मंत्रालय: 
श्रम एवं रोजगार

ड्राफ्ट नियमों की मुख्य विशेषताएं

  • 300 या उससे अधिक श्रमिकों वाले कारखानों, खदानों और बागानों को छंटनी की नियत तारीख के कम से कम 15 दिन पहले, कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की नियत तारीख से 60 दिन पहले और कामबंदी की नियत तारीख से 90 दिन पहले अनुमति के लिए आवेदन करना होगा। 
     
  • ड्राफ्ट नियमों में नियोक्ताओं से यह अपेक्षित है कि वे कर्मचारियों को नौकरी से हटाने के 10 दिनों के अंदर उस खाते में 15 दिन का वेतन हस्तांतरित करेंगे जिसका रखरखाव केंद्र सरकार करती है। नियोक्ता से धनराशि के मिलने के 45 दिनों के अंदर श्रमिकों को यह राशि मिल जाएगी।
     
  • सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी (चार सदस्यों वाली) के सुझावों पर राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल्स के सदस्यों को नियुक्त किया जाएगा। 
     
  • नेगोशिएशन काउंसिल/यूनियन जिन मसलों पर नियोक्ता के साथ नेगोशिएट करेगी, उनमें काम की शिफ्ट्स, वेतन (वेतन की अवधि और भत्तों सहित) और पदोन्नति एवं स्थानांतरण की नीतियां शामिल हैं।

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

  • राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल्स के प्रशासनिक और न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति के लिए सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी का संयोजन, तथा उन ट्रिब्यूनल्स के सदस्यों का कार्यकाल सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन कर सकता है। 
     
  • ड्राफ्ट नियमों में संहिता के विभिन्न पहलुओं से संबंधित विवरण नहीं है। ये ड्राफ्ट नियम जिन मौजूदा नियमों का स्थान लेते हैं, उनमें इन पहलुओं का विस्तृत विवरण है।

संसद में सितंबर 2020 में औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 को पारित किया गया जोकि तीन श्रम कानूनों का स्थान लेती है: (i) औद्योगिक विवाद एक्ट, 1947, (ii) ट्रेड यूनियंस एक्ट, 1926 और (iii) औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) एक्ट, 1946।[1]

संहिता कुछ मामलों में उपयुक्त सरकार को नियम बनाने की शक्ति देती है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सुलह, मध्यस्थता और अधिनिर्णय के जरिए औद्योगिक विवादों को हल करना, (ii) वर्क्स कमिटी और शिकायत निवारण कमिटी की स्थापना, (iii) हड़ताल और तालाबंदी क पद्धति, (iv) छंटनी, नौकरी से हटाने और इस्टैबलिशमेंट में कामबंदी की पद्धति, और (v) ट्रेड यूनियंस की स्थापना और उन्हें भंग करना। संहिता निर्दिष्ट करती है कि केंद्र सरकार निम्नलिखित के लिए उपयुक्त है: (i) केंद्र सरकार की अथॉरिटी के अंतर्गत आने वाले इस्टैबलिशमेंट्स, (ii) रेलवे, बैंक और खदानों जैसे कुछ इस्टैबलिशमेंट्स, और (iii) ऐसे निगम, स्वायत्त निकाय या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जिनमें केंद्र सरकार के कम से कम 51शेयर हैं। राज्य सरकार अन्य सभी इस्टैबलिशमेंट्स के लिए उपयुक्त सरकार है। संहिता के प्रावधानों को लागू करने के लिए अक्टूबर 2020 में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने ड्राफ्ट औद्योगिक संबंध (केंद्रीय) नियम, 2020 को जारी किया था।[2]

मई 2021 में ड्राफ्ट औद्योगिक संबंध (केंद्रीय) नेगोशिएटिंग यूनियन या नेगोशिएटिंग काउंसिल को मान्यता एवं ट्रेड यूनियंस के विवादों पर अधिनिर्णय नियम, 2021 को टिप्पणियों के लिए जारी किया गया।[3]  इनमें निम्नलिखित से संबंधित विवरण हैं: (i) नेगोशिएटिंग यूनियन के तौर पर एक ट्रेड यूनियन को मान्यत, (ii) नियोक्ता के साथ किन विषयों पर नेगोशिएशन की जाएगी, और (iii) औद्योगिक ट्रिब्यूनल्स के सामने ट्रेड यूनियन विवादों को हल करने का तरीका।3  

