मंत्रालय: 
मानव संसाधन विकास
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (संशोधन) बिल, 2023 को लोकसभा में 28 जुलाई, 2023 को पेश किया गया। बिल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एक्ट, 2017 में संशोधन करता है। यह एक्ट इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित करता है और उनके कामकाज को रेगुलेट करता है। आईआईएम मैनेजमेंट और संबंधित क्षेत्रों में पोस्टग्रैजुएट शिक्षा प्रदान करते हैं।

  • विज़िटरबिल भारत के राष्ट्रपति को एक्ट के तहत आने वाले प्रत्येक इंस्टीट्यूट के विज़िटर के रूप में नामित करता है।

  • आईआईएम के डायरेक्टर्स की नियुक्ति और उन्हें हटाना: एक्ट के तहतआईआईएम के डायरेक्टर की नियुक्ति एक सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी के सुझावों के आधार परबोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा की जाती है। बिल बोर्ड को आदेश देता है कि वह इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर की नियुक्त करने से पहले विज़िटर की मंजूरी ले। डायरेक्टर के चयन की प्रक्रिया केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी। एक्ट के तहतसर्च कमिटी में बोर्ड का एक चेयरपर्सन होता है और तीन सदस्य प्रतिष्ठित एडमिनिस्ट्रेटर्स, उद्योगपतियोंशिक्षाविदों में से चुने जाते हैं। बिल इन सदस्यों की संख्या को घटाकर दो करता है, और विज़िटर द्वारा नामित एक और सदस्य को जोड़ता है।

  • एक्ट के तहतबोर्ड निम्नलिखित आधार पर डायरेक्टर को पद से हटा सकता है: (i) इनसॉल्वेंसी, (ii) मानसिक और शारीरिक अक्षमता, (iii) हितों का टकराव। बिल में कहा गया है कि डायरेक्टर को हटाने से पहले बोर्ड को विज़िटर की पूर्व मंजूरी की आवश्यकता होगी। बिल विज़िटर को डायरेक्टर की सेवाओं को समाप्त करने का अधिकार भी देता हैजैसा कि निर्दिष्ट किया जा सकता है।

  • बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरपर्सन की नियुक्तिएक्ट के तहतहर इंस्टीट्यूट के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरपर्सन की नियुक्ति बोर्ड द्वारा की जाती है। बिल इसमें संशोधन करता है और प्रावधान करता है कि बोर्ड के चेयरपर्सन को विज़िटर द्वारा नामित किया जाएगा।

  • आईआईएम के खिलाफ जांच: एक्ट बोर्ड को यह अधिकार देता है कि अगर कोई इंस्टीट्यूट एक्ट के अनुसार काम नहीं कर रहा तो वह उसके खिलाफ जांच शुरू कर सकता है। उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश यह जांच करते हैं। अपने निष्कर्षों के आधार पर, बोर्ड कोई भी कार्रवाई कर सकता है, जो वह उचित समझे। बिल इन सभी प्रावधानों को हटाता है, और पूछताछ के लिए एक नई प्रक्रिया का प्रस्ताव करता है। बिल विज़िटर को पूछताछ का अधिकार देता है। विज़िटर किसी इंस्टीट्यूट के काम की समीक्षा करने और उससे संबंधित मामलों की जांच करने के लिए व्यक्तियों को नियुक्त कर सकते हैं। इस पूछताछ की रिपोर्ट के आधार पर, विज़िटर निर्देश जारी कर सकते हैं जो इंस्टीट्यूट पर बाध्यकारी होंगे। बोर्ड विज़िटर को इस पूछताछ का सुझाव भी दे सकता है।

  • बोर्ड को भंग करनाबिल में प्रावधान है कि केंद्र सरकार किसी इंस्टीट्यूट के बोर्ड को भंग करने या निलंबित करने के लिए शर्तें और प्रक्रिया निर्धारित कर सकती है। अगर किसी बोर्ड को निलंबित या भंग कर दिया जाता हैतो केंद्र सरकार छह महीने के लिए या नए बोर्ड के गठन तक एक अंतरिम बोर्ड का गठन करेगी।

  • को-ऑर्डिनेशन फोरमएक्ट सभी इंस्टीट्यूट्स के लिए एक को-ऑर्डिनेशन फोरम का प्रावधान करता है। फोरम के चेयरपर्सन का चयन फोरम द्वारा गठित एक सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी द्वारा किया जाता है। बिल में यह प्रावधान करते हुए संशोधन किया गया है कि चेयरपर्सन को विज़िटर द्वारा नामित किया जाएगा। एक्ट के तहत फोरम में दो वर्षों के लिए रोटेशन के आधार पर चार इंस्टीट्यूट्स के चेयरपर्सन्स होंगे। इन चार चेयरपर्सन्स को फोरम के चेयरपर्सन द्वारा नामित किया जाता है। बिल में यह संशोधन किया गया है कि सभी इंस्टीट्यूट्स के चेयरपर्सन्स फोरम के पदेन सदस्य होंगे।

  • इंस्टीट्यूट्स का निगमन: एक्ट में प्रावधान है कि जब कोई मौजूदा इंस्टीट्यूट इस एक्ट के तहत आईआईएम में परिवर्तित हो जाता हैतो इस संस्थान के हर कर्मचारी का कार्यकालवेतनपेंशन पहले की ही तरह रहेंगे। बिल इन इंस्टीट्यूट्स के डायरेक्टर को इस प्रावधान से बाहर करता है।

  • एनआईटीआईईमुंबई: बिल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग (एनआईटीआईई), मुंबई को आईआईएम, मुंबई के रूप में वर्गीकृत करता है।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) की स्वीकृति के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।