मंत्रालय: 
वित्त
  • इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2019 को 28 दिसंबर, 2019 को जारी किया गया। यह अध्यादेश इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता, 2016 में संशोधन करता है। इनसॉल्वेंसी वह स्थिति है, जब व्यक्ति या कंपनियां अपना बकाया ऋण नहीं चुका पाते। संहिता इनसॉल्वेंसी को रिज़ॉल्व करने हेतु एक समयबद्ध प्रक्रिया प्रदान करती है।
     
  • रेज़ोल्यूशन की प्रक्रिया को शुरू करने की न्यूनतम सीमा: संहिता के अंतर्गत फाइनांशियल क्रेडिटर (खुद या दूसरे फाइनांशियल क्रेडिटर्स के साथ संयुक्त रूप से) इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन की प्रक्रिया की शुरुआत करने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में आवेदन कर सकता है। अध्यादेश फाइनांशियल क्रेडिटर्स की कुछ विशेष श्रेणियों के लिए न्यूनतम सीमा तय करने हेतु इस प्रावधान में संशोधन करता है। रियल ऐस्टेट प्रॉजेक्ट्स के मामले में रेज़ोल्यूशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए किसी प्रॉजेक्ट के कम से कम 100 एलॉटीज़ (जिन व्यक्तियों को प्लॉट, अपार्टमेंट या बिल्डिंग अलॉट हुई है या बेची गई है) या कुल एलॉटीज़ के 10% सदस्यों (इनमें से जो भी कम हो) को संयुक्त रूप से आवेदन करना होगा।
     
  • दूसरे फाइनांशियल क्रेडिटर्स के लिए, जहां ऋण (i) सिक्योरिटीज़ या डिपॉजिट्स के रूप में हैं, या (ii) क्रेडिटर्स की एक श्रेणी पर बकाया हैं, आवेदन उसी श्रेणी के कम से कम 100 क्रेडिटर्स या उसी श्रेणी के कुल क्रेडिटर्स के 10% सदस्यों (इनमें से जो भी कम हों) द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाना चाहिए।
     
  • आवेदन करने पर रोक: संहिता कुछ कॉरपोरेट देनदारों को रेज़ोल्यूशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवेदन करने से रोकती है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन प्रक्रिया से गुजरने वाले कॉरपोरेट देनदार, (ii) आवेदन करने से 12 महीने पहले रेज़ोल्यूशन प्रक्रिया खत्म करने वाले कॉरपोरेट देनदार, (iii) रेज़ोल्यूशन प्लान की शर्तों का उल्लंघन करने वाले कॉरपोरेट देनदार या फाइनांशियल क्रेडिटर्स, और (iv) जिन कॉरपोरेट देनदारों के संबंध में लिक्विडेशन आदेश पारित किया गया है। अध्यादेश स्पष्ट करता है कि इन कॉरपोरेट देनदारों को किसी दूसरे कॉरपोरेट देनदार के खिलाफ रेज़ोल्यूशन प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति होगी।
     
  • इनसॉल्वेंसी के आधार पर परमिट, लाइसेंस और पंजीकरण रद्द नहीं: अध्यादेश कहता है कि इनसॉल्वेंसी के आधार पर सरकार या स्थानीय प्रशासन का मौजूदा लाइसेंस, परमिट, पंजीकरण, कोटा, छूट या मंजूरी सस्पेंड या रद्द नहीं होगी। हालांकि इसे इस्तेमाल करने या जारी रखने के लिए बकाया देय के भुगतान में कोई डीफॉल्ट नहीं होना चाहिए।
     
  • महत्वपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई को रोका नहीं जाएगा: अध्यादेश कहता है कि रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल यह आदेश दे सकता है कि उन विशिष्ट वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई स्थगन अवधि के दौरान रोकी नहीं जा सकती, जोकि कॉरपोरेट देनदार के कामकाज के लिए महत्वपूर्ण है। स्थगन अवधि उस समय अवधि को कहते हैं जब एनसीएलटी लोगों को कॉरपोरेट देनदार के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक सकती है, जैसे रिकवरी संबंधी मुकदमा दायर करना। यह प्रावधान तब लागू नहीं होगा, अगर देनदार ने सप्लायर्स का बकाया नहीं चुकाया है, या कुछ निर्दिष्ट स्थितियों में।
     
  • पूर्व अपराधों के लिए लायबिलिटी: संहिता के अंतर्गत रेज़ोल्यूशन प्लान के परिणामस्वरूप कॉरपोरेट देनदार के प्रबंधन या नियंत्रण में परिवर्तन हो सकता है। अध्यादेश कहता है कि कॉरपोरेट देनदारों को रेज़ोल्यूशन प्रक्रिया शुरू करने से पहले किए गए अपराधों पर लायबिल नहीं ठहराया जाएगा। यह लायबिलिटी एनसीएलटी के द्वारा प्लान मंजूर करने की तारीख से समाप्त हो जाएगी। अध्यादेश में कॉरपोरेट देनदार को उसकी संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई से इम्युनिटी दी गई है, जैसे ऐसे मामलों में संपत्ति की कुर्की, या उसे जब्त करना या उसका लिक्विडेशन। 
     
  • कुछ मामलों में इम्यूनिटीपूर्व अपराधों के लिए किसी व्यक्ति को इम्यूनिटी मिलेगी, अगर वह व्यक्ति (i) प्रमोटर नहीं है, या कॉरपोरेट देनदार के प्रबंधन या नियंत्रण में शामिल नहीं है, या ऐसे व्यक्ति से संबंधित पक्ष का नहीं है, (ii) वह व्यक्ति नहीं है जिसके खिलाफ जांच अधिकारियों ने शिकायत सौंपी या दायर नहीं की है, या जिसके बारे में इस बात को मानने के कारण हैं कि उसने अपराध के लिए उकसाया है या षडयंत्र रचा है।

 

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