मंत्रालय: 
शहरी विकास
  • दिल्ली किराया (निरस्तीकरण) बिल, 2013 को शहरी विकास मंत्री कमल नाथ ने 29 अगस्त, 2013 को राज्यसभा में पेश किया था।
     
  • बिल दिल्ली किराया एक्ट, 1995 को निरस्त करने का प्रयास करता है। हालांकि इस एक्ट को संसद में पारित कर दिया गया था और राष्ट्रपति की अनुमति भी प्राप्त हो गई थी लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका और अब तक इसे अधिसूचित नहीं किया गया है।
     
  • यह एक्ट दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) में किराये, किराये पर दिए गए परिसरों की मरम्मत, किरायेदारों की बेदखली और होटलों तथा लॉजिंग हाउसों की दरों को रेगुलेट करने की कोशिश करता है।
     
  • इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि कुछ संशोधनों के बाद इस एक्ट को लागू किया जाए। दिल्ली किराया (संशोधन) बिल, 1997 संसद में पेश किया गया लेकिन 11 वीं लोकसभा के भंग होने के कारण इसे पारित नहीं किया जा सका।
     
  • दिल्ली किराया नियंत्रण एक्ट, 1958, जिसे समय-समय पर संशोधित किया गया, अब भी लागू है। यह एक्ट दिल्ली एनसीटी में रेंटल हाउसिंग मार्केट, किरायेदारों की बेदखली, मेनटेनेंस के संबंध में मकान मालिक की बाध्यताएं और विशिष्ट स्थितियों में मकान मालिकों द्वारा कब्जे की वापसी को रेगुलेट करता है।
     
  • मार्च, 2012 में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार और केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के बीच बातचीत के बाद एक नये बिल का मसौदा तैयार करने का निर्णय लिया गया जिसे चर्चा के लिए पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा।
     
  • इस प्रकार दिल्ली किराया एक्ट, 1995 को निरस्त करने और दिल्ली किराया (निरस्तीकरण) बिल, 2013 को प्रस्तावित करने का फैसला किया गया।

 

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