मंत्रालय: 
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान
  • भारत के रूपांतरण के लिए परमाणु ऊर्जा का सतत दोहन एवं विकास बिल, 2025 को 15 दिसंबर, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया। यह बिल परमाणु ऊर्जा एक्ट, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व एक्ट, 2010 का स्थान लेता है। 1962 का एक्ट परमाणु ऊर्जा के विकास और उपयोग का प्रावधान करता है जबकि 2010 का एक्ट परमाणु दुर्घटना की स्थिति में दायित्व और मुआवजे के निर्धारण हेतु एक ढांचा प्रदान करता है।
  • गैर सरकारी संस्थाओं को लाइसेंस: 1962 का एक्ट केंद्र सरकार को निम्नलिखित कार्यों के लिए लाइसेंस प्रदान करने का अधिकार देता है: (i) परमाणु खनिजों की खानों का संचालन, और (ii) ऐसे पदार्थों या संबंधित उपकरणों का उत्पादन, उपयोग या व्यापार। इन गतिविधियों के लिए लाइसेंस केवल केंद्र सरकार की संस्था या सरकारी कंपनियों को ही दिया जा सकता है। कुछ विशिष्ट गतिविधियों के लिए बिल केंद्र सरकार को निम्नलिखित को लाइसेंस देने का अधिकार देता है: (i) भारत के बाहर निगमित कंपनी को छोड़कर कोई अन्य कंपनी, (ii) सरकारी संस्थाओं और निजी कंपनियों के संयुक्त उद्यम, और (iii) केंद्र सरकार द्वारा स्पष्ट रूप से अनुमति प्राप्त कोई अन्य व्यक्ति। इन गतिविधियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) परमाणु संयंत्र या रिएक्टर का निर्माण, स्वामित्व या संचालन तथा (ii) परमाणु ईंधन का निर्माण, परिवहन, व्यापार या भंडारण। इसके अतिरिक्त विकिरण के संपर्क में आने वाली किसी भी गतिविधि के लिए परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड से सुरक्षा प्राधिकृति प्राप्त करना आवश्यक होगा।

  • परमाणु क्षति के लिए दायित्व: 2010 के एक्ट के तहत, परमाणु संयंत्र का संचालक किसी भी परमाणु दुर्घटना से होने वाली क्षति के लिए नो-फॉल्ट सिद्धांत के तहत आता है। इसका अर्थ यह है कि भले ही संचालक ने कोई लापरवाही या गलती न की हो, फिर भी वह पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी है। संचालकों को देनदारियों को कवर करने के लिए बीमा करना जरूरी है। संचालक की देनदारी एक अधिकतम सीमा के अधीन है और केंद्र सरकार किसी भी अतिरिक्त देनदारी का वहन करती है। प्राकृतिक आपदा जैसी विशिष्ट परिस्थितियों में दायित्व लागू नहीं होता है। एक्ट में दावों के निपटारे के लिए एक आयुक्त या आयोग की नियुक्ति का भी प्रावधान है। बिल में ये प्रावधान बरकरार रखे गए हैं। 2010 के एक्ट में 10 मेगावाट या उससे अधिक तापीय (थर्मल) ऊर्जा क्षमता वाले परमाणु रिएक्टर के लिए अधिकतम दायित्व 1,500 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है। बिल में विद्युत क्षमता के आधार पर 100 करोड़ रुपए से लेकर 3,000 करोड़ रुपए तक की दायित्व सीमा के साथ एक स्तरीय संरचना निर्दिष्ट की गई है।

  • संचालक का क्षतिपूर्ति का अधिकार: 2010 का एक्ट संचालकों को भुगतान की गई क्षतिपूर्ति का कुछ हिस्सा या पूरी क्षतिपूर्ति वसूल करने का कानूनी अधिकार भी देता है। इस अधिकार का प्रयोग निम्न स्थितियों में किया जा सकता है: (i) जब ऐसे अधिकार किसी अनुबंध में दिए गए हों, (ii) जब घटना दोषपूर्ण उपकरण या सामग्री की आपूर्ति के कारण हुई हो और (iii) जब घटना जानबूझकर नुकसान पहुंचाने के इरादे से की गई हो। बिल दोषपूर्ण उपकरण या सामग्री की आपूर्ति के आधार पर क्षतिपूर्ति के अधिकार को समाप्त करता है।

  • दावों के लिए क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र: 2010 के एक्ट के तहत, भारत में या उसके अधिकार क्षेत्र में हुई क्षति के लिए मुआवजे का दावा किया जा सकता है। बिल में प्रावधान है कि अगर भारत में हुई किसी दुर्घटना का असर किसी दूसरे देश के क्षेत्र में होता है तो भी उस नुकसान की भरपाई करनी होगी, लेकिन यह कुछ शर्तों के अधीन है।

  • परमाणु ऊर्जा रेगुलेटरी बोर्ड: बिल परमाणु ऊर्जा रेगुलेटरी बोर्ड (एईआरबी) को वैधानिक मान्यता प्रदान करता है। बिल के अनुसार, बोर्ड विकिरण और परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए उपाय करेगा। इसमें एक अध्यक्ष, एक पूर्णकालिक सदस्य और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अधिकतम सात अंशकालिक सदस्य होंगे। अध्यक्ष और पूर्णकालिक सदस्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्ति होने चाहिए।  परमाणु ऊर्जा बोर्ड (एईआरबी) में नियुक्तियां केंद्र सरकार द्वारा एक खोज-सह-चयन समिति की अनुशंसाओं पर की जाएंगी। इस समिति का गठन परमाणु ऊर्जा आयोग द्वारा किया जाएगा और इसके सदस्यों के चयन के मामले में बोर्ड के अध्यक्ष भी इसमें शामिल होंगे। बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्य प्रारंभिक रूप से तीन वर्ष की अवधि के लिए पद पर रहेंगे जिसे आगे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

  • परमाणु ऊर्जा शिकायत निवारण परामर्श परिषद: बिल के तहत परमाणु ऊर्जा शिकायत निवारण परामर्श परिषद की स्थापना की गई है जो केंद्र सरकार या परमाणु ऊर्जा अनुसंधान केंद्र (एईआरबी) के आदेशों या निर्णयों के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करेगी। परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष इस परिषद की अध्यक्षता करेंगे। परिषद के अन्य सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक, (ii) एईआरबी के अध्यक्ष और (iii) केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के अध्यक्ष। परिषद के निर्णयों के विरुद्ध अपील बिजली अपीलीय ट्रिब्यूनल के समक्ष दायर की जा सकेगी।  

 

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