मंत्रालय: 
संसदीय मामले

अध्यादेशों की मुख्‍य विशेषताएं

  • दोनों अध्यादेश निम्नलिखित एक्ट्स में संशोधन करते हैं: (i) सांसदों के वेतन में 30% की कटौती के लिए संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन एक्ट, 1954 और (ii) मंत्रियों के सत्कार भत्ते में कटौती के लिए मंत्रियों का वेतन और भत्ते एक्ट, 1952।
     
  • सरकार ने एक वर्ष के लिए सांसदों के कुछ भत्तों में कटौती के लिए 1954 के एक्ट के कुछ अधिसूचित नियमों में भी संशोधन किए हैं। इनमें निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और कार्यालयी भत्ता शामिल हैं। 
     
  • वेतन तथा भत्तों में उपरिलिखित परिवर्तन एक वर्ष के लिए किए गए हैं जोकि 1 अप्रैल, 2020 से प्रभावी हैं।
     
  • वेतन-भत्तों में कटौतियों का उद्देश्य यह है कि केंद्र को कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए वित्तीय संसाधन हासिल हों।   

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

  • संविधान सांसदों को यह शक्तियां देता है कि वे कानून बनाकर अपने वेतन और भत्ते तय कर सकें। इससे हितों का टकराव होता है। इस समस्या को हल करने के लिए कुछ देशों में दूसरी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे स्वतंत्र अथॉरिटी बनाना, सीनियर सिविल सर्वेंट्स के वेतन के मानदंड के आधार पर वेतन-भत्ते तय करना और विधायिका के पारित कानून को विलंब से लागू करना।
     
  • भारतीय सांसदों के भत्ते दूसरे देशों, जैसे यूके और यूएस के राष्ट्रीय कानून निर्माताओं से भिन्न हैं। भारतीय सांसदों को आवास उपलब्ध कराया जाता है जबकि ब्रिटिश सांसदों को आवास किराए पर लेने के लिए भत्ता मिलता है। अमेरिका में ऐसा कोई भत्ता नहीं दिया जाता। इन देशों मे ऑफिस स्पेस दिया जाता है जोकि भारतीय सांसदों को नहीं मिलता। भारत में लेजिसलेटिव सहायक को नौकरी पर रखने के लिए जो भत्ता दिया जाता है, वह अपेक्षाकृत बहुत कम है।
     
  • सांसदों के वेतन और भत्तों में प्रस्तावित कटौती से कोविड-19 की रोकथाम के लिए जरूरी वित्तीय संसाधनों पर बहुत अधिक असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। वेतन में कटौतियों से प्राप्त होने वाली राशि 54 करोड़ रुपए है जोकि विशेष आर्थिक पैकेज (20 लाख करोड़ रुपए) के 0.001% हिस्से से भी कम है। केंद्र ने कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए इस पैकेज की घोषणा की थी।  

भाग क : अध्यादेशों की मुख्य विशेषताएं

संदर्भ

संविधान के अनुच्छेद 106 में सांसदों को यह शक्तियां दी गई हैं कि वे कानून बनाकर अपने वेतन और भत्तों को निर्धारित कर सकते हैं।[1]  2018 तक संसद सांसदों के वेतन में संशोधन करने के लिए समय समय पर कानून बनाती थी। 2018 में फाइनांस एक्ट के जरिए संसद ने सांसदों के वेतन को निर्धारित करने के कानून में संशोधन किया। संशोधन में यह प्रावधान किया गया कि सांसदों के वेतन, दैनिक भत्ते और पेंशन में हर पांच वर्ष में वृद्धि की जानी चाहिए जोकि इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंतर्गत दिए गए लागत मुद्रास्फीति सूचकांक पर आधारित होगा।[2]  इसके अतिरिक्त 1985 में संसद ने एक कानून बनाया जिसमें सांसदों के लिए कुछ निश्चित भत्तों जैसे निर्वाचन क्षेत्र भत्ते, कार्यालयी भत्ते, और आवासीय भत्ते को निर्धारित और संशोधित करने की शक्ति केंद्र सरकार को सौंप दी गई थी।[3]   

अप्रैल 2020 में सरकार ने सांसदों और मंत्रियों की कुछ परिलब्धियों (इमॉल्यूमेंट्स) में कटौती की। कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण, केंद्र के लिए महामारी की रोकथाम हेतु वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए ऐसा किया गया।[4]  इस नोट में सांसदों और मंत्रियों के वेतन और भत्तों में कटौती के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेशों और नियमों पर चर्चा की गई है।

मुख्य विशेषताएं

संसद सदस्यों का वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) अध्यादेश, 2020  

