मंत्रालय: 
श्रम एवं रोजगार

नियमों की मुख्‍य विशेषताएं

  • मसौदा नियम केंद्रीय कर्मचारियों के लिए प्रति दिन वेतन का मिनिमम रेट तय करने का मानदंड निर्धारित करते हैं। इस मानदंड में प्रति परिवार तीन खपत इकाइयां, प्रति दिन प्रति खपत इकाई पर 2700 कैलोरी का शुद्ध सेवन, और किराए पर 10% व्यय शामिल है।
     
  • मिनिमम वेज को क्षेत्र के प्रकार (मेट्रोपॉलिटन, नॉन-मेट्रोपॉलिटन और ग्रामीण क्षेत्र) और कर्मचारी की कुशलता की श्रेणियों (अकुशल, अर्ध कुशल, कुशल, उच्च स्तरीय कुशल कर्मचारी) के आधार पर तय किया जाएगा। 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर से पहले, साल में दो बार महंगाई भत्ते को संशोधित करने का प्रयास किया जाएगा।
     
  • मसौदा नियम केंद्र सरकार को न्यूनतम जीवन स्तर के आधार पर फ्लोर वेज (मिनिमम वेज इससे कम निर्धारित नहीं किया जा सकता) तय करने की अनुमति देते हैं। तीन खपत इकाइयों वाले परिवार के लिए भोजन, कपड़े और आवास को ध्यान में रखकर न्यूनतम जीवन स्तर निर्धारित किया जाएगा। फ्लोर वेज को हर पांच वर्ष में संशोधित किया जाएगा और निर्वाह के खर्चे (कॉस्ट ऑफ लिविंग) में होने वाले बदलाव को देखते हुए समय-समय पर समायोजन किए जा सकते हैं। 

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

  • मसौदा नियम विभिन्न मानदंडों पर मिनिमम वेज निर्धारित करने की पद्धति प्रदान करते हैं, जैसे प्रति व्यक्ति खपत इकाई और आवास पर व्यय। पिछले कुछ वर्षों के दौरान एक्सपर्ट कमिटियों ने उन नियमों पर भिन्न-भिन्न विचार प्रकट किए जिन्हें मिनिमम वेज को निर्धारित करने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
     
  • मसौदा नियम फ्लोर वेज तय करने की पद्धति नहीं बताते। कोड ऑन वेजेज़, 2017 की जांच करने वाली श्रम संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2019) ने सुझाव दिया था कि फ्लोर वेज को तय करने का तरीका बताया जाना चाहिए ताकि उसके निर्धारण में कोई मनमानी न बरती जाए या कोई अपने विवेक का दुरुपयोग न करे। इसके अतिरिक्त, जबकि कोड ऑन वेजेज़, 2019 में हर पांच वर्ष में मिनिमम वेज में संशोधन किए जाने की अपेक्षा की गई है, फ्लोर वेज निर्धारित करने के लिए ऐसी कोई अनिवार्य शर्त नहीं रखी गई है। फ्लोर वेज के मामले में महंगाई भत्ते के संशोधन का भी कोई प्रावधान नहीं है।

केंद्र सरकार श्रम के विभिन्न पहलुओं को रेगुलेट करने वाले 29 केंद्रीय कानूनों को चार संहिताओं में समाहित करने का काम कर रही है। ये चार संहिताएं निम्नलिखित से संबंधित हैं: (i) वेतन, (ii) व्यवसायगत सुरक्षा और स्वास्थ्य, (iii) सामाजिक सुरक्षा, और (iv) औद्योगिक संबंध। कोड ऑन वेजेज़, 2019 को संसद में पारित कर दिया गया है, बाकी के तीन क्षेत्रों से संबंधित बिल्स संसद में पेश किए गए हैं। 

