मंत्रालय: 
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन
  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग बिल, 2021 को 30 जुलाई, 2021 को लोकसभा में पेश किया गया। बिल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) तथा निकटवर्ती इलाकों में वायु गुणवत्ता से संबंधित समस्याओं के बेहतर समन्वय, अनुसंधान, उन्हें पहचानने और उनका हल करने के लिए आयोग के गठन का प्रावधान करता है। निकटवर्ती इलाकों में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों के क्षेत्र और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी तथा एनसीआर के क्षेत्र आते हैं जहां प्रदूषण का कोई स्रोत एनसीआर की वायु गुणवत्ता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है। बिल 1998 में एनसीआर में स्थापित पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण अथॉरिटी को भंग करता है। ऐसे ही एक आयोग वाला अध्यादेश अक्टूबर 2020 में जारी किया गया था। यह अध्यादेश मार्च में लैप्स हो गया और फिर अप्रैल 2021 में फिर से जारी किया गया। बिल 2021 के अध्यादेश को रद्द करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • संयोजन: आयोग में निम्नलिखित सदस्य शामिल होंगे: (iचेयरपर्सन, (ii) मेंबर सेक्रेटेरी और चीफ कोऑर्डिनेटिंग ऑफिसर के तौर पर संयुक्त सचिव के पद का अधिकारी, (iii) पूर्णकालिक सदस्य के रूप में केंद्र सरकार का मौजूदा या पूर्व संयुक्त सचिव, (ivस्वतंत्र तकनीकी सदस्यों के रूप में वायु प्रदूषण से संबंधित ज्ञान और विशेषज्ञता वाले तीन सदस्य, और (iv) गैर सरकारी संगठनों से तीन सदस्य। आयोग के चेयरपर्सन और सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष या उनके 70 वर्ष की आयु होने तक होगा (इनमें से जो भी पहले होगा)।
     
  • आयोग में निम्नलिखित पदेन सदस्य भी शामिल होंगे: (iकेंद्र और संबंधित राज्य सरकारों के सदस्य, और (iiसीपीसीबी, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और नीति आयोग के तकनीकी सदस्य। इसके अतिरिक्त आयोग कुछ मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को भी नियुक्त कर सकता है।
     
  • सिलेक्शन कमिटीकेंद्र सरकार एक सिलेक्शन कमिटी का गठन करेगी, जिसकी सलाह से आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। इस कमिटी के चेयरपर्सन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रभारी मंत्री होंगे। कमिटी में कैबिनेट सचिव और निम्नलिखित मंत्रालयों के प्रभारी मंत्री शामिल होंगे: (iवाणिज्य एवं उद्योग, (iiसड़क परिवहन एवं राजमार्ग, और (iiiविज्ञान एवं तकनीक। 
     
  • आयोग का कामकाजआयोग के कामकाज में निम्नलिखित शामिल होगा: (iसंबंधित राज्य सरकारों (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) के कार्यों के बीच समन्वय स्थापित करना, (iiएनसीआर में वायु प्रदूषण की रोकथाम और उसे नियंत्रित करने की योजनाएं बनाना और उन्हें अमल में लाना, (iiiवायु प्रदूषकों को चिन्हित करने के लिए फ्रेमवर्क प्रदान करना, (ivतकनीकी संस्थानों के साथ नेटवर्किंग के जरिए अनुसंधान और विकास करना, (vवायु प्रदूषण से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाना और उसका प्रशिक्षण, और (viविभिन्न कार्य योजनाएं तैयार करना, जैसे पौधे लगाना और पराली जलाने के मामलों पर ध्यान दिलाना।
     
  • आयोग की शक्तियांआयोग की शक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (iवायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना, (iiवायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण की जांच और उन पर अनुसंधान करना(iiiवायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण हेतु संहिताएं और दिशानिर्देश तैयार करना, और (ivव्यक्तियों और अथॉरिटी के लिए मुद्दों और रेगुलेशंस, जिसमें निरीक्षण भी शामिल है, पर निर्देश जारी करना जोकि उनके लिए बाध्यकारी होंगे। 
     
  • बिल में स्पष्ट मामले केवल आयोग के क्षेत्राधिकार में आएंगे (जैसे वायु गुणवत्ता प्रबंधन)। वह इन मामलों की एकमात्र अथॉरिटी होगा। किसी मतभेद की स्थिति में संबंधित राज्य सरकारों, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राज्य पीसीबीज़ और राज्य स्तरीय वैधानिक निकायों के आदेशों के स्थान पर आयोग के आदेश या निर्देश लागू होंगे।
     
  • सब-कमिटीज़आयोग को निम्नलिखित के लिए सब-कमिटी बनानी होगी: (iनिरीक्षण और पहचान, (iiसुरक्षा एवं प्रवर्तन, और (iiiअनुसंधान और विकास। 
     
  • जुर्माना: बिल के प्रावधानों या आयोग के आदेशों अथवा निर्देशों का उल्लंघन करने पर पांच वर्ष तक की कैद या एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना, या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं। बिल ने किसानों को इस जुर्माने के दायरे से बाहर रखा है। हालांकि आयोग पराली जलने से होने वाले प्रदूषण पर किसानों से मुआवजा वसूल सकता है। केंद्र सरकार इस पर्यावरणीय मुआवजे को निर्दिष्ट करेगी। आयोग के सभी आदेशों के खिलाफ अपील की सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा की जाएगी।

 

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