मुख्य विशेषताएं

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 के प्रावधानों को लागू करने के लिए निम्नलिखित नियम जारी किए: (i) ड्राफ्ट औद्योगिक संबंध (केंद्रीय) नियम, 2020, और (ii) ड्राफ्ट औद्योगिक संबंध (केंद्रीय) नेगोशिएटिंग यूनियन या नेगोशिएटिंग काउंसिल को मान्यता एवं ट्रेड यूनियंस के विवादों पर अधिनिर्णय नियम, 2021। ड्राफ्ट नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं

ड्राफ्ट औद्योगिक संबंध (केंद्रीय) नियम, 2020

  • छंटनी, कर्मचारियों को काम से हटाना और कामबंदी: 300 या उससे अधिक श्रमिकों वाले कारखानों, खदानों और बागानों को छंटनी करने या कर्मचारियों को काम से हटाने या इस्टैबलिशमेंट बंद करने से पहले केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। छंटनी की नियत तारीख के कम से कम 15 दिन पहले, कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की नियत तारीख से 60 दिन पहले और कामबंदी की नियत तारीख से 90 दिन पहले अनुमति के लिए आवेदन करना होगा।
     
  • राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल: ड्राफ्ट नियम में सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटीज़ का संयोजन दिया गया है जोकि राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल्स के सदस्यों के संबंध में सुझाव देगी। कमिटी में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय का कोई न्यायाधीश (चेयरपर्सन के तौर पर), (ii) राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल का कोई मौजूदा सदस्य (वह न्यायिक या प्रशासनिक सदस्य होगा), और (iii) श्रम एवं रोजगार मंत्रालय तथा उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग क सचिव। 
     
  • री-स्किलिंग फंड: संहिता में एक री-स्किलिंग फंड का प्रस्ताव है जिसमें नियोक्ता अंशदान देंगे। यह अंशदान नौकरी से हटाए गए प्रत्येक श्रमिक के 15 दिनों (या जितना केंद्र सरकार निर्दिष्ट करती है) के आखिरी वेतन के बराबर होगा। ड्राफ्ट नियमों में प्रावधान है कि नौकरी से हटाए जाने के 10 दिनों के भीतर नियोक्ता को उस खाते में 15 दिनों का वेतन हस्तांतरित करना होगा जिसका रखरखाव सरकार करती है। नियोक्ता से धनराशि प्राप्त होने के 45 दिनों के भीतर उसे श्रमिक को हस्तांतरित कर दिया जाएगा।
     
  • वर्क्स कमिटी का गठन: संहिता के अंतर्गत 100 से अधिक कर्मचारियों वाले इस्टैबलिशमेंट्स में वर्क्स कमिटी के गठन का प्रावधान है जोकि श्रमिकों और नियोक्तों के बीच के विवादों को हल करेगी। ड्राफ्ट नियमों में कहा गया है कि वर्क्स कमिटी में 20 सदस्य होंगे। कमिटी में इस्टैबलिशमेंट की सभी श्रेणियों (जैसे दुकानों, श्रमिकों की श्रेणियां और समूह) का एक बराबर प्रतिनिधित्व होगा। कमिटी में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) चेयरमैन, (ii) वाइस चेयरमैन (iii) सेक्रेटरी, और (iv) पदाधिकारों में ज्वाइंट सेक्रेटरी। तीन महीने में कम से कम एक बार कमिटी की बैठक होगी। कमिटी के सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष होगा।   

ड्राफ्ट औद्योगिक संबंध (केंद्रीय) नेगोशिएटिंग यूनियन या नेगोशिएटिंग काउंसिल को मान्यता एवं ट्रेड यूनियंस के विवादों पर अधिनिर्णय नियम, 2021

  • एक ट्रेड यूनियन को एकमात्र नेगोशिएटिंग यूनियन के तौर पर मान्यता देनासंहिता किसी इस्टैबलिशमेंट में अकेली ट्रेड यूनियन को एकमात्र नेगोशिएटिंग यूनियन के तौर पर मान्यता देती है। ड्राफ्ट नियम निर्दिष्ट करते हैं कि एकमात्र नेगोशिएटिंग यूनियन के तौर पर मान्यता प्राप्त करने के लिए ट्रेड यूनियन के पास कुल श्रमिकों की कम से कम 30सदस्यता होनी चाहिए। 
     