कोड ऑन वेजेज़, 2019 उन सभी रोजगारों में वेतन और बोनस भुगतान को रेगुलेट करता है जिनमें कोई व्यापार, उद्योग, कारोबार या मैन्यूफैक्चरिंग की जाती है। यह चार कानूनों का स्थान लेता है। ये कानून हैं: (i) वेतन भुगतान एक्ट, 1936, (ii) न्यूनतम वेतन एक्ट, 1948, (iii) बोनस भुगतान, 1965, और (iv) समान पारिश्रमिक एक्ट, 1976। कोड ऑन वेजेज़, 2019 की अधिसूचना के बाद सरकार ने 1 नवंबर, 2019 को कोड के नियमों का मसौदा (केंद्रीय) पब्लिक फीडबैक के लिए जारी किया।

मुख्य विशेषताएं

मसौदा नियम सभी सेंट्रल इस्टैबलिशमेंट्स पर लागू होंगे। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) रेलवे, खदान, तेल क्षेत्र एवं बैंकिंग कंपनियां, और (ii) केंद्र सरकार द्वारा संचालित या उसकी अथॉरिटी के अंतर्गत संचालित इस्टैबलिशमेंट्स।

  • मिनिमम वेज की गणना: मसौदा नियम कर्मचारियों के लिए प्रति दिन वेतन की न्यूनतम दर निर्धारित करने के लिए मानदंड बनाते हैं। इन मानदंडों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रत्येक परिवार में तीन वयस्क खपत इकाई, (ii) प्रति खपत इकाई पर 2700 कैलोरी का दैनिक सेवन, (iii) किराए पर 10% व्यय, (iv) ईंधन, बिजली और विविध वस्तुओं पर 20% व्यय, और (v) शिक्षा, मेडिकल जरूरतों और आकस्मिक घटनाओं पर 25% व्यय।  
     
  • मिनिमम वेज निर्धारित करने के नियम: रोजगार के भौगोलिक क्षेत्र और कर्मचारी की कुशलता की श्रेणी के आधार पर मिनिमम वेज की गणना की जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार भौगोलिक क्षेत्र को तीन श्रेणियों में बांटेगी: मेट्रोपॉलिटन (40 लाख और उससे अधिक की आबादी वाला), नॉन मेट्रोपॉलिटन (10 लाख से 40 लाख के बीच), और ग्रामीण क्षेत्र (बाकी के सभी क्षेत्र)। मसौदा नियम व्यवसायों को कुशलता की चार श्रेणियों में बांटते हैं: अकुशल, अर्ध कुशल, कुशल और उच्च स्तरीय कुशल। केंद्र सरकार व्यवसायों में कुशलता की श्रेणियों में संशोधन हेतु सलाह देने के लिए एक कमिटी बनाएगी (चेयर: चीफ लेबर कमीश्नर)। वर्किंग जर्नलिस्ट्स के लिए न्यूनतम वेतन के निर्धारण पर सुझाव देने के लिए अलग से एक टेक्निकल कमिटी बनाई जा सकती है।   
     
  • महंगाई भत्ते में संशोधनमसौदा नियमों में यह कहा गया है कि प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर से पहले, साल में दो बार महंगाई भत्ते को संशोधित करने का प्रयास किया जाएगा।
     
  • फ्लोर वेज का कैलकुलेशनकोड ऑन वेजेज़ के अनुसार, केंद्र सरकार एक फ्लोर वेज तय करेगी। मिनिमम वेज, फ्लोर वेज से अधिक होना चाहिए। मसौदा नियमों में प्रावधान है कि केंद्र सरकार न्यूनतम जीवन स्तर के आधार पर फ्लोर वेज (मिनिमम वेज इससे कम निर्धारित नहीं किया जा सकता) तय करेगी। तीन खपत इकाइयों वाले परिवार के लिए भोजन, कपड़े और आवास को ध्यान में रखकर न्यूनतम जीवन स्तर निर्धारित किया जाएगा। फ्लोर वेज को हर पांच वर्ष में संशोधित किया जाएगा और कॉस्ट ऑफ लिविंग में होने वाले बदलाव को देखते हुए समय-समय पर समायोजन किए जा सकते हैं।
     
