मंत्रालय: 
शिपिंग
  • मर्चेंट शिपिंग बिल, 2024 को लोकसभा में 10 दिसंबर, 2024 को पेश किया गया। यह बिल मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 का स्थान लेने का प्रयास करता है। एक्ट नौवहन क्षेत्र को रेगुलेट करता है।  
  • जहाजों का अनिवार्य पंजीकरण: एक्ट के अंतर्गत, सभी समुद्री भारतीय जहाजों को पंजीकृत किया जाना चाहिए, केवल उन जहाजों को छोड़कर: (i) जो यंत्रचालित नहीं हैं, या (ii) जिनका वजन 15 टन से कम है और उनका उपयोग केवल भारतीय तटों पर नौवहन के लिए किया जाता है। एक्ट में वेसेल्स यानी जलयान की परिभाषा में कोई भी जहाज, नाव, पाल वाले जहाज या नैविगेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले अन्य जलयान शामिल हैं। इसके बजाय बिल में सभी जहाजों को पंजीकृत कराने का प्रावधान किया गया है, चाहे उसे किसी भी प्रकार चलाया जाता हो या उसका वजन कुछ भी हो। बिल जलयान की परिभाषा का विस्तार करता है, और उसमें मोबाइल ऑफशोर ड्रिलिंग यूनिट्स, सबमर्सिबल्स यानी पनडुब्बियों और नॉन-डिसप्लेसमेंट क्राफ्ट्स जैसे प्रकारों को शामिल करता है। 

  • भारतीय जलयानों का स्वामित्व: एक्ट भारतीय जलयानों के स्वामित्व के मानदंड निर्दिष्ट करता है। एक्ट के तहत भारतीय जलयान का अर्थ ऐसे जलयान हैं, जिनका स्वामित्व पूर्ण रूप निम्नलिखित के पास है: (i) भारत के नागरिक, (ii) भारतीय कानूनों के तहत या उनके द्वारा स्थापित कंपनी या निकाय जिनका मुख्य व्यवसाय स्थान भारत में है, और (iii) पंजीकृत सहकारी समिति। बिल इस मानदंड में राहत देता है और निम्नलिखित को इसमें शामिल करता है: (i) वे जहाज जो आंशिक रूप से उपर्युक्त व्यक्तियों के स्वामित्व में हैं, और (ii) वे जहाज जो पूर्णतः या आंशिक रूप से भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) के स्वामित्व में हैं। स्वामित्व की सीमा केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट की जाएगी। बिल में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ओसीआई के पूर्ण स्वामित्व वाले जहाजों के लिए भारत में पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं होगा।

  • कुछ विदेशी जलयानों का पंजीकरण: बिल में यह भी कहा गया है कि किसी भारतीय व्यक्ति द्वारा चार्टर किया गया विदेशी जलयान भारतीय जलयान के रूप में पंजीकृत हो सकता है। यह प्रावधान तब लागू होगा, जब स्वामित्व को एक निर्दिष्ट अवधि के बाद चार्टरर को हस्तांतरित करने का इरादा हो।

  • रीसाइकिल किए जाने वाले जलयानों का पंजीकरण: बिल में प्रावधान है कि भारत में रीसाइकिल होने वाले अपंजीकृत जलयानों का अस्थायी पंजीकरण किया जाएगा।

  • नौवहन के रेगुलेशन के लिए अथॉरिटीज़: एक्ट केंद्र सरकार को नौवहन महानिदेशक नियुक्त करने का अधिकार देता है। सरकार एक्ट के तहत अपनी शक्तियों और कार्यों को महानिदेशक को सौंप सकती है। बिल इस प्रावधान को बरकरार रखता है। वह महानिदेशक का नाम बदलकर समुद्री प्रशासन का महानिदेशक करता है।