  • नेगोशिएटिंग यूनियन/काउंसिल किन मामलों पर नेगोशिएट करेगीसंहिता में प्रावधान है कि औद्योगिक इस्टैबलिशमेंट में नेगोशिएटिंग यूनियन/काउंसिल श्रमिकों से संबंधित मामलों पर नियोक्ता के साथ नेगोशिएशन करेगी। ड्राफ्ट नियम निर्दिष्ट करते हैं कि नेगोशिएटिंग यूनियन/काउंसिल जिन मामलों पर नेगोशिएशन करेगी, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) काम की शिफ्ट्स, (ii) वेतन (बोनस, इंक्रेमेंट और भत्ते), (iii) पदोन्नति एवं स्थानांतरण की नीतियां, और (iv) काम की स्थितियां और मानदंड।

भाग ख: प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल्स के कुछ प्रावधान सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन हो सकते हैं

संहिता प्रावधान करती है कि राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल्स ऐसे विवादों को हल करेंगी (i) जिनमें राष्ट्रीय महत्व के प्रश्न जुड़े हों, या (ii) जोकि एक से अधिक राज्यों में स्थित इस्टैबलिशमेंट्स को प्रभावित कर सकते हों। लेकिन राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल्स के प्रशासनिक और न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति करने वाली सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटीज़ का संयोजन और इन ट्रिब्यूनल्स के सदस्यों का कार्यकाल सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन हो सकता है।[4],[5],[6],[7]

प्रशासनिक सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया में न्यायिक प्रभुत्व की कमी 

ड्राफ्ट नियमों के अंतर्गत राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल्स की सिलेक्शन कमिटी में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति के लिए दो न्यायिक सदस्य और दो सरकारी नियुक्तियां (टाई होने पर हल निकालने का कोई प्रावधान नहीं), और (ii) प्रशासनिक सदस्य की नियुक्ति के लिए एक न्यायिक सदस्य और तीन कार्यकारी सदस्य। 

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि कार्यपालिका के सभी प्रकार के हस्तक्षेप से न्यायपालिका को पृथक करना, संविधान की एक अनिवार्य विशेषता है।4,5  अदालत ने निर्दिष्ट किया था कि ट्रिब्यूनल्स की सिलेक्शन कमिटीज़ में न्यायिक प्रभुत्व की कमी (कार्यपालिका के सदस्यों की संख्या, न्यायिक सदस्यों के बराबर या उससे अधिक) शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन करती है और यह न्यायिक क्षेत्र में अतिक्रमण है।4 इसके अतिरिक्त यह स्पष्ट है कि कार्यपालिका कई बार मुकदमों में एक पक्ष होती है और इसलिए उसे न्यायिक नियुक्तियों में प्रभुत्वशाली पक्ष बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।6  

इसके अतिरिक्त ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट, 2021 में स्पष्ट किया गया है कि राष्ट्रीय स्तर के ट्रिब्यूनल की सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी में निम्नलिखित शामिल होने चाहिए: (i) भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय क कोई न्यायाधीश (चेयरपर्सन के तौर पर), (ii) केंद्र सरकार द्वारा नामित दो सेक्रेटरी, (iii) वर्तमान या निवर्तमान चेयरपर्सन्स, या सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश, या उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश, और (iv) जिस मंत्रालय के अंतर्गत ट्रिब्यूनल का गठन हुआ है, उस मंत्रालय का सेक्रेटरी (वोटिंग अधिकार के बिना)।[8]  

राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल्स के न्यायिक और प्रशासनिक सदस्यों की नियुक्ति के लिए सिलेक्शन कमिटी का संयोजन इन शर्तों को पूरा नहीं करता।4,5

राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल्स के सदस्यों का कार्यकाल

ड्राफ्ट नियम न्यायिक और प्रशासनिक सदस्यों के लिए चार वर्ष के कार्यकाल का प्रावधान करते हैं जोकि 65 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा के अधीन है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि ट्रिब्यूनल के सदस्यों का कार्यकाल पांच वर्ष होना चाहिए जोकि चेयरपर्सन के लिए 70 वर्ष की और अन्य सदस्यों के लिए 67 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा के अधीन है।7 इस प्रकार ड्राफ्ट नियमों में सदस्यों के लिए निर्दिष्ट कार्यकाल से अदालत के फैसले का उल्लंघन हो सकता है। 