  • यह अध्यादेश संसद सदस्यों का वेतन, भत्ते और पेंशन एक्ट, 1954 में संशोधन करता है। एक्ट सांसदों को संसद में अपने कार्यकाल के दौरान मिलने वाले वेतन और विभिन्न भत्तों को निर्धारित करता है और पूर्व सांसदों की पेंशन से संबंधित प्रावधान भी करता है।3  
     
  • अध्यादेश सांसदों के मूल वेतन में 30% की कटौती करता है।4 इसके अतिरिक्त सरकार ने सांसदों के कुछ भत्तों में कटौती के लिए 1954 के एक्ट के कुछ नियमों में भी संशोधन किए हैं। इनमें निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और कार्यालयी व्यय भत्ता शामिल है।[5]  एक वर्ष की अवधि के लिए संशोधन किए गए हैं जोकि 1 अप्रैल, 2020 से प्रभावी हैं। 

मंत्रियों का वेतन और भत्ते (संशोधन) अध्यादेश, 2020

  • अध्यादेश मंत्रियों का वेतन और भत्ते एक्ट, 1952 में संशोधन करता है। 1952 का एक्ट मंत्रियों (प्रधानमंत्री सहित) के वेतन और अन्य भत्तों को रेगुलेट करता है। एक्ट में प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और डेप्युटी मंत्रियों को विभिन्न दरों पर मासिक सत्कार भत्ते (आगंतुकों के मनोरंजन/सत्कार पर होने वाला खर्च) के भुगतान का प्रावधान है।[6]  अध्यादेश एक वर्ष के लिए मंत्रियों के सत्कार भत्ते को 30% कम करता है जोकि 1 अप्रैल, 2020 से प्रभावी है।[7] 

तालिका 1सांसदों और मंत्रियों के वेतन और भत्तों में परिवर्तनों के बीच तुलना 

विशेषता

पूर्व पात्रता (रुपए प्रति माह में)

अध्यादेशों के अनुसार नई पात्रता (रुपए प्रति माह में)

वेतन 

 1,00,000

70,000

निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 

70,000

49,000

कार्यालयी भत्ता

60,000

54,000

इसमें से

कार्यालयी भत्ता

20,000

14,000

 

सचिवीय सहायता

40,000

40,000

प्रधानमंत्री का सत्कार भत्ता

3,000

2,100

कैबिनेट मंत्रियों का सत्कार भत्ता 

2,000

1,400

राज्य मंत्रियों का सत्कार भत्ता

1,000

700

डेप्युटी मंत्रियों का सत्कार भत्ता

600

420

नोट: परिवर्तन एक वर्ष की अवदि के लिए किए गए हैं जो 1 अप्रैल, 2020 से प्रभावी हैं। 

स्रोत: संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) अध्यादेश, 2020; मंत्रियों के वेतन और भत्ते (संशोधन) अध्यादेश, 2020; संसद सदस्य (निर्वाचन क्षेत्र भत्ता) संशोधन नियम, 2020; संसद सदस्य (कार्यालय व्यय भत्ता) संशोधन नियम, 2020; पीआरएस

भाग ख: प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

अध्यादेश और नियमों ने सांसदों के वेतन में संशोधन किए हैं और उनमें कटौतियां की है। हम यहां उन तमाम तरीकों और सिद्धांतों को स्पष्ट कर रहे हैं जोकि कानून निर्माताओं के वेतन को तय करने में मदद कर सकते हैं।

वेतन तय करने के तरीके 

संविधान का अनुच्छेद 106 सांसदों को यह अधिकार देता है कि वे कानून बनाकर अपने वेतन का निर्धारण करें।1 2018 तक सांसद समय-समय पर अपने वेतन में संशोधन के लिए कानून पारित करते थे। चूंकि सांसद अपने वेतन खुद तय करते हैं, इसलिए हितों के टकराव का सवाल खड़ा होता है। 2010 में लोकसभा में इस विषय पर चर्चा के दौरान कई सांसदों ने सुझाव दिया था कि सांसदों के वेतन को तय करने के लिए एक व्यवस्था तैयार की जानी चाहिए जिसमें सांसद या पार्लियामेंटरी कमिटी शामिल न हो।[8]  

2018 में संसद ने फाइनांस एक्ट, 2018 के जरिए सांसदों के वेतन को निर्धारित करने वाले कानून में संशोधन किया ताकि हितों के टकराव को कम किया जा सके और नियमित संशोधनों को सुनिश्चित किया जाए। फाइनांस एक्ट, 2018 में प्रावधान है कि सांसदों के वेतन, दैनिक भत्ते और पेंशन में हर पांच वर्षों में बढ़ोतरी की जाएगी। इसका आधार इनकम टैक्स एक्ट, 1961 मे दिया गया लागत मुद्रास्फीति सूचकांक होगा।2  