  • फ्लोर वेज को केंद्रीय सलाहकार बोर्ड और कुछ राज्य सरकारों, जिन्हें राज्यों द्वारा जरूरी समझा जाए, की सलाह से तय किया जाएगा। बोर्ड में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) नियोक्ता, (ii) कर्मचारी (नियोक्ता के बराबर की संख्या में), (iii) स्वतंत्र लोग, और (iv) राज्य सरकार के पांच प्रतिनिधि। बोर्ड केंद्र सरकार को मिनिमम वेज के निर्धारण सहित विभिन्न विषयों पर सलाह देगा।
     
  • काम के घंटेमसौदा नियम कहते हैं कि सामान्य काम के घंटों में प्रति दिन अधिकतम नौ घंटे शामिल होंगे, जिसे अधिकतम 12 घंटे बढ़ाया जा सकता है। इसमें आराम के लिए मिलने वाला समय भी शामिल है। कुछ मामलों में इसे 16 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है, जैसे: (i) अगर काम रुक-रुक किया जाता है, और (ii) कर्मचारी किसी अप्रत्याशित आपात स्थिति के काम में लगा है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक कर्मचारी को हर हफ्ते एक दिन अवकाश (रेस्ट) की अनुमति होगी। नियोक्ता सप्ताह के किसी अन्य दिन को अवकाश के दिन से बदल सकता है, जोकि नियत अवकाश दिवस के पांच दिन पहले या पांच दिन बाद में हो सकता है। वैकल्पिक अवकाश दिवस पर ओवरटाइम दिया जाएगा।   
     
  • इंस्पेक्शन स्कीमकोड के अनुसार, संबंधित सरकार एक इंस्पेक्शन स्कीम बना सकती है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से वेब-बेस्ड इंस्पेक्शन को जनरेट किया जाएगा और कोड के अंतर्गत इंस्पेक्शन-संबंधी सूचना प्रदान की जाएगी। मसौदा नियम कहते हैं कि चीफ लेबर कमीश्नर (केंद्रीय) केंद्र सरकार के अनुमोदन से इंस्पेक्शन स्कीम बनाएगा।  

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

मिनिमम वेज को तय करने से संबंधित सुझावों पर एक नजर

मसौदा नियम प्रति दिन वेतन की न्यूनतम दर को तय करने का मानदंड बताते हैं। ये मानदंड हैं: (i) प्रति परिवार तीन खपत इकाई, (ii) प्रति दिन प्रति खपत इकाई पर रोजाना 2700 कैलोरी का शुद्ध सेवन, (iii) किराए पर 10%, (iv) ईंधन, बिजली और विविध वस्तुओं पर 20%, और (v) शिक्षा, मेडिकल जरूरतों, मनोरंजन और अन्य आकस्मिक वस्तुओं पर 25% व्यय। पिछले कुछ वर्षों के दौरान एक्सपर्ट कमिटियों ने उन नियमों पर भिन्न-भिन्न विचार प्रकट किए हैं जिन्हें मिनिमम वेज को निर्धारित करने में इस्तेमाल किया जा सकता है। 

उदाहरण के लिए 15वें श्रम सम्मेलन (1957) ने रोजाना 2700 कैलोरी लेने का सुझाव दिया था। [1] नेशनल मिनिमम वेज (यानी फ्लोर वेज) को निर्धारित करने के तरीके की जांच करने वाली एक्सपर्ट कमिटी (2019) ने एनएसएसओ कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे (2011-12) और दूसरे दस्तावेजों के आधार कुछ अलग निष्कर्ष दिए। उसने कहा कि एक वयस्क मजदूर को रोजाना इतनी कैलोरी लेने की अब जरूरत नहीं है, क्योंकि पहले के वर्षों के मुकाबले अब वे उतनी बड़ी संख्या में भारी काम नहीं करते। [2] मसौदा नियम 2700 कैलोरी का मानदंड तय करते हैं। 

