापित करे। एक काउंसिलिंग प्रणाली विकसित की जानी चाहिए, जिसमें उपलब्ध मनोवैज्ञानिकों और काउंसिलर्स की पूरी जानकारी दी जाए। कोचिंग सेंटर्स मानसिक स्वास्थ्य पर नियमित कार्यशालाएं और जागरूकता सप्ताह आयोजित करें। बिल में यह भी कहा गया है कि काउंसिलिंग प्रणाली से रहित किसी भी कोचिंग सेंटर का पंजीकरण नहीं किया जाएगा। इस तरह के अनुपालन से लागत बढ़ सकती है, जिसका बोझ अंततः विद्यार्थियों पर ही पड़ेगा।

ऑनलाइन कोचिंग का रेगुलेशन

बिल कोचिंग सेंटर को ऐसे केंद्र के रूप में परिभाषित करता है जो किसी भी प्रतियोगी परीक्षा या शैक्षणिक सहायता के लिए 100 से अधिक विद्यार्थियों को कोचिंग प्रदान करता है। कोचिंग सेंटर की प्रत्येक शाखा को एक अलग कोचिंग सेंटर माना जाएगा और उसे अलग से पंजीकृत होना होगा। बिल में आगे प्रावधान किया गया है कि अगर किसी कोचिंग सेंटर में प्रति विद्यार्थी न्यूनतम एक वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल है, तो उसे पंजीकृत नहीं किया जाएगा। बिल कोचिंग सेंटर्स के भवनों के लिए कई मानदंड भी निर्दिष्ट करता है। ये प्रावधान दर्शाते हैं कि बिल मुख्य रूप से भौतिक रूप से मौजूद कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करने पर केंद्रित है।

हालांकि कई कोचिंग सेंटर और निजी ट्यूटर ऑनलाइन कोचिंग भी दे रहे हैं।[19]  शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनियां विद्यार्थियों और शिक्षकों को जोड़ने के लिए ऑनलाइन मार्केटप्लेस उपलब्ध करा रही हैं।19 कोचिंग पूरी तरह से ऑनलाइन स्पेस में हो सकती है, और कुछ फिजिकल सेंटर्स और ऑनलाइन क्लास के हाइब्रिड मॉडल का इस्तेमाल कर सकते हैं। बिल में ऑनलाइन कोचिंग के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए यह क्लासरूम कोचिंग और ऑनलाइन कोचिंग सेंटर के बीच अंतर करता है। कोई यह तर्क दे सकता है कि फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित विशेषताओं के अलावा, ये सेवाएं प्रकृति में समान हैं, और इनके साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।

केवल नियमित सरकारी शिक्षकों को प्रतिबंधित करने के पीछे का तर्क स्पष्ट नहीं है

बिल सरकारी संस्थानों के नियमित कैडर में कार्यरत शिक्षकों को प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स में पढ़ाने से रोकता है। हालांकि यह प्रतिबंध सरकारी संस्थानों में कार्यरत संविदा शिक्षकों पर लागू नहीं है। संविदा शिक्षकों को इससे बाहर रखने का तर्क स्पष्ट नहीं है। नियमित और संविदा शिक्षक, दोनों ही समान कार्य करते हैं और प्राइवेट कोचिंग लेने के लिए उनके कारण समान हो सकते हैं।

 

सरकार और प्राधिकरण के निर्णयों के विरुद्ध न्यायिक सहायता पर रोक

बिल में कहा गया है कि राज्य सरकार, प्राधिकरण या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बिल के अंतर्गत लिए गए निर्णयों पर किसी भी सिविल न्यायालय में प्रश्न नहीं उठाया जा सकेगा। प्राधिकरण एक कार्यकारी निकाय है जिसकी अध्यक्षता उच्च शिक्षा विभाग के सचिव करते हैं। इन निर्णयों में पंजीकरण से इनकार या रद्द करना, या जुर्माना लगाना शामिल हो सकता है। इसलिए बिल ऐसे निर्णयों से व्यथित व्यक्ति को न्यायिक सहायता लेने से रोकता है। उनके पास संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करने का एकमात्र विकल्प उपलब्ध है।

बिल में प्रयुक्त शब्दों की परिभाषा

मिथ्या और भ्रामक विज्ञापन

बिल जिला समिति को "मिथ्या विज्ञापनों" के प्रकाशन की जांच करने का अधिकार देता है। यह कोचिंग सेंटर को "भ्रामक विज्ञापन" प्रकाशित करने या प्रकाशित करवाने से भी रोकता है। जबकि बिल विज्ञापन को परिभाषित करता है, लेकिन इसमें "मिथ्या" और "भ्रामक" शब्दों को परिभाषित नहीं किया गया है। इससे अलग-अलग व्याख्याएं और विवाद हो सकते हैं। यह दृष्टिकोण संसद द्वारा पारित उपभोक्ता संरक्षण एक्ट, 2019, (सीपीए, 2019) के विपरीत है।[20] सीपीए, 2019 भ्रामक विज्ञापनों को भी प्रतिबंधित करता है। यह एक भ्रामक विज्ञापन को एक ऐसे विज्ञापन के रूप में परिभाषित करता है जो: (i) उत्पाद या सेवा का गलत वर्णन करता है, (ii) झूठी गारंटी देता है, (iii) जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारी छिपाता है, या (iv) ऐसी जानकारी देता है जो एक अनुचित कारोबारी व्यवहार हो। सीपीए, 2019 में "मिथ्या विज्ञापन" शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