दूसरे कई लोकतांत्रिक देशों ने इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की है। कुछ देशों में एक स्वतंत्र अथॉरिटी का गठन किया गया है (जैसे ऑस्ट्रेलिया और यूके), कुछ में सीनियर सिविल सर्वेन्ट्स के वेतन को मानदंड बनाया गया है (जैसे फ्रांस), और कुछ में मुद्रास्फीति के अनुसार वेतन को क्रमबद्ध किया जाता है (जैसे कनाडा)।[9]  युनाइडेट स्टेट्स में कानून के जरिए लेजिसलेटर्स के वेतन को तय किया जाता है लेकिन उसके संविधान में यह निर्दिष्ट है कि संशोधन तभी लागू होंगे जब हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के अगले चुनाव होंगे।[10]  तालिका 2 में बताया गया है कि विभिन्न देशों में लेजिसलेटर्स के वेतन को तय करने के क्या तरीके अपनाए जाते हैं।

तालिका 2: विभिन्न लोकतांत्रिक देशों में लेजिसलेटर्स के वेतन तय करने के तरीके9 

देश

लेजिसलेटर्स के वेतन तय करने की विभिन्न प्रक्रियाएं

मुद्रास्फीति के अनुसार वेतन

भारत

लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर हर पांच वर्ष में वृद्धि

कनाडा

पिछले वर्ष के औसत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार हर वर्ष समायोजित

स्वतंत्र अथॉरिटी द्वारा निर्धारित वेतन

युनाइडेट किंगडम

अथॉरिटी में पूर्व सांसद, पूर्व जज और ऑडिटर शामिल; सार्वजनिक क्षेत्र की औसत आय के अनुसार वेतन में वार्षिक संशोधन 

ऑस्ट्रेलिया

अथॉरिटी में सरकार, अर्थशास्त्र, कानून और सार्वजनिक प्रशासन के क्षेत्र के सदस्य शामिल, वेतन में वार्षिक संशोधन

न्यूजीलैंड

अथॉरिटी में जज, सांसद औऱ स्वतंत्र सांविधिक निकायों के सदस्य शामिल, विधि निर्माता की संसदीय स्थिति पर आधारित 

प्रशासनिक कर्मचारियों के वेतन के अनुसार वेतन 

फ्रांस

सर्वोच्च पद पर सर्वाधिक एवं निम्नतम वेतन पाने वाले प्रशासनिक अधिकारियों के औसत वेतन के आधार पर वेतन निर्धारित। प्रशासनिक अधिकारियों के वेतन को संसद के ट्रेज़रार्स (तीन सांसद) द्वारा निर्धारत किया जाता है। 

 स्रोत:संबंधित देशों की विभिन्न सरकारी वेबसाइट्स, विवरण के लिए कृपया एंडनोट 9 देखें; पीआरएस

तालिका 3: कुछ सरकारी अधिकारियों का वेतन 

पद

कोविड-19 से पहले का वेतन (रुपए प्रति माह) 

संसद सदस्य

1,00,000

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश

2,50,000

केंद्र सरकार के सचिव

2,25,000

सेबी चेयरमैन

2,25,000

आरबीआई गवर्नर

2,50,000

नोट: इस तालिका में सिर्फ मूल वेतन दिया गया है और भत्ते शामिल नहीं हैं।  

स्रोत: एंडनोट 12 में सूचीबद्ध एक्ट्स और वेबसाइट्स; पीआरएस.

भारतीय सांसद अपने वेतन खुद तय करते हैं, लेकिन हितों का यह टकराव दूसरे सरकारी अधिकारियों के वेतन को निर्धारित करने में मौजूद नहीं होता। कई दूसरे संवैधानिक पदाधिकारों जैसे राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के पारिश्रमिक को संसद द्वारा पारित कानून के जरिए निर्धारित किया जाता है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मामले में सरकार समय-समय पर स्वतंत्र वेतन आयोगों का गठन करती है ताकि उनकी वेतन संरचना की समीक्षा की जा सके और उनमें परिवर्तनों का सुझाव दिया जा सके।[11]  राज्य सरकारें भी ऐसी ही प्रक्रिया का पालन करती हैं। 

उल्लेखनीय है कि सांसदों का मूल वेतन दूसरे वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की तुलना में काफी कम है (देखें तालिका 3)।[12]

