मंत्रालय: 
श्रम एवं रोजगार
  • श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने 19 सितंबर, 2020 को लोकसभा में व्यवसागत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2020 को पेश किया। संहिता स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं कार्य स्थितियों को रेगुलेट करने वाले 13 मौजूदा एक्ट्स को एकीकृत करती है। इनमें कारखाना एक्ट, 1948, खदान एक्ट, 1952 और कॉन्ट्रैक्ट श्रमिक (रेगुलेशन और उन्मूलन) एक्ट, 1970 शामिल हैं।

  • कवरेज: संहिता न्यूनतम 10 श्रमिकों वाले इस्टैबलिशमेंट्स पर लागू होगी। यह सभी खदानों एवं डॉक्स पर और उन इस्टैबलिशमेंट्स पर लागू होगी जहां जोखिमपरक या जानलेवा किस्म के कार्य किए जाते हैं (केंद्र सरकार इन्हें अधिसूचित कर सकती है)। संहिता के कुछ प्रावधान जैसे स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां सभी कर्मचारियों पर लागू होंगे। कर्मचारियों में श्रमिक और प्रबंधकीय, प्रशासनिक या सुपरवाइजरी जैसे कार्यों से वेतन अर्जित करने वाले सभी लोग शामिल होंगे।
     

  • छूट: संबंधित सरकार पब्लिक इमरजेंसी, आपदा या महामारी की स्थिति में किसी कार्यस्थल या गतिविधि को संहिता के प्रावधानों से एक वर्ष तक के लिए छूट दे सकती है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार आर्थिक गतिविधि और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए किसी नए कारखाने को संहिता के प्रावधानों से एक निर्दिष्ट अवधि के लिए छूट दे सकती है।
     

  • रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस: संहिता के दायरे में आने वाले इस्टैबलिशमेंट्स को केंद्र या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त रजिस्टरिंग ऑफिसर्स के साथ 60 दिनों के भीतर (संहिता के लागू होने के बाद) रजिस्टर करना होगा। कारखानों को संचालित करने के लिए लाइसेंस हासिल करना होगा। संहिता श्रमिकों, जैसे बीड़ी और सिगार मजदूरों को काम पर रखने वालों से लाइसेंस हासिल करने की अपेक्षा करती है।
     

  • नियोक्ताओं के कर्तव्य: संहिता के अंतर्गत नियोक्ताओं के कर्तव्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऐसे कार्यस्थल प्रदान करना, जो जोखिमों से मुक्त हों, (ii) कर्मचारियों को निशुल्क वार्षिक स्वास्थ्य जांच प्रदान करना, और (iii) अगर कार्यस्थल पर किसी दुर्घटना में कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है या उसे गंभीर शारीरिक चोट लगती है तो संबंधित अथॉरिटीज़ को सूचना देना। कारखानों, खदानों, डॉक्स, बागान और भवन निर्माण एवं निर्माण कार्य से जुड़े नियोक्ताओं के लिए अतिरिक्त कर्तव्य निर्दिष्ट किए गए हैं जिनमें जोखिम मुक्त कार्य परिवेश देना और कर्मचारियों को सुरक्षा संबंधी प्रोटोकॉल के निर्देश देना शामिल है।
     

  • कर्मचारियों के अधिकार और कर्तव्य: कर्तव्यों में निम्नलिखित शामिल हैं, अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा का स्वयं ध्यान रखना, सुरक्षा और स्वास्थ्य के विनिर्दिष्ट मानदंडों का पालन करना, और इंस्पेक्टर को असुरक्षित स्थितियों की सूचना देना। कर्मचारियों के कुछ अधिकार भी हैं, जिसमें नियोक्ता से सुरक्षा एवं स्वास्थ्य संबंधी मानदंडों की जानकारी हासिल करना शामिल है।
     

  • काम के घंटे: किसी इस्टैबलिशमेंट में किसी श्रमिक से एक दिन में आठ घंटे से ज्यादा काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी और न ही उसे इसकी अनुमति होगी। ओवरटाइम काम के लिए श्रमिकों को दैनिक मजदूरी की दर से दुगुनी मजदूरी दी जाएगी। महिलाएं शाम 7 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले काम कर सकती हैं, जोकि सरकार द्वारा निर्दिष्ट सुरक्षा संबंधी या अन्य शर्तों के अधीन होगा।
     

  • अवकाश: कोई कर्मचारी हफ्ते में छह दिन से ज्यादा काम नहीं करेगा। इसके अतिरिक्त उन्हें हर वर्ष प्रत्येक 20 दिन कार्य करने पर एक दिन का अवकाश दिया जाना चाहिए।
     

  • कार्य की स्थितियां: केंद्र सरकार कार्य की स्थितियों को अधिसूचित करेगी। इन शर्तों में स्वच्छ कार्य परिवेश, पीने का साफ पानी, शौचालय, वेंटिलेशन और पर्याप्त रोशनी शामिल हैं।
     

  • कल्याणकारी सुविधाएं: कैंटीन, फर्स्ट एड बॉक्स, और क्रेश जैसी कल्याणकारी सुविधाएं केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित मानदंडों के अनुसार प्रदान की जा सकती हैं। कारखानों, खदानों, डॉक्स, और भवन निर्माण एवं निर्माण श्रमिकों के लिए अतिरिक्त सुविधाएं निर्दिष्ट की जा सकती हैं, जैसे वेल्फेयर ऑफिसर्स और अस्थायी आवास।
     

  • संहिता में तीन अनुसूचियां शामिल हैं जिनमें निम्नलिखित की सूचियां हैं: (i) 29 बीमारियां, जिन्हें नियोक्ता को अथॉरिटी को अधिसूचित करना होगा, अगर उनका कोई श्रमिक उसके संपर्क में आता है, (ii) 73 सुरक्षा मामले जिन्हें सरकार रेगुलेट कर सकती है, और (iii) 40 उद्योग जिनमें जोखिमपरक प्रक्रियाएं संचालित होती हैं। केंद्र सरकार इस सूची में संशोधन कर सकती है।
     

  • इंस्पेक्टर: सरकार दुर्घटनाओं के निरीक्षण और जांच के लिए इंस्पेक्टर-कम-फेसिलिटेटर को नियुक्त कर सकती है। कारखाने, खदान, डॉक्स और भवन निर्माण एवं निर्माण कार्य के संबंध में उन्हें अतिरिक्त शक्तियां हासिल हैं जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) इस्टैबलिशमेंट के सेक्शंस में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या को कम करना, और (ii) खतरनाक स्थितियों में काम पर प्रतिबंध।
     

  • सलाहकार बोर्ड: केंद्र और राज्य सरकारें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर व्यवसायगत सुरक्षा एवं स्वास्थ्य सलाहकार बोर्ड का गठन करेंगी। ये बोर्ड संहिता के अंतर्गत नियम और रेगुलेशन बनाने के संबंध में सरकार को सलाह देंगे।  
     

  • सेफ्टी कमिटियां: सरकार कुछ इस्टैबलिशमेंट्स से श्रमिकों की निश्चित श्रेणियों के लिए सेफ्टी कमिटियां बनाने की अपेक्षा कर सकती है। इन कमिटियों में नियोक्ता और कर्मचारियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे और वे उनके बीच कड़ी के तौर पर काम करेंगे। कमिटी में श्रमिकों के प्रतिनिधियों की संख्या नियोक्ता के प्रतिनिधियों से कम नहीं होनी चाहिए।     

 

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