उचित एवं युक्तियुक्त फीस

बिल में कहा गया है कि कोचिंग सेंटर्स द्वारा ली जाने वाली फीस "उचित और युक्तियुक्त" होनी चाहिए। हालांकि बिल इस बात का आकलन करने के लिए कोई अतिरिक्त दिशानिर्देश या मानदंड प्रदान नहीं करता है कि उचित और युक्तियुक्त किसे कहा जाएगा। विस्तृत मानदंड न होने पर उन फैक्टर्स में फ्लेक्सिबिलिटी आ सकती है जो कोचिंग सेंटर्स के बीच फर्क करते हैं। साथ ही इससे अलग-अलग व्याख्याएं और विवाद भी हो सकते हैं। गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में स्कूलों द्वारा ली जाने वाली फीस को रेगुलेट करने के लिए कानून पारित किए गए हैं।[21]  इन कानूनों में फीस निर्धारित करने के लिए कई फैक्टर्स निर्दिष्ट किए गए हैं। इनमें स्थान, बुनियादी ढांचा, शैक्षिक मानक, फैकेल्टी की गुणवत्ता और आवर्ती व्यय शामिल हैं।

कोचिंग सेंटर्स पर राज्य स्तरीय कानूनों के बीच तुलना

निम्नलिखित तालिका में विभिन्न राज्यों में कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करने वाले कानूनों के बीच तुलना की गई है।

 

तालिका 1: विभिन्न राज्यों में कोचिंग सेंटर्स को रेगुलेट करने वाले कानूनों के बीच तुलना

विशेषता

राजस्थान

गोवा

उत्तर प्रदेश

बिहार

मणिपुर

हरियाणा

वर्ष

2025

2001

2002

2010

2017

2024

एप्लिकेबिलिटी की सीमा

100 से अधिक विद्यार्थी

पांच से अधिक विद्यार्थी

तीन से अधिक विद्यार्थी

10 से अधिक विद्यार्थी

माध्यमिक/उच्चतर माध्यमिक में 20 से अधिक विद्यार्थी

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए लागू; 50 विद्यार्थियों तक के होम ट्यूशन शामिल नहीं

रेगुलेटरी संरचना

जिला प्राधिकरण, और जिला प्राधिकरणों की देखरेख के लिए एक राज्य-स्तरीय प्राधिकरण

राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी

राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी

राज्य-स्तरीय प्राधिकरण

राज्य-स्तरीय प्राधिकरण

जिला प्राधिकरण

इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी जरूरतें

अग्नि एवं भवन सुरक्षा संहिता, हवादार कमरे, सीसीटीवी, शिकायत पेटी, प्राथमिक चिकित्सा सुविधा, पेयजल, शौचालय

निर्दिष्ट नहीं

निर्दिष्ट नहीं

निर्दिष्ट नहीं, बुनियादी ढांचे के बारे में जानकारी देनी होगी

पर्याप्त फर्नीचर, पेयजल, अग्निशामक यंत्र, चिकित्सा उपचार, पार्किंग

निर्दिष्ट नहीं, बुनियादी ढांचे के बारे में जानकारी देनी होगी

फीस का रेगुलेशन

फीस ‘उचित और युक्तियुक्त’ होनी चाहिए

राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट अधिकतम राशिt

निर्दिष्ट नहीं

निर्दिष्ट नहीं

निर्दिष्ट नहीं

निर्दिष्ट नहीं

काउंसिलिंग

कोचिंग सेंटर्स को कैरियर परामर्श और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करनी होगी

निर्दिष्ट नहीं

निर्दिष्ट नहीं

निर्दिष्ट नहीं

निर्दिष्ट नहीं

एक पूर्णकालिक काउंसिलर की नियुक्ति अनिवार्य

सजा

पहली बार अपराध करने पर 50,000 रुपए, दूसरी बार अपराध करने पर 2 लाख रुपए का जुर्माना

50,000 रुपए का जुर्माना

10,000 रुपए से 1 लाख रुपए तक का जुर्माना

पहली बार अपराध करने पर 25,000 रुपए, दूसरी बार अपराध करने पर 1 लाख रुपए का जुर्माना

पहली बार अपराध करने पर 25,000 रुपए, दूसरी बार अपराध करने पर 1 लाख रुपए का जुर्माना

