मंत्रालय: 
शहरी विकास
  • अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अर्जन (संशोधन) बिल, 2017 लोकसभा में 18 जुलाई, 2017 को पेश किया गया। बिल अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अर्जन एक्ट, 1952 में संशोधन करता है।
     
  • 1952 का एक्ट : एक्ट के अंतर्गत किसी सार्वजनिक उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार अचल संपत्ति (या जमीन) का अधिग्रहण कर सकती है। यह सार्वजनिक उद्देश्य केंद्र सरकार का उद्देश्य होना चाहिए (जैसे रक्षा, केंद्र सरकार के कार्यालय और आवास)। जब संपत्ति के अधिग्रहण का उद्देश्य समाप्त हो जाए तो संपत्ति को उसके मालिक को वैसी ही स्थिति में लौटा दिया जाना चाहिए, जैसी कब्जे के समय उस संपत्ति की थी।
     
  • केंद्र सरकार ऐसी अधिग्रहित संपत्ति को दो स्थितियों में अर्जित (एक्वायर) कर सकती है : (i) अगर केंद्र सरकार ने ऐसी संपत्ति पर कोई निर्माण किया है, और उस निर्माण को इस्तेमाल करने का अधिकार सरकार के पास होना जरूरी है, या (ii) उस संपत्ति को मूल स्थिति में लाने की कीमत बहुत ज्यादा है और मुआवजा लिए बिना मालिक उसे वापस लेने को तैयार नहीं है।

बिल की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं :

  • पूर्वप्रभाव से लागू : एक्ट के लागू होने की तिथि 14 मार्च, 1952 से यह बिल लागू माना जाएगा।
     
  • अधिग्रहण के लिए नोटिस दोबारा जारी करना : एक्ट के अंतर्गत, किसी अधिग्रहित संपत्ति को अर्जित करने के समय, केंद्र सरकार को इस अर्जन के संबंध में अधिसूचना जारी करनी होगी। ऐसी सूचना जारी करने से पहले सरकार को संपत्ति के मालिक (या संपत्ति के लिए मुआवजे का दावा करने वाले किसी अन्य व्यक्ति) को सुनवाई का अवसर देना होगा। सुनवाई के समय संपत्ति के मालिक को इस बात की वजह बनाती होगी कि संपत्ति का अधिग्रहण क्यों नहीं किया जाना चाहिए। बिल कहता है कि सरकार संपत्ति के मालिक (या संपत्ति में रुचि रखने वाले व्यक्ति) को दोबारा नोटिस जारी कर सकती है ताकि उसे सुनवाई का पर्याप्त अवसर मिल सके। ऐसा किसी पिछले अदालती आदेश या फैसले के बावजूद किया जाएगा जिसमें अधिग्रहण के नोटिस को नकारा गया हो। हालांकि नोटिस दोबारा जारी करने का मामला उन स्थितियों में लागू नहीं होता, जब मुआवजा दे दिया गया हो और दावा करने वालों ने उसे स्वीकार कर लिया हो।
     
  • मुआवजे पर देय ब्याज : जिन मामलों में नोटिस दोबारा जारी किया गया हो, उन स्थितियों में संपत्ति का मालिक (या संपत्ति में रुचि रखने वाला व्यक्ति) मुआवजे पर ब्याज पाने का भी हकदार होगा। पहला नोटिस जारी करने से लेकर मुआवजे के अंतिम भुगतान की तारीख के बीच की अवधि के लिए इस ब्याज की गणना की जाएगी। यह ब्याज दर घरेलू फिक्स डिपॉजिट पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की सालाना ब्याज दर के बराबर होगी, जोकि किसी भी प्रासंगिक समय पर लागू हो।
     
  • बढ़े हुए मुआवजा का प्रावधान: बिल कहता है कि यह बढ़ा हुआ मुआवजा दो स्थितियों में दिया जाएगा : (i) अगर अधिग्रहण का नोटिस दोबारा जारी किया जाता है, और (ii) अगर जमीन का अधिग्रहण राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा के उद्देश्य से किया जाता है।

 

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