इसी प्रकार एक औसत परिवार के आकार पर विशेषज्ञ निकायों ने अलग-अलग विचार रखे हैं, जोकि आयु और लिंग के आधार पर प्रति कामकाजी परिवार (यानी श्रमजीवी पर निर्भर लोगों की संख्या) की खपत इकाइयों को तय करता है। खपत इकाइयों की संख्या मिनिमम नेज निर्धारित करने का एक मानदंड है। 15वें श्रम सम्मेलन (1957) के अनुसार, एक औसत परिवार में चार लोग होते हैं (या तीन खपत इकाइयों के बराबर)।2 राष्ट्रीय ग्रामीण श्रम आयोग (1991) ने इसी सुझाव को दोहराया। [3] इसी आधार पर मसौदा नियम ने तीन खपत इकाइयों के आधार पर मिनिमम वेज तय करने का सुझाव दिया है। हालांकि 2019 में एक्सपर्ट कमिटी ने एनएसएसओ कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे (2011-12) के आंकड़ों के आधार पर यह सुझाव दिया कि समय के साथ जनसंख्या की संरचना भी बदलकर औसत 4.4 लोग प्रति परिवार हो गई है। इस परिवर्तन से खपत इकाइयां भी प्रति परिवार 3.6 हो गई हैं।2 

तालिका 1 में स्पष्ट किया गया है कि विभिन्न कमिटियों ने मिनिमम वेज तय करने से जुड़े नियमों पर क्या सुझाव दिए हैं। 

तालिका 1मिनिमम वेज तय करने से जुड़े नियमों पर कमिटियों के सुझाव

रिपोर्ट का स्रोत

कैलोरी की जरूरत

गैर खाद्य व्यय

अन्य जरूरतें 

खपत इकाइयां

भारतीय श्रम सम्मेलन 1957

  • प्रति इकाई 2700 कैलोरी
  • प्रति परिवार 66 मीटर कपड़े की जरूरत
  • औद्योगिक आवास योजना (अब निरस्त) के अंतर्गत न्यूनतम क्षेत्र के अनुरूप किराया 
  • ईंधन, बिजली और दूसरी वस्तुओं पर व्यय मिनिमम वेज का 20% खर्च

वेतन, आय और मूल्यों  पर अध्ययन समूह, 1978 (यानी फ्लोर वेज)

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  • प्रति व्यक्ति आय, श्रम भागीदारी दर के हिसाब से समायोजित
  • प्रति खपत इकाई पर औसत राष्ट्रीय आय
  • प्रति व्यक्ति ग्रामीण खपत व्यय
  • 1 और 2 के बीच 

राष्ट्रीय ग्रामीण श्रम आयोग, 1991 (यानी फ्लोर वेज) 

  • ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी और शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी

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  • रोजगार से इतर होनी चाहिए

नेशनल मिनिमम वेज तय करने की प्रक्रिया पर एक्सपर्ट कमिटी, 2019 (यानी फ्लोर वेज)

 

  • 2400 कैलोरी
  • जरूरी वस्तुओं के लिए प्रति माह 591 रुपए और गैर जरूरी वस्तुओं के लिए प्रति माह 175 रुपए
  • भौगोलिक क्षेत्रों और मौजूदा सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर आधारित
  • 3.6 

2019 के मसौदा नियम 

  • प्रति इकाई 2700 कैलोरी
  • प्रति परिवार 66 मीटर कपड़े की जरूरत 
  • घर किराये पर व्यय वेतन का न्यूनतम 10% 
  • शिक्षा, स्वास्थ्य और आकस्मिक स्थितियों पर व्यय वेतन का न्यूनतम 25%
  • ईंधन, बिजली और दूसरी वस्तुओं पर व्यय मिनिमम वेज का 20%
  • 3.6 

Sources:   Various Committee Reports, PRS.

