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राष्ट्रीय डेंटल आयोग बिल, 2023 को लोकसभा में 24 जुलाई, 2023 को पेश किया गया। बिल डेंटिस्ट्स एक्ट, 1948 को निरस्त करता है और निम्नलिखित का गठन करता है: (i) राष्ट्रीय डेंटल आयोग, (ii) डेंटल सलाहकार परिषद और (iii) डेंटल शिक्षा और डेंटिस्ट्री के मानकों को रेगुलेट करने के लिए तीन स्वायत्त बोर्ड। बिल की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
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राष्ट्रीय डेंटल आयोग: केंद्र सरकार को 33 सदस्यों वाला एक राष्ट्रीय डेंटल आयोग बनाना होगा। एक प्रतिष्ठित एवं अनुभवी डेंटिस्ट द्वारा इसकी अध्यक्षता की जाएगी। केंद्र सरकार सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी के सुझावों के आधार पर अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी। सर्च कमिटी की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव द्वारा की जाएगी। आयोग के पदेन सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) तीन स्वायत्त बोर्डों के अध्यक्ष, (ii) स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक, (iii) डेंटल और शैक्षिक अनुसंधान केंद्र, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रमुख। आयोग के अंशकालिक सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सरकारी संस्थानों में डेंटिस्ट्री की फैकेल्टी और (ii) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि।
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आयोगों के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) डेंटल शिक्षा, परीक्षा और प्रशिक्षण के लिए गवर्नेंस के मानकों को रेगुलेट करना, (ii) डेंटल संस्थानों और अनुसंधान को रेगुलेट करना, (iii) डेंटल हेल्थकेयर में इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरतों का आकलन करना, और (iv) राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) के माध्यम से बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी में दाखिला सुनिश्चित करना।
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स्वायत्त बोर्ड: केंद्र सरकार को आयोग की देखरेख में तीन स्वायत्त बोर्डों का गठन करना होगा। ये बोर्ड निम्नलिखित हैं: (i) अंडरग्रैजुएट और पोस्टग्रैजुएट डेंटल शिक्षा बोर्ड- यह बोर्ड शिक्षा मानकों को निर्धारित करने, पाठ्यक्रम विकसित करने और डेंटल क्वालिफिकेशन को मान्यता देने के लिए जिम्मेदार होगा, (ii) डेंटल मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड- डेंटल संस्थानों के लिए अनुपालन की मूल्यांकन प्रक्रिया को निर्धारित करने, नए संस्थान स्थापित करने की अनुमति देने और निरीक्षण एवं रेटिंग के लिए जिम्मेदार होगा, और (iii) एथिक्स और डेंटल रजिस्ट्रेशन बोर्ड- डेंटिस्ट्स/डेंटल सहायकों के ऑनलाइन राष्ट्रीय रजिस्टरों को मेनटेन करने, लाइसेंस निलंबित/रद्द करने और आचरण, नैतिकता के मानक और प्रैक्टिस के दायरे को रेगुलेट करने के लिए जिम्मेदार होगा। नए डेंटल संस्थान की स्थापना के लिए मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड की पूर्व अनुमति की आवश्यकता होगी। डेंटिस्ट एक्ट, 1948 के तहत डेंटिस्ट्री में मान्यता प्राप्त क्वालिफिकेशन की मान्यता बरकरार रहेगी।
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राज्य डेंटल परिषद: एक्ट के लागू होने के एक वर्ष के भीतर, राज्य सरकारों को राज्य डेंटल परिषदों का गठन करना होगा। ये परिषदें पंजीकृत डेंटिस्ट्स के खिलाफ पेशेवर/नैतिक कदाचार से संबंधित शिकायतें प्राप्त करेंगी। इसके अलावा वे डेंटिस्ट्स/डेंटल सहायकों के राज्य रजिस्टरों को मेनटेन भी करेंगी। राष्ट्रीय आयोग बिल के प्रावधानों को लागू करने के लिए राज्य परिषद को निर्देश भी दे सकता है। राज्य सरकारें अपनी-अपनी डेंटल परिषद के अध्यक्ष की नियुक्ति करेंगी। दो या दो से अधिक राज्य सरकारें कथित कार्यों के निर्वहन के लिए एक संयुक्त डेंटल परिषद का गठन कर सकती हैं।
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दाखिला परीक्षा: बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी के कोर्स में नीट के जरिए दाखिला दिया जाएगा। आयोग अंडरगैजुएट और पोस्टग्रैजुएट दाखिलों के लिए सामान्य काउंसलिंग आयोजित करने का तरीका निर्दिष्ट करेगा। अंतिम अंडरग्रैजुएट वर्ष में निम्नलिखित के लिए नेशनल एग्जिट टेस्ट (डेंटल) आयोजित किया जाएगा: (i) डेंटिस्ट्री की प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस देना, (ii) राज्य/राष्ट्रीय रजिस्टरों में नामांकन, और (iii) पोस्टग्रैजुएट डेंटल शिक्षा में दाखिले के लिए। बिल के पारित होने तक, नीट के माध्यम से मास्टर ऑफ डेंटल सर्जरी (एमडीएस) में पोस्टग्रैजुएट दाखिले दिए जाएंगे।
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हालांकि डेंटिस्ट्री की प्रैक्टिस के लाइसेंस के लिए नेशनल एग्जिट टेस्ट पास करना पर्याप्त होगा, लेकिन प्रैक्टिस शुरू होने से पहले राज्य/राष्ट्रीय रजिस्टर में पंजीकृत कराना होगा।
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डेंटल सलाहकार परिषद: केंद्र सरकार को डेंटल सलाहकार परिषद की स्थापना करनी होगी। परिषद आयोग को डेंटल शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान मानकों पर सलाह देगी और उस तक सबकी पहुंच बढ़ाएगी। परिषद वह प्राथमिक मंच भी होगी जिसके माध्यम से राज्य/केंद्र शासित प्रदेश आयोग के समक्ष अपनी चिंताओं को पेश कर सकते हैं। परिषद की अध्यक्षता राष्ट्रीय डेंटल आयोग के अध्यक्ष करेंगे। आयोग के पदेन सदस्य इस परिषद के भी पदेन सदस्य होंगे।
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