- खनिज कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 10 जनवरी, 2020 को जारी किया गया। यह अध्यादेश खदान और खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) एक्ट, 1957 (एमएमडीआर एक्ट) और कोयला खदान (विशेष प्रावधान) एक्ट, 2015 (सीएमएसपी एक्ट) में संशोधन करता है। सीएमएसपी एक्ट में उन खदानों की नीलामी और आबंटन का प्रावधान है जिनका आबंटन 2014 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया था। एक्ट की अनुसूची I में ऐसी सभी खदानों की सूची है, अनुसूची II और III में अनुसूची I में सूचीबद्ध सभी खदानों की उपश्रेणियां हैं। अनुसूची II में ऐसी खदानें शामिल हैं जहां उत्पादन शुरू हो चुका है और अनुसूची III में ऐसी खदानें शामिल हैं जिन्हें निर्दिष्ट अंतिम उपयोग (एंड-यूज) के लिए चिन्हित किया गया है।
- कोयले के अंतिम उपयोग पर लगे प्रतिबंध को हटाना: वर्तमान में नीलामी के जरिए अनुसूची II और अनुसूची III की कोयला खदानों का अधिग्रहण करने वाली कंपनियां सिर्फ निर्दिष्ट अंतिम उपयोग के लिए कोयला उत्पादन कर सकती हैं जैसे बिजली उत्पादन और स्टील उत्पादन। अध्यादेश कंपनियों द्वारा कोयला उपयोग पर लगे इस प्रतिबंध को हटाता है। कंपनियों को अपने उपभोग, बिक्री या दूसरे उद्देश्यों, जिसे केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है, के लिए कोयला खनन की अनुमति होगी। वे इस कोयले को अपने सहायक संयंत्रों में भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
- कोयला और लिग्नाइट ब्लॉक की नीलामी के लिए पात्रता: अध्यादेश स्पष्ट करता है कि कोयला और लिग्नाइट ब्लॉक्स की नीलामी में भाग लेने के लिए कंपनियों के पास कोयला खनन का अनुभव होना जरूरी नहीं। इसके अतिरिक्त कोयला और लिग्नाइट ब्लॉक्स की प्रतिस्पर्धात्मक नीलामी प्रक्रिया उन खदानों पर लागू नहीं होगी जिनका आबंटन निम्नलिखित के लिए किया गया है: (i) अपने उपयोग, बिक्री या अन्य निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए सरकारी कंपनी या उनका संयुक्त उपक्रम को, और (ii) ऐसी कंपनी को जिसे प्रतिस्पर्धी शुल्क नीलामी के आधार पर पावर प्रॉजेक्ट मिला हो।
- उत्खनन (प्रॉस्पेक्टिंग) और खनन के लिए कम्पोजिट लाइसेंस: वर्तमान में कोयले और लिग्नाइट के उत्खनन और खनन, जिन्हें क्रमशः प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंस और माइनिंग लीज कहा जाता है, के लिए अलग-अलग लाइसेंस दिए जाते हैं। उत्खनन में खनिज भंडार की खोज, स्थान निर्धारण या तलाश शामिल हैं। अध्यादेश एक नई प्रकार का लाइसेंस जोड़ता है जिसे प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस-कम-माइनिंग लीज कहा गया है। यह उत्खनन और खनन, दोनों प्रकार की गतिविधियों के लिए कंपोजिट लाइसेंस होगा।
- गैर विशिष्ट पैमाइश परमिट (नॉन एक्सक्लूसिव रीकानिसन्स परमिट) धारकों को दूसरा लाइसेंस: वर्तमान में कुछ खास खनिजों की खोज के लिए गैर विशिष्ट पैमाइश परमिट धारकों को प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंस या माइनिंग लीज नहीं मिलती। पैमाइश का अर्थ है, शुरुआत में कुछ सर्वेक्षणों के जरिए खनिजों का पता लगाना। अध्यादेश में प्रावधान है कि ऐसे परमिट धारक प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंस-कम-माइनिंग लीज या माइनिंग लीज के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह प्रावधान कुछ लाइसेंसीज़ पर लागू होंगे, जैसा कि अध्यादेश में निर्दिष्ट है।
- नए बिडर्स (बोली लगाने वालों) को वैधानिक मंजूरियों का हस्तांतरण: कुछ खनिजों (कोयला, लिग्नाइट और एटॉमिक खनिजों को छोड़कर अन्य खनिज) की माइनिंग लीज की समाप्ति के बाद उसे नीलामी के जरिए नए लोगों को हस्तांतरित किया जा सकता है। इन नए लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वे खनन का काम शुरू करने से पहले वैधानिक मंजूरी हासिल करेंगे। अध्यादेश में प्रावधान है कि पूर्व पट्टाधारी को मिली मंजूरियां और लाइसेंस दो साल की अवधि के लिए सफल बिडर को दिया जाएगा। इस अवधि के दौरान नए पट्टाधारी को खनन जारी रखने की अनुमति होगी। हालांकि नए पट्टाधारी को दो साल में जरूरी मंजूरियां हासिल करनी होंगी।
- आबंटन खत्म होने के बाद दोबारा आबंटन: सीएमएसपी एक्ट कुछ मामलों में कोयला खदानों के आबंटन के आदेशों को समाप्त करने का प्रावधान करता है। अध्यादेश कहता है कि इन खदानों को नीलामी या आबंटन के जरिए दोबारा आबंटित किया जा सकता है, जैसा केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाए। केंद्र सरकार दोबारा आंबटित होने तक इन खदानों की देखरेख के लिए एक कस्टोडियन को नियुक्त कर सकती है।
- केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति: एमएमडीआर एक्ट के अंतर्गत राज्य सरकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह कोयला और लिग्नाइट के लिए पैमाइश परमिट, प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंस या माइनिंग लीज देने से पहले केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति ले। अध्यादेश में यह प्रावधान है कि कुछ मामलों में कोयला और लिग्नाइट के लिए लाइसेंस देने से पहले केंद्र सरकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। इन मामलों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) केंद्र सरकार द्वारा आबंटन किया गया है, और (ii) केंद्र या सरकार द्वारा खनिजों के संरक्षण के लिए खनन ब्लॉक को आरक्षित रखा गया है।
- नीलामी के लिए अग्रिम कार्रवाई: एमएमडीआर एक्ट के अंतर्गत लीज अवधि समाप्त होने के बाद निर्दिष्ट खनिजों (कोयला, लिग्नाइट और एटॉमिक खनिजों को छोड़कर) के लिए माइनिंग लीज की नीलामी की जाती है। अध्यादेश में प्रावधान है कि राज्य सरकार लीज अवधि समाप्त होने से पहले नीलामी के लिए अग्रिम कार्रवाई कर सकती है।
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