मंत्रालय: 
आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन (एलिविएशन)
  • आवासन और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 26 नवंबर, 2019 को लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अनाधिकृत कालोनियों के निवासियों के संपत्ति के अधिकार को मान्यता) बिल, 2019 पेश किया। बिल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में कुछ अनाधिकृत कालोनियों के निवासियों के संपत्ति के अधिकार को मान्यता देने का प्रावधान करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • संपत्ति के अधिकार को मान्यता: बिल में प्रावधान है कि केंद्र सरकार अधिसूचना के जरिए कुछ अनाधिकृत कालोनियों के निवासियों की अचल संपत्तियों के लेनदेन को नियमित कर सकती है। लेनदेन को हालिया पावर ऑफ अटॉर्नी, सेल एग्रीमेंट, वसीयत, या पज़ेशन लेटर जैसे दस्तावेजों के आधार पर नियमित किया जा सकता है। अनाधिकृत कालोनी के जिस निवासी के पास ऐसे दस्तावेज होंगे, वह कन्वेयंस डीड या ऑथराइजेशन स्लिप के जरिए स्वामित्व का अधिकार हासिल करने का पात्र होगा।
     
  • निवासी: बिल के अनुसार, निवासी वह व्यक्ति होता है जिसके पास पंजीकृत सेल डीड या कुछ निश्चित दस्तावेजों के आधार पर संपत्ति का भौतिक कब्जा होता है। इन दस्तावेजों में हालिया पावर ऑफ अटॉर्नी, सेल एग्रीमेंट, वसीयत, पज़ेशन लेटर और अन्य किसी प्रकार का दस्तावेज शामिल है जोकि अनाधिकृत कालोनी में संपत्ति के लिए किए गए भुगतान का प्रमाण देता हो। इस परिभाषा में निवासियों के वैध वारिस शामिल हैं लेकिन इनमें किरायेदार, लाइसेंसी, या वे लोग शामिल नहीं हैं जिन्हें संपत्ति का इस्तेमाल करने की अनुमति मिली है।
     
  • अनाधिकृत कालोनी: अनाधिकृत कालोनी को ऐसी कालोनी या संलग्न क्षेत्र से मिलकर किए जाने वाले विकास के तौर पर व्याख्यायित किया गया है जिसके लिए लेआउट या बिल्डिंग प्लान की मंजूरी के लिए अनुमति हासिल नहीं की गई है। इसके अतिरिक्त दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को नियमितीकरण के लिए कालोनी को अधिसूचित करना चाहिए।
     
  • शुल्क का भुगतान: निवासियों को स्वामित्व हासिल करने के लिए कुछ शुल्क चुकाना होगा। इस शुल्क को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जा सकता है। कन्वेयंस डीड या ऑथराइजेशन स्लिप में लिखित राशि पर स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज देना होगा। संपत्ति से संबंधित पहले के किसी लेनदेन पर कोई स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज नहीं चुकाना होगा।

 

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