- जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2025 को 18 अगस्त, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया। इसका उद्देश्य 17 केंद्रीय कानूनों में संशोधन करके कुछ अपराधों और दंडों को मुख्यतः अपराधमुक्त या सुव्यवस्थित करना है। इनमें मोटर वाहन एक्ट, 1988, लीगल मीट्रोलॉजी एक्ट, 2009, एप्रेंटिस एक्ट, 1961 और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद एक्ट, 1994 शामिल हैं।
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अपराधों को डीक्रिमिनलाइज करना: बिल कई अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है यानी डीक्रिमिनलाइज करता है। उदाहरण के लिए, मोटर वाहन एक्ट, 1988 के तहत, मानसिक या शारीरिक रूप से अयोग्य व्यक्ति द्वारा वाहन चलाना जुर्माने के साथ दंडनीय है। इसी प्रकार, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण एक्ट, 1985 के तहत निर्यात या आयात संबंधी आदेश का उल्लंघन कारावास, जुर्माना या दोनों से दंडनीय है। इसके बजाय, बिल इन अपराधों के लिए आर्थिक दंड का प्रावधान करता है।
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कारावास को हटाना: कई मामलों में, बिल कुछ अपराधों के लिए कारावास को हटाता है। लीगल मीट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के तहत, अगर सरकार स्वीकृत टेस्ट सेंटर का मालिक जानबूझकर कानून का उल्लंघन करते हुए किसी बाट या माप पर मुहर लगाता है, तो उसे एक वर्ष तक का कारावास, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। बिजली एक्ट, 2003 के तहत, किसी आदेश या निर्देश का पालन न करने पर तीन महीने तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। बिल इन अपराधों के लिए कारावास को हटाता है और इसके बजाय केवल जुर्माना लगाता है।
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जुर्माने और सजा में संशोधन: बिल कई अपराधों के लिए जुर्माने और दंड के मौद्रिक मूल्य में संशोधन करता है। इसमें आगे प्रावधान किया गया है कि इसके द्वारा निर्दिष्ट जुर्माने और दंड में हर तीन वर्ष में संबंधित न्यूनतम राशि में 10% की वृद्धि होगी।
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अपराध के पहले मामले में दंड को हटाना: बिल कुछ कानूनों में संशोधन करके अपराध के पहले मामले पर चेतावनी का प्रावधान करता है। उदाहरण के लिए, केंद्रीय रेशम बोर्ड एक्ट, 1948 में गलत जानकारी देने पर कारावास, जुर्माना या दोनों का दंड दिया जाता है। बिल इसमें संशोधन करके पहले अपराध की स्थिति में चेतावनी जारी करने और बाद के अपराधों के लिए आर्थिक दंड लगाने का प्रावधान करता है। चाय एक्ट, 1953 में भी इसी तरह के बदलाव किए जा रहे हैं।
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सुधार नोटिस: बिल लीगल मीट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के तहत सुधार नोटिस को पेश करता है। इस एक्ट के तहत नॉन स्टैंडर्ड बाट और माप के निर्माण, उपयोग या बिक्री जैसे कई अपराधों के लिए जुर्माने का प्रावधान है। इसके बजाय, बिल में प्रावधान है कि पहली बार अपराध करने पर सुधार नोटिस जारी किया जा सकता है। इन नोटिसों में एक निश्चित समय सीमा के भीतर गैर-अनुपालन को सुधारना होगा। इसके बाद के अपराधों के लिए जुर्माने का प्रावधान होगा।
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दंड पर फैसला: यह बिल कुछ कानूनों में संशोधन करके जांच और दंड निर्धारण हेतु अधिनिर्णय (एडजुडिकेटिंग) अधिकारियों की नियुक्ति का प्रावधान करता है। इसमें अधिनिर्णय अधिकारियों के फैसलों के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए अपीलीय अधिकारियों की नियुक्ति का भी प्रावधान किया गया है।
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नई दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में संपत्ति कर और विज्ञापन कर: यह बिल नई दिल्ली नगर पालिका परिषद एक्ट, 1994 में संशोधन करता है। यह एक्ट संपत्ति कर लगाने का प्रावधान करता है। बिल में निर्दिष्ट किया गया है कि संपत्ति कर में भवन कर और खाली भूमि कर शामिल होंगे। यह बिल खाली पड़ी ज़मीनों और इमारतों के आधार मूल्य और संपत्ति कर के निर्धारण व संशोधन के तरीके का सुझाव देने के लिए एक नगर मूल्यांकन समिति की स्थापना करता है। यह बिल संपत्ति कर से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए एक कठिनाई और विषमता समिति का गठन करता है। निम्नलिखित अपराधों के लिए एक महीने से सात साल तक की कैद और कर चोरी की गई राशि का कम से कम 50% जुर्माना देना होगा: (i) संपत्ति कर का भुगतान जानबूझकर न करना, (ii) समय पर संपत्ति कर का रिटर्न दाखिल करने में जानबूझकर विफल रहना, और (iii) एसेसमेंट रिटर्न में गलत जानकारी देना। बिल विज्ञापन कर लगाने से संबंधित प्रावधानों को भी हटाता है।
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जन विश्वास एक्ट, 2023 के तहत जुर्माने में संशोधन का तरीका: जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) एक्ट, 2023 में हर तीन वर्ष में इसके द्वारा निर्दिष्ट जुर्माने और दंड में संशोधन का प्रावधान है। बिल में यह भी कहा गया है कि अगर ऐसा कोई कानून पहले से ही संशोधन की अपनी विधि निर्धारित करता है, तो एक्ट में दी गई विधि लागू होगी।
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