केंद्र सरकार अवकाश को मंजूरी देने वाली अथॉरिटी

ड्राफ्ट नियमों में निर्दिष्ट है कि केंद्र सरकार न्यायिक सदस्यों के अवकाश और विदेश यात्रा को मंजूरी देने वाली अथॉरिटी होगी। इससे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन हो सकता है।5 सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि न्यायिक सदस्यों के साथ कार्यपालिका की प्रशासनिक संलग्नता नहीं होनी चाहिए (जैसे सदस्यों का ट्रांसफर और कार्यकाल का एक्सटेंशन), चूंकि इससे उनकी स्वतंत्रता पर असर हो सकता है।5  इसके अतिरिक्त अदालत ने कहा है कि कार्यपालिका किसी मामले में वादी हो सकती है और ट्रिब्यूनल के प्रशासनिक मामलों में उसकी संलग्नता न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है।5

संहिता के कई प्रावधानों के लिए विस्तृत प्रक्रियाएं निर्दिष्ट नहीं हैं

ड्राफ्ट नियमों में संहिता के कई प्रावधानों के विवरण नहीं दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि ड्राफ्ट नियम जिन मौजूदा नियमों का स्थान लेते हैं, उनमें संहिता के उन प्रावधानों के लिए विस्तृत प्रक्रियाएं दी गई हैं।[9],[10] उदाहरण के लिए औद्योगिक विवाद (केंद्रीय) नियम, 1957 में वर्क्स कमिटी में श्रमिकों के प्रतिनिधियों के चयन के लिए चुनाव प्रक्रिया का प्रावधान है। लेकिन ड्राफ्ट नियमों में इन प्रतिनिधियों को चुनने के तरीके को स्पष्ट नहीं किया गया है। तालिका 1 में मौजूदा नियमों और संहिता के मुख्य प्रावधानों के लिए ड्राफ्ट नियमों के बीच तुलना की गई है।

तालिका 1ड्राफ्ट नियम संहिता के विभिन्न पहलुओं का विवरण नहीं देते

 

मौजूदा नियम

ड्राफ्ट नियम

वर्क्स कमिटी

1947 के एक्ट में वर्क्स कमिटी बनाने का प्रावधान है जिसमें नियोक्ता और श्रमिकों के प्रतिनिधि सदस्य के तौर पर शामिल होते हैं। 1957 के नियमों में कमिटी के श्रमिक प्रतिनिधियों की चुनाव प्रक्रिया को निर्दिष्ट किया गया है।

संहिता में वर्क्स कमिटी का ऐसा ही संयोजन दिया गया है। लेकिन ड्राफ्ट नियम श्रमिक प्रतिनिधियों के चुनाव की प्रक्रिया को निर्दिष्ट नहीं करते।     

 

छंटनी का नोटिस

1947 का एक्ट स्पष्ट रूप से 50-100 श्रमिकों वाले इस्टैबलिशमेंट में कर्मचारियों की छंटनी के लिए नोटिस का प्रावधान नहीं करता। हालांकि 1957 के नियम में यह प्रावधान है कि 50 से अधिक श्रमिकों वाले इस्टैबलिशमेंट में कर्मचारियों की छंटनी का क्या तरीका होगा।

संहिता और ड्राफ्ट नियम में 50-300 श्रमिकों वाले इस्टैबलिशमेंट में श्रमिकों की छंटनी के तरीके को स्पष्ट नहीं किया गया है।

 

कमीश्नर

1947 के एक्ट में यह प्रावधान है कि श्रम अदालत एक कमीश्नर (आयुक्त) की नियुक्ति कर सकती है ताकि नियोक्ता द्वारा श्रमिक के बकाया देय का निर्धारण किया जा सके। 1957 के नियमों में कमीश्नर की क्वालिफिकेशन और शक्तियों को, उसके कार्यों, जैसे फीस तथा रिपोर्ट पेश करने की समयावधि से संबंधित विवरणों को निर्दिष्ट किया गया है। 

