मंत्रालय: 
पर्यावरण एवं वन
  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग अध्यादेश, 2020 को 28 अक्टूबर, 2020 को जारी किया गया। अध्यादेश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) तथा निकटवर्ती इलाकों में वायु गुणवत्ता से संबंधित समस्याओं के लिए बेहतर समन्वय, अनुसंधान, उन्हें पहचानने और उनका हल करने के लिए आयोग के गठन का प्रावधान करता है। निकटवर्ती इलाकों में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों के क्षेत्र आते हैं जहां प्रदूषण का कोई स्रोत एनसीआर की वायु गुणवत्ता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।
  • आयोग का कामकाजआयोग के कामकाज में निम्नलिखित शामिल होगा: (i) अध्यादेश के अंतर्गत संबंधित राज्य सरकारों (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) के कार्यों के बीच समन्वय स्थापित करना, (ii) क्षेत्र में वायु प्रदूषण की रोकथाम और उसे नियंत्रित करने की योजनाएं बनाना और उन्हें अमल में लाना, (iii) वायु प्रदूषकों को चिन्हित करने के लिए फ्रेमवर्क प्रदान करना, (iv) तकनीकी संस्थानों के साथ नेटवर्किंग के जरिए अनुसंधान और विकास करना, (v) वायु प्रदूषण से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाना और उसका प्रशिक्षण, और (vi) विभिन्न कार्य योजनाएं तैयार करना, जैसे पौधे लगाना और पराली जलाने के मामलों पर ध्यान दिलाना।
  • आयोग की शक्तियां: आयोग की शक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना, (ii) पर्यावरणीय प्रदूषण की जांच और अनुसंधान करना, (iii) वायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण हेतु संहिताएं और दिशानिर्देश तैयार करना, और (iv) व्यक्तियों और अथॉरिटी के लिए बाध्यकारी निर्देश जारी करना। 
  • अध्यादेश में स्पष्ट मामले केवल आयोग के क्षेत्राधिकार में आएंगे (जैसे वायु गुणवत्ता प्रबंधन)। वह इन मामलों की एकमात्र अथॉरिटी होगा। किसी मतभेद की स्थिति में राज्य सरकारों (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राज्य पीसीबीज़ और राज्य स्तरीय वैधानिक निकायों के आदेशों के स्थान पर आयोग के आदेश या निर्देश लागू होंगे।
  • संयोजन: आयोग में निम्नलिखित सदस्य शामिल होंगे: (i) चेयरपर्सन, (ii) केंद्र सरकार के दो संयुक्त सचिव, (iii) स्वतंत्र तकनीकी सदस्यों के रूप में वायु प्रदूषण से संबंधित ज्ञान और विशेषज्ञता वाले तीन सदस्य, और (iv) गैर सरकारी संगठनों के तीन सदस्य। आयोग में निम्नलिखित पदेन सदस्य भी शामिल होंगे: (i) केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों के सदस्य, और (ii) सीपीसीबी, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और नीति आयोग के तकनीकी सदस्य। इसके अतिरिक्त आयोग सहायक सदस्यों के रूप में कुछ मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को भी नियुक्त कर सकता है।
  • आयोग के चेयरपर्सन और सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष या उनके 70 वर्ष की आयु होने तक होगा (इनमें से जो भी पहले होगा)।
  • सिलेक्शन कमिटी: सिलेक्शन कमिटी की सलाह से केंद्र सरकार आयोग के चेयरपर्सन और सदस्यों की नियुक्ति करेगी। इस कमिटी के चेयरपर्सन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रभारी मंत्री होंगे। इसके अतिरिक्त कमिटी में एक कैबिनेट सचिव और निम्नलिखित मंत्रालयों के प्रभारी मंत्री शामिल होंगे: (i) वाणिज्य एवं उद्योग, (ii) सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, और (iii) विज्ञान एवं तकनीक।
  • सब-कमिटीज़: आयोग को कम से कम तीन सब-कमिटी बनानी होगी: (i) निरीक्षण और पहचान हेतु सब कमिटी, (ii) सुरक्षा एवं प्रवर्तन हेतु सब-कमिटी, और (iii) अनुसंधान और विकास हेतु सब-कमिटी। इन कमिटीज़ की अध्यक्षता क्रमशः निम्न द्वारा की जाएगी: (i) आयोग का सदस्य, (ii) आयोग का चेयरपर्सन, और (iii) आयोग का तकनीकी सदस्य।
  • जुर्माना: अध्यादेश के प्रावधानों या आयोग के आदेशों अथवा निर्देशों का अनुपालन न करने या उनका उल्लंघन करने पर पांच वर्ष तक की कैद या एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना, या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं। आयोग के सभी आदेशों के खिलाफ अपील की सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा की जाएगी।

 

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