पहली बार अपराध करने पर 25,000 रुपए, उसके बाद अपराध करने पर 1 लाख रुपए

बाद में उल्लंघन करने पर पंजीकरण रद्द

हां

निर्दिष्ट नहीं

निर्दिष्ट नहीं

हां

हां

हां

स्रोत: राजस्थान कोचिंग सेंटर्स (नियंत्रण और रेगुलेशन) बिल, 2025; गोवा कोचिंग क्लासेस (रेगुलेशन) एक्ट, 2001; उत्तर प्रदेश कोचिंग रेगुलेशन एक्ट, 2002; बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण और रेगुलेशन), एक्ट 2010; मणिपुर कोचिंग संस्थान (नियंत्रण और रेगुलेशन) एक्ट, 2017; हरियाणा प्राइवेट कोचिंग संस्थानों का पंजीकरण और रेगुलेशन एक्ट, 2024; पीआरएस।

 

[1]. The Bihar Coaching Institute (Control and Regulation) Act, 2010, https://prsindia.org/files/bills_acts/acts_states/bihar/2010/2010Bihar17.pdf

[2]. The Haryana Registration and Regulation of Private Coaching Institutes Act, 2024, https://prsindia.org/files/bills_acts/acts_states/haryana/2024/Act12of2024HR.pdf

[3]. The Goa Coaching Classes (Regulation) Act, 2001, https://prsindia.org/files/bills_acts/acts_states/goa/2001/2001GOA27.pdf

[4]. The Manipur Coaching Institute (Control and Regulation) Act, 2017, https://prsindia.org/files/bills_acts/acts_states/manipur/2017/Act%20No.%208%20of%202017%20Manipur.pdf

[5]. The Uttar Pradesh Regulation of Coaching Act, 2002, https://prsindia.org/files/bills_acts/acts_states/uttar-pradesh/2002/2002UP5.pdf

[6]. Guidelines for regulation of coaching centres, Union Ministry of Education, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/Guideliens_Coaching_Centres_en.pdf

[7]. The Rajasthan Coaching Centres (Control and Regulation) Bill, 2025, https://assembly.rajasthan.gov.in/BillInformationSystem/BillReport/112025.pdf

[8]. Comprehensive Modular Survey: Education, NSS 80th round, Ministry of Statistics and Programme Implementation, April-June 2025, https://www.mospi.gov.in/sites/default/files/publication_reports/CMS_E_2025L.pdf

[9]. Report No. 364, Demand for Grants 2025-26 for the Department of Higher Education, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports, Rajya Sabha, March 2025, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/198/364_2025_3_15.pdf?source=rajyasabha.  

[10]. Adverse effects of private supplementary tutoring: Dimensions, implications, and government responses, International Institute for Educational Planning, UNESCO, 2003, https://unesdoc.unesco.org/ark:/48223/pf0000133039/PDF/133039eng.pdf.multi

[11]. Shadow Education: Private Supplementary Tutoring and Its Implications for Policy Makers in Asia, Asian Development Bank, 2012, https://www.adb.org/sites/default/files/publication/29777/shadow-education.pdf

[12]. Economic Survey 2016-17, Ministry of Finance, https://www.indiabudget.gov.in/budget2017-2018/es2016-17/echapter.pdf

[13]. State of the Education Report for India, 2020-21, UNESCO, https://unesdoc.unesco.org/ark:/48223/pf0000372577/PDF/372577eng.pdf.multi.  

[14]. “Humanistic futures of learning: Perspectives from UNESCO Chairs and UNITWIN Networks”, UNESCO, 2020, https://unesdoc.unesco.org/ark:/48223/pf0000372577/PDF/372577eng.pdf.multi

[15]. Global Education Monitoring Report: Accountability in education, UNESCO, 2017, https://unesdoc.unesco.org/ark:/48223/pf0000259338/PDF/259338eng.pdf.multi.  

[16]. Unstarred Question No. 983, “Coaching Industry”, Ministry of Education, Rajya Sabha, July 31, 2024, https://sansad.in/getFile/annex/265/AU983_nWoBFf.pdf?source=pqars

[18]. Unstarred Question No. 1803, “Jobs in government”, Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions, Lok Sabha, July 27, 2022, https://eparlib.sansad.in/bitstream/123456789/1057362/1/AU1803.pdf.  

[19]. Non-state actors in education, Global Education Monitoring Report, South Asia, UNESCO, 2022, https://unesdoc.unesco.org/ark:/48223/pf0000383550

[20]. Section 88,  The Consumer Protection Act, 2019, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15256/1/eng201935.pdf

[21]. Section 10, The Gujarat Self-Financed Schools (Regulation of Fees) Act, 2017, https://prsindia.org/files/bills_acts/acts_states/gujarat/2017/2017Gujarat20.pdf; Section 9, The Maharashtra Educational Institutions (Regulation of Fee) Act, 2011, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15812/3/the_maharashtra_educational_.pdf; Section 8, The Delhi School Education (Transparency in Fixation and Regulation of Fees) Bill, 2025, https://delhiassembly.delhi.gov.in/sites/default/files/dlas/govt-bills/bill03.pdf

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