- मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (दूसरा संशोधन) बिल 2025 को 1 दिसंबर, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया। यह बिल 7 अक्टूबर, 2025 को जारी मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (दूसरा संशोधन) अध्यादेश, 2025 का स्थान लेगा। इस अध्यादेश ने मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर एक्ट, 2017 में संशोधन किया है। यह एक्ट वस्तुओं और सेवाओं की राज्य के भीतर आपूर्ति पर राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) लगाने और संग्रह करने का प्रावधान करता है। इस अध्यादेश ने मणिपुर एक्ट को फाइनांस एक्ट, 2025 द्वारा केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर एक्ट, 2017 में किए गए संशोधनों के अनुरूप कर दिया था।
- कुछ वस्तुओं के लिए यूनीक आइडेंटिफिकेशन चिन्ह: बिल में यह भी कहा गया है कि सरकार कुछ वस्तुओं के लिए यूनीक आइडेंटिफिकेशन चिन्ह को अनिवार्य कर सकती है। इस चिन्ह में डिजिटल स्टाम्प, डिजिटल चिह्न या कोई अन्य विशिष्ट, सुरक्षित और नॉन-रिमूवेबल चिन्ह शामिल हो सकते हैं। सरकार ऐसी वस्तुओं पर चिन्ह लगाने और संबंधित जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्टोर और एक्सेस करने की व्यवस्था कर सकती है। मैन्यूफैक्चरर्स को ऐसे माल की मैन्यूफैक्चरिंग के लिए स्थापित मशीनरी का विवरण देना आवश्यक हो सकता है। इसमें पहचान, क्षमता और परिचालन की अवधि जैसे विवरण शामिल हैं। इन प्रावधानों का पालन न करने पर एक लाख रुपए या ऐसे माल पर देय कर का 10%, जो भी अधिक हो, का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- क्रेडिट नोट जारी करना: एक आपूर्तिकर्ता वस्तुओं या सेवाओं के प्राप्तकर्ता को क्रेडिट नोट जारी कर सकता है, अगर: (i) इनवॉइस में लगाया गया कर योग्य मूल्य या कर, कर योग्य मूल्य या लगाए गए कर से अधिक हो, (ii) वस्तुओं या सेवाओं को वापस कर दिया गया हो या (iii) वस्तुओं या सेवाओं में कमी पाई गई हो। बिक्री के लिए आपूर्तिकर्ता की कर देयता को तदनुसार समायोजित किया जा सकता है। बिल में कहा गया है कि अगर प्राप्तकर्ता ने उस क्रेडिट नोट के कारण इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा लिया है और उसे वापस नहीं लिया है तो कर देयता में कोई कमी नहीं की जाएगी। इनपुट टैक्स क्रेडिट, खरीद यानी इनपुट पर चुकाए गए कर के लिए प्राप्त क्रेडिट को कहा जाता है, जिसका उपयोग बिक्री पर देय जीएसटी को कम करने के लिए किया जा सकता है।
- विशेष आर्थिक क्षेत्रों में स्थित वस्तुओं की कुछ आपूर्ति को छूट: एक्ट की अनुसूची III में उन लेनदेन की सूची निर्दिष्ट की गई है जिन्हें वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति नहीं माना जाता है। इसलिए इन्हें एसजीएसटी से छूट प्राप्त है। बिल इस सूची को बढ़ाता है। अब विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईज़ेड) या मुक्त व्यापार भंडारण क्षेत्र (एफटीडब्ल्यूज़ेड) में रखे माल को निर्यात या घरेलू टैरिफ क्षेत्र (डीटीए) के लिए मंजूरी देने से पहले किसी व्यक्ति को उसकी आपूर्ति भी इसमें शामिल है। एसईज़ेड सरकार द्वारा स्थापित विशेष क्षेत्र होते हैं जहां व्यवसायों को निवेश आकर्षित करने और निर्यात बढ़ाने के लिए रियायतें मिलती हैं। एफटीडब्ल्यूज़ेड एक विशेष प्रकार का एसईज़ेड होते हैं जो वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स पर फोकस करते हैं। एसईज़ेड के बाहर भारत के सभी क्षेत्रों को डीटीए कहा जाता है।
- अपील दायर करने के लिए प्री-डिपॉजिट राशि: एक्ट के तहत अपील दायर करते समय किसी व्यक्ति को एक निर्दिष्ट राशि जमा करनी होती है। यह प्रावधान अपीलीय अथॉरिटी (एडजुडिकेटिंग अधिकारियों के आदेशों के विरुद्ध) और अपीलीय ट्रिब्यूनल (अपीलीय अथॉरिटी के आदेशों के विरुद्ध), दोनों के समक्ष अपीलों पर लागू होती है। बिल स्पष्ट करता है कि जहां किसी आदेश में सिर्फ जुर्माना लगाया गया है और किसी कर की मांग नहीं की गई है, वहां प्री-डिपॉजिट राशि इस प्रकार होगी: (i) अपीलीय अथॉरिटी के समक्ष अपील के लिए, जुर्माने की राशि का 10% और (ii) अपीलीय ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील के लिए, जुर्माने की राशि का अतिरिक्त 10%।
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