बिल की मुख्य विशेषताएं
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यह बिल बॉयलर्स एक्ट, 1923 का स्थान लेने का प्रयास करता है। बिल बॉयलर्स एक्ट, 1923 के अधिकतर प्रावधानों को बरकरार रखता है।
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बॉयलर मैन्यूफैक्चरर्स को बॉयलर्स और बॉयलर कंपोनेंट्स के डिजाइन को प्रमाणित कराना चाहिए। बॉयलर की मैन्यूफैक्चरिंग और उसकी स्थापना निरीक्षण और प्रमाणीकरण के अधीन होगी।
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बॉयलर्स को काम शुरू करने से पहले पंजीकृत कराया जाना चाहिए और कामकाज जारी रखने के लिए पंजीकरण को रीन्यू किया जाना चाहिए। बदलाव और मरम्मत भी तभी कराई जा सकती है, जब पहले मंजूरी ली जाए। सभी दुर्घटनाओं की सूचना 24 घंटे के भीतर दी जानी चाहिए।
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प्रमाणपत्र जारी करने के लिए राज्य सरकार निरीक्षक की नियुक्ति करेगी। कुछ तीसरे पक्षों को भी निरीक्षण करने के लिए अधिकृत किया जा सकता है। केंद्र सरकार रेगुलेशंस बनाने के लिए केंद्रीय बॉयलर्स बोर्ड का गठन करेगी।
प्रमुख मुद्दे और विश्लेषण
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बॉयलर्स को रेगुलेट करने के लिए अलग कानून की जरूरत स्पष्ट नहीं है। युनाइटेड किंगडम और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में बॉयलर्स से संबंधित विशिष्ट कानूनों को निरस्त कर दिया गया है और उसकी बजाय व्यवसायगत स्वास्थ्य एवं सुरक्षा से संबंधित व्यापक कानून के तहत बॉयलर्स को रेगुलेट किया जाता है।
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बिल राज्य सरकारों को यह अधिकार देता है कि वे किसी क्षेत्र को बिल के क्रियान्वयन से छूट दे सकती हैं। इससे यह प्रश्न उठता है कि जहां व्यापक छूट दी जाती है, क्या वहां सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
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बिल केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त निरीक्षकों के फैसलों के खिलाफ न्यायिक सहायता की अनुमति नहीं देता। पीड़ित व्यक्तियों को केवल एक विकल्प उपलब्ध है। वे उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर सकते हैं।
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बिल निरीक्षकों को परिसर में दाखिल होने का अधिकार देता है। हालांकि वह ऐसी कार्रवाई के खिलाफ सुरक्षात्मक उपाय निर्दिष्ट नहीं करता।
भाग क : बिल की मुख्य विशेषताएं
संदर्भ
बॉयलर्स संविधान की समवर्ती सूची के तहत आते हैं।[1] इसका अर्थ यह है कि संसद और राज्य विधानमंडल, दोनों उन पर कानून बना सकते हैं। बॉयलर्स एक्ट, 1923 स्टीम बॉयलर्स की मैन्यूफैक्चरिंग, इंस्टॉलेशन, परिचालन, बदलाव और मरम्मत को रेगुलेट करता है ताकि उनका सुरक्षित कामकाज सुनिश्चित किया जा सके।[2] बॉयलर एक ऐसे बर्तन या पात्र को कहा जाता है जिसमें दबाव से भाप उत्पन्न की जाती है। 2024 तक देश में लगभग 40 लाख स्टीम बॉयलर्स हैं।[3] एक्ट राज्य सरकारों को निरीक्षकों की नियुक्ति का अधिकार देता है जोकि बॉयलर्स का निरीक्षण और प्रमाणीकरण करेंगे। 2007 में एक्ट में संशोधन किया गया ताकि स्वतंत्र तीसरे पक्षों द्वारा निरीक्षण और प्रमाणीकरण की अनुमति दी जा सके।[4] जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) एक्ट, 2023 में संशोधन करके इस एक्ट के कुछ अपराधों को डीक्रिमिनलाइज किया गया।[5]
