मंत्रालय: 
रक्षा
  • आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021 को 30 जून, 2021 को जारी किया गया। अध्यादेश केंद्र सरकार को आवश्यक रक्षा सेवाओं में संलग्न इकाइयों में हड़ताल, तालाबंदी और छंटनी पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है। अध्यादेश की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
     

  • आवश्यक रक्षा सेवा: आवश्यक रक्षा सेवाओं में निम्नलिखित में संचालित होने वाली कोई भी सेवा शामिल है: (i) रक्षा संबंधी उद्देश्यों के लिए जरूरी वस्तुओं या उपकरणों का निर्माण करने वाला कोई इस्टैबलिशमेंट या उपक्रम, या (ii) सशस्त्र बलों या उसने जुड़ा हुआ कोई इस्टैबलिशमेंट या रक्षा संबंधी कोई इस्टैबलिशमेंट। इनमें ऐसी सेवाएं भी शामिल हैं, जो अगर रुक जाएं तो ऐसी सेवाओं से संलग्न इस्टैबलिशमेंट या उनके कर्मचारियों की सुरक्षा पर असर होगा। इसके अतिरिक्त सरकार किसी सेवा को आवश्यक रक्षा सेवा घोषित कर सकती है, अगर उसके बंद होने से निम्नलिखित प्रभावित हों: (i) रक्षा उपकरण या वस्तुओं का निर्माण, (ii) ऐसा निर्माण करने वाले औद्योगिक इस्टैबलिशमेंट्स या इकाइयों का संचालन या रखरखाव, या (iii) रक्षा से जुड़े उत्पादों की मरम्मत या रखरखाव।

  • हड़तालें: अध्यादेश के अंतर्गत हड़ताल का अर्थ है, एक साथ काम करने वाले लोगों के संगठन का काम बंद करना। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सामूहिक रूप से कैजुअल लीव लेना, (ii) लोगों का काम जारी रखने या रोजगार मंजूर करने से एक साथ इनकार करना (ऐसे लोगों की संख्या कुछ भी हो सकती है), (iii) उस काम में ओवरटाइम करने से इनकार करना, जो आवश्यक रक्षा सेवाओं के रखरखाव के लिए जरूरी है, और (iv) ऐसा कोई आचरण जिससे आवश्यक रक्षा सेवाओं में रुकावट आती है, या आने की आशंका है।

  • हड़तालों, तालाबंदी और छंटनी पर प्रतिबंध: अध्यादेश के अंतर्गत केंद्र सरकार आवश्यक रक्षा सेवाओं से जुड़ी इकाइयों में हड़तालों, तालाबंदी और छंटनियों पर प्रतिबंध लगा सकती है। सरकार निम्नलिखित के हित के लिए जरूरी होने पर ऐसे आदेश दे सकती है: (i) भारत की संप्रभुता और एकता, (ii) किसी राज्य की सुरक्षा, (iii) सार्वजनिक व्यवस्था, (iv) जनता, (v) शालीनता, या (vi) नैतिकता। प्रतिबंध के आदेश छह महीने तक लागू रहेंगे और छह महीने के लिए बढ़ाए जा सकते हैं।

  • प्रतिबंध का आदेश जारी होने के बाद या उसके पहले शुरू की गई हड़ताल और तालाबंदी अवैध होगी। बिजली की कमी या प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाली छंटनी या अस्थायी या कैजुअल कर्मचारियों की छंटनी पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा।

  • गैरकानूनी तालाबंदी और छंटनियों पर सजा: अगर नियोक्ता गैरकानूनी तालाबंदी या छंटनियों के जरिए प्रतिबंध के आदेश का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें एक वर्ष तक की कैद की सजा हो सकती है या 10,000 रुपए का जुर्माना हो सकता है, या दोनों सजाएं भुगतनी पड़ सकती हैं।  

  • गैरकानूनी हड़ताल पर सजा: गैरकानूनी हड़ताल शुरू करने या उसमें भाग लेने वाले व्यक्तियों को एक वर्ष तक की कैद की सजा हो सकती है या 10,000 रुपए का जुर्माना हो सकता है, या दोनों सजाएं भुगतनी पड़ सकती हैं। अवैध हड़तालों के लिए भड़काने, उकसाने या उसे जारी रखने की कार्रवाई करने, या ऐसे उद्देश्यों के लिए धन मुहैय्या कराने वाले लोगों को दो वर्ष तक की कैद की सजा हो सकती है या 15,000 रुपए का जुर्माना हो सकता है, या दोनों सजाएं भुगतनी पड़ सकती हैं। इसके अतिरिक्त ऐसे कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इस कार्रवाई में सेवा की शर्तों के अनुसार नौकरी से बर्खास्तगी शामिल है। ऐसे मामलों में संबंधित अथॉरिटी को इस बात की अनुमति है कि वह जांच के बिना उस कर्मचारी को बर्खास्त कर दे या नौकरी से हटा दे, अगर ऐसी जांच करना बहुत अधिक व्यावहारिक न हो।

  • अध्यादेश के अंतर्गत सभी अपराध संज्ञेय और गैरजमानती हैं।

  • पब्लिक यूटिलिटी सर्विस (लोक उपयोगी सेवा): अध्यादेश औद्योगिक विवाद एक्ट, 1947 में संशोधन करता है ताकि आवश्यक रक्षा सेवाओं को लोक उपयोगी सेवाओं में शामिल किया जा सके। एक्ट के अंतर्गत लोक उपयोगी सेवाओं के मामले में निम्न को छह हफ्ते का नोटिस देना जरूरी है: (i) ऐसी सेवाओं में काम करने वाले लोग जो कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन करके हड़ताल पर जाते हैं, या (ii) ऐसी सेवाएं प्रदान करने वाले नियोक्ता जो तालाबंदी करते हैं।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।