- मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 27 जून, 2019 को लोकसभा में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षकों के कैडर में आरक्षण) बिल, 2019 पेश किया। यह बिल 7 मार्च, 2019 को जारी अध्यादेश का स्थान लेता है। बिल (i) अनुसूचित जातियों, (ii) अनुसूचित जनजातियों, (iii) सामाजिक एवं शैक्षणिक स्तर पर पिछड़े वर्गों और (iv) आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों के पदों पर आरक्षण का प्रावधान करता है।
- पदों पर आरक्षण: बिल केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों की सीधी भर्ती वाले पदों पर (कुल स्वीकृत संख्या में से) आरक्षण का प्रावधान करता है। इस आरक्षण के लिए केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों को एक यूनिट माना जाएगा। इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक विभाग के सामान्य पदों (जैसे एसिस्टेंट प्रोफेसर) को एक यूनिट मानकर आरक्षित श्रेणियों के अभ्यार्थियों को पद आबंटित किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि मौजूदा दिशानिर्देशों में आरक्षण देने के लिए प्रत्येक विभाग को एक यूनिट माना जाता था।
- कवरेज और अपवाद: बिल सभी ‘केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों’ पर लागू होगा जिनमें संसदीय कानूनों के अंतर्गत स्थापित विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय माने जाने वाले (डीम्ड) संस्थान, राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, और केंद्र सरकार की सहायता प्राप्त संस्थान शामिल हैं।
- हालांकि बिल में कुछ इंस्टीट्यूट्स ऑफ एक्सिलेंस, शोध संस्थान और राष्ट्रीय एवं कूटनीतिक महत्व के संस्थानों को अपवाद माना गया है और बिल की अनुसूची में उनके संबंध में विनिर्देश दिए गए हैं। बिल में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को अपवाद बताया गया है।
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