मंत्रालय: 
गृह मामले
  • जम्मू एवं कश्मीर स्थानीय निकाय कानून (संशोधन) बिल, 2024 को फरवरी, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया। यह बिल पूर्ववर्ती राज्य जम्मू एवं कश्मीर में लागू तीन कानूनों में संशोधन करता है। ये कानून हैं: (i) जम्मू-कश्मीर पंचायती राज एक्ट, 1989, (ii) जम्मू-कश्मीर नगरपालिका एक्ट, 2000 और (iii) जम्मू-कश्मीर नगर निगम एक्ट, 2000। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के लिए आरक्षण: इन तीन कानूनों के तहत जम्मू-कश्मीर के कुछ संस्थानों में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए सीटें आरक्षित हैं। ये संस्थाएं इस प्रकार हैं: (i) पंचायतें, (ii) नगर पालिकाएं, (iii) नगर निगम, (iv) ब्लॉक विकास परिषदें और (v) जिला विकास परिषदें। ये सीटें इस प्रकार निर्धारित की जाती हैं कि इन संस्थाओं के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में इन समूहों की जनसंख्या का क्या अनुपात है। ऐसी एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। यह बिल ओबीसी को भी आरक्षण प्रदान करता है। ओबीसी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा कमजोर और वंचित के रूप में अधिसूचित समूह हैं।

  • राज्य निर्वाचन आयोग के कार्यवर्तमान में जम्मू-कश्मीर पंचायती राज एक्ट, 1989 के तहत जम्मू-कश्मीर में राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची तैयार करता है और पंचायतोंब्लॉक विकास परिषदों और जिला विकास परिषदों के लिए चुनाव आयोजित करता है। नगर पालिकाओं और नगर निगमों के मामले में इन जिम्मेदारियों का निर्वहन मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा किया जाता है। बिल उपरोक्त सभी संस्था के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को उक्त चुनाव संबंधी जिम्मेदारियां निर्दिष्ट करता है।

  • राज्य निर्वाचन आयुक्त की सेवा की शर्तेंजम्मू-कश्मीर पंचायती राज एक्ट, 1989 में कहा गया है कि राज्य निर्वाचन आयुक्त भारत में किसी भी राज्य या केंद्र सरकार के कार्यालय में नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति के लिए अयोग्य होगा। बिल इस प्रावधान को हटाता है। 1989 के एक्ट में कहा गया है कि राज्य निर्वाचन आयुक्त का वेतन निर्धारित किया जाएगा। बिल में यह संशोधन किया गया है कि वेतन और सेवा की अन्य शर्तें नियमों के अनुसार जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) द्वारा निर्धारित की जाएंगी। एलजी को राज्य निर्वाचन आयुक्त को छुट्टियां देने का भी अधिकार दिया गया है।

  • एक्ट में यह भी कहा गया है कि अगर राज्य निर्वाचन आयुक्त को अपनी पिछली सेवा से पेंशन मिल रही थीतो निर्वाचन आयुक्त के रूप में उनका वेतन उस पेंशन की राशि से कम हो जाएगा। बिल पिछली सेवा के दौरान प्राप्त विकलांगता पेंशन को इस प्रावधान के दायरे से बाहर रखता है। यह राज्य निर्वाचन आयुक्त को उनकी पिछली सेवा से प्राप्त होने वाले विभिन्न भत्तों को उनके वर्तमान कार्यकाल में जारी रखने की भी अनुमति देता है।

  • राज्य निर्वाचन आयुक्त को हटानाजम्मू-कश्मीर पंचायती राज एक्ट, 1989 में कहा गया है कि राज्य निर्वाचन आयुक्त को केवल उपराज्यपाल द्वारा पारित आदेश के माध्यम से उनके कार्यालय से हटाया जा सकता है। बर्खास्तगी के आधारों में मौजूदा या सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच द्वारा साबित किया गया दुर्व्यवहार या अक्षमता शामिल हैं। बिल में  इसमें संशोधन किया गया है और यह प्रावधान किया गया है कि एक राज्य निर्वाचन आयुक्त को केवल उसी तरीके से और उसी आधार पर हटाया जा सकता है जिस आधार पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जा सकता है।

  • मतदाता सूची से हटानाजम्मू-कश्मीर पंचायती राज एक्ट, 1989 के तहत अगर किसी व्यक्ति की आयु 18 वर्ष से कम है या उसे विकृत दिमाग (अनसाउंड माइंड) वाला घोषित किया जाता हैतो उसे मतदाता सूची से हटाया जा सकता है। बिल राज्य निर्वाचन आयोग को किसी व्यक्ति को मतदाता सूची से हटाने के लिए अतिरिक्त आधार प्रदान करने की अनुमति देता है। 

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