मंत्रालय: 
वित्त
नोट: यह 2021 बिल  ट्रिब्यूनल सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा की शर्तें) अध्यादेश, 2021 के समान है।

इसलिए कृपया 2021 के अध्यादेश पर हमारा  लेजिसलेटिव ब्रीफ देखें।  

तालिका 1: बिल के अंतर्गत प्रस्तावित मुख्य अपीलीय निकायों के कार्यों का ट्रांसफर

एक्ट

अपीलीय निकाय

प्रस्तावित अदालत

सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952

अपीलीय ट्रिब्यूनल

उच्च न्यायालय

ट्रेड मार्क्स एक्ट, 1999

अपीलीय बोर्ड

उच्च न्यायालय

कॉपीराइट एक्ट, 1957

अपीलीय बोर्ड

कमर्शियल अदालत या उच्च न्यायालय की कमर्शियल डिविजन*

कस्टम्स एक्ट, 1962

अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स

उच्च न्यायालय

पेटेंट्स एक्ट, 1970

अपीलीय बोर्ड

उच्च न्यायालय

एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक्ट, 1994

एयरपोर्ट

अपीलीय ट्रिब्यूनल

अनाधिकृत निवासियों द्वारा एयरपोर्ट परिसर में छोड़ी गई संपत्तियों के निपटारे संबंधी विवाद के लिए केंद्र सरकार

निष्कासन अधिकारी के आदेश के खिलाफ अपील के लिए उच्च न्यायालय

राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि और ट्रैफिक) एक्ट, 2002

एयरपोर्ट

अपीलीय ट्रिब्यूनल

सिविल अदालत #

वस्तुओं के भौगोलिक चिन्ह (पंजीकरण और संरक्षण) एक्ट, 1999

अपीलीय बोर्ड

उच्च न्यायालय

नोट: * कमर्शियल अदालत एक्ट, 2015 के अंतर्गत स्थापित; # जिले में मूल न्यायक्षेत्र की सिविल अदालत, और इसमें अपने मूल सामान्य सिविल न्यायक्षेत्र का उपयोग करने वाली उच्च न्यायालय शामिल है।

Sources: The Tribunals Reforms Bill, 2021; PRS.

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 2 अगस्त, 2021 को लोकसभा में ट्रिब्यूनल्स सुधार बिल, 2021 को पेश किया। बिल ट्रिब्यूनल्स को भंग करने और उनके कार्यों (जैसे अपीलों पर न्यायिक निर्णय लेना) को दूसरे मौजूदा न्यायिक निकायों को ट्रांसफर करने का प्रयास करता है (देखें तालिका 1)। बिल अप्रैल 2021 में जारी ऐसे ही एक अध्यादेश का स्थान लेता है।
     
  • फाइनांस एक्ट 2017 में संशोधन: 2017 का फाइनांस एक्ट क्षेत्रों के आधार पर ट्रिब्यूनल्स का विलय करता है। यह केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह निम्नलिखित के संबंध में नियमों को अधिसूचित करे: (i) सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटीज़ का संयोजन, (ii) ट्रिब्यूनल के सदस्यों की क्वालिफिकेशन, और (iii) उनकी सेवा की अवधि और शर्तें (जैसे उन्हें हटाना और वेतन)। बिल फाइनांस एक्ट से इन प्रावधानों को हटाता है। सिलेक्शन कमिटीज़ के संयोजन और कार्यकाल संबंधी प्रावधान बिल में शामिल किए गए हैं। केंद्र सरकार सदस्यों की क्वालिफिकेशन और सेवा के अन्य नियमों और शर्तों को अधिसूचित करेगी।
     
  • सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी: केंद्र सरकार सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी के सुझाव पर ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन और सदस्य की नियुक्ति करेगी। कमिटी में निम्नलिखित सदस्य होंगे: (i) भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जोकि कमिटी के चेयरपर्सन होंगे (कास्टिंग वोट के साथ), (ii) केंद्र सरकार द्वारा नामित दो सेक्रेटरी, (iii) वर्तमान या निवर्तमान चेयरपर्सन, या सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्ति मुख्य न्यायाधीश, और (iv) जिस मंत्रालय के अंतर्गत ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है, उसका सेक्रेटरी (वोटिंग अधिकार के बिना)।
     
  • राज्य प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में अलग से सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटीज़ होंगी। इन कमिटीज़ में निम्नलिखित सदस्य होंगे: (i) संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जोकि कमिटी के चेयरमैन होंगे (कास्टिंग वोट के साथ), (ii) राज्य सरकार का मुख्य सचिव और संबंधित राज्य के लोक सेवा आयोग का चेयरमैन, (iii) वर्तमान या निवर्तमान चेयरपर्सन या उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश और (iv) राज्य के सामान्य प्रशासनिक विभाग का सचिव या मुख्य सचिव (कास्टिंग वोट के बिना)। केंद्र सरकार को सिलेक्शन कमिटीज़ के सुझावों पर तीन महीने के भीतर फैसला लेना चाहिए।
     
  • पात्रता और कार्यकाल: बिल में चार वर्ष के कार्यकाल का प्रावधान है (जोकि चेयरपर्सन के लिए 70 वर्ष की अधिकतम आयु और सदस्यों के लिए 67 वर्ष की अधिकतम आयु के अधीन होगा)। इसके अतिरिक्त यह चेयरपर्सन या सदस्य की नियुक्ति के लिए 50 वर्ष की न्यूनतम आयु की शर्त को निर्दिष्ट करता है।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।