इसके अतिरिक्त विश्व के अनेक देशों में लेजिसलेटर्स को ऐसे भत्ते और सुविधाएं दी जाती हैं जिनकी मदद से वे अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें। यूएस आवास के लिए कोई भत्ता नहीं देता[13]; यूके लंदन में न रहने वाले अपने सांसदों को किराए पर घर लेने या होटल में रहने के लिए भत्ता देता है,[14]; भारतीय सांसदों को सेंट्रल दिल्ली में घर दिए जाते हैं। यूएस और यूके लेजिसलेटर्स को कैपिटल हिल/वेस्टमिन्सटर में ऑफिस स्पेस देते हैं, भारतीय सांसदों को कोई ऑफिस स्पेस नहीं दिया जाता। लेजिसलेटर्स को सपोर्ट स्टाफ और रिसर्चर्स को नौकरी पर रखने के लिए भी भत्ता दिया जाता है। यूएस में सीनेटर को लेजिसलेटिव स्टाफ रखने के लिए हर साल $500,000 दिए जाते हैं13 (जोकि लेजिसलेटिव डायरेक्टर और लगभग पांच लेजिसलेटिव असिस्टेंट्स रखने के लिए पर्याप्त होते हैं)[15]; ब्रिटेन में एक सांसद को हर वर्ष लगभग £177,000 दिए जाते हैं14 (यह 3-4 लेजिसलेटिव असिस्टेंट्स रखने के लिए पर्याप्त होते हैं); भारतीय सांसदों को हर महीने 40,000 रुपए दिए जाते हैं3 (यह एक लेजिसलेटिव असिस्टेंट की लागत को भी कवर नहीं करेगा)।

कोविड-19 की रोकथाम हेतु वित्तीय संसाधनों पर संशोधनों का प्रभाव

सांसदों और मंत्रियों के वेतन और भत्तों में संशोधन का उद्देश्य यह था कि कोरोनावायरस महामारी की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार को पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध हों।4  सवाल यह है कि क्या इस कटौती से कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए जरूरी वित्तीय संसाधनों को जुटाने में बड़ी मदद मिलेगी। 

सांसदों और मंत्रियों के वेतन और भत्तों में प्रस्तावित कटौती से लगभग 54 करोड़ रुपए की बचत होगी। केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी की रोकथाम हेतु जिस विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, उसकी कुल राशि 20 लाख करोड़ रुपए है। कटौती से उपलब्ध होने वाली राशि इस कुल राशि के 0.001% हिस्से से भी कम है। 

 

[1].  The Constitution of India, https://www.india.gov.in/sites/upload_files/npi/files/coi_part_full.pdf.

[2].  The Finance Act, 2018, http://egazette.nic.in/writereaddata/2018/184302.pdf.

[3].  The Salary, Allowances, and Pension of Members of Parliament Act, 1954, and the Rules made thereunder, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/msa_section/mpsalary.pdf.

[4].  The Salary, Allowances and Pension of Members of Parliament (Amendment) Ordinance, 2020, https://www.prsindia.org/billtrack/salary-allowances-and-pension-members-parliament-amendment-ordinance-2020.

[5].  G.S.R. 240 (E), Gazette of India, Lok Sabha Secretariat, April 7, 2020, http://www.egazette.nic.in/WriteReadData/2020/219019.pdf.

[6].  The Salaries and Allowances of Ministers Act, 1952, https://www.mha.gov.in/sites/default/files/MinisterAct1952_080714.pdf.

[7].  The Salaries and Allowances of Ministers (Amendment) Ordinance, 2020, https://www.prsindia.org/billtrack/salaries-and-allowances-ministers-amendment-ordinance-2020.

[8].  Text of debate, Lok Sabha Proceedings, August 27, 2010, http://loksabhadocs.nic.in/debatestextmk/15/V/2708.pdf.

[9].  UK Parliament website; The National Assembly in the French Institutions, International Affairs and Defence Service, February 2013; Website of Remuneration Tribunal – Australia; Website of Victorian Independent Remuneration Tribunal; Website of Remuneration Authority of New Zealand; Salaries and Allowances of Members, Website of Parliament of Canada – all accessed last on June 16, 2020.

[10]. Twenty Seventh Amendment to the United States Constitution, https://constitution.congress.gov/constitution/amendment-27/.

[11].  Report of the Seventh Central Pay Commission, November 2015, https://doe.gov.in/sites/default/files/7cpc_report_eng.pdf.

[12].  Seventh Pay Commission; the Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Act, 1958; the Finance Act, 2018; Securities and Exchange Board of India (Terms and Conditions of Service of Chairman and Members) Rules, 1992; Monthly emoluments of top management, Reserve Bank of India, as of February 2020.

[13].  Congressional Salaries and Allowances: In Brief, US Congressional Service, December 30, 2019, https://crsreports.congress.gov/product/pdf/RL/RL30064.

[14].  The Scheme of MPs’ Business Costs and Expenses, 2020-21, Independent Parliamentary Standards Authority, March 12, 2020, https://www.theipsa.org.uk/media/185642/scheme-of-mps-business-costs-and-expenses-2020-21.pdf.

[15]. Staff Pay Levels for Selected Positions in Senators’ Offices, FY2001-FY2008, Congressional Research Service, June 11, 2019, https://fas.org/sgp/crs/misc/R44324.pdf.

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।