बॉयलर्स बिल, 2024 को 8 अगस्त, 2024 को राज्यसभा में पेश किया गया। बिल बॉयलर्स एक्ट, 1923 का स्थान लेता है। इसमें पूर्ववर्ती अधिकतर प्रावधानों को बरकरार रखा गया है।4
मुख्य विशेषताएं
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बॉयलर से संबंधित गतिविधियों का रेगुलेशन: एक्ट बॉयलर और बॉयलर कंपोनेंट्स की मैन्यूफैक्चरिंग, इंस्टॉलेशन, परिचालन, बदलाव और मरम्मत को रेगुलेट करता है ताकि सुरक्षित कामकाज सुनिश्चित किया जा सके। बॉयलर्स के परिचालन से पहले उनका पंजीकरण अनिवार्य है। पंजीकरण एक बार में 12 महीने तक का होता है और परिचालन जारी रखने के लिए पंजीकरण को रीन्यू करना पड़ता है। एक्ट केंद्र सरकार को अधिकार देता है कि वह रेगुलेशंस बनाने के लिए केंद्रीय बॉयलर्स बोर्ड का गठन करे। वह राज्य सरकारों को बॉयलर्स के निरीक्षण और प्रमाणीकरण के लिए निरीक्षक नियुक्त करने का अधिकार देता है। अन्य निजी व्यक्तियों को निरीक्षण और प्रमाणीकरण करने के लिए मान्यता प्रदान की जा सकती है। एक्ट निरीक्षकों के निर्णयों के खिलाफ अपील और दंड के निर्णय के लिए एक तंत्र भी निर्दिष्ट करता है। बिल एक्ट के इन प्रावधानों को बरकरार रखता है।
तालिका 1: बॉयलर्स बिल, 2024 के तहत अनुपालन की मुख्य शर्तें
चरण |
अनुपालन |
अनुमोदन करने वाले अधिकारी |
मैन्यूफैक्चरिंग |
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मुख्य निरीक्षक या अन्य मान्यता प्राप्त संस्थान |
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इंस्टॉलेशन और परिचालन |
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मुख्य निरीक्षक या अन्य मान्यता प्राप्त संस्थान |
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मुख्य निरीक्षक |
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मुख्य निरीक्षक या अन्य अधिकृत व्यक्ति |
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मुख्य निरीक्षक |
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मुख्य निरीक्षक या अन्य अधिकृत व्यक्ति |
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स्रोत: बॉयलर्स बिल 2024; पीआरएस।
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छूट: यह एक्ट निम्नलिखित बॉयलरों पर लागू नहीं होता है: (i) 25 लीटर से कम क्षमता, (ii) एक kg/cm2 से कम दबाव और (iii) 100 डिग्री सेल्सियस से कम पर पानी गर्म करने वाले। यह एक्ट सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले भाप इंजनों और बॉयलरों पर भी लागू नहीं होता है। एक्ट राज्य सरकार को यह अधिकार देता है कि वह किसी एक क्षेत्र को कुछ या सभी प्रावधानों को लागू करने से छूट दे सकती है। यह राज्य सरकार को निम्नलिखित बॉयलर्स को छूट देने का अधिकार भी देता है: (i) इमारतों को गर्म पानी की सप्लाई और गर्मी पहुंचाने के लिए प्रयोग होने वाले, और (ii) आपात स्थिति के मामले में। यह उन बॉयलर्स को भी छूट दे सकता है, जिन्हें ऐसे चिन्हित किया गया है कि वे त्वरित औद्योगिक विकास को मदद देने वाले हैं, और वह बॉयलर्स के मैटीरियल, डिजाइन या निर्माण से संतुष्ट है। बिल इन प्रावधानों को बरकरार रखता है।
