मंत्रालय: 
पृथ्वी विज्ञान
  • भारतीय अंटार्कटिका बिल, 2022 को लोकसभा में 1 अप्रैल, 2022 को पेश किया गया। बिल अंटार्कटिका संधि, अंटार्कटिका समुद्री जीव संसाधन संबंधी कन्वेंशन और अंटार्कटिका संधि के लिए पर्यावरणीय संरक्षण पर प्रोटोकॉल को प्रभावी बनाने का प्रयास करता है। यह अंटार्कटिका के वातावरण के संरक्षण तथा इस क्षेत्र में गतिविधियों को रेगुलेट करने का भी प्रयास करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • बिल किन पर लागू होता हैबिल के प्रावधान किसी भी व्यक्तिजहाज या विमान पर लागू होंगे जो बिल के तहत जारी परमिट के अंतर्गत  अंटार्कटिका के लिए भारतीय अभियान का हिस्सा है। अंटार्कटिका के क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अंटार्कटिका का महाद्वीपजिसमें इसके आइस शेल्फ्स शामिल हैंऔर इससे सटे महाद्वीपीय शेल्फ के सभी क्षेत्रऔर (ii) सभी द्वीप (उनके आइस शेल्फ्स सहित)और 60 डिग्री अक्षांश के दक्षिण में स्थित सभी समुद्र और वायु क्षेत्र।
     
  • केंद्रीय समिति: केंद्र सरकार अंटार्कटिका शासन और पर्यावरणीय संरक्षण समिति बनाएगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव इस समिति के अध्यक्ष होंगे। रक्षा, विदेशी मामलों जैसे विभिन्न मंत्रालयों तथा राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागरीय अनुसंधान केंद्र और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय जैसे संगठनों से 10 सदस्यों को नामित किया जाएगा। मंत्रालयों से नामित सदस्य कम से कम संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी होने चाहिए। इसके अतिरिक्त अंटार्कटिका के वातावरण और भू-राजनैतिक क्षेत्रों से संबंधित दो विशेषज्ञ केंद्र सरकार द्वारा नामित किए जाएंगे।
     
  • समिति के कार्यों में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) विभिन्न गतिविधियों के लिए अनुमति देना, (ii) अंटार्कटिका के वातावरण के संरक्षण के लिए प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय कानूनों का कार्यान्वयन और उनके अनुपालन को सुनिश्चित करना, (iii) संधि, कन्वेंशन और प्रोटोकॉल के पक्षों से जानकारी हासिल करना और उनकी समीक्षा करना, और (iv) अंटार्कटिका में गतिविधियों के लिए अन्य पक्षों से फीस/चार्ज पर बातचीत करना।
     
  • परमिट की जरूरतनिम्नलिखित गतिविधियों के लिए समिति के परमिट या प्रोटोकॉल के दूसरे पक्षों (भारत के अतिरिक्त) से लिखित अनुमति जरूरी होगी: (i) अंटार्कटिका में भारतीय अभियान का प्रवेश या उसका वहां रहना, (ii) अंटार्कटिका में किसी व्यक्ति का प्रवेश या भारतीय स्टेशन में रहना, (iii) भारत में पंजीकृत जहाज या विमान का अंटार्कटिका में प्रवेश या वहां रहना, (iv) किसी व्यक्ति या जहाज का खनिज संसाधनों को ड्रिल, ड्रेज या उसकी खुदाई करना, या खनिज संसाधनों का सैंपल जमा करना, (v) ऐसी गतिविधियां जो देशी प्रजातियों को नुकसान पहुंचा सकती हैंऔर (vi) अंटार्कटिका में किसी व्यक्ति, जहाज या विमान का कचरा निस्तारण। 
     
  • समिति के परमिट देने से पहले आवेदक को प्रस्तावित गतिविधियों का पर्यावरणीय प्रभाव आकलन करना होगा। इसके अतिरिक्त परमिट तब तक नहीं दिया जाना चाहिए, जब तक कि समिति द्वारा अभियान के लिए कचरा प्रबंधन योजना तैयार नहीं की जाती है।
     
  • प्रतिबंधित गतिविधियांबिल में अंटार्कटिका में कुछ गतिविधियों को प्रतिबंधित किया गया है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) परमाणु विस्फोट या रेडियोएक्टिव कचरे का निस्तारण, (ii) उपजाऊ मिट्टी को ले जाना, और (iii) समुद्र में कचरा, प्लास्टिक या समुद्री वातावरण के लिए नुकसानदेह पदार्थों को निस्तारित करना।
     
  • अपराध और सजाबिल प्रावधानों के उल्लंघन पर सजा भी निर्दिष्ट करता है। जैसे अंटार्कटिका में परमाणु विस्फोट करने पर 20 वर्ष की कैद की सजा हो सकती है, जोकि उम्रकैद तक बढ़ाई जा सकती है, और कम से कम 50 करोड़ रुपए का जुर्माना। बिना परमिट के अंटार्कटिका में खनिज संसाधनों के लिए ड्रिलिंग करना या गैर-देशीय जानवरों या पौधों को ले जाने पर सात वर्ष तक की कैद और 10 लाख रुपए से 50 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। केंद्र सरकार बिल के तहत एक या एक से अधिक सत्र न्यायालयों को नामित न्यायालय के रूप में अधिसूचित कर सकती है और बिल के तहत दंडनीय अपराधों की सुनवाई के लिए अपने क्षेत्राधिकार को निर्दिष्ट कर सकती है।

 

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