मंत्रालय: 
वित्त
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 30 जुलाई, 2021 को राज्यसभा में डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (संशोधन) बिल, 2021 पेश किया। बिल डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट, 1961 में संशोधन करने का प्रयास करता है। एक्ट के अंतर्गत बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बैंक डिपॉजिट्स और गारंटी क्रेडिट पर इंश्योरेंस देने हेतु कॉरपोरेशन की स्थापना की गई थी। बिल जमाकर्ताओं को समय पर उनकी बीमित जमा राशि का एक्सेस देने का प्रयास करता है, अगर उन्हें अपनी बैंक जमा को एक्सेस करने से रोका जा रहा है।
     
  • एक्ट के अंतर्गत कॉरपोरेशन किसी बीमित बैंक के जमाकर्ताओं को बीमित जमा राशि चुकाने के लिए उत्तरदायी है। यह उत्तरदायित्व तब उत्पन्न होता है जब बीमित बैंक निम्नलिखित स्थितियों का सामना करता है: (i) लिक्विडेशन, यानी बैंक के बंद होने पर सभी एसेट्स की बिक्री, (ii) योजना के अंतर्गत रीकंस्ट्रक्शन या कोई और व्यवस्था, या (iii) दूसरे बैंक, यानी ट्रांसफरी बैंक द्वारा विलय या अधिग्रहण। कॉरपोरेशन के जमाकर्ताओं को भुगतान करने के बाद लिक्विडेटर या बीमित या ट्रांसफरी बैंक (जैसा भी मामला हो) कॉरपोरेशन को उतनी ही राशि देने के लिए उत्तरदायी हो जाता है। इस तरह कॉरपोरेशन ने जितनी राशि चुकाई होती है, उतनी राशि की जमा के प्रति उसका दायित्व कम हो जाता है।
     
  • जमाकर्ताओं को अंतरिम भुगतान: बिल कहता है कि कॉरपोरेशन अंतरिम आधार पर जमाकर्ताओं को बीमित जमा राशि चुकाने को उत्तरदायी होगा। यह उत्तरदायित्व उसी दिन से उत्पन्न हो जाएगा जब जमाकर्ताओं को अपनी बैंक जमा को एक्सेस करने से रोका जाता है। यह उत्तरदायित्व तब उत्पन्न होता है जब प्रतिबंध बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 के अंतर्गत किसी आदेश या योजना के जरिए लगाए गए हैं। यह तब भी लागू होगा जब ऐसे आदेश या योजना बिल के पहले दिए या शुरू किए गए हैं लेकिन बीमित बैंक का कारोबार उसके लागू होने के समय सस्पेंडेड ही था।
     
  • कॉरपोरेशन अंतरिम भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगी, अगर: (i) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जमाकर्ताओं को भुगतान के लिए बैंक पर लगा प्रतिबंध हटा देता है, और (ii) बीमित या ट्रांसफरी बैंक इस स्थिति में है कि वह बिना प्रतिबंधों के जमाकर्ताओं को भुगतान कर सकता है।
     
  • एक बार कॉरपोरेशन जमाकर्ता को अंतरिम भुगतान कर देता है, तो बीमित बैंक में उसकी जमा राशि से उतनी राशि कम हो जाएगी। फिर बीमित बैंक को वह राशि कॉरपोरेशन को चुकानी होगी।
     
  • अंतरिम भुगतान की समय अवधि: बिल में अनिवार्य किया गया है कि जिस तारीख को वह उत्तरदायित्व उत्पन्न होता है, उस तारीख से 90 दिनों के भीतर कॉरपोरेशन को जमाकर्ताओं को बीमित राशि चुकानी होगी। पहले 45 दिनों में बीमित बैंक को कॉरपोरेशन को सभी बकाया जमा के विवरण देने होंगे। विवरण प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर कॉरपोरेशन दावों की सच्चाई की पुष्टि करेगा और प्रत्येक जमाकर्ता से यह पूछेगा कि क्या वे बीमित जमा राशि को लेने के इच्छुक हैं। पुष्टि के 15 दिनों के भीतर कॉरपोरेशन को जमाकर्ताओं को भुगतान करना होगा। 
     
  • जिस तारीख को कॉरपोरेशन जमाकर्ताओं को भुगतान के लिए उत्तरदायी होती है, उसे अतिरिक्त 90 दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता है। यह विस्तार दिया जा सकता है, अगर आरबीआई को ऐसा लगता है कि बीमित बैंक के रीकंस्ट्रक्शन, प्रबंधन, विलय या अधिग्रहण की योजना को अंतिम रूप देने के लिए यह उचित है।
     
  • बैंक द्वारा कॉरपोरेशन को चुकाया जाने वाला प्रीमियम: एक्ट के अंतर्गत बीमित बैंकों को कॉरपोरेशन को उनकी जमा पर प्रीमियम चुकाना होता है। कॉरपोरेशन आरबीआई की पूर्व मंजूरी के साथ बैंक के लिए प्रीमियम की दर को अधिसूचित करता है। एक्ट बैंक के लिए प्रीमियम (वार्षिक) की दर को, उसकी कुल बकाया जमा के 0.15% पर सीमित करता है। बिल कॉरपोरेशन को इस बात की अनुमति देता है कि वह आरबीआई की पूर्व मंजूरी से इस अधिकतम सीमा को बढ़ा सकता है। वह उसकी वित्तीय स्थिति और देश में बैंकिंग प्रणाली के हितों पर विचार करके इस सीमा को बढ़ा सकता है। 
     
  • कॉरपोरेशन को बैंक द्वारा पुनर्भुगतान: एक्ट के अंतर्गत कॉरपोरेशन के जमाकर्ताओं को भुगतान करने के बाद बीमित या ट्रांसफरी बैंक, जैसा भी मामला हो, उतनी ही राशि कॉरपोरेशन को चुकाने के लिए उत्तरदायी हो जाते है। कॉरपोरेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स उस अवधि को निर्दिष्ट करते हैं जिस अवधि में बैंक को यह राशि चुकानी होती है। बिल कहता है कि कॉरपोरेशन इस समय अवधि को उतनी अवधि और उन शर्तों के आधार पर बदल सकता है, जैसा कि बोर्ड ने रेगुलेशंस के माध्यम से निर्धारित किया है। इन रेगुलेशंस में निम्नलिखित का भी प्रावधान होना चाहिए: (i) कॉरपोरेशन को चुकाने के लिए बैंक की क्षमता का आकलन करने हेतु विवेकपूर्ण सिद्धांत, और (ii) पुनर्भुगतान तक अन्य निर्दिष्ट देनदारियां चुकाने के लिए बैंक पर लगा प्रतिबंध।
     
  • बिल में प्रावधान है कि कॉरपोरेशन पुनर्भुगतान में देरी होने पर ब्याज के रूप में जुर्माना लगा सकता है। ब्याज की यह दर रेपो रेट (आरबीआई बैंकों को इसी दर पर धन उधार देता है) से दो परसेंट प्वाइंट से अधिक हो सकती है।

 

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