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आपदा प्रबंधन (संशोधन) बिल, 2024 को 1 अगस्त, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया। यह बिल आपदा प्रबंधन एक्ट, 2005 में संशोधन करता है। 2005 का एक्ट निम्नलिखित प्राधिकरणों की स्थापना करता है: (i) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), (ii) राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए), और (iii) जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण। ये प्राधिकरण क्रमशः राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं।
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आपदा प्रबंधन योजनाओं की तैयारी: एक्ट के तहत राष्ट्रीय कार्यकारी समिति और राज्य कार्यकारी समिति के गठन का प्रावधान है जो क्रमश: एनडीएमए और एसडीएमए के कार्यों में सहायता करेंगी। इन समितियों का एक प्रमुख कार्य क्रमशः राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार करना है। एनडीएमए और एसडीएमए संबंधित योजनाओं को मंजूरी देते हैं और उन योजनाओं के कार्यान्वयन को समन्वित करते हैं। इसके बजाय बिल में प्रावधान है कि एनडीएमए और एसडीएमए आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार करेंगे।
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एनडीएमए और एसडीएमए के कार्य: एक्ट के तहत, अपने संबंधित स्तरों पर एनडीएमए और एसडीएमए के प्रमुख कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सरकारी विभागों की आपदा प्रबंधन योजनाओं की समीक्षा करना, (ii) स्वयं से निचले प्राधिकरणों के लिए आपदा प्रबंधन योजनाओं की तैयारी हेतु दिशानिर्देश निर्धारित करना, और (iii) आपदा शमन के लिए धनराशि से संबंधित प्रावधानों का सुझाव देना। बिल में इन प्राधिकरणों के लिए कुछ कार्य जोड़े गए हैं जो वे अपने-अपने स्तर पर पूर्ण करेंगे। इनमें निम्नलिखित शामिल है: (i) मौसम की चरम घटनाओं से उभरते संकट सहित आपदा जोखिमों का समय-समय पर जायज़ा लेना, (ii) स्वयं से निचले प्राधिकरणों को तकनीकी सहायता प्रदान करना, (iii) राहत के न्यूनतम मानकों के लिए दिशानिर्देशों का सुझाव देना, और (iv) क्रमश: राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय आपदाओं के लिए डेटाबेस तैयार करना। डेटाबेस में निम्नलिखित जानकारी होगी: (i) आपदा जोखिमों के प्रकार और उनकी गंभीरता, (ii) धनराशि का आवंटन और व्यय, और (iii) आपदाओं की तैयारी और शमन योजनाएं। एनडीएमए के कार्यों में निम्नलिखित भी शामिल होंगे: (i) आपदाओं के संबंध में राज्यों की तैयारियों का आकलन करना, और (ii) आपदा के बाद उससे संबंधित तैयारियों और प्रतिक्रियाओं को ऑडिट करना।
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बिल एनडीएमए को यह अधिकार भी देता है कि वह केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति से एक्ट के तहत रेगुलेशंस बना सकता है।
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शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण: बिल राज्य सरकार को यह अधिकार देता है कि वह राजधानी और नगर निगम वाले शहरों के लिए एक अलग शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बना सकती है। शहरी प्राधिकरण की अध्यक्षता नगर निगम आयुक्त द्वारा की जाएगी, और जिला कलेक्टर द्वारा उसकी उपाध्यक्षता। अन्य सदस्यों को राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट किया जाएगा। यह शहरी प्राधिकरण अपने तहत आने वाले क्षेत्र के लिए आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार करेगा और उन्हें लागू करेगा।
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राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल का गठन: एक्ट आपदाओं की स्थिति में विशेष प्रतिक्रिया के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के गठन का प्रावधान करता है। बिल राज्य सरकार को राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) गठित करने का अधिकार देता है। राज्य सरकार एसडीआरएफ के कार्यों को परिभाषित करेगी और इसके सदस्यों के लिए सेवा की शर्तें निर्धारित करेगी।
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मौजूदा समितियों का वैधानिक दर्जा: बिल मौजूदा निकायों जैसे राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) और उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) को वैधानिक दर्जा प्रदान करता है। एनसीएमसी एक नोडल निकाय के तौर पर काम करेगा और गंभीर या राष्ट्रीय प्रभाव वाली मुख्य आपदाओं से निपटेगा। आपदा के दौरान राज्य सरकारें एचएलसी को वित्तीय सहायता प्रदान करेंगी। यह राष्ट्रीय आपदा शमन कोष से वित्तीय सहायता को मंजूर करेगी। एनसीएमसी की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव द्वारा की जाएगी। आपदा प्रबंधन पर प्रशासनिक नियंत्रण वाले विभाग के मंत्री द्वारा एचएलसी की अध्यक्षता की जाएगी।
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एनडीएमए में नियुक्तियां: एक्ट में प्रावधान है कि केंद्र सरकार एनडीएमए को आवश्यकतानुसार अधिकारी, सलाहकार और कर्मचारी उपलब्ध कराएगी। इसके बजाय बिल में कहा गया है कि एनडीएमए को केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के साथ अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या और श्रेणी निर्दिष्ट करने का अधिकार है। एनडीएमए आवश्यकतानुसार विशेषज्ञों और सलाहकारों की नियुक्ति भी कर सकता है।
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