- प्रतिस्पर्धा (संशोधन) बिल, 2022 को 5 अगस्त, 2022 को लोकसभा में पेश किया गया। यह बिल प्रतिस्पर्धा एक्ट, 2002 में संशोधन करने का प्रयास करता है। एक्ट बाजार में प्रतिस्पर्धा को रेगुलेट करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की स्थापना करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- लेनदेन के मूल्य पर आधारित कॉम्बिनेशंस का रेगुलेशन: एक्ट किसी व्यक्ति या उद्यम को ऐसे किसी कॉम्बिनेशन में प्रवेश करने से रोकता है जिसका प्रतिस्पर्धा पर अच्छा-खासा प्रतिकूल असर पड़े। कॉम्बिनेशंस का मतलब है, उपक्रमों का विलय, अधिग्रहण या अमैल्गमैशन (समामेलन)। यह प्रतिबंध ऐसे लेनदेन पर लागू होता है जहां संबंधित पक्षों की संचयी संपत्ति 1,000 करोड़ रुपए से अधिक है, या (ii) उनका संचयी कारोबार 3,000 करोड़ रुपए से अधिक का है, जोकि कुछ शर्तो के अधीन है। बिल कॉम्बिनेशंस की परिभाषा का दायरा बढ़ाता है ताकि इसमें 2,000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के लेनदेन को शामिल किया जा सके।
- कॉम्बिनेशन के वर्गीकरण के लिए नियंत्रण की परिभाषा: कॉम्बिशंस के वर्गीकरण के लिए, एक्ट नियंत्रण को इस तरह से परिभाषित करता है कि उसका मतलब है, एक या उससे अधिक उद्यमों का दूसरे उद्यम या समूह के मामलों या प्रबंधन पर नियंत्रण। बिल नियंत्रण की परिभाषा में संशोधन करता है और इसे इस तरह परिभाषित करता है कि यह प्रबंधन, मामलों या रणनीतिक वाणिज्यिक फैसलों पर भौतिक असर डालने की योग्यता है।
- कॉम्बिनेशंस की मंजूरी के लिए समय सीमा: एक्ट में निर्दिष्ट है कि कोई भी कॉम्बिनेशन तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि सीसीआई आदेश पारित नहीं कर देता है या मंजूरी के लिए आवेदन दायर करने के बाद 210 दिन बीत नहीं जाते हैं- इनमें से जो भी पहले हो। बिल दूसरी स्थिति में समय सीमा को घटाकर 150 दिन करता है।
- प्रतिस्पर्धा विरोधी समझौता: एक्ट के अंतर्गत प्रतिस्पर्धा विरोधी समझौते में ऐसी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, आपूर्ति, स्टोरेज या नियंत्रण से संबंधित समझौते शामिल हैं जिससे भारत में प्रतिस्पर्धा पर अच्छा-खासा प्रतिकूल असर पड़ सकता हो। बिल्कुल समान या एक जैसे उद्यमों या व्यक्तियों के बीच किसी भी समझौते का प्रतिस्पर्धा पर ऐसा प्रतिकूल असर पड़ेगा, अगर वे कुछ कार्यों में शामिल हैं, जैसे: (i) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से खरीद या बिक्री के मूल्यों को निर्धारित करना, (ii) उत्पादन, आपूर्ति, बाजार या सेवाओं के प्रावधान को नियंत्रित करना, या (iii) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मिलीभगत करके बोली लगाना। बिल कहता है कि जो उद्यम या व्यक्ति बिल्कुल समान या एक जैसे कारोबार में संलग्न नहीं हैं, वे भी ऐसे समझौतों का हिस्सा माने जाएंगे, अगर वे ऐसे समझौतों में सक्रिय रूप से सहायता करते हैं।
- प्रतिस्पर्धा विरोधी कार्यवाहियों में निबटारा और प्रतिबद्धता: एक्ट के अंतर्गत सीसीआई निम्नलिखित आधार पर उद्यमों के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर सकता है: (i) प्रतिस्पर्धा विरोधी समझौते करना, या (ii) प्रभावी स्थिति का दुरुपयोग। प्रभावी स्थिति के दुरुपयोग में निम्नलिखित शामिल है: (i) वस्तुओं या सेवाओं की खरीद या बिक्री में भेदभावपूर्ण शर्तें, (ii) वस्तुओं या सेवाओं के उत्पादन को रोकना, या (iii) बाजार में पहुंच से वंचित करने वाली कार्यपद्धतियों में शामिल होना। बिल सीसीआई को इस बात की अनुमति देता है कि वह जांच की कार्यवाही को रोक सकता है, अगर उद्यम निम्नलिखित की पेशकश करता है: (i) निबटारा (जिसमें भुगतान शामिल हो सकता है), या (ii) प्रतिबद्धता (प्रकृति में संरचनात्मक या व्यवहारिक हो सकता है)। निबटारे और प्रतिबद्धता के तरीके और उसके कार्यान्वयन को सीसीआई द्वारा रेगुलेशंस के जरिए निर्दिष्ट किया जा सकता है।
- प्रासंगिक उत्पाद बाजार: एक्ट में प्रासंगिक उत्पाद बाजार को ऐसे उत्पादों और सेवाओं के तौर पर परिभाषित किया गया है जिन्हें उपभोक्ताओं द्वारा प्रतिस्थापन योग्य (जिन्हें बदला जा सकता है) माना जाता है। बिल इस दायरे को बढ़ाता है और इसमें ऐसे उत्पादों और सेवाओं के उत्पादन या आपूर्ति को शामिल करता है जिन्हें आपूर्तिकर्ता प्रतिस्थापन योग्य मानते हैं।
- महानिदेशक की नियुक्ति: एक्ट केंद्र सरकार को सीसीआई के महानिदेशक की नियुक्ति का अधिकार देता है। एक्ट के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करने पर महानिदेशक द्वारा जांच में सहायता की जाती है। बिल इस प्रावधान में संशोधन करता है और सीसीआई को सरकार की पूर्व मंजूरी से महानिदेशक की नियुक्ति करने की शक्ति देता है।
- सीसीआई के सदस्यों की क्वालिफिकेशन: एक्ट के अनुसार, सीसीआई के अध्यक्ष और सदस्यों को निम्नलिखित क्षेत्रों में कम से कम 15 वर्षों का पेशेवर अनुभव होना चाहिए: (i) अर्थशास्त्र, (ii) प्रतिस्पर्धा के मामले, (iii) कानून, (iv) प्रबंधन, या (v) व्यवसाय। बिल इस दायरे को बढ़ाकर, इसमें तकनीक के क्षेत्र के अनुभव को शामिल करता है।
- कुछ अपराधों का डीक्रिमिलाइजेशन: बिल कुछ अपराधों के लिए सजा की प्रकृति को कैद की सजा से जुर्माने में बदलता है। इन अपराधों में सीसीआई के आदेशों का पालन न करना, और प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों के संबंध में महानिदेशक के निर्देशों और प्रभावी स्थिति का दुरुपयोग करना शामिल है।
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