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अपराध और दंड: एक्ट कई अपराधों और दंड को निर्दिष्ट करता है। कुछ अपराध दो वर्ष तक के कारावास, एक लाख रुपए तक के जुर्माने या दोनों के साथ दंडनीय हैं। इन अपराधों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) बिना मंजूरी के बॉयलर्स या कंपोनेंट्स में कोई बदलाव करना, (ii) सेफ्टी वॉल्व के साथ छेड़छाड़। निम्नलिखित अपराधों के लिए एक लाख रुपए तक के जुर्माने का दंड है: (i) पंजीकरण संख्या से टैंपरिंग करना, और (ii) नियमों या रेगुलेशंस का उल्लंघन करना। जरूरी प्रमाणपत्र न देने या किसी दुर्घटना की सूचना न देने पर पांच हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। बिल इन प्रावधानों को बरकरार रखता है।
भाग ख: मुख्य मुद्दे और विश्लेषण
बिल की जरूरत
लोगों की जिंदगी और संपत्ति को स्टीम बॉयलर्स के विस्फोट के खतरे से बचाने के लिए बॉयलर्स एक्ट, 1923 को लागू किया गया था।2 यह पूरे भारत में बॉयलर्स के परिचालन और रखरखाव के दौरान पंजीकरण और निरीक्षण में एकरूपता लाने का प्रयास करता है। डिजाइन्स की लिमिटेशंस, टूट-फूट और गलत तरीके से संचालित करने के कारण स्टीम बॉयलर्स में विस्फोट हो सकता है, और यह कानून इससे जुड़े खतरों को दूर करने का भी प्रयास करता है।2 2024 का बिल, 1923 के कानून के अधिकतर प्रावधानों को बरकरार रखता है। बॉयलर्स के डिजाइन, उनकी मैन्यूफैक्चरिंग और परिचालन को रेगुलेट करने के लिए 2024 में एक अलग कानून बनाने का तर्क स्पष्ट नहीं है। दरअसल बॉयलर्स सिर्फ एक औद्योगिक उपकरण ही हैं।
दक्षिण अफ्रीका और युनाइडेट किंगडम ने भी बॉयलर्स के लिए विशिष्ट कानून लागू किए थे।[6],[7] इसके बाद इन कानून को निरस्त कर दिया गया और व्यापक व्यवसायगत स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कानूनों में बॉयलर रेगुलेशन को शामिल कर दिया गया। जापान और जर्मनी जैसे देश भी व्यापक व्यवसायगत स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कानूनों के तहत बॉयलर्स को रेगुलेट करते हैं।[8],[9] कारखानों, मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों, खदानों, डॉक यार्ड और निर्माण स्थलों जैसी विभिन्न जगहों पर सुरक्षा संबंधी समस्याएं मौजूद होती हैं, और उन्हें विशिष्ट कानूनों द्वारा रेगुलेट किया जाता है। उदाहरण के लिए कारखाना एक्ट, 1948 में एक पूरा अध्याय है जिसमें कई वस्तुओं के लिए सुरक्षा नियम निर्दिष्ट किए गए हैं और सुरक्षा अधिकारियों को काम पर रखने की आवश्यकता बताई गई है। जिन वस्तुओं के लिए सुरक्षा नियम निर्दिष्ट किए गए हैं, वे हैं, मशीनरी, हॉइस्ट और लिफ्ट, विस्फोटक या ज्वलनशील गैस, और प्रेशर प्लांट्स।[10] संसद ने 2020 में व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति संहिता को पारित किया जोकि इन कानूनों का स्थान लेती है।[11] इस संहिता को अभी तक लागू नहीं किया गया है।[12]
किसी क्षेत्र को पूरी तरह से छूट देने की शक्ति क्या उपयुक्त है
एक्ट के तहत राज्य सरकार किन्हीं क्षेत्रों को किसी खास या सभी प्रावधानों से छूट दे सकती है। बिल में इस प्रावधान को बरकरार रखा गया है। बिल बॉयलर्स के कामकाज में सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। इससे यह प्रश्न उठता है कि एक्ट में जब व्यापक छूट प्रदान की जाती है तो क्या सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। बिल के तहत कुछ अन्य छूट सुरक्षा के जोखिम के आकलन के आधार पर दी गई है।
बिल राज्य सरकार को निम्नलिखित बॉयलर्स से छूट देने की शक्ति देता है: (i) कुछ विशिष्ट उपयोग के मामले के लिए- इमारतों में गर्म पानी की सप्लाई और उसे गर्म रखने के लिए, और (ii) आपात स्थिति के मामले में। इसके अतिरिक्त राज्य उन बॉयलर्स को भी छूट दे सकता है, जिन्हें ऐसे चिन्हित किया गया है कि वे त्वरित औद्योगिक विकास को मदद देने वाले हैं, और वह बॉयलर्स के मैटीरियल, डिजाइन या निर्माण से संतुष्ट है। इस आधार पर छूट देने के लिए रेगुलेशंस के तहत शर्तें निर्दिष्ट की जा सकती हैं।
