मंत्रालय: 
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
  • सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्री थावर चंद गहलौत ने 18 जुलाई, 2018 को लोकसभा में ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मेंटल रीटार्डेशन और मल्टीपल डिसेबिलिटीज के शिकार लोगों के लिए राष्ट्रीय कल्याण कोष (संशोधन) बिल, 2018 पेश किया। बिल ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मेंटल रीटार्डेशन और मल्टीपल डिसेबिलिटीज के शिकार लोगों के लिए राष्ट्रीय कल्याण कोष एक्ट, 1999 में संशोधन करता है।
     
  • 1999 का एक्ट एक राष्ट्रीय कोष की स्थापना करता है ताकि विकलांगता के शिकार लोग स्वतंत्रता से अपना जीवन जी सकें। इसके लिए कोष निम्नलिखित कार्य करता है : (i) उनके माता-पिता की मृत्यु की स्थिति में उनके संरक्षण के उपाय करना, (ii) उनके अभिभावक और ट्रस्टीज को नियुक्त करना, और (iii) समाज में उन्हें समान अवसर दिलाने में मदद करना।
     
  • बोर्ड का कार्यकाल : एक्ट के अंतर्गत राष्ट्रीय कोष के बोर्ड के चेयरपर्सन और सदस्यों का कार्यकाल अपनी नियुक्ति की तिथि से तीन साल तक होगा। या फिर जब तक उनका उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं होता। इनमें से जो भी अवधि लंबी होगी, ये लोग तब तक अपने पद पर बने रहेंगे। बिल इस प्रावधान में संशोधन करता है ताकि बोर्ड के चेयरपर्सन और सदस्यों का कार्यकाल तीन साल तय किया जा सके। इसके अतिरिक्त बिल के अनुसार केंद्र सरकार बोर्ड के चेयरपर्सन या किसी सदस्य के कार्यकाल के समाप्त होने के छह महीने पहले उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया को शुरू कर देगी।
     
  • चेयरपर्सन का त्यागपत्र : एक्ट के अनुसार अगर बोर्ड के चेयरपर्सन या सदस्य अपने पद से त्यागपत्र देते हैं तो भी केंद्र सरकार द्वारा उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति तक वे अपने पद पर बने रहेंगे। बिल इस प्रावधान में संशोधन करता है और बोर्ड के चेयरपर्सन या सदस्यों को इस बात की अनुमति देता है कि केंद्र सरकार द्वारा त्यागपत्र मंजूर करने तक वे अपने पद पर बने रहेंगे।

 

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