  • एक्ट केंद्र सरकार को सलाह देने के लिए निम्नलिखित बोर्ड्स का गठन करता है: (i) नौवहन से संबंधित मामलों के लिए राष्ट्रीय नौवहन बोर्ड, और (ii) नाविकों के कल्याण के संबंध में सलाह देने के लिए राष्ट्रीय नाविक कल्याण बोर्ड। बिल में इन प्रावधानों को बरकरार रखा गया है।

  • सुरक्षा के लिए रेगुलेटरी निकाय: बिल में कहा गया है कि केंद्र सरकार जलयानों और बंदरगाहों की सुरक्षा को रेगुलेट करने के लिए एक नया निकाय बना सकती है।

  • प्रशिक्षण संस्थानों का रेगुलेशन: एक्ट के तहत भारतीय जलयानों पर कुछ अधिकारियों को विधिवत प्रमाणित होना चाहिए। बिल इस प्रावधान को बरकरार रखता है। बिल महानिदेशक को समुद्री शिक्षा और प्रशिक्षण को रेगुलेट करने की शक्ति देता है। इसमें प्रशिक्षण संस्थानों और पाठ्यक्रमों को मंजूरी देने की शक्ति शामिल है।

  • नाविक समझौता: एक्ट में प्रावधान है कि भारतीय जलयान का कमांड मास्टर रोजगार की शर्तों को औपचारिक बनाने के लिए चालक दल के साथ एक समझौता करेगा। बिल इस प्रावधान को बरकरार रखता है और निम्नलिखित व्यक्तियों को ऐसे समझौते करने की अनुमति देता है: (i) भारतीय जलयान का मालिक, और (ii) भारतीय या विदेशी जलयानों के लिए भर्ती और प्लेसमेंट सर्विस एजेंसियां। बिल में यह जोड़ा गया है कि नाविकों को केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट सामाजिक सुरक्षा भी उपलब्ध होगी।

  • समुद्र में प्रदूषण: एक्ट में प्रावधान है कि कुछ भारतीय जलयानों को प्रदूषण निवारण प्रमाणपत्र लेना होगा, जो प्रदूषण संबंधी रेगुलेशंस के अनुपालन को प्रमाणित करता है। यह निम्नलिखित जलयानों पर लागू होता है: (i) कम से कम 150 सकल टन वाले तेल टैंकर, और (ii) कम से कम 400 सकल टन वाले अन्य जलयान। बिल में सभी जलयानों के लिए, चाहे उनका टनभार कुछ भी हो, यह प्रमाणपत्र अनिवार्य किया गया है।

  • अपराध और दंड: बिल कारावास, जुर्माने या दोनों के साथ दंडनीय कई अपराधों को बरकरार रखता है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) जहाज की राष्ट्रीयता को छिपाना, (ii) नाविक का दुर्व्यवहार जिससे जीवन या जहाज को खतरा हो, और (iii) आवश्यक प्रमाणित व्यक्तियों के बिना जहाज को समुद्र में ले जाना। कारावास की अवधि एक महीने और दो महीने के बीच है। बिल इन अपराधों के लिए जुर्माने को बढ़ाता है। यह सिविल जुर्माने से दंडनीय अधिकतर अपराधों को भी बरकरार रखता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) धोखाधड़ी से कुछ प्रमाणपत्रों में परिवर्तन करना, और (ii) जहाज में भिड़ंत होने पर किसी जहाज के मालिक द्वारा किसी अन्य जहाज की सहायता न करना।

  • बिल कुछ अपराधों को डीक्रिमिनलाइज करता है जैसे: (i) समुद्र में ऐसे जहाजों को भेजना, जो समुद्र में चलने लायक नहीं हैं, और (ii) महानिदेशक के निर्देशों का पालन न करना। इसमें कुछ नए अपराध भी शामिल किए गए हैं, जैसे: (i) बिना लाइसेंस वाली भर्ती एजेंसियों को चलाना, जिसके लिए कारावास, जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है, और (ii) समुद्र में कोई हानिकारक प्रदूषक छोड़ना, जिसके लिए सिविल दंड की सज़ा हो सकती है।

 

स्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार की गई है। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी की मूल रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है।