- राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 को 23 जुलाई, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया। इस बिल का उद्देश्य राष्ट्रीय खेल निकायों को मान्यता प्रदान करना और उनके कामकाज को रेगुलेट करना है।
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राष्ट्रीय खेल प्रशासन निकाय: बिल में निम्नलिखित की स्थापना का प्रावधान है: (i) राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, (ii) राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति, और (iii) प्रत्येक निर्दिष्ट खेल के लिए राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय खेल महासंघ। ये राष्ट्रीय निकाय संबंधित अंतरराष्ट्रीय निकायों से संबद्ध होंगे। इन निकायों की राज्य और जिला स्तर पर संबद्ध इकाइयां भी होंगी। बिल इन निकायों से निम्नलिखित स्थापित करने की अपेक्षा करता है: (i) अपने कामकाज के लिए कुछ समितियां, (ii) सदस्यों, सहयोगियों, एथलीट्स, प्रशिक्षकों और प्रायोजकों जैसे व्यक्तियों के आचरण को नियंत्रित करने के लिए एक आचार संहिता, और (iii) ऐसे व्यक्तियों की शिकायतों के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र। बिल में कहा गया है कि इन निकायों को अंतरराष्ट्रीय चार्टर और कानून द्वारा मुख्य रूप से प्रशासित किया जाएगा। बिल के साथ किसी भी विवाद की स्थिति में, केंद्र सरकार स्पष्टीकरण जारी कर सकती है।
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राष्ट्रीय निकायों की प्रशासनिक संरचना: प्रत्येक राष्ट्रीय खेल निकाय की एक सामान्य सभा (जनरल बॉडी) होगी, जिसमें प्रत्येक संबद्ध सदस्य के समान संख्या में प्रतिनिधि और कुछ पदेन सदस्य शामिल होंगे। इसकी एक कार्यकारी समिति होगी जिसमें अधिकतम 15 सदस्य होंगे। इनमें कम से कम दो उत्कृष्ट खिलाड़ी और चार महिलाएं होंगी। बिल कार्यकारी समिति के सदस्यों के लिए कुछ शर्तें निर्दिष्ट करता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) व्यक्ति की आयु 25 से 70 वर्ष के बीच होनी चाहिए, और (ii) उसे आयु और कार्यकाल की अवधि से संबंधित अंतरराष्ट्रीय नियमों (अंतरराष्ट्रीय महासंघों के चार्टर, कानून या उपनियमों) का पालन करना होगा। बिल में यह भी निर्दिष्ट किया गया है कि अगर अंतरराष्ट्रीय नियमों द्वारा मंजूर हो तो 70 से 75 वर्ष की आयु का कोई भी व्यक्ति सदस्य बन सकता है, तथा पूर्ण अवधि तक कार्य कर सकता है। प्रत्येक राष्ट्रीय निकाय में एक अध्यक्ष, एक महासचिव और एक कोषाध्यक्ष होगा। इन पदों पर नियुक्ति के लिए, व्यक्ति को उत्कृष्ट योग्यता वाला खिलाड़ी होना चाहिए, या फिर उसने कम से कम दो पूर्ण कार्यकाल के लिए कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया हो। कोई भी व्यक्ति इन पदों पर एक ही भूमिका में, या दोनों के संयोजन में, तीन से अधिक कार्यकाल के लिए काम नहीं कर सकता।
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राष्ट्रीय खेल बोर्ड: बिल केंद्र सरकार को राष्ट्रीय खेल बोर्ड (एनएसबी) की स्थापना का अधिकार देता है। एनएसबी राष्ट्रीय खेल निकायों को मान्यता प्रदान करेगा और उनकी संबद्ध इकाइयों का पंजीकरण करेगा। केवल मान्यता प्राप्त निकाय ही केंद्र सरकार से धनराशि प्राप्त करने के पात्र होंगे। बोर्ड निर्दिष्ट शर्तों के अधीन ऐसी मान्यता या पंजीकरण को निलंबित या रद्द कर सकता है। एनएसबी के अन्य कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) आचार संहिता और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुपालन पर दिशानिर्देश जारी करना, (ii) खिलाड़ियों के कल्याण, खेल विकास और धनराशि के दुरुपयोग को प्रभावित करने वाले मामलों की जांच करना, और (iii) किसी राष्ट्रीय निकाय की अंतरराष्ट्रीय मान्यता समाप्त होने की स्थिति में तदर्थ प्रशासनिक निकाय का गठन करना।
एनएसबी में एक अध्यक्ष और निर्धारित संख्या में सदस्य होंगे। एनएसबी में नियुक्ति के लिए, व्यक्ति को लोक प्रशासन, खेल प्रशासन, खेल कानून और अन्य संबंधित क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या अनुभव होना आवश्यक है। केंद्र सरकार एक खोज-सह-चयन समिति के सुझावों के आधार पर एनएसबी के सदस्यों की नियुक्ति करेगी। केंद्र सरकार समिति की संरचना निर्धारित करेगी।
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राष्ट्रीय खेल ट्रिब्यूनल: बिल में खेल संबंधी विवादों के निपटारे के लिए एक राष्ट्रीय खेल ट्रिब्यूनल के गठन का प्रावधान है। इसका क्षेत्राधिकार विशिष्ट विवादों पर नहीं होगा, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा आयोजित खेलों से संबंधित विवाद और राष्ट्रीय खेल निकायों के आंतरिक विवाद।
ट्रिब्यूनल में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) एक अध्यक्ष जो सर्वोच्च न्यायालय का वर्तमान या पूर्व न्यायाधीश या किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश हो, और (ii) दो सदस्य जो खेल, लोक प्रशासन और कानून के क्षेत्र में अनुभवी प्रतिष्ठित व्यक्ति हों। एक खोज-सह-चयन समिति ट्रिब्यूनल में नियुक्तियों का सुझाव देगी। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) या सीजेआई द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय का एक न्यायाधीश, (ii) विधि सचिव, और (iii) खेल सचिव। ट्रिब्यूनल के पास एक दीवानी न्यायालय के समान शक्तियां होंगी। इसके निर्णयों के विरुद्ध अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकेगी, जब तक कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार स्विट्जरलैंड स्थित कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट में अपील करना आवश्यक न हो।
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चुनावों की निगरानी: केंद्र सरकार राष्ट्रीय खेल निकायों के चुनावों की निगरानी के लिए चुनाव अधिकारियों का एक राष्ट्रीय पैनल गठित करेगी। प्रत्येक राष्ट्रीय खेल निकाय को अपने सहयोगी संगठनों के चुनावों की निगरानी के लिए एक निर्वाचन पैनल भी गठित करना होगा।
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केंद्र सरकार की शक्तियां: अगर आवश्यक हो तो केंद्र सरकार किसी राष्ट्रीय निकाय या उसके सहयोगियों को उस खेल को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक हित में बिल के किसी या सभी प्रावधानों से छूट दे सकती है।
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