संहिता में भी यह प्रावधान है कि औद्योगिक ट्रिब्यूनल इस उद्देश्य के लिए कमीश्नर (आयुक्त) की नियुक्ति कर सकती है। लेकिन ड्राफ्ट नियमों में कमीश्नर की क्वालिफिकेशंस, शक्तियों और कामकाज के विवरणों को निर्दिष्ट नहीं किया गया है। 

ट्रेड यूनियन फंड्स का ऑडिट

1926 का एक्ट ट्रेड यूनियन्स के फंड्स के वार्षिक ऑडिट का प्रावधान करता है। 1993 के रेगुलेशंस ऑडिट करने के तरीके और ऑडिटर्स की क्वालिफिकेशंस का प्रावधान करते हैं।  

संहिता में ट्रेड यूनियन्स के फंड्स के वार्षिक ऑडिट का भी प्रावधान है। ड्राफ्ट नियम फंड्स को ऑडिट करने का तरीका या ऑडिटर्स की क्वालिफिकेशंस को निर्दिष्ट नहीं करते।

ट्रेड यूनियंस के पंजीकरण पर निगरानी

1926 के एक्ट में रजिस्ट्रार से यह अपेक्षित है कि वह रजिस्टर में पंजीकृत ट्रेड यूनियन के विवरणों को इंटर करे। 1938 के रेगुलेशंस यह निर्दिष्ट करते हैं कि रजिस्टर को किस प्रकार मेनटेन करना है। इसके अतिरिक्त रेगुलेशंस में प्रावधान है कि कोई व्यक्ति रजिस्टर का निरीक्षण कर सकता है। 

संहिता में रजिस्टर में पंजीकृत ट्रेड यूनियन के विवरणों को रिकॉर्ड करने के वैसे ही प्रावधान हैं। ड्राफ्ट नियमों में रजिस्टर के रखरखाव और उसके निरीक्षण का तरीका नहीं दिया गया है। 

 

स्रोत: औद्योगिक विवाद एक्ट, 1947औद्योगिक विवाद (केंद्रीय) नियम, 1957ट्रेड यूनियन्स एक्ट, 1926; केंद्रीय ट्रेड यूनियन रेगुलेशंस, 1938; ड्राफ्ट औद्योगिक संबंध (केंद्रीय) नियम, 2020; पीआरएस

 

[1]. The Industrial Relations Code, 2020, Ministry of Law and Justice, September 29, 2020, http://egazette.nic.in/WriteReadData/2020/222118.pdf.

[2]. The Draft Industrial Relation (Central) Rules, 2020, Ministry of Labour and Employment, October 29, 2020, http://egazette.nic.in/WriteReadData/2020/222829.pdf

[3]. The Draft Industrial Relations (Central) Recognition of Negotiating Union or Negotiating Council and Adjudication of Disputes of Trade Unions Rules, 2021, Ministry of Labour and Employment, May 4, 2021, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2021/226832.pdf

[4]. S. P. Sampath Kumar Etc. versus Union of India and Ors., AIR 1987 SC 386, Supreme Court of India, December 9, 1986, https://main.sci.gov.in/judgment/judis/8881.pdf

[5]. Madras Bar Association versus Union of India and Anr., AIR 2015 SC 1571, Supreme Court of India, September 25, 2014, https://main.sci.gov.in/judgment/judis/41962.pdf.

[6]. Rojer Mathew versus South Indian Bank Ltd and Ors., 2019 (369) ELT3 (S.C.), Supreme Court of India, November 13, 2019, https://www.sci.gov.in/pdf/JUD_4.pdf

[7]. Madras Bar Association versus Union of India & Anr., Civil Writ Petition No. 804 of 2020, Supreme Court of India, November 27, 2020, https://main.sci.gov.in/supremecourt/2020/16100/16100_2020_35_1501_24869_Judgement_27-Nov-2020.pdf.

[8] The Tribunals Reforms Act, 2021, Ministry of Law and Justice, August 13, 2021, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2021/The%20Tribunals%20Reforms%20Act,%202021.pdf

[10]. The Central Trade Union Regulations, 1938, https://upload.indiacode.nic.in/showfile?actid=AC_CEN_6_0_00043_192616_1523349873431&type=regulation&filename=The%20Trade%20Union%20Regulations,1938.pdf

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