बॉयलर्स कानून समिति (1921) ने कहा था कि बॉयलर कानून को पूरे देश में एक समान लागू किया जाना चाहिए और उसमें कोई छूट नहीं होनी चाहिए। इस समिति के सुझावों के आधार पर 1923 का कानून बना था।[13] समिति ने कहा था कि छूट के लिए एकमात्र तर्क कानून के क्रियान्वयन में व्यावहारिक चुनौतियां हो सकती हैं जैसे कि दूरदराज के क्षेत्रों में निषेधात्मक निरीक्षण लागत (यानी निरीक्षण की लागत इतनी अधिक होती है कि वह किसी चीज़ को प्रतिबंधित करती है)।13 समिति का कहना था कि ऐसी स्थितियां दुर्लभ हैं और भारत के अधिकांश हिस्सों (बर्मा को छोड़कर) पर लागू नहीं होती हैं। समिति ने प्रस्ताव रखा था कि ऐसे असाधारण मामलों में किसी क्षेत्र को छूट देने की शक्ति केंद्र सरकार को दी जाए।13
अपीलीय व्यवस्था का अभाव
सरकार के फैसलों के खिलाफ न्यायिक मदद लेने पर रोक
एक्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार, मुख्य निरीक्षकों, उप मुख्य निरीक्षकों और निरीक्षकों के आदेश अंतिम होंगे और उन पर किसी भी अदालत में सवाल नहीं उठाया जा सकता है। ये आदेश निम्नलिखित को नामंजूर करने से संबंधित हो सकते हैं: (i) मैन्यूफैक्चरिंग शुरू करने के लिए आवश्यक निरीक्षण प्रमाणपत्र, (ii) बॉयलर का संचालन शुरू करने से पहले पंजीकरण प्रमाणपत्र की आवश्यकता, (iii) पंजीकरण प्रमाणपत्र का रीन्यूअल, और (iv) परिवर्तन और मरम्मत करने के लिए आवश्यक मंजूरी। बिल इन प्रावधानों को बरकरार रखता है। इस प्रकार, एक पीड़ित व्यक्ति को सरकार के फैसले के खिलाफ न्यायिक मदद नहीं मिलेगी। उसके लिए एकमात्र विकल्प संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सीधे उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करना है।
मुख्य निरीक्षक के मूल आदेशों के विरुद्ध अपील की कोई व्यवस्था नहीं
बिल निरीक्षकों के फैसलों के खिलाफ अपील का एक तंत्र प्रदान करता है। मुख्य निरीक्षक के समक्ष अपील दायर की जा सकती है। बिल में आगे प्रावधान है कि किसी अपील के सिलसिले में मुख्य निरीक्षक के फैसले से प्रभावित व्यक्ति केंद्र सरकार से दूसरी अपील कर सकता है। बिल के तहत मुख्य निरीक्षक पंजीकरण और पंजीकरण के रीन्यूअल से संबंधित आदेश भी पारित कर सकता है। हालांकि बिल में इन आदेशों के खिलाफ अपील की कोई व्यवस्था निर्दिष्ट नहीं की गई है। यह बॉयलर्स एक्ट, 1923 से अलग है। एक्ट के सेक्शन 20, जोकि बिल के क्लॉज 25 के समान है, में कहा गया है कि "मुख्य निरीक्षक के मूल या अपीलीय आदेश" के खिलाफ अपील केंद्र सरकार के समक्ष की जाएगी।
निरीक्षकों के प्रवेश की शक्ति के खिलाफ सुरक्षात्मक उपाय निर्दिष्ट नहीं हैं
एक्ट के तहत निरीक्षक के पास जांच करने तथा एक्ट का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए किसी परिसर में प्रवेश करने की शक्ति है। बिल इस प्रावधान को बरकरार रखता है। ऐसे ही प्रावधान वाले कानूनों में ऐसी कार्रवाई के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षात्मक उपाय दिए गए हैं। ऐसे सुरक्षात्मक उपाय इस बिल से नदारद हैं।
