- खान और खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) संशोधन बिल 2025 को 11 अगस्त, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया। बिल का उद्देश्य खान और खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) एक्ट, 1957 में संशोधन करना है।
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खनन पट्टे में अन्य खनिजों को शामिल करना: एक्ट के तहत किसी विशिष्ट खनिज के लिए खनन पट्टा प्रदान किया जाता है। बिल में प्रावधान है कि पट्टाधारक मौजूदा पट्टे में अन्य खनिजों को शामिल करने के लिए राज्य सरकार को आवेदन कर सकते हैं। महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों और अन्य निर्दिष्ट खनिजों को शामिल करने के लिए कोई अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं करना होगा। इनमें लिथियम, ग्रेफाइट, निकल, कोबाल्ट, सोना और चांदी जैसे खनिज शामिल हैं। अन्य खनिजों को शामिल करने के लिए पट्टाधारक को उस खनिज की रॉयल्टी के बराबर राशि का भुगतान करना होगा। नीलाम की गई खदानों के मामले में पट्टाधारक को शामिल खनिज के लिए नीलामी प्रीमियम का अतिरिक्त भुगतान करना होगा। केंद्र सरकार एक अधिसूचना के माध्यम से भुगतान संबंधी शर्तों में बदलाव कर सकती है।
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किसी लघु खनिज (प्रमुख खनिज) के अलावा किसी अन्य खनिज के लिए जारी किए गए खनन पट्टे में किसी लघु खनिज को शामिल करने के लिए राज्य सरकार रॉयल्टी और अन्य भुगतान तय कर सकती है। लघु खनिजों में भवन निर्माण करने वाला पत्थर, बजरी, रेत और केंद्र सरकार द्वारा लघु खनिज घोषित अन्य खनिज शामिल हैं। लघु खनिज पट्टों में प्रमुख खनिजों को शामिल करने के लिए केंद्र सरकार नियमों के माध्यम से शर्तें निर्धारित करेगी। किसी निर्दिष्ट श्रेणी से ऊपर के परमाणु खनिज को गैर-परमाणु खनिजों के लिए दिए गए खनन पट्टे में शामिल नहीं किया जा सकता है।
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राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट का दायरा बढ़ाया गया: यह एक्ट देश में खनिज अन्वेषण के वित्तपोषण के लिए राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट की स्थापना करता है। बिल ट्रस्ट के दायरे को बढ़ाता है और इसमें खदानों और खनिजों के विकास के लिए भी धनराशि उपलब्ध कराता है। इसके अतिरिक्त यह ट्रस्ट की धनराशि का उपयोग अपतटीय क्षेत्रों और भारत के बाहर अन्वेषण और विकास के लिए करने की अनुमति देता है। बिल ट्रस्ट का नाम बदलकर राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण और विकास ट्रस्ट करता है। एक्ट के तहत सभी पट्टेदारों को ट्रस्ट में रॉयल्टी का दो प्रतिशत जमा करना अनिवार्य है। बिल इस योगदान को बढ़ाकर रॉयल्टी का तीन प्रतिशत तक करता है।
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कैप्टिव खदानों की बिक्री की सीमा हटाई गई: एक्ट के तहत कैप्टिव खदानों को अंतिम उपयोग की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद एक वर्ष में उत्पादित खनिजों का 50% तक बेचने की अनुमति है। बिल खनिजों की बिक्री की सीमा हटाता है। बिल राज्य सरकारों को यह अधिकार देता है कि वे केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट तारीख तक पट्टे पर दिए गए क्षेत्र में जमा खनिजों की बिक्री की अनुमति दे सकते हैं।
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गहरे खनिजों के लिए खनन पट्टे में संलग्न क्षेत्र को शामिल करना: बिल खनन या संयुक्त (कंपोजिट) पट्टे के तहत क्षेत्र के एक बारगी विस्तार की अनुमति देता है। यह गहराई में स्थित खनिजों पर लागू होगा। गहराई में स्थित खनिज ऐसे खनिज होते हैं जो भूमि की सतह से 200 मीटर से अधिक गहराई पर पाए जाते हैं। एक संयुक्त लाइसेंस के तहत खनन क्षेत्र को मौजूदा पट्टे वाले क्षेत्र के 30% तक और खनन पट्टे के तहत मौजूदा पट्टे वाले क्षेत्र के 10% तक बढ़ाया जा सकता है। एक संयुक्त लाइसेंस पूर्वेक्षण (प्रॉस्पेक्टिंग) और खनन दोनों के अधिकार प्रदान करता है।
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खनिज एक्सचेंज: बिल खनिज एक्सचेंज के पंजीकरण और रेगुलेशन के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान करता है। बिल खनिज एक्सचेंज को खनिजों और धातुओं के व्यापार के लिए एक पंजीकृत इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म या बाजार के रूप में परिभाषित करता है। केंद्र सरकार निम्नलिखित मामलों पर खनिज एक्सचेंज के संबंध में नियम बनाएगी: (i) पंजीकरण का तरीका, (ii) शुल्क और अन्य प्रभार लगाना, (iii) इनसाइड ट्रेडिंग और बाजार में हेरफेर की रोकथाम, और (iv) शिकायत निवारण।
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