- मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 9 फरवरी, 2017 को लोकसभा में भारतीय प्रबंधन संस्थान बिल, 2017 पेश किया। यह बिल सभी भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित करता है। आईआईएमज़ प्रबंधन और अन्य संबंधित क्षेत्रों में पोस्ट ग्रैजुएट, डॉक्टोरल, पोस्ट डॉक्टोरल और अनुसंधान की शिक्षा प्रदान करते हैं।
- उद्देश्य : आईआईएमज़ के निम्नलिखित उद्देश्य हैं : (i) ऐसे लीडर्स को शिक्षित करना और उन्हें सहयोग देना, जोकि पेशेवर प्रबंधकों और उद्यमियों के रूप में योगदान दे सकें, (ii) नए ज्ञान और नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए अनुसंधान एवं प्रकाशन तथा परामर्श एवं सलाह कार्य करना, (iii) ऐसे शिक्षण कार्यक्रम विकसित करना जोकि विभिन्न विषयों में शिक्षा, शिक्षण और सीखने के लक्ष्य को आगे बढ़ाएं, और (iv) भारत के प्रबंधन संस्थानों और अन्य शिक्षण संस्थानों के बीच सहयोग कायम करना।
- आईआईएमज़ की शक्तियां : बिल के तहत, आईआईएमज़ की शक्तियों और कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं : (i) संस्थानों का प्रशासन एवं प्रबंधन, (ii) दाखिला का रेगुलेशन, (iii) परीक्षा के जरिए मूल्यांकन, (iv) डिग्रियां, डिप्लोमा और अन्य अकादमिक डिस्टिंक्शंस या टाइटिल देना, और (v) संस्थान की फीस या अन्य शुल्क का निर्धारण, विवरण और प्राप्ति।
- गवर्नर बोर्ड : गवर्नर बोर्ड प्रत्येक संस्थान का मुख्य कार्यकारी निकाय होगा। यह बोर्ड संस्थान के मामलों की देखरेख, निर्देशन और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होगा। बोर्ड की शक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं : (i) नीतिगत निर्णय लेना, (ii) वार्षिक बजट अनुमानों की मंजूरी, (iii) विकास योजनाएं तैयार करना, और (iv) अकादमिक, प्रशासनिक एवं अन्य पदों, इत्यादि का सृजन करना।
- बोर्ड में 19 सदस्य होंगे, जिनमें निम्नलिखित शामिल होंगे : (i) चेयरमैन, जोकि प्रबंधन या ऐसे किसी अन्य क्षेत्र का विशिष्ट व्यक्ति होगा, (ii) केंद्र और राज्य सरकारों के नामित सदस्य, (iii) फैकेल्टी सदस्य, (iv) विख्यात व्यक्ति, और (v) संस्थान के निदेशक।
- निदेशक की नियुक्ति : प्रत्येक आईआईएम के निदेशक की नियुक्ति गवर्नर बोर्ड द्वारा गठित सर्च कम सेलेक्शन कमिटी की अनुशंसा पर की जाएगी। अगर बोर्ड कमिटी की अनुशंसा से संतुष्ट नहीं हुआ तो वह निदेशक के पद के लिए नए सिरे से अनुशंसा की मांग कर सकता है।
- निदेशक इस्तीफे या पद से हटाए जाने के सिवाय, पांच वर्ष की अवधि के लिए अपने पद पर बना रहेगा।
- अकादमिक परिषद : अकादमिक परिषद प्रत्येक संस्थान का मुख्य अकादमिक निकाय होगी। उसके कार्यों में निम्नलिखित शामिल होगा : (i) अकादमिक कार्यक्रमों के आकदमिक कंटेंट का विवरण और पाठ्यक्रमों में भर्ती के मानदंड और प्रक्रिया, (ii) अकादमिक कैलेंडर का विवरण और परीक्षाओं के संचालन से संबंधित दिशानिर्देश, और (iii) डिग्री, डिप्लोमा और अन्य अकादमिक डिस्टिंक्शंस देने संबंधी अनुशंसा।
- फंडिंग : आईआईएमज़ केंद्र सरकार से प्राप्त होने वाले अनुदानों के आधार पर कार्य करेंगे। सभी संस्थानों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे एक ऐसे फंड का रखरखाव करेंगे जिसे केंद्र सरकार और अन्य स्रोतों से प्राप्त होने वाले फंड्स से वित्त पोषित किया जाएगा।
- प्रत्येक संस्थान अपनी दीर्घकालिकता को बरकरार रखने के लिए एक कॉरपस फंड बनाएगा। आईआईएम की शुद्ध आय का कुछ प्रतिशत इस फंड में जमा किया जाएगा। साथ ही इसके लिए विशेष रूप से चंदा भी लिया जा सकता है।
- प्रत्येक आईआईएम के एकाउंट्स का भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा ऑडिट किया जाएगा।
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