खाद्य सुरक्षा और मानक एक्ट, 2006 में यह प्रावधान है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की प्रवेश और निरीक्षण करने की शक्तियों पर लागू होगी।[14],[15] सुरक्षात्मक उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) लिखित रूप में यह दर्ज करना कि कार्रवाई किसी विश्वास के आधार पर की जाएगी, (ii) इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से तलाशी को रिकॉर्ड करना, और (iii) पड़ोस से दो या दो से अधिक व्यक्तियों को गवाह के रूप में बुलाना।15 2006 का एक्ट उन अधिकारियों को भी दंडित करता है जो परेशान करने के लिए और बिना किसी उचित कारण के किसी वस्तु को जब्त करते हैं।14 व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति संहिता, 2020 के तहत भी निरीक्षकों की तलाशी और जब्ती की शक्तियों पर बीएनएसएस के सुरक्षात्मक उपाय लागू होते हैं। सर्वोच्च न्यायालय (1959) ने कहा था कि चूंकि तलाशी प्रकृति से एक बेहद मनमानी प्रक्रिया है, इसलिए कानूनों के तहत उन पर कड़ी शर्तें लगाई गई हैं।[16]
अनुपालनों का सरलीकरण
स्व-प्रमाणन: अनुपालन को आसान बनाने और निरीक्षकों की जरूरत को कम करने के लिए कई राज्यों ने कुछ मामलों में बॉयलर्स के स्व-प्रमाणन की अनुमति दी है।[17] इनमें कर्नाटक, ओड़िशा, पंजाब और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।17 गोवा, गुजरात और तमिलनाडु में सभी बॉयलर्स के लिए स्व-प्रमाणन को शुरू किया गया है।[18],[19],[20] यह विकल्प कुछ बॉयलर्स को छूट देने के लिए राज्य सरकार की शक्तियों का उपयोग करके पेश किया गया है। यहीं पर राज्य सरकार तेजी से औद्योगीकरण की जरूरत महसूस करती है, और बॉयलर्स के मैटीरियल, डिजाइन या निर्माण से संतुष्ट होकर यह छूट देती है। हालांकि बिल में छूट देने की इन शक्तियों को बरकरार रखा गया है, लेकिन यह कानून के तहत एक सुविधा के रूप में स्व-प्रमाणन को शामिल नहीं करता है। इसमें उन अधिकारियों द्वारा निरीक्षण और प्रमाणन की व्यवस्था को बरकरार रखा गया है जोकि या तो राज्य निरीक्षक होंगे या कुछ अधिकृत निजी संस्थाएं।
मंजूरियों के लिए समय सीमा: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (2019) ने कारोबार सुगमता में सुधार के लिए अनुपालनों हेतु समय सीमा के महत्व को स्वीकार किया था।17 केंद्र सरकार की व्यापार सुधार कार्य योजना (2024) में राज्यों को सुझाव दिया गया था कि एक्ट के तहत सभी अनुपालनों के लिए समय सीमा को निर्दिष्ट किया जाए।[21] बिल के तहत कुछ गतिविधियों, जैसे पंजीकरण, पंजीकरण के रीन्यूअल और अपील के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। हालांकि बॉयलर के निर्माण और स्थापना के लिए निरीक्षण पूरा करने तथा बदलाव और मरम्मत के लिए अनुमोदन की कोई समय सीमा निर्दिष्ट नहीं की गई है। बिल में यह भी नहीं कहा गया है कि इन्हें नियमों या रेगुलेशंस के जरिए निर्दिष्ट किया जाएगा। इस प्रकार, बिल इनकी समय सीमा को प्रशासनिक विवेक पर छोड़ता है।
केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों पर परामर्श की आवश्यकता नहीं
बिल में प्रावधान है कि केंद्रीय बॉयलर बोर्ड द्वारा बनाए गए रेगुलेशंस और राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए नियमों को सार्वजनिक परामर्श के लिए प्रकाशन के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा। हालांकि बिल में यह नहीं कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों पर सार्वजनिक परामर्श किया जाए। यह चार श्रम संहिता जैसे अन्य कानूनों से अलग है।[22]
[1]. Entry 37, List III, Seventh Schedule, Constitution of India, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s380537a945c7aaa788ccfcdf1b99b5d8f/uploads/2024/07/20240716890312078.pdf.
