मंत्रालय: 
गृह मामले
  • गृह मामलों के मंत्री अमित शाह ने 23 मार्च, 2020 को लोकसभा में राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी बिल, 2020 पेश किया। बिल राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी बिल, 2020 की स्थापना का प्रयास करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • यूनिवर्सिटी की स्थापना: बिल रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी, गुजरात (रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी एक्ट, 2009 के अंतर्गत स्थापित) को गुजरात में राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी के रूप में स्थापित करता है। बिल इस यूनिवर्सिटी को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करता है। बिल 2009 के एक्ट को रद्द करता है।
     
  • अथॉरिटीज़: बिल में यूनिवर्सिटी की विभिन्न अथॉरिटीज़ का प्रावधान है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गवर्निंग बॉडी, जोकि यूनिवर्सिटी की व्यापक नीतियों और प्रोग्राम्स की समीक्षा करेगी (ii) एग्जीक्यूटिव काउंसिल, जोकि मुख्य एग्जीक्यूटिव बॉडी होगी, और (iii) एकैडमिक काउंसिल, जोकि यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक नीतियों को निर्दिष्ट करेगी।
     
  • उद्देश्य: यूनिवर्सिटी के मुख्य उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) लर्निंग और अनुसंधान में गतिशील औऱ उच्च मानदंड प्रदान करना, (ii) कार्यगत परिवेश प्रदान करना, जोकि पुलिसिंग में शैक्षणिक अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण को समर्पित हो, और (iii) सार्वजनिक सुरक्षा प्रदान करना और उसे बढ़ावा देना। 
     
  • कार्य: यूनिवर्सिटी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पुलिस साइंस में निर्देश और अनुसंधान प्रदान करना जिसमें कोस्टल पुलिसिंग और साइबर सिक्योरिटी शामिल हैं, (ii) कॉलेज बनना और उसका संचालन, और (iii) पाठ्यक्रम निर्धारित करना, परीक्षाएं संचालित करना और डिग्री एवं अन्य उपाधियां प्रदान करना।
     
  • गवर्निंग बॉडी: गवर्निंग बॉडी यूनिवर्सिटी के सभी प्रशासनिक मामलों के लिए जिम्मेदार होगी। इसमें अधिकतम 15 सदस्य होंगे। इन सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वाइस चांसलर (केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त), (ii) गृह मामलों के मंत्रालय का एक प्रतिनिधि, जिसे केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाएगा, और वह ज्वाइंट सेक्रेटरी से निचले पद का नहीं होना चाहिए, (iii) रोटेशन के आधार पर राज्य पुलिस यूनिवर्सिटीज़ का एक प्रतिनिधि, और (iv) रक्षा, पुलिसिंग, आंतरिक सुरक्षा एवं संबद्ध क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त तीन व्यक्ति। नामित व्यक्ति तीन साल के लिए अपने पद पर रहेंगे।
     
  • गवर्निंग बॉडी के मुख्य कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं(i) यूनिवर्सिटी के लिए नीतियां और प्रोग्राम्स बनाना, (ii) पाठ्यक्रमों की अवधि, डिग्री देने और दाखिले के मानदंडों से संबंधित मामलों पर सलाह देना, (iii) यूनिवर्सिटी के प्रशासन और कार्य से संबंधित नीतियां निर्दिष्ट करना और संबंधित फैसले लेना, और (iv) विधान बनाना, जोकि यूनिवर्सिटी की विभिन्न अथॉरिटीज़ की स्थापना, संयोजन, और शक्तियों को निर्दिष्ट करेंगे, और एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा किसी संस्थान को संबद्ध कॉलेज के रूप में मान्यता देने के बारे में बताएगा। यूनिवर्सिटी के पहले विधान को केंद्र सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी।
     
  • फंडयूनिवर्सिटी एक फंड बनाएगी जिससे उसका खर्च चलाया जाएगा। फंड में निम्नलिखित से राशि जमा की जाएगी(i) केंद्र या राज्य सरकार के योगदान, (ii) अनुदान, उपहार और चंदा, (iii) फीस से प्राप्त आय, और (iv) किसी अन्य स्रोत से प्राप्त राशि। इस राशि का निवेश वित्त कमिटी के सुझावों के आधार पर किया जाएगा। 
     
  • विवाद और अपीलअगर किसी विद्यार्थी या उम्मीदवार का नाम यूनिवर्सिटी के रोल्स से हटा दिया जाता है और उसे एक साल से अधिक वर्ष तक परीक्षाओं में बैठने से रोका जाता है तो वह इस फैसले की समीक्षा के लिए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के समक्ष अपील कर सकता है। किसी विद्यार्थी के खिलाफ यूनिवर्सिटी की अनुशासनात्मक कार्रवाई से उत्पन्न विवाद को ट्रिब्यूनल ऑफ आर्बिट्रेशन के सुपुर्द किया जा सकता है (विद्यार्थी के आग्रह पर)। किसी कर्मचारी और यूनिवर्सिटी के बीच कॉन्ट्रैक्ट से उत्पन्न होने वाले विवाद को भी ट्रिब्यूनल ऑफ आर्बिट्रेशन के सुपुर्द किया जा सकता है। 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।