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विधि एवं न्याय
  • इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2017 को 23 नवंबर, 2017 को जारी किया गया। यह अध्यादेश इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता, 2016 में संशोधन करता है। संहिता कंपनियों और व्यक्तियों के बीच इनसॉल्वेंसी को रिज़ॉल्व करने के लिए एक समयबद्ध प्रक्रिया प्रदान करती है। इनसॉल्वेंसी वह स्थिति है, जब व्यक्ति या कंपनियां अपनी बकाया ऋण नहीं चुका पाते।
     
  • रेज़ोल्यूशन एप्लीकेंट : संहिता रेज़ोल्यूशन एप्लीकेंट की व्याख्या एक ऐसे व्यक्ति के रूप में करती है जो इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल को रेज़ोल्यूशन प्लान सौंपता है। (एक रेज़ोल्यूशन प्लान इस बात का विवरण देता है कि भुगतान न करने वाले (डीफॉल्टिंग) देनदार के ऋण को किस प्रकार पुनर्गठित किया जा सकता है)। अध्यादेश इस प्रावधान में संशोधन करता है ताकि रेज़ोल्यूशन एप्लीकेंट की व्याख्या एक ऐसे व्यक्ति के रूप में की जा सके जो इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल द्वारा मांगने के बाद रेज़ोल्यूशन प्लान सौंपता है।
     
  • रेज़ोल्यूशन एप्लीकेंट की योग्यता : संहिता स्पष्ट करती है कि इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल डीफॉल्टिंग कंपनी का नियंत्रण संभालेगा और एप्लीकेंट्स से रेज़ोल्यूशन प्लान सौंपने को कहेगा। अध्यादेश इस प्रावधान में संशोधन करता है और कहता है कि रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल केवल उन्हीं रेज़ोल्यूशन एप्लीकेंट्स को प्लान सौंपने को कहेगा जो उसके या इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करेंगे। प्रोफेशनल द्वारा निर्धारित मानकों को क्रेडिटर्स की कमिटी द्वारा पूर्व मंजूरी की जरूरत होगी।
     
  • रेज़ोल्यूशन एप्लीकेंट की अयोग्यता : अध्यादेश एक प्रावधान को संहिता में सम्मिलित करता है। यह प्रावधान कुछ व्यक्तियों को रेज़ोल्यूशन एप्लीकेंट होने और रेज़ोल्यूशन प्लान सौंपने से प्रतिबंधित करता है। एक व्यक्ति रेज़ोल्यूशन प्लान सौंपने के अयोग्य है, अगर : (i) वह अनडिस्चार्ड इनसॉल्वेंट है (ऐसा व्यक्ति जो अपना ऋण नहीं चुका सकता), (ii) वह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा चिन्हित विलफुल डीफॉल्टर है (यानी उसने जानबूझकर डीफॉल्ट किया है), (iii) उसके एकाउंट को एक वर्ष से अधिक समय से नॉन परफॉर्मिंग एसेट के रूप में चिन्हित किया गया है, (iv) उसे ऐसे अपराध का दोषी ठहराया गया है जिसकी सजा दो या उससे अधिक वर्षों का कारावास है, (v) उसे कंपनी एक्ट, 2013 के अंतर्गत निदेशक के रूप में अयोग्य ठहराया गया है, (vi) उसे सिक्योरिटी में ट्रेडिंग करने से प्रतिबंधित किया गया है, (vii) वह अंडरवैल्यूड या धोखाधड़ी वाले लेनदेन में शामिल है, (viii) उसने किसी ऐसे व्यक्ति के पक्ष में एनफोर्सेबल गारंटी दी है जो रेज़ोल्यूशन की प्रक्रिया में शामिल डीफॉल्टर का क्रेडिटर है, (ix) वह उपरोक्त किसी भी व्यक्ति से संबंधित है (इसमें प्रमोटर या रेज़ोल्यूशन प्लान को लागू करने के दौरान डीफॉल्टिंग कंपनी का नियंत्रण संभालने वाले व्यक्ति शामिल हैं), (x) या वह भारत से बाहर इनमें से किसी गतिविधि में शामिल है।
     
  • रेज़ोल्यूशन प्लान की मंजूरी : संहिता स्पष्ट करती है कि क्रेडिटर्स की कमिटी 75% के बहुमत से रेज़ोल्यूशन प्लान को मंजूर करेगी। अध्यादेश इस प्रावधान में संशोधन करता है और कहता है कि कमिटी 75% के बहुमत के साथ रेज़ोल्यूशन प्लान को मंजूर करेगी जोकि इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी बोर्ड द्वारा निर्धारित अन्य शर्तों के अधीन होगा।
     
  • अध्यादेश जारी होने से पहले सौंपे गए रेज़ोल्यूशन प्लान को उन स्थितियों में मंजूर नहीं किया जाएगा, जब उसे रेज़ोल्यूशन एप्लीकेंट होने के अयोग्य व्यक्ति द्वारा सौंपा गया हो। अध्यादेश ऐसे प्लान्स को मंजूर करने से क्रेडिटर्स की कमिटी को प्रतिबंधित करता है।
     
  • लिक्विडेशन : संहिता के अंतर्गत इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल को लिक्विडेशन की स्थिति में देनदार की चल या अचल संपत्ति को बेचने की अनुमति दी गई है। अध्यादेश इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल को इस संपत्ति को ऐसे किसी व्यक्ति को बेचने से प्रतिबंधित करता है जो रेज़ोल्यूशन एप्लीकेंट होने के अयोग्य है।
     
  • दंड : अध्यादेश एक प्रावधान को सम्मिलित करता है और स्पष्ट करता है कि अगर कोई व्यक्ति संहिता के ऐसे प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जिसके लिए कोई दंड विनिर्दिष्ट नहीं किया गया है, तो उसे एक लाख रुपए से दो करोड़ रुपए के बीच का जुर्माना भरना पड़ेगा।

 

 

 

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