[2]. The Boilers Act, 1923, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/9322/1/boileract_1923.pdf.
[3]. Guidelines on Community Boiler for Cluster of Small-Scale Industries, Central Pollution Control Board, March 2024, https://cpcb.nic.in/openpdffile.php?id=TGF0ZXN0RmlsZS80MDdfMTcwOTYzNjMzNV9tZWRpYXBob3RvMjc4OTEucGRm.
[4]. “Boilers Bill, 2024 introduced in Rajya Sabha”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce & Industry, August 8, 2024, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2043249.
[5]. Section 2, The Jan Vishwas (Amendment of Provisions) Act, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/248047.pdf.
[6]. Section 1, Occupational Health and Safety Act, 1993, South Africa, https://www.gov.za/sites/default/files/gcis_document/201409/34995rg9672gon79.pdf.
[7]. The Boilers Act, 1934, United Kingdom, https://natlex.ilo.org/dyn/natlex2/natlex2/files/download/109904/GBR109904.pdf.
[8]. Section 45, Industrial Safety and Health Act, 1972, Japan, https://www.cas.go.jp/jp/seisaku/hourei/data/isha.pdf.
[9]. Section 2, Ordinance on Industrial Safety and Health, 2002, Germany, https://www.tzb-info.cz/docu/predpisy/download/Ordinance_on_Industrial_Safety_and_Health.pdf.
[10]. Chapter IV, The Factories Act, 1948, https://labour.gov.in/sites/default/files/factories_act_1948.pdf.
[11]. The Occupational Safety, Health and Working Conditions Code, Ministry of Law and Justice, 2020, https://dgfasli.gov.in/public/Admin/Cms/AllPdf/OSH_Gazette.pdf.
[12]. Unstarred Question No. 29, Lok Sabha, Ministry of Labour and Employment, November 25, 2024, https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/183/AU29_XEflFT.pdf?source=pqals.
[13]. Report of the Boilers Law Committee, 1920-21, https://ia902900.us.archive.org/22/items/dli.csl.1870/1870.pdf.
[14]. Section 38, Food Safety and Standards Act, Ministry of Law and Justice, August 23, 2006, https://fssai.gov.in/upload/uploadfiles/files/FOOD-ACT.pdf.
[15]. Chapter VII, The Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023,https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/Bharatiya_Nagarik_Suraksha_Sanhita,_2023.pdf.
[16]. AIR 1960 SC210, The State of Rajasthan vs Rehman, October 14, 1959.
[17]. “Stakeholder Consultation held for reforms in administration of Boilers”, Press Information Bureau, February 19, 2020, Ministry of Commerce & Industry, https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1603744®=3&lang=1.
[18]. Inspectorate of Factories and Boilers, Goa, https://ifbgoa.goa.gov.in/sites/default/files/Self-Certification-Scheme-Boilers.pdf.
[19]. Self-certification-cum-Consolidated Annual Return Scheme, Government of Gujarat, December 5, 2003, https://boiler.gujarat.gov.in/images/boiler/pdf/Notification-2003.pdf.
[20]. Notifications or Orders of interest to a section of the public issued by Secretariat Departments, Tamil Nadu Government, February 5, 2003, https://www.boilers.tn.gov.in/pdfs/Self_Certification_Gazette_Notification.pdf.
[21]. Business Reforms Action Plan, Ministry of Commerce and Industry, 2004, https://eodb.dpiit.gov.in/PublicDoc/Download/ENffatlldH5nSnQdn_sss_kiMA_eee__eee_.
[22]. Labour Codes, Ministry of Labour and Employment, https://labour.gov.in/labour-codes.
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