महंगाई भत्ते में अनिवार्य संशोधन का कोई प्रावधान नहीं

मसौदा नियमों में यह कहा गया है कि प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर से पहले, साल में दो बार महंगाई भत्ते को संशोधित करने का प्रयास किया जाएगा। महंगाई भत्ते को कॉस्ट ऑफ लिविंग के भत्ते और अनिवार्य वस्तुओं (रियायती दरों पर) के संबंध में रियायत के नकद मूल्य के रूप में परिभाषित किया गया है। मसौदा नियम समय-समय पर महंगाई भत्ते में संशोधन को अनिवार्य नहीं करते। वर्तमान में केंद्र सरकार साल में दो बार (अप्रैल और अक्टूबर में) महंगाई भत्ते में संशोधन करती है जोकि औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में परिवर्तन के आधार पर किया जाता है। यह कुछ व्यवसायों, जैसे कृषि, खनन और निर्माण कार्य के लिए है। [4]  

फ्लोर वेज की प्रकृति और निर्धारण 

कोड ऑन वेजेज़, 2019 के अनुसार, केंद्र सरकार देश के लिए एक फ्लोर वेज तय कर सकती है। हम फ्लोर वेज की गणना के फार्मूले और उसके संशोधन से जुड़े कुछ मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। 

फ्लोर वेज को तय करने की विस्तृत पद्धति निर्दिष्ट नहीं

कोड ऑन वेजेज़, 2019 के अनुसार केंद्र सरकार देश के लिए एक फ्लोर वेज तय कर सकती है। विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के लिए भिन्न-भिन्न फ्लोर वेज तय किए जा सकते हैं। मिनिमम वेज, फ्लोर वेज से कम पर तय नहीं किया जा सकता।

फ्लोर वेज की अवधारणा 1996 में शुरू की गई थी जिसका आधार राष्ट्रीय ग्रामीण श्रम आयोग के सुझाव थे (1991)।3  चूंकि मिनिमम वेज कम था और और हर राज्य में विभिन्न अधिसूचित रोजगारों में अलग-अलग मिनिमम वेज तय किए गए थे, इसलिए इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक बेसलाइन वेज की बात की गई जिसे फ्लोर वेज कहा गया।2  मसौदा नियमों में केंद्र सरकार को इस बात की अनुमति दी गई कि वह भोजन, कपड़े और आवास को ध्यान में रखते हुए तीन खपत इकाइयों वाले परिवार के न्यूनतम जीवन स्तर के आधार पर फ्लोर वेज तय करे। हालांकि मसौदा नियमों ने इन मानदंडों के आधार पर फ्लोर वेज की पद्धति निर्धारित करने के लिए स्पष्ट नियमों को निर्दिष्ट नहीं किया। साथ ही, मसौदा नियम यह स्पष्ट नहीं करते कि फ्लोर वेज पूरे देश के लिए तय किए जाएंगे या विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के लिए।

उल्लेखनीय है कि मौजूदा कानूनी ढांचे में फ्लोर वेज 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन (आईएलसी), 1957 और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले (1992) के सुझावों के आधार पर तय किया जाता है जिन्हें 44वें आईएलसी (2012) और 46वें आईएलसी (2015) में दोहराया गया था।1,2, [5]   ये नियम न्यूनतम वेतन के निर्धारण के लिए निर्दिष्ट नियमों के समान हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) तीन खपत इकाइयां, (ii) प्रति वयस्क प्रति दिन 2,700 कैलोरी की जरूरत, और (iii) ईंधन, बिजली और अन्य विविध वस्तुओं के लिए कुल मिनिमम वेज का 20%। कोड ऑन वेजेज़, 2017 की समीक्षा करने वाली स्टैंडिंग कमिटी (2019) ने इस फार्मूले का समर्थन किया था। [6]  कमिटी ने फ्लोर वेज को तय करने में मनमानेपन और अनुचित फैसले को समाप्त करने के लिए इस प्रणाली को अपनाने की जरूरत पर जोर दिया था। 

