मंत्रालय:
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई)
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री कलराज मिश्र ने 20 अप्रैल, 2015 को लोकसभा में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) (संशोधन) बिल, 2015 पेश किया। यह बिल एमएसएमई एक्ट, 2006 में संशोधन करता है। यह एक्ट उद्योगों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम की श्रेणी में रखकर उन्हें रेगुलेट करता है।
- यह बिल सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों में संयंत्रों और मशीनरी में निवेश के लिए अलाउंस बढ़ाने का प्रावधान करता है। बिल के प्रमुख प्रावधानों में निम्नलिखित शामिल हैं :
- वस्तुओं के निर्माण या उत्पादन में लगे उद्यमों के लिए मशीनरी या संयंत्र में निवेश की सीमा और सेवा उद्यमों के लिए संयंत्र में निवेश की सीमा बढ़ा दी गई है। एक्ट के तहत अलाउंस में बढ़ोतरी को तालिका 1 और 2 में स्पष्ट किया गया है।
तालिका 1 : निर्माण/उत्पादन उद्यमों के लिए निवेश सीमा की तुलना (रुपए में)
उद्यम का प्रकार |
एमएसएमई एक्ट, 2006 |
एमएसएमई बिल, 2015 |
सूक्ष्म |
25 लाख |
50 लाख |
लघु |
25 लाख से 5 करोड़ |
50 लाख से 10 करोड़ |
मध्यम |
5 करोड़ से 10 करोड़ |
10 करोड़ से 30 करोड़ |
तालिका 2 : सेवा उद्यमों के लिए निवेश सीमा की तुलना (रुपए में)
उद्यम का प्रकार |
एमएसएमई एक्ट, 2006 |
एमएसएमई बिल, 2015 |
सूक्ष्म |
10 लाख |
20 लाख |
लघु |
10 लाख से 2 करोड़ |
20 लाख से 5 करोड़ |
मध्यम |
2 करोड़ से 5 करोड़ |
5 करोड़ से 15 करोड़ |
- केंद्र सरकार एक अधिसूचना के जरिये इन निवेश सीमाओं को निर्दिष्ट सीमा से तीन गुना तक बढ़ा सकती है।
- एक्ट के तहत केंद्र सरकार सूक्ष्म, छोटे या ग्रामीण उद्योगों को लघु उद्यम के रूप में वर्गीकृत कर सकती है। बिल सूक्ष्म, छोटे या ग्रामीण उद्योगों को लघु के साथ-साथ मध्यम उद्योगों में रखने के लिए यह दायरा बढ़ाए जाने का प्रावधान करता है।
यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।