फ्लोर वेज में अनिवार्य संशोधन या महंगाई भत्ते में संशोधन का कोई प्रावधान नहीं

मसौदा नियम समय-समय पर फ्लोर वेज में संशोधन को अनिवार्य नहीं बनाते। हालांकि मसौदा नियम यह निर्दिष्ट करते हैं कि मिनिमम वेज में हर पांच वर्ष में संशोधन किया जाना चाहिए पर फ्लोर वेज हर पांच महीने में संशोधित किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा कानूनी ढांचे में फ्लोर वेज को हर दो वर्षों में संशोधित किया जाता है।2  राष्ट्रीय ग्रामीण श्रम आयोग (1991) ने सुझाव दिया कि फ्लोर वेज हर दो वर्ष में संशोधित किया जा सकता है।3 2019 में एक्सपर्ट कमिटी ने सुझाव दिया था कि मिनिमम वेज के आकलन में इस्तेमाल होने वाले खपत व्यय के बास्केट को राष्ट्रीय सैंपल सर्वे संगठन द्वारा संकलित आंकड़ों के आधार पर हर पांच वर्षों में संशोधित किया जाए।2  

इसके अतिरिक्त संहिता मिनिमम वेज के आधार पर साल में दो बार महंगाई भत्ते में संशोधन का प्रावधान करती है, लेकिन फ्लोर वेज के मामले में संहिता ऐसा कोई प्रावधान नहीं करती। मसौदा नियम में प्रावधान है कि केंद्र सरकार केंद्रीय सलाहकार बोर्ड के परामर्श से समय-समय पर कॉस्ट ऑफ लिविंग में बदलावों के लिए समायोजन कर सकती है। हालांकि इस समायोजन की अवधि निर्दिष्ट नहीं की गई है।

इस संबंध में राष्ट्रीय ग्रामीण श्रम आयोग (1991) ने कहा था कि बेस वेज गुजर बसर लायक होना चाहिए, इसलिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर महंगाई भत्ते को हर छह महीने में एक बार संशोधित होना चाहिए।3  2019 में एक्सपर्ट कमिटी ने सुझाव दिया था कि कॉस्ट ऑफ लिविंग में होने वाले बदलावों को प्रदर्शित करने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर खपत व्यय के बास्केट में तुरंत समायोजन किया जाना चाहिए।2 

साप्ताहिक कार्य घंटों की सीमा न बताने से आईएलओ कन्वेंशन का उल्लंघन संभव

मसौदा नियमों में कहा गया है कि सामान्य कार्य दिवस नौ घंटों का होगा। हालांकि उसमें हर सप्ताह काम के न्यूनतम घंटों की सीमा स्पष्ट नहीं की गई है। इससे आईएलओ कन्वेंशन का उल्लंघन हो सकता है जिसका भारत ने समर्थन किया है। यह कन्वेंशन औद्योगिक इस्टैबलिशमेंट्स के लिए 48 घंटे के अधिकतम साप्ताहिक कार्य दिवसों को निर्धारित करता है। [7]  उल्लेखनीय है कि मौजूदा मिनिमम वेज (केंद्रीय) नियम में कहा गया है कि सामान्य कार्य सप्ताह 48 घंटे प्रति सप्ताह का होगा। [8]

 

[1] “Minimum Wages”, Press Information Bureau, Ministry of Labour and Employment, March 19, 2012.

[2] Report of the Expert Committee on Determining the Methodology for Fixing the National Minimum Wage, Ministry of Labour and Employment, January 8, 2019.

[3] Report of the National Commission on Rural Labour, Ministry of Labour Report, 1991.

[4] S.O. 186(E)-193(E), Gazette of India, Ministry of Labour and Employment, January 19, 2017.

[5] Workmen represented by Secretary v. Reptakos Brett & Co Ltd (1992) 1 SCC 290.

[6] “Report No. 43: The Code on Wages Bill, 2017”, Standing Committee on Labour and Employment, December 17, 2018. 

[7] Convention C001 – Hours of Work (Industry) Convention, 1919, International Labour Organisation.

[8] The Minimum Wages